विश्व भर में 6 फरवरी के दिन ‘सेफ़र इन्टरनेट डे(Safer Internet Day)’ मनाया जाता है। यह दिन बच्चों और युवाओं के द्वारा इंटरनेट के सुरक्षित इस्तेमाल को लेकर जागरूक करने के लिए मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के माध्यम से खासकर के बच्चों और युवाओं को ऑनलाइन मोबाइल फोन को सुरक्षा के साथ व जिम्मेदारी से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना है। इस दिन रेडियो के माध्यम से लोगों को एटीएम(ATM), डेबिट कार्ड से जुड़ी ऑनलाइन ठगी से बचने के बारे में जागरूक किया जाता है।
इस दिन पोस्टर और पंपलेट के माध्यम से भी लोगों को जागृत किया जाता है। इस दिन साइबर क्राइम के द्वारा विशेष कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। इंटरनेट पर काम करने के दौरान बरती जाने वाली सावधानीयों के बारे में बताया जाता है। यूनाइटेड किंगडम के स्कूलों में सुरक्षित इंटरनेट एजुकेशन पैक्स और सुरक्षित इंटरनेट दिवस की एक TV फिल्म भी दिखाई जाती है ताकि उन्हें इसके महत्व के बारे में पता चल सके।
इस मौके पर गूगल इंडिया ने भारत में अपने यूज़र्स के लिए एक इंटरनेट सेफ्टी कैंपेन लॉन्च किया है। गूगल का यह कैंपेन #SecurityCheckKiya का उद्देश्य पहली बार इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे लोगों के लिए है। इस कैंपेन के द्वारा उन प्रमुख उत्पादों की विशेषताओं को उजागर किया जाता है जो ऑनलाइन सुरक्षा को बढ़ावा दे सकते हैं।
यह फीचर लोगो को ऑनलाइन फ्रॉड से बचने के लिए सहायता करता है। ये कैंपेन लोगो को इस बारे में बताता है की ऑनलाइन सुरक्षित कैसे रहा जा सकता है। गूगल ने उज़र्स की सेफ्टी का ध्यान रखते हुए इसमें 3 स्टेप को अप्रोच किया है। इसके इस्तेमाल से यूजर्स अपने एंड्राइड फ़ोन और जीमेल अकाउंट के सिक्योरिटी का जायजा ले सकते हैं।
भारत में भी हो रहे हैं ट्रेंड
भारतीय बाजार में भी कई तरह के साइबर ट्रेंड देखने को मिले हैं। इनमें मालवेयर और फाइनेंशियल फ्रॉड जैसी चीजें वृद्धि हो रही है। यह करीब 400 मिलियन यूजर्स के साथ एक बाजार भी है, और जल्द ही इसके 650 मिलियन यूजर्स तक बढ़ने की उम्मीद है।
ग्रामीण क्षेत्र के लोग होते हैं फ्रॉड का शिकार
पुरे देश में इंटरनेट यूजर्स की संख्या करोड़ों में है। जिसमें से कई ग्रामीण क्षेत्रों से भी आते हैं और ऐसे इलाकों से आने वाले लोग फ्रॉड का ज्यादा शिकार होते हैं। क्योंकि शहरी लोग गूगल के सेफ्टी फीचर्स के बारे में जानते हैं जो ग्रामीण क्षेत्र के लोग नहीं जानते और शहर के लोग सुरक्षित तरह से मोबाइल नेट का इस्तेमाल करते हैं, तो वहीं ग्रामीण टीयर 3 शहरों से आने वाले लोग इस स्कैम का ज्यादा शिकार होते हैं।
Google राज्य सरकार के साथ मिलकर काम कर रहा है
गूगल एंड्रॉयड के लिए प्ले प्रोटेक्ट(Play Protect) फीचर को भी प्रमोट कर रहा है। इस फीचर के द्वारा यूजर्स फेक ऐप का पता लगा सकते हैं। गूगल ने जनवरी महीने में करीब 7 लाख से फेक ऐप गूगल के प्ले स्टोर से हटा दिए हैं। उज़र्स को सेफ़ इंटरनेट फायदे बताने के लिए गूगल कई राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम भी कर रहे हैं। तेलंगाना में गूगल ने सरकार के साथ मिलकर 6 हज़ार सरकारी स्कूलों में इंटरनेट सेफ़्टी प्रोग्राम चलाया। केरल में आईटी मंत्रालय के साथ मिलकर एक लाख से ज्यादा स्कूली छात्राओं का को इंटरनेट सेफ्टी के बारे में ट्रेन किया गया।
शिक्षकों को भी ट्रेन किया जाएगा
इसके अलावा साइबरबुलिंग से निपटने के लिए शिक्षकों को भी ट्रेन करने के बारे में विचार कर रहा है। करीब एक तिहाई शहरी शिक्षक साइबरबुलीइंग का केस देखते हैं। लेकिन उन्हें पता नहीं होता कि इस पर कैसे प्रतिक्रिया दें। गूगल “मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेस (MassiveOpenOnlineCourses (MOOC)” के माध्यम से करीब 3 हज़ार शिक्षकों को इंटरनेट सेफ्टी पर ट्रेन कर चुका है।

आज कल की दुनिया में किसी का कोई भरोसा नहीं होता। आजकल इंटरनेट में लोग इस तरह इंवॉल्व हो चुके है कि किसी भी व्यक्ति की आम जानकारी निकालना किसी के लिए बेहद आसान हो चुकी है। ऐसे में खुद व्यक्ति को इस बारे में सतर्क रहना चाहिए। तो आइए जानते हैं कि हम किस तरह से कुछ सावधानियां बरतकर अपना नुकसान होने से बचा सकते हैं।
आइए जानते हैं हमें कैसी सावधानियां बरतनी चाहिए —
जब आप सुबह अपने घर या अपार्टमेंट से बाहर निकलते हैं, तो आप अपने दरवाजे को बंद करके निकलते होंगे। ऐसे में आप अपने घर की सुरक्षा के लिए एक अलार्म सेट कर सकते हैं, या सुरक्षा के दूसरे उपाय भी कर सकते हैं। जब आप बाहर होते हैं, तो आप अपने आसपास के बारे में सर्तकता बरतते हैं, खतरे का ध्यान रखते हैं और अपने सामान पर कड़ी नजर भी रखते हैं। डिजिटल दुनिया अलग नहीं है और वायरस से लेकर हैकिंग तक के अपने अपने खतरे और नुकसान होते हैं। 11 फरवरी को सेफर इंटरनेट डे यानी इंटरनेट सुरक्षा दिवस बनाया जाता है। तो चलिए ऑनलाइन दुनिया में सुरक्षित रहने के कुछ उपायो को जानते हैं।
* मजबूत पासवर्ड और टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन
एक मजबूत पासवर्ड रखना जरूरी है और अलग-अलग प्लेटफॉर्म पर आपके पासवर्ड एक जैसे नहीं होने चाहिए। ट्विटर, फेसबुक और गूगल जैसे कंपनियां अकाउंट की ह अतिरिक्त रूप से सुरक्षित रखने के लिए टू फैक्टर आथेंटिकेशन (दो कारक प्रमाणीकरण) की सुविधा देती हैं। तो आपके लिए अच्छा होगा कि आप टू फैक्टर ऑथेंटिकेशन का ही इस्तेमाल करें।
* घोटालों और फिशिंग (फंसने) से सावधान रहें
आप इस बात का भी ध्यान रखें कि आप कहां हैं। अगर आपके मोबाइल में कोई लिंक तो आप उसकी जांच करें और वेबसाइटों पर पॉप-अप्स से सावधान रहें। अगर आप ऑनलाइन देखते हैं कि आापने कुछ जीता है, और ऐसा लगता है कि यह सच है, लेकिन यह सच नहीं होता। फिशिंग स्कैमर बड़ी संख्या में लोगों को जालसाजी वाले मैसेज भेजते हैं, ताकि उनकी निजी जानकरी जैसे पासवर्ड आदि हासिल कर सकें।
कोई ईमेल या वेबसाइट दिखने के लिए वैध हो सकती है। आप ई-मेल के स्रोत के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए ईमेल के हैडर्स की जांच कर सकते हैं, और आपको नए या अप्रत्याशित ईमेलों के बारे में संदेह होना ही चाहिए। उदाहरण के तौर पर अगर आपके पास ट्विटर के नाम से ई-मेल आता है और उसमें कोई अटैचमेंट है तो आप सावधान रहें, क्योंकि ट्विटर अटैचमेंट्स के साथ ईमेल(Email) नहीं भेजते।
* कुकीज़ पर नजर
आप अपने डाटा को सुरक्षित रखना चाहते है, तो आपको ब्राउजिंग कुकीज़ पर नजर बनाए रखनी होगी। क्योंकि ये कुकीज़ ही अन्य साइट्स को आपकी जानकारी देती हैं। प्राइवेसी टूल आपकी कुकीज़ पर पूरी तरह से नजर बनाए रखता है। इसके अलावा आप ब्राउज़र के सिक्योरिटी फीचर्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे आपका डाटा कभी लीक नहीं होगा या चोरी नहीं होगा।
* साइट सिक्योर है या नहीं
जब भी आप किसी वेबसाइट पर जाते है, तो आपको उसके यूआरएल(URL) पर ध्यान ज़रूर देना चाहिए। आपको बता दें कि सुरक्षित साइट्स के URL की शुरुआत https से होती है। अगर आपको यूआरल में सिर्फ http दिखता है, तो आपको इन वेबसाइट से बचना चाहिए। वहां एस (S) का मतलब है कि वेबसाइट पूरी तरह से सिक्योर है।
* विज्ञापन पर कड़ी नजर रखे
भूलकर भी किसी ऐसे विज्ञापन पर क्लिक ना करें, जो मोबाइल या कंप्यूटर में वायरस की जानकारी देता है। अक्सर हैकर्स इस तरह के विज्ञापनों का इस्तेमाल कर लोगों को अपना शिकार बनाते हैं। अगर आप इन विज्ञापन पर क्लिक करके जानकारी एंटर करते है, तो इससे आपको चूना लग सकता है।