हर साल 8 मार्च के दिन अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस अलग-अलग थीम के साथ विश्व भर में मनाया जाता है। लेकिन इस दिवस को मनाने के पीछे के इतिहास के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को क्यों मनाया जाता है इस दिवस का थीम क्या है इस दिवस को मानाने की शुरुआत कैसे हुई इस सब के बारे में आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले हैं। महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और उनके आर्थिक राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उत्सव को मनाने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है।
दरअसल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक मज़दूर आंदोलन से उपजा है, जिसे बाद में संयुक्त राष्ट्र ने सालाना आयोजन की मान्यता दी। यह दिवस मनाने की शुरुआत आज से 112 वर्ष पहले यानी साल 1908 में हुई थी। जब अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में क़रीब 15 हज़ार महिलाएं सड़कों पर उतरी थीं। ये महिलाएं काम के समय को कम करने, बेहतर तनख़्वाह और वोटिंग के अधिकार की मांग के लिए प्रदर्शन कर रही थीं। साल 1908 में न्यूयॉर्क सिटी में वोटिंग के अधिकारों की मांग के लिए 15 हज़ार महिलाओं ने काम के घंटे को कम करने और अच्छे वेतन मिलने के लिए मार्च किया। महिलाओं के द्वारा किए गए इस विरोध प्रदर्शन के एक साल बाद, अमरीका की सोशलिस्ट पार्टी ने सबसे पहले राष्ट्रीय महिला दिवस को मनाने की घोषणा की थी।
अमेरिका के सोशलिस्ट पार्टी के इस घोषणा के अनुसार 1 साल बाद साल 1909 में यूनाइटेड स्टेट्स में पहला राष्ट्रीय महिला दिवस 28 फरवरी को मनाया गया था। उसके बाद महिला दिवस को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मनाने का विचार एक महिला क्लारा ज़ेटकिन का था।
जर्मनी के सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी की महिला ऑफिस की लीडर Clara Zetkin ने साल 1910 में यूनाइटेड स्टेटस में 28 फरवरी राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का विचार रखा।
उन्होंने सुझाव दिया था कि महिलाओं को अपनी मांगों को आगे बढ़ाने के लिए हर देश में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाना चाहिए। करीब 17 देशों की 100 से ज्यादा महिलाओं ने एक इंटरनेशनल कांफ्रेंस में इस सुझाव पर सहमति जताई और इस तरह अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की स्थापना हुई।
पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस साल 1911 में ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, जर्मनी और स्विटज़रलैंड में मनाया गया था। और इसका शताब्दी समारोह साल 2011 में मनाया गया था।
इस समय का मुख्य उद्देश्य था महिलाओं को वोटिंग का अधिकार दिलवाना। जो पहली बार 19 मार्च साल 1911 को ऑस्ट्रिया डेनमार्क, जर्मनी और स्विट्जरलैंड में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया। 2 साल बाद इसकी तारीख को बदलते हुए साल 1913 में 8 मार्च कर दिया गया और तभी से हर साल यह दिवस मनाया जाता है।
दिवस को मनाने की आधिकारिक मान्यता साल 1975 में दी गई। जब संयुक्त राष्ट्र ने इसे वार्षिक तौर पर एक थीम के साथ मनाना शुरू किया। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम थी सेलिब्रेटिंग द पास्ट, प्लानिंग फॉर द फ्यूचर .

और UN के अनुसार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस साल 2020 में “I am Generation equality Real reason women’s rights” इस थीम को संयुक्त राष्ट्र की नई बहू भाषी मुहिम जनरेशन इक्वलिटी के साथ जोड़ा गया है। जो बीजिंग प्लेटफॉर्म फॉर एक्शन की 25 वीं वर्षगांठ का प्रतीक है। इसको बीजिंग चीन में महिलाओं पर चौथे विश्व सम्मेलन में साल 1995 में अपनाया गया था।
पूरे विश्व में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन घर हो या ऑफिस सभी जगह महिलाओं को स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जाता है। उन्हें गिफ्ट, चॉकलेट, फ्लावर्स इत्यादि दिए जाते हैं। कई जगहों पर पार्टी भी किए जाते हैं कुछ देशों में महिलाओं को छुट्टी और उन्हें हाफ डे दिया जाता है। जगह जगह पर कैंपेन लगाए जाते हैं। महिलाओं के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक उपलब्धियों पर जश्न के तौर पर मनाया जाता है।
पूरी दुनिया में महिलाओं को सम्मान देने के लिए मनाया जाने वाला यह दिवस अपने आप में ही एक मिशाल है। आज देश, दुनिया, भाषा, संस्कृति और रहन-सहन की सीमाओं से परे आज पूरे विश्व की महिलाएं एक है। हर साल 8 मार्च को मनाया जाने वाला इंटरनेशनल वूमेन डे की इंपोर्टेंस लगातार बढ़ती जा रही है।
आज यह एक तरह का रस्म बन गया है। यह महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रेम, प्रशंसा और आदर बयान करने का अवसर है। आप सभी को जानकर खुशी होगी कि आजकल देश के लगभग सभी कॉलेजों और स्कूलों में भी महिला दिवस मनाया जाता है। जो युवाओं के दिमाग को उनके बचपन से ही महिलाओं के प्रति सम्मान और उनकी देखभाल करना सिखाता है। यह कुछ स्कूलों में महिलाओं के सशक्तिकरण, समाज में उनकी स्थिति और उनकी उपलब्धियों के ज्ञान और जागरूकता फैलाने के क्रम में एक अनिवार्य हिस्सा है।
महिलाओं की सुरक्षा भी हमारे देश में एक बहुत बड़ा सवाल है। हमें इस टॉपिक पर सोचना चाहिए और इस समस्या से निपटने के लिए हमें मिलकर कदम उठाना चाहिए। वही आज की महिला एक डिपेंडेंट नहीं रही वह अब काफी हद तक सेल्फ डिपेंडेंट हो गई है और यह हर चीज करने में सक्षम भी हैं। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर स्कूल से लेकर ऑफिसों में बड़े-बड़े मंचों पर नारी पूजन की बात कही जाती है। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर भाषण, निबंध, और कई तरह के क्विज़ कंपटीशन भी किया जाता है।
इस महिला दिवस आयोजन के बाद जर्मन क्रांतिकारी क्लारा जेटकिन ने साल 1910 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी महिला सम्मेलन में प्रस्ताव दिया कि 8 मार्च को कामकाजी महिलाओं के सम्मान के रूप में याद किया जाएगा। तब से इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस या अंतर्राष्ट्रीय कामकाजी महिला दिवस के रुप में मनाया जाता है। इस सम्मेलन में 17 देशों की 100 महिलाएं मौजूद थी।
पहला अंतर्राष्ट्रीय दिवस कब मनाया गया
साल 1951 में जर्मनी से जगाना स्टेडिया डेनमार्क में सबसे पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया इसके बाद साल 1917 में सोवियत रूस में महिलाओं पर अत्याचार बढ़ने के बाद 8 मार्च को वहां राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया।
साल 1967 तक कई नारीवादी आंदोलन ने इसे नहीं अपनाया लेकिन साल 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने महिला दिवस को आधिकारिक मान्यता दी, तब से हर साल अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाने लगा। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की पहली थीम रखी गई थी “सेलिब्रेटिंग द पास्ट प्लैनिंग फॉर द फ्यूचर” ।
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के तहत लोगों से यह अपील की जाति है, कि दुनिया के सभी देश और सभी नागरिक मिल कर ऐसी दुनिया बनाएं, जहां महिलाओं और पुरुषों को बराबरी के अधिकार मिलें।इटली में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को “ला फेस्टा डेला डोना” के नाम से मनाया जाता है। इस दिन
महिलाओं को मिमोसा (छुईमुई) के फूल दिए जाते हैं। इस परंपरा की शुरुआत कैसे हुई, ये तो कुछ सठीक नहीं है। लेकिन, माना जाता है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद इटली की राजधानी रोम में महिलाओं को इंटरनेशनल विमेन्स डे पर मिमोसा के फूल देने का चलन शुरू हुआ था।
अमरीका में मार्च के महीने को महिलाओं के इतिहास के महीने के तौर पर भी जाना जाता है। इस दिन राष्ट्रपति हर साल एक आदेश जारी करके अमरीकी महिलाओं की उपलब्धियों का बखान करते हैं।