एक शब्द में कहा जाए तो कैंसर नामक घातक बीमारी रोगों के समूह का एक सामान्य नाम है। जिसमें शरीर के भीतर कुछ कोशिकाएं किसी कारण अनियंत्रित होकर बढ़ने लगती है। अनुपचारित कैंसर आसपास के सामान्य उत्तको या शरीर के अन्य हिस्सों में फैलता है, जिस कारण विकलांगता, गंभीर रोग और व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।
विश्व कैंसर दिवस एक वैश्विक कार्यक्रम है यह विश्व के लोगों को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी के खिलाफ लड़ाई लड़ने में एकजुट करने के लिए हर साल 4 फरवरी के दिन मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कैंसर जैसी बीमारी के बारे में शिक्षा और जागरूकता बढ़ाना तथा विश्व में सरकारों और व्यक्तियों को कार्रवाई करने के लिए संवेदनशील बनाना है। विश्व कैंसर दिवस की स्थापना 4 फरवरी साल 2000 में पेरिस में न्यू मिलेनियम के लिए कैंसर के शिखर सम्मेलन में के द्वारा की गई थी।
कैंसर क्या होता है
व्यक्ति का शरीर विभिन्न प्रकार के कोशिकाओं से बना होता है। यह कोशिकाएं शरीर में बदलावों के कारण बढ़ती रहती हैं। जब ये कोशिकाएं अनियंत्रित तौर पर बढ़ती हैं और पूरे शरीर में फैल जाती हैं, तब व्यक्ति के शरीर के बाकि हिस्से भी काम करना बंद कर देते हैं। इससे उन हिस्सों पर कोशिकाओं का गुच्छा यानि गांठ या ट्यूमर का रूप ले लेते है। यह ट्यूमर बेहद घातक होते है और बढ़ते रहते है, इसी अवस्था को कैंसर कहा जाता हैं।
कैंसर के प्रकार —
वैसे तो कैंसर के 100 प्रकार होते हैं। लेकिन सबसे आम कैंसर्स जैसे की स्किन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, ब्लैडर कैंसर, मेलानोमा, लिम्फोमा, किडनी कैंसर और ल्यूकेमिया होते हैं।जिसमें कैंसर के 4 स्टेज होती है, एक और दो शुरुआती स्टेज होते हैं। तीसरे स्टेज को इंटरमीडिएट स्टेज कहते है और चौथा स्टेज में कैंसर शरीर के दूसरे हिस्सों में भी फैल चुका होता है। जिस स्थिति में इलाज करना संभव नहीं होता।
विश्वभर में मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा प्रमुख कारण कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी ही है। वैश्विक स्तर पर हर साल 9.6 मिलियन लोग कैंसर की बीमारी से मर जाते हैं। और साल 2030 तक इस संख्या के लगभग दोगुने होने का अनुमान दिख रहा है। विश्व भर में कम से कम एक तिहाई सामान्य कैंसर निवारण योग्य होते हैं। तंबाकू उपयोग 71% फेफड़ों के कैंसर से होने वाली मृत्यु से जुड़ा है। और यह सब प्रकार के कैंसरों से होने वाली मृत्यु में से कम 22% के लिए उत्तरदाई है।
भारत में 5 सबसे अधिक होने वाले कैंसर है – मुंह का कैंसर, कैंसर सर्वाइकल कैंसर, स्तन कैंसर, ग्रीवा का कैंसर, फेफड़े का कैंसर। पुरुषों में देखे जाने वाले सामान्य प्रकार के कैंसर रोगो में – फेफड़े का कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, प्रॉस्टैट कैंसर, अमाशय और यकृत कैंसर। महिलाओं में देखे जाने वाली कैंसर के सबसे अधिक लक्षण है – स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर या ग्रीवा कैंसर, मुंह का कैंसर, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर इत्यादि। महिलाओं में कैंसर के मामले पुरुषों की अपेक्षा अधिक पाई जाती। विश्व कैंसर दिवस/World Cencer Day का थीम
विश्व भर में 4 फरवरी के दिन विश्व कैंसर दिवस मनाया जाता है। साल 2019 से साल 2021 तक यानी 3 साल के लिए विश्व कैंसर दिवस का थीम रखा गया है “मैं हूं में रहूंगा” इसका मतलब है कि हर किसी में क्षमता है, कि वह कैसा रिश्ता है इसी के अनुसार इन 3 सालों में कार्य होंगे दुनिया के सभी जानलेवा बीमारियों में कैंसर सबसे खतरनाक बीमारी है। क्योंकि कई बार इसके लक्षणों का पता नहीं चलता, जब इस बीमारी के होने का खुलासा होता है। तब तक यह पूरी तरह फैल चुकी होती है और हमें बहुत देर से पता चलता है। इस कारण कई लोगों का समय पर इलाज न होने के कारण उनकी मौत हो जाती है। अगर समय पर कैंसर जैसी बीमारी का पता चल जाता है, तो इस बीमारी का इलाज संभव है। विश्व कैंसर दिवस/World Cencer Day का इतिहास
विश्व कैंसर दिवस की स्थापना अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ यूआईसीसी(UICC) के द्वारा की गई थी। एक अग्रणीय वैश्विक (NGO) एनजीओ है। जिसका लक्ष्य विश्व कैंसर घोषणा, साल 2008 के लक्ष्यों की प्राप्ति करना है। इसका प्रथम लक्ष्य साल 2020 तक कैंसर जैसी बीमारी से होने वाली मौतों को कम करना है। अंतरराष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ (UICC) की स्थापना साल 1933 में की गई थी।
साल 1933 में अंतर्राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण संघ ने स्विट्जरलैंड, जिनेवा में पहली बार विश्व कैंसर दिवस मनाया था। यह दिवस कैंसर जैसे घातक बीमारी के बारे में लोगों में जागरूकता बढ़ाने, लोगों को शिक्षित करने व इस रोग के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जागरूक करता है। राष्ट्रीय कैंसर नियंत्रण कार्यक्रम साल 1975 में स्थापित किया गया था। इस दिन की शुरुआत देश में कैंसर के उपचार की सुविधा प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।इस कार्यक्रम को साल 1984-85 में संबोधित किया गया था। जिससे कैंसर के रोकथाम और जल्द पता लगाने के लिए जोड़ दिया जा सके।
विश्व कैंसर दिवस/World Cencer Day के दिन क्या होता है
इस दिवस पर विभिन्न सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओ के द्वारा कैंसर के बचाव के विभिन्न अभियान चलाएं जाते हैं। लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। ताकि कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को घृणा के दृष्टि से ना देखा जाए, और कैंसर पीड़ितों को समाज में एक आम इंसान की तरह ही दर्जा दिया जाए।
कैंसर जैसे घातक बीमारी को देखते हुए और उसे घटाने के लिए अपनी अच्छी वर्कआउट के बारे में, अच्छी जीवनशैली, नियंत्रित आहार, नियमित वर्कआउट के बारे में इस कार्यक्रम के दौरान लोगों को अच्छे से जानकारी दिया जाता है। उन्हें अपने नशीले पदार्थों का सेवन जैसे कि शराब की लत, अनियमित खान-पान, अस्वस्थ आहार और शारीरिक स्थिरता से मुक्त कराने के लिए बढ़ावा दिया जाता है। विश्व कैंसर दिवस/World Cencer Day क्यों मनाया जाता है

कैंसर जैसी घातक बीमारी से बचने के लिए इसके उपाय और खतरों के बारे में आम लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व कैंसर दिवस को मनाया जाता है। इसके अलावा समाज में फैले मिथक सोच को खत्म करने के लिए भी यह दिन मनाया जाता है। साथ ही इस दिन केंसर बीमारी के होने के कारण, लक्षण और उपचार आदि जैसे विषयों में कैंसर की सभी वास्तविक सच्चाईयों के बारे में सामान्य जागरूकता बढ़ाने के लिए भी इस दिवस को मनाया जाता है। ताकि इस बीमारी के लक्षणो से लोग इस खतरनाक बीमारी की पहचान कर सके और इसके रोकथाम के लिए उपायों को अपना सके। दुनिया के ज्यादातर लोग भी सोचते हैं कि क्या यह बीमारी छूने से फैलती है इसीलिए कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को समाज में रहना और के दृष्टि से देखा जाता है। दुनिया भर में सरकार और व्यक्तियों को समझाने की और हर साल लाखों लोगों को मरने से बचाने के लिए यह दिवस मनाया जाता है।
केंसर बीमारी के प्रति लोगो के भ्रम
ग्रामीण क्षेत्रों के आम लोगों में व अनपढ़ लोगों में कुछ हद तक विभिन्न प्रकार के सामाजिक मिथक बाते फैली हुई हैं, जैसे कि कैंसर पीड़ित के साथ रहने से स्वस्थ व्यक्ति को भी यह बीमारी हो सकती है। साल 2014 में इसे विश्व कैंसर घोषणा के लक्ष्य 5 पर केंद्रित किया गया है। जो कि कैंसर के कलंक के खतरे को कम करने और इस बीमारी के कारण समाज के लोगों में फैली मिथकों को दूर करने से संबंधित है। कैंसर कोई संक्रामक बीमारी नहीं होती, जो छूने से फैले क्योंकि यह कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है। परिवार में अगर किसी एक को कैंसर रहा है तो उस परिवार के अन्य सदस्यों में कैंसर होने का रिस्क कुछ हद तक बढ़ जाता है। लेकिन सभी को ही कैंसर हो ऐसा भी नहीं है।
कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसकी जितनी अधिक जागरूकता होगी, उतनी ही जल्दी सफल इलाज से यह बीमारी दूर करना संभव हो सकेगा। लेकिन कैंसर के नाम से लोग पहले ही डर जाते है और जानकारी के कमी के कारण इस बीमारी के प्रति समाज में फैले मिथकों को ही ज्यादा से ज्यादा लोग विश्वास करते हैं। ऐसे में समाज में इस बीमारी से जुड़ी सठिक जानकारी देने की जरुरत है। इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोगो में कैंसर के लक्षणों के बारे में जानकारी पहुंचाने के लिए कैंसर जागरूकता दिवस मनाया जाता है। स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 7 नवंबर साल 2014 को हर साल राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस मनाने की घोषणा की गई थी।
कैंसर पीड़ित से कैसा बर्ताव करें
समाज में कैंसर पीड़ितों को कभी भी हीन दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। उनके साथ हमेशा आम लोगों की तरह ही व्यवहार करना चाहिए। कभी भी उनको यह एहसास ना दिलाए कि वे कैंसर या किसी खतरनाक बीमारी के शिकार हैं। इसीलिए एक अच्छे इंसान होने के नाते आपको समाज में इस बीमारी को लेकर लोगों में फैले मिथकों के बारे में लोगों को समझाना चाहिए। ऐसे पीड़ित व्यक्तियों को लोगों की सहानुभूति की बेहद आवश्यकता होती है, अगर उनको पहले ही समाज में लोग हीन भावना से देखने लगे तो वे मरने से पहले ही जीना छोड़ देते हैं।
उनको भी आम इंसान के तरह ही अधिकार दिया जाना चाहिए, भले ही उनकी जीने की उम्र काफी कम ही क्यों ना हो, यह जरूरी है कि उन्हें आम लोगों की तरह ही महसूस कराया जाए। और कभी भी ऐसा एहसास नहीं करना चाहिए कि उनका कुछ उपचार किया जा रहा है। क्योंकि वह अब मरने वाले होते हैं इसीलिए उन्हें सम्मान करने की जरूरत होती है और अपने समाज में एक सामान्य वातावरण की भी आवश्यकता होती है। ताकि वे आसानी से अपने आप खुश रख सके।
केंसर पर नियंत्रण पाना बेहद जरूरी है
आंकड़ों के अनुसार इस बात पर ध्यान देने की जरूरत है, कि ज्यादातर कम विकसित क्षेत्रों में ही कैंसर के मामले 45% और मौतें 55% सामने आए है। अगर यह नियंत्रित नहीं किया गया तो साल 2030 तक ये और खतरनाक स्तर पर पहुंच सकती है और ज्यादा खतरनाक रूप ले सकती है। इसी लिए यह बहुत जरूरी है कि दुनिया के कोने कोने में इसे नियंत्रित किया जाए। अगर सावधानी न बरती जाए तो रिसर्च बताता है कि भारत में साल 2025 तक कैंसर के मामलों की संख्या 15.7 लाख तक पहुंच जाएगी। इनमें 25 प्रतिशत से अधिक मामले तंबाकू खाने से ही होते हैं।
मुख्य गैर संचारी रोग (NCD) को रोकने के लिए और नियंत्रित करने के लिए राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिका रोग और आघात के रोकथाम और नियंत्रण कार्यक्रम(NPCDCS) को साल 2010 में शुरू किया गया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के तहत मधुमेह और उच्च रक्तचाप कैंसर जैसे सामान्य एनसीडी की जनसंख्या आधारित जांच की जा रही है।
कैंसर की वर्तमान स्थिति
वर्तमान दुनिया भर में हर साल 76 लाख लोग कैंसर से दम तोड़ते हैं। जिनमें से 40 लाख लोग समय से पहले ही जैसे कि 30 से 50 साल की आयु में ही मर जाते हैं। इसीलिए समय को देखते हुए इस बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के साथ कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी से निपटने की व्यवहारिक रणनीति विकसित करना है। साल 2025 तक कैंसर के कारण समय से पहले होने वाले मौतों को बढ़कर हर साल 60 लाख होने का अनुमान है। अगर साल 2025 तक विश्व स्वास्थ्य संगठन के जरिए कैंसर के कारण समय से पहले होने वाली मौतों में 25% कमी के लक्ष्य को हासिल किया जाए, तो हर साल 15 लाख जीवन बचाए जा सकते हैं। देश में यह अनुमान लगाया गया है कि सर्वाइकल कैंसर से हर 8 मिनट में एक महिला की मृत्यु होती है। अगले 20 सालों में कैंसर की दर 60% प्रतिशत तक बढ़ने का अनुमान है।
विश्व कैंसर दिवस मानाने का मुख्य उद्देश्य
.हर साल विश्व कैंसर दिवस 4 फरवरी के दिन मनाया जाता है। The Union for International Cancer Control(UICC) का प्राथमिक उद्देश्य कैंसर पीड़ित व्यक्तियों की संख्या में कमी करना और इसके बिमारी के कारण होने वाली मृत्यु दर में कमी लाना है। साथ ही लोगों में कैंसर के लक्षणों को पहचान करने के लिए विभिन्न प्रयास करना, उनमें जागरुकता को बढ़ाना, लोगों को शिक्षित करना और विश्व भर में इस बीमारी के खिलाफ लड़ने के लिए लोगो को तैयार करना।
कैंसर बहूघटकीय कारक वाला एक रोग है। कुछ बाहरी एजेंट, कैंसर उत्पन्न करने के कारण के रूप में कार्य करते हैं। आइए जानते हैं कैंसर बीमारी के कुछ कारणों के बारे में —
- शारीरिक कैंसर कारी तत्व जैसे की पराबैंगनी और आयनीकरण विकिरण कैंसर के कारण है।
- रासायनिक कैंसरकारी तत्व जैसे कि तंबाकू, एफ्लोटॉक्सिंन यानि दूषित खानपान और आर्सेनिक यानि दूषित पीने का पानी।
- जैविक कैंसरकारी तत्व जैसे कि कुछ वायरस, बैक्टीरिया या हेपेटाइटिस बी और सी वायरस और मानव पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) जैसे परजीवियों से होने वाले संक्रमण।
- वृद्धा अवस्था में होने वाले कैंसर के विकास के लिए एक अन्य महत्वपूर्ण कारक है।
- तंबाकू और अल्कोहल का सेवन, अस्वास्थ्यकर आहार और शारीरिक निष्क्रियता कैंसर के प्रमुख कारक है।

कैंसर के संकेत —
- स्थन में नयी गांठ या बदलाव।
- आंत्र या मूत्राशय की आदतों में बदलाव।
- कोई ख़राश, जो ठीक ना हो रही हो।
- शरीर से असामान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज।
- निकलते समय कठिनाई होना।
- लगातार स्वर बैठना और खांसी ठीक ना होना।
- बिना किसी कारण वजन में वृद्धि होना या कमी होना।
- शरीर में होने वाले तिल या मस्से में प्रत्यक्ष परिवर्तन होना।
कैंसर जैसी बीमारी से बचने के लिए निम्नलिखित उपायों को अपनाएं —
हर एक व्यक्ति को कैंसर के जोखिम व खतरे को कम करने के लिए स्वस्त जीवन शैली को अपनाना चाहिए। समय रहते कैंसर का पता लगने और समय पर चिकित्सा व देखभाल से जीवन को बचाया जा सकता है। उपयुक्त सहयोग के साथ कैंसर से पीड़ित व्यक्तियों को सफलतापूर्वक उनका जीवन वापस लौटाया जा सकते हैं।
- विभिन्न प्रकार की हरी सब्जियां, फलियां, फल, मेवा और सबूत अनाज का सेवन करें।
- सुरक्षित यौन पद्धति अपनाए .
- नियमित तौर पर शारीरिक गतिविधियों को अपनाएं।
- सिमित परिमाण में वज़न बढ़ाए व मोटापे से बचें .
- एचपीवी और हेपेटाइटिस बी वायरस के खिलाफ टीकाकरण कराएं .
- सिगरेट, धूम्रपान, तंबाकू से बचें .
- अल्कोहल का सेवन ना करे, जरूरत पड़ने पर बिल्कुल कम मात्रा में सेवन करें।
- ज्ञातव्य पर्यावरणीय कैंसरकारी तत्वो से बचाव करें।
- चेतावनी के संकेतों के बारे में जानें।
- नियमित स्वास्थ्य जांच कराएं और कैंसर का परीक्षण कराए।
- तले हुए, वसायुक्त, मसालेदार और तेज गंध वाले भोजन से बचना चाहिए।
कैंसर बीमारी के लक्षण —
कैंसर के प्रमुख लक्षणों में गांठ, सूजन, गले में खराश, शरीर में होने वाले तिल या मस्से में परिवर्तन, असामान्य रक्तस्राव, मूत्राशय या आंतों में परिवर्तन इसके साथ ही अत्यधिक थकान, बेवजह वजन घटना, कमजोर होना, फोरा या गांठ होना, कफ और सीने में दर्द महसूस होना, कूल्हे या पेट में दर्द होना, पीरियड के दौरान महिलाओं में तकलीफ होना, ब्रेस्ट में बदलाव होना आदि प्रमुख लक्षण होते हैं।
देश में कैंसर के ज्यादातर मामलों में इलाज अंतिम चरण में ही किया जाता है। जिससे रोगी के बचने की संभावना काफी कम हो जाती है क्योंकि कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका पता चलते-चलते बहुत देर हो जाती है और मरीज इस बीमारी के लक्षणों को नहीं समझ पाते हैं जिस कारन उन्हें पता नहीं चलता की उन्हें कैंसर जैसी घातक बीमारी लग चुकी है।
ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि कैंसर के सामान्य लक्षणों के बारे में हर एक व्यक्ति को पाता रहे और लक्षण दिखने पर व्यक्ति इस बीमारी की सही इलाज शुरू कर दें। ताकि इस बीमारी के आखिरी चरण में जाकर व्यक्ति मृत्यु को प्राप्त ना हो।
कैंसर के कुछ लक्षण —
दुनिया भर में इस बीमारी से ही सबसे ज्यादा मौतें होती है। पुरुषों में सबसे ज्यादा फेफड़े के कैंसर और महिलाओं में स्तन कैंसर का जोखिम देखा जाता है। अगर सही समय पर इस बीमारी का पता ना चले तो यह बीमारी लाइलाज हो जाती है और इससे मरीज की मौत हो जाती है। अगर लगातार आपकी सांस फूल रही है और हर समय शरीर में थकान बनी हुई है तो आपको फौरन ही डॉक्टर को दिखाना चाहिए। इसके अलावा अगर आपको भूख की कमी लगती है और हर समय आपका पाचन तंत्र खराब रहता है तो यह भी कैंसर का लक्षण हो सकता है।
कमजोरी और थकान के साथ ही नींद में कमी की समस्या को भी अनदेखा नहीं किया जाता। क्योंकि यह भी कैंसर के शुरुआती लक्षणों में शामिल है। शरीर के किसी भाग में कोई फोरा या गांठ का हो जाना भी कैंसर का लक्षण हो सकता है। ऐसा होने पर फौरन डॉक्टर को दिखाना चाहिए, लंबे समय तक गले में कफ जमा रहना और सीने में दर्द होना भी कैंसर का लक्षण है। लंबे समय से हुआ कोई घाव आपका कोई धार ठीक नहीं हो रहा तो आपको लापरवाही नहीं करनी चाहिए।
क्योंकि यह कैंसर के लक्षण हो सकते हैं अगर बिना वजह आपका वजन घट रहा है तो इसे भी अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए। क्योंकि कैंसर के शुरुआती लक्षणों में यह भी शामिल है। मौसम में बदलाव की वजह से जुकाम का होना तो नॉर्मल बात है। लेकिन अगर यह समस्या 3 महीने या उससे ज्यादा समय तक रहे तो जल्दी ही डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
अगर किसी व्यक्ति को लीवर कैंसर का खतरा होता है, तो उस व्यक्ति की भूख प्रभावित होती है। और शरीर के अपशिष्ट पदार्थों को बाहर निकालने की क्षमता पर भी असर पड़ता है। महिलाओं में पेट की समस्या या लंबे समय तक पेट के निचले हिस्से में दर्द होना, गर्भाशय कैंसर का लक्षण हो सकता है। इस तरह अगर आपके स्तन के आकार में अचानक बदलाव या फिर दर्द होता है तो यह भी अनदेखा ना करें। महिलाओं में यह लक्षण स्तन कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते है।
कैंसर का सर्जरी
इसमें डॉक्टर शरीर के उस एरिया को शरीर से अलग कर देते हैं जिस हिस्से में कैंसर होता है। जैसे की ब्रेस्ट कैंसर होने पर ब्रेस्ट को हटा दिया जाता है। प्रोस्टेट कैंसर होने पर प्रोस्टेट ग्लैंड को निकाल दिया जाता है। लेकिन सभी तरह के कैंसर में सर्जरी की जरूरत नहीं होती। जैसे ब्लड कैंसर को सिर्फ दवाइयों से ही ठीक किया जा सकता है।
कीमोथेरेपी
इसमें ड्रग्स या दवाइयों के जरिए कैंसर सेल्स को खत्म किया जाता है। कुछ कीमो में आईवी (नसों में सुइयों के जरिए) से ठीक किया जाता है। तो कुछ में आपको दवाई भी दी जाती है। यह दवाइयां पूरे शरीर में अपना असर दिखाती हैं और हर जगह फैले कैंसर को खत्म करती हैं।
रेडिएशन
इसमें कैंसर की बढ़ती सेल्स को रोककर उन्हें मारा जाता है। कभी कभी तो केवल रेडिएशन या फिर सर्जरी और कीमो के दौरान इससे इलाज किया जाता है। इसमें आपके पूरे शरीर को एक्स-रे मशीन में डाला जाता है और कैंसर सेल्स को खत्म किया जाता है।