Wednesday, June 7, 2023
Homeहिन्दीविशेषबसंत पंचमी(सरस्वती पूजा) का क्या महत्व होता है और इस दिन के...

बसंत पंचमी(सरस्वती पूजा) का क्या महत्व होता है और इस दिन के कुछ खास बातों के बारे में।

बसंत पंचमी यानी कि श्री पंचमी हिंदू धर्म के लोगों का एक महत्वपूर्ण त्यौहार होता है। इस दिन सरस्वती माता जो विद्या की देवी हैं उनकी पूजा होती है यह पूजा पूर्वी भारत, पश्चिमोत्तर, बांग्लादेश, नेपाल और कई राष्ट्रों में बेहद धूमधाम और बड़े ही उल्लास के साथ मनाया जाता है।

इस दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ होता है शास्त्रों के अनुसार वसंत पंचमी को ऋषि पंचमी से उल्लेखित किया गया है तो वही पुराणो शास्त्रो और कई काव्य ग्रंथों में भी अलग अलग तरह से इस का चित्रण देखने को मिलता है। प्राचीन भारत और नेपाल में पूरे साल को जिस 6 मौसमो में बांटा जाता है उसमें वसंत ऋतु लोगों का सबसे मनचाहा ऋतु होता है।

वसंत ऋतु में फूलों में बहार आ जाती है खेतों में सरसों के फूल खिलने लगते हैं। गेहूं की बालियां खिलने लगती है, हर तरफ रंग बिरंगी तितलियां मंडराने लगते है। फूलों पर भंवरे भिनभिनाते हुए नजर आते हैं बसंत ऋतु का स्वागत करने के लिए माघ महीने के 5 वे दिन एक बड़ा त्यौहार होता है। जिसमें विष्णु और कामदेव की पूजा होती है और यही बसंत पंचमी का त्योहार कहलाता है।

वसंत पंचमी कथा

उपनिषदों के अनुसार सृष्टि के प्रारंभिक काल में भगवान शिव की आज्ञा से भगवान ब्रह्मा जी ने जीवों और खास तौर से मनुष्य योनि की रचना की। लेकिन अपनी सर्जना से वे संतुष्ट नहीं थे, उन्हें लग रहा था कि उनके सृजन में कुछ कमी रह गई है। जिस कारण चारों और मौन सा छाया हुआ रहता है हालांकि उपनिषद पुराण में ऋषियों को अपना अपना अनुभव है।

अगर यह हमारे पवित्र ग्रंथों से मेल नहीं खाता तो यह मान्य नहीं है। तब ब्रह्माजी ने इस समस्या को समाधान करने के लिए अपने कमंडल से अपने हथेली में जल लेकर संकल्प के समान उस जल को चिड़ककर भगवान श्री विष्णु की स्तुति करना आरंभ किया।

ब्रह्मा जी की स्तुति को सुनकर भगवान विष्णु तत्काल ही प्रकट हुए और उनकी समस्या जानकर भगवान विष्णु ने आदिशक्ति माता दुर्गा का आह्वान किया। विष्णु जी के आह्वान करने के कारण भगवती दुर्गा माता प्रकट हुई और विष्णु जी ने उन्हें इस संकट को दूर करने के लिए निवेदन किया। ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बातों को सुनने के बाद उसी समय आदिशक्ति माता दुर्गा के शरीर से श्वेत रंग का एक भारी तेज उत्पन्न हुआ जो एक दिव्य नारी के रूप में बदल गया।

यह स्वरूप एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री का था जिनके हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में वर मुद्रा थे और अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और मालाएं थी। आदिशक्ति मां दुर्गा के शरीर से उत्पन्न तेज से प्रकट होते ही उस देवी ने वीना का मधुरनाद कीया। जिससे समस्त संसार के जीव-जंतुओं को पानी प्राप्त हुई, जलधारा में कोलाहल व्याप्त हो गया, पवन बहने लगा और चारों ओर सनसनाहट होने लगी।

तब सभी देवताओं ने शब्द और रस का संचार कर देने वाली देवी को अधिष्ठात्री देवी सरस्वती नाम दिया। फिर आदिशक्ति भगवती माता दुर्गा ने ब्रह्मा जी से कहा कि मेरे तेज से उत्पन्त देवी सरस्वती आपकी पत्नी बनेगी। जैसे लक्ष्मी भगवान श्री विष्णु की शक्ति है, पार्वती महादेव शिव की शक्ति है, उसी तरह सरस्वती देवी ब्रह्मा जी की शक्ति होगी। ऐसा कहकर आदिशक्ति माता दुर्गा देखते-देखते वही अंतर्ध्यान हो गई। इसके बाद सभी देवता सृष्टि के संचालन में संलग्न हो गए।

सरस्वती को और भी कई अनेक नामों से जाना जाता है और उनकी पूजा होती है। जैसे कि वागीश्वरी, भगवती, वीणा-वादिनी, शारदा और वाग्देवी के साथ ही अन्य कई नाम से इनकी पूजा की जाती है। ये विद्या और बुद्धि प्रदाता है, संगीत की उत्पत्ति करने के कारण यह संगीत की देवी भी है। बसंत पंचमी के दिन को इनके प्रकट उत्सव के रूप में मनाया जाता है।

ऋग्वेद में भगवती माता सरस्वती का वर्णन करते हुए वाणी भी लिखा गया है जीसका मतलब यह है कि यह देवी परम चेतना है। जो सरस्वती के रूप में हमारी बुद्धि, प्रज्ञा और मानव नीतियों की संरक्षिका है। हममें जो आचार में मेधा है उसका अचार भगवती सरस्वती ही है।

बसंत पंचमी(सरस्वती पूजा) का क्या महत्व होता है और इस दिन के कुछ खास बातों के बारे में।

इनकी समृद्धि और स्वरूप का वैभव अद्भुद है। पुराणों के अनुसार श्री कृष्ण ने माता सरस्वती से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती की आराधना की जाएगी और तभी से इस वरदान के परिणाम स्वरुप पूरे देश में बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी माता सरस्वती की पूजा होने लगी जो आज तक होती है।

बसंत ऋतु आने से ही प्रकृति के कण-कण में जो खिला हुआ आनंद देखने को मिलता है वह सब ऋतूयों से अलग है। मानव क्या इस समय पशु-पक्षी भी उल्लास से हर्षित हो जाते हैं। हर दिन नई उमंग से सूर्योदय होता है और नई चेतना प्रदान करके अगले दिन फिर आने का आश्वासन देकर अस्त हो जाता हैं।

यूं तो माघ महीने का पूरा महीना ही उत्साह देने वाला होता है। लेकिन बसंत पंचमी का पर्व भारतीय जनजीवन को कई तरह से प्रभावित करता है। प्राचीन काल से ज्ञान और कला की देवी मां सरस्वती के जन्म दिवस पर यानि बसंत पंचमी पर इनका जन्म दिवस मानाया जाता है।

जो शिक्षाविद भारत और भारतीयता से प्रेम करते हैं वे इस दिन माता शारदे की पूजा करके उनसे अधिक ज्ञानवान होने की प्रार्थना करते हैं। कलाकार तो हर दिन माता सरस्वती की पूजा करते हैं। जो महत्व सैनिकों के लिए अपने शास्त्रों और विजयादशमी का होता है, जैसे विद्वानों के लिए अपनी पुस्तक और व्यास पूर्णिमा का होता है, जैसे व्यापारियों के लिए अपने तराजू, बाट, बही खातों और दीपावली का होता है ठीक उसी तरह कलाकारों के लिए बसंत पंचमी होता है। चाहे कोई लेखक हो, गायक हो, वादक, नाटककार या चित्रकार कोई भी क्यों न हो उनके लिए माता सरस्वती की पूजा और वंदना महत्वपूर्ण होता हैं। बसंत पंचमी से जुड़े ऐतिहासिक घटनाएं

अतीत में भी ऐसे कई प्रेरक घटनाएं मिलती है जो हमें इस पर्व पर याद आती है और त्रेतायुग से जोड़ती है। रावण के द्वारा सीता हरण के बाद भगवान श्री राम उनकी खोज में दक्षिण की ओर बढ़े। जिन स्थानों पर वे गए उनमें दंडकारण्य था। जहां संसार शबरी नामक भीलनी रहती थी जब भगवान श्रीराम उसकी कुटिया में गए तो वह सुध बुध खो बैठी और चख चख कर मीठे बैर लाकर भगवान श्रीराम को खिलाने लगी। प्रेम में दिए हुए झूठे बेर के इस घटना को रामकथा के सभी गायकों ने अपने-अपने अलग-अलग प्रकार से प्रस्तुत किया।

दंडकारण्य का वह क्षेत्र है इन दिनों गुजरात और मध्य प्रदेश में फैला है। गुजरात के डांग जिले में वह स्थान है जहां पर शबरी माता का आश्रम था। बसंत पंचमी के दिन ही भगवान श्री रामचंद्र जी वहां आए थे। उस क्षेत्र के वनवासी आज भी एक शीला को पूजा करते हैं, जिसके बारे में उनकी श्रद्धा है कि भगवान श्रीराम आकर यहीं बैठे थे और वहां शबरी माता का मंदिर भी है।

पृथ्वीराज चौहान की कहानी

बसंत पंचमी का दिन हमें पृथ्वीराज चौहान की भी याद दिलाती है। उन्होंने विदेशी हमलावर मोहम्मद गोरी को 16 बार पराजित किया और बड़े ही उदारता से हर बार जीवित छोड़ दिया। लेकिन जब सत्रहवीं बार वे पराजित हुए तो मोहम्मद गौरी ने उन्हें नहीं छोड़ा वह उन्हें अपने साथ अफगानिस्तान ले गया और उनकी आंखें फोड़ दी और इसके बाद की घटना तो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।

मोहम्मद गौरी ने मृत्युदंड देने से पहले उनकी शब्दभेदी बाण का कमाल देखना चाहा। पृथ्वीराज के साथी कवि चंदबरदाई के परामर्श पर गौरी ने ऊंचे स्थान पर बैठकर तवे पर चोट मारकर संकेत किया तभी चंदबरदाई ने पृथ्वीराज को संदेश दिया। इस बार पृथ्वीराज चौहान ने गलती नहीं की उन्होंने तवे पर हुई चोट और चंदबरदाई के संकेत से अनुमान लगाकर जो बाण मारा वो मोहम्मद गौरी के सीने में जा लगा। इसके बाद चंदबरदाई और पृथ्वीराज ने भी एक दूसरे के पेट में छुरा भोंक कर बलिदान दे दिया। 1192 ई में बसंत पंचमी के दिन ही यह घटना हुई थी।

सिखों के लिए भी बसंत पंचमी के दिन का बहुत महत्व होता है। मान्यता है कि बसंत पंचमी के दिन ही सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी का विवाह हुआ था।

लाहौर निवासी वीर हकीकत की कहानी

बसंत पंचमी को लाहौर निवासी वीर हकीकत से भी गहरा संबंध माना जाता है। एक दिन जब मुल्ला जी किसी काम से विद्यालय छोड़ कर चले गए तो सब बच्चे खेलने लगे लेकिन वह पड़ता रहा। जब दूसरे बच्चों ने उसे छेड़ा तो उसने माता दुर्गा की सौगंध दे दी फिर मुस्लिम बालक दुर्गा माता की हंसी उड़ाने लगे।

तब हकीकत ने कहा कि अगर मैं तुम्हारी बीबी फातिमा के बारे में कुछ कहुँ तो तुम्हें कैसा लगेगा। इतने से बात पर मुल्लाजी के आते ही शरारती छात्रों ने शिकायत कर दी कि हकीकत ने बीबी फातिमा को गाली दी है। फिर बात बढ़ती गई और काजी तक पहुंच गयी।

मुसलमान शासन में वही निर्णय हुआ जिसकी अपेक्षा थी आदेश हुआ कि या तो हकीकत मुसलमान बन जाए या उसे मृत्युदंड दिया जाए। हकीकत ने मुसलमान बनना स्वीकार नहीं किया और परिणाम स्वरूप उसे तलवार के घाट उतारने का फरमान जारी किया गया।

उसके बाद कहा जाता है की उसके भोले मुख को देखकर जल्लाद के हाथ से भी तरवार गिर गया। हकीकत में तलवार इसके हाथ में दी और कहा कि जब मैं बच्चा होकर अपने धर्म का पालन कर रहा हूं तो तुम बड़े होकर अपने धर्म से क्यों पीछे हट रहे हो।

बसंत पंचमी(सरस्वती पूजा) का क्या महत्व होता है और इस दिन के कुछ खास बातों के बारे में।

इस पर जल्लाद ने दिल मजबूर करके तलवार चला दी पर उस वीर का शीश धरती पर नहीं गिरा वह आकाश मार्ग से सीधा स्वर्ग चला गया। यह घटना बसंत पंचमी को ही हुई थी पाकिस्तान एक मुस्लिम देश है लेकिन हकीकत के आकाशगामी लेकिन हकीकत के पास गांव में शीश की याद में वहां बसंत पंचमी पर पतंग उड़ाई जाती है।

हकीकत लाहौर का निवासी था और इसीलिए सर्वाधिक पतंगबाजी लाहौर में ही देखा जाता है। इसके अलावा बसंत पंचमी गुरू रामसिंह कूका की याद दिलाती है। उनका जन्म 1816 ई में बसंत पंचमी के दिन ही लुधियाना के भैणी ग्राम में हुआ था।

कुछ समय वे महाराजा रणजीत सिंह की सेना में रहे फिर घर आकर खेती-बाड़ी में लग गए। लेकिन आध्यात्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण इनके प्रवचन सुनने लोग दूर-दूर से आने लगे। धीरे-धीरे उनके शिष्यों का एक अलग ही पंथ बन गया जो कूका पंथ कहलाया।

गुरू रामसिंह, गोरक्षा, स्वदेशी, नारी उद्धार, अंतरजातीय विवाह सामूहिक विवाह आदि पर बहुत जोर देते थे। सर्वप्रथम उन्होंने अंग्रेजी शासन का बहिष्कार करके अपनी स्वतंत्र डाक और प्रशासन व्यवस्था चलाई थी।

हर साल मकर सक्रांति पर भैणी गांव में मेला भी लगता था। साल 1872 में मेले में आते समय उनके एक शिष्य को मुसलमानों ने घेर लिया। उन्होंने उसे पीटा और वह वध कर उसके मुंह में गो मांस डाल दिया। यह सुनकर गुरु राम सिंह के शिष्य भड़क गए उन्होंने उस गांव पर हमला बोल दिया लेकिन दूसरी ओर से अंग्रेज सेना आ गई और युद्ध का पासा ही पलट गया।

इस संघर्ष में अनेकों वीर शहीद हुए और 68 पकड़ लिए गए। इनमें से 50 को 17 जनवरी 1872 को मलेरकोटला में तोप के सामने खड़ा करके उड़ा दिया। बाकि 18 को अगले दिन फांसी दे दी गई 2 दिन बाद गुरु राम सिंह को भी पकड़कर बर्मा के मांडले जेल में भेज दिया गया। 14 साल तक वहां कठोर अत्याचार सहने के बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।

राजा भोज का जन्म दिवस  

इसके अलावा राजा भोज का जन्म दिवस भी बसंत पंचमी को ही आता है। इस दिन राजा भोज एक बड़ा उत्सव करवाते थे जिसमें पूरी प्रजा के लिए एक बड़ा प्रीतिभोज का आयोजन किया जाता था जो 40 दिन तक चलता था।

महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म

बसंत पंचमी का दिन हिंदी साहित्य की अमर विभूति महाकवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का जन्म दिवस भी है। निराला जी के मन में निर्धनों के प्रति अपार प्रेम और पीड़ा थी। वे अपने पैसे और वस्त्र खुले मन से निर्धनों को दे देते थे इस कारण लोग उन्हें महापुराण भी कहते थे। इसीलिए कहा जाता है की इस दिन जन्मे लोग कोशिश करें तो बहुत आगे जाते हैं।

Jhuma Ray
Jhuma Ray
नमस्कार! मेरा नाम Jhuma Ray है। Writting मेरी Hobby या शौक नही, बल्कि मेरा जुनून है । नए नए विषयों पर Research करना और बेहतर से बेहतर जानकारियां निकालकर, उन्हों शब्दों से सजाना मुझे पसंद है। कृपया, आप लोग मेरे Articles को पढ़े और कोई भी सवाल या सुझाव हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क करें। मैं अपने Readers के साथ एक खास रिश्ता बनाना चाहती हूँ। आशा है, आप लोग इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।
RELATED ARTICLES

Leave a Reply

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: