एक जमाने में लोग अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए पैसो की नही बल्कि चीजों का इस्तेमाल करते थे। आज भी गांव एरिया में जाकर आप देख सकते हो कि लोग पैसे नहीं बल्कि गेंहू धान इत्यादि अनाजो को बदलकर जरूरत का सामान खरीदते हैं। बहुत जगह यहबप्रथा आज भी चलती आ रही है। लेकिन धीरे-धीरे लोग अनाज की जगह पैसे रखने लगे क्योंकि पैसे को इधर से उधर ले जाना आसान होता था। आप इतिहास के पन्नों को पलट कर भी देख लीजिए, पुराने जमाने में लोग अनाज का इस्तेमाल करते थे पैसों की रूप में और खरीदारी करने अगर मंडी जाते तो भी साथ में अनाज लेकर जाते थे।

खैर अब तो हर किसी के पास पैसे रहते हैं। लोग पैसे देकर कुछ भी खरीद सकते हैं। जैसे जैसे समय आगे बढ़ा बहुत सारी नई तकनीक, बहुत सारी नई सुविधाओं के आविष्कार होते गयें। 21वी सदी एक ऐसा समय है, जब सबसे ज्यादा बदलाव हुए। लोगों की जिंदगियों को आसान बनाने के लिए जितना अधिक संभव हुआ उतने बदलाव इस युग में किए गए। ऐसा ही एक खास बदलाव है आभासी मुद्रा यानी Virtual Currencyका प्रचलन। लेकिन ध्यान रखना जरूरी है कि आभासी मुद्रा की लाइन में रिस्क बहुत है और हाल ही में आर्थिक केंद्रीय मंत्रालय ने भी यह आदेश जारी किया है कि लोग बिटकॉइन और बाकी क्रिप्टो करेंसी मुद्राओ में Invast से बचें। आज के पोस्ट में हम क्रिप्टो-करेंसी और इसके सारे पहलुओं को समझेंगे।
क्रिप्टो-करेंसी क्या है
क्रिप्टो करेंसी के बारे में सरल भाषा में कहें तो यह क्रिप्टोग्राफी प्रोग्राम पर आधारित वर्चुअल करेंसी या ऑनलाइन मुद्रा है, जो पियर टू पियर Cash System है।जैसा कि हमने कहा यह ऑनलाइन मुद्रा है, इसको हम डिजिटल वॉलेट में ही रख सकते हैं और वहीं से इस मुद्रा को इस्तेमाल कर सकते हैं। इस मुद्रा को रखने के लिए हमें बैंक के किसी अन्य वित्तीय संस्थान की जरूरत नहीं पड़ती है। क्रिप्टो-करेंसी दो तरह के होते हैं। फिएट क्रिप्टोक्रिप्टो-करेंसी और नॉन फिएट क्रिप्टो-करेंसी।
फिएट और नॉन फिएट क्रिप्टो-करेंसी क्या है
आप इतना समझिए कि नॉन फिएट क्रिप्टो-करेंसी निजी क्रिप्टो-करेंसी है जैसे कि बिटकॉइन। वही फिएट क्रिप्टो-करेंसी एक डिजिटल मुद्रा है, जिसे केंद्रीय बैंक द्वारा जारी किया जाता है। अगर भविष्य में भी रिजर्व बैंक कोई आभासी मुद्रा जारी करती है तो उसको फिएट क्रिप्टो करेंसी कहा जायेगा।
बिटकॉइन और क्रिप्टो-करेंसी में कंफ्यूजन

कुछ लोगों को लगता है कि क्रिप्टो-करेंसी सिर्फ बिटकॉइन ही है। काफी लोग क्रिप्टो-करेंसी और बिटकॉइन को एक ही समझते हैं। लेकिन यहा पर थोड़ी सी समझने की जरूरत है। आप लोग बस इतना समझ ले कि सभी क्रिप्टो-करेंसी बिटकॉइन नहीं है लेकिन सभी बिटकॉइन क्रिप्टो-करेंसी है। बिटकॉइन के अलावा भी बहुत सारे क्रिप्टो-करेंसी है जैसे कि एथेरेम(Ethereum), रिप्पल(Ripple) इत्यादि।
क्रिप्टो करेंसी के लाभ या सुविधाएं
◆ यह मुद्रा ने निजता बनाए रखने में मददगार है। क्रिप्टो-करेंसी के द्वारा लेनदेन के दौरान छद्म नाम एवं पहचान बताएं जाते हैं। जो लोग अपनी निजता को लेकर काफी ज्यादा संवेदनशील है, उनके लिए लेन-देन का यह विकल्प काफी संतोषजनक और सुलझा हुआ है।
◆ क्रिप्टो-करेंसी मे लेनदेन की लागत बहुत ही कम है, जो इसकी लोकप्रियता का एक मुख्य कारण है। घरेलू हो या अंतरराष्ट्रीय दोनो प्रकार की लेनदेन में लागत समान ही लगती हैै।
◆ क्रिप्टो करेंसी के जड़िये लेनदेन में किसी भी थर्ड पार्टी सर्टिफिकेशन की जरूरत नहीं पड़ती है, जिसके कारण पैसे और समय दोनों की काफी बचत हो जाती है।
◆ इस माध्यम में प्रवेश जनक बाधाएं न के ही बराबर है। अगर हम लोग बैंक द्वारा लेनदेन करते हैं तो अकाउंट खोलने से लेकर पैसों की लेनदेन करने तक हर कदम पर नए-नए प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ती है, जो कभी कभी काफी irritating हो जाता है। लेकिन क्रिप्टो-करेंसी में प्रमाण पत्रों का कोई झंझट ही नहीं है। इसके अलावा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लेनदेन के मामलों में भी काफी औपचारिकता से गुजरना पड़ता है। लेकिन क्रिप्टो-करेंसी के माध्यम से लेनदेन करने पर यह सब काम आसानी से हो जाता है।
◆ बैंकों के माध्यम से लेनदेन करने पर, सरकार के पास यह अधिकार होता है कि वह हमारे बैंक खाते को फ्रीज या जब्द कर सकती है। लेकिन क्रिप्टो-करेंसी के मामले में सरकार ऐसा नहीं कर सकती। यह पद्धति पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण से बाहर है।
क्रिप्टो-करेंसी के नुकसान और समस्या
◆ यह एक असुरक्षित लेन-देन व्यवस्था है इसकी पूरी प्रक्रिया और लाइन होने के कारण इसकी सुरक्षा पर सवाल उठते हैं इसके हैक होने का खतरा बना रहता है।
◆ इस व्यवस्था के साथ देश की सुरक्षा संबंधी चिंताएं भी जुड़ी हुई है। यह मुख्य वित्तीय सिस्टम और बैंकिंग प्रणाली से पूरी तरह बाहर रहकर काम करती है, जिससे इसके स्रोत और सुरक्षा पर सवाल उठते हैं। जानकारी के लिए बता दें, इस डिजिटल मुद्रा को फ्रॉड, हवाला मनी और आतंकी गतिविधियों को पोषित करने वाली मुद्रा के रूप में संबोधित किया जाता आ रहा है।
◆ क्रिप्टो-करेंसी का एक और नेगेटिव पॉइंट इसके नियंत्रण को प्रबंधन के साथ जुड़ा हुआ है। भारत देश जैसे कई देशों ने अभी तक इसको मुद्रा के रूप में स्वीकृति नहीं दी है। जिससे इसका प्रबंधन और नियंत्रण एक बड़ी समस्या बनी हुई है।
◆ क्रिप्टो-करेंसी के लेनदेन के साथ पर्यावरण संबंधी चिंताएं भी जुड़ी हुई है। गौरतलब है कि एक बिटकॉइन के लेन-देन में 237 किलोवाट बिजली खपत होती है, जिससे प्रति घंटा लगभग 92 किलो कार्बन का उत्सर्जन होता है।
लेकिन फिर भी क्रिप्टो-करेंसी की जनप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसके सरल लेनदेन पद्धति के कारण लोग लेन-देन के इस माध्यम को ज्यादा पसंद करते हैं। सरकार भी इन पर नियंत्रण करने में सफल नहीं हो पा रही हैं। विश्व के केंद्रीय बैंकों को यह आभास होने लगा है कि आभासी मुद्रा पर नियंत्रण लगाने का प्रयास निरर्थक है। इसी कारण देश और लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए वित्तीय संस्थानों ने खुद का क्रिप्टो-करेंसी जारी करने की दिशा में कदम बढ़ाया है और विचार कर रही हैं।