हर साल 24 जनवरी के दिन लड़कियों को समर्पित होता है। देश में हर साल 24 जनवरी के दिन राष्ट्रीय बालिका दिवस के रुप में मनाया जाता है। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने साल 2008 में ही इस दिवस की शुरुआत की थी। राष्ट्रीय बालिका दिवस इस साल 24 जनवरी रविवार साल 2021 को मनाया जाएगा। आज के इस पोस्ट में हम आपको राष्ट्रीय बालिका दिवस से जुड़ी सभी जानकारी देने वाले हैं जैसे कि इस दिवस को मनाने के पीछे क्या उद्देश्य है, इस दिवस को कब क्यों और किस तरह से मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं राष्ट्रीय बालिका दिवस से जुड़ी सभी जानकारियों के बारे में।
राष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य
राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने का उद्देश्य यही है कि लड़कियों को समान अधिकार दिया जाए। लड़कियों को हर एक क्षेत्र में असमानता से गुजरना पड़ता है ऐसे में उन सब समस्याओँ से लड़कियों को छुटकारा दिलाना ही इस दिवस का उद्देश्य है। लड़कियों को दुनिया के सामने लाना और लोगों के बीच बराबरी का मर्यादा देना उनमें में यह एहसास पैदा करना कि वह किसी से कम नहीं है। लड़कियों का अधिकार, स्वास्थ्य, शिक्षा, पोषण के साथ ही सभी विषयों में यह दिवस जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। लैंगिक भेदभाव इस देश में ज्यादातर देखी गई हैं, ऐसे में लैंगिक भेदभाव ही इस देश की बहुत बड़ी समस्या बनी हुई है। लड़कियों को कानूनी अधिकार शिक्षा, अधिकार व सम्मान जैसे मामलों में असमानता का शिकार होना पड़ता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस बालिका शिशु के प्रति होने वाले असमानता का समना करने के बारे में देश के लोगों को जागरूक बनाता है। बालिका शिशु के साथ भेदभाव एक बहुत बड़ी समस्या है, जो आज हर क्षेत्र में फैला हुआ है। जैसे कि लड़कियों का सेहत, उनका पोषण, उनकी शिक्षा, कानूनी अधिकार, चिकित्सीय अधिकार, शारीरिक देखरेख, उनकी सुरक्षा, उनका सम्मान, उनका विवाह इत्यादि। इस मौके पर पूरे देश भर में तरह तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करके इन उद्देश्यों को पूरा करने की कोशिश की जाती है।

- बालिकाओं के हर समस्या का समाधान करना।
- लैंगिक असमानता को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करना।
- यह सुनिश्चित करना कि हर लड़की को मानव अधिकार मिले।
- लोगों के बीच लड़कियों को समान अधिकार दिलवाना।
- लड़कियों को लेकर लोगों में जागरूकता पैदा करना।
- लड़कियों को लड़को के सामान अवसर प्रदान करना।
- हर क्षेत्र में लड़कियों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरणा देना
- उनको यह एहसास कराना कि वह किसी से कम नहीं है।
- समाज में महिलाओं को जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है उन सभी से छुटकारा दिलाना।
राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस के लिए सरकार के द्वारा किए गए प्रयास —
आज सरकार ने कई ऐसे कार्यक्रमों की शुरुआत की है, जिससे उन लड़कियों को समाज में सामान जगह मिल सके। जो अब कुछ हद तक मिल रही है और अगर ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो शायद अभी कुछ हद तक ही सोच में परिवर्तन सम्भव हो सका है। क्योंकि ज्यादातर ग्रामीण क्षेत्र के लोग अभी भी लड़कियों को कैद करके उनके सपनों से दूर रखकर, बेड़ियों में कसकर रखना चाहते हैं।
* बालिका शिशु के लिए लागू हुए क़ानूनी Act —
भारत सरकार के जरिए राष्ट्रीय बालिका विकास मिशन के रूप में राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी। यह मिशन लड़कियों के उन्नति के महत्व के बारे में देश के लोगों के बीच जागरूकता को बढ़ाता है। यह दूसरे समुदाय के सदस्यों व माता-पिता के प्रभाव कारी समर्थन के द्वारा निर्णय लेने की प्रणाली में लड़कियों के सार्थक योगदान को बढ़ाता है। जीवन में लड़कियों को उनके अधिकार और सभी चुनौतियों का सामना करने के लिए उन्हें बहुत अच्छे से कानून के द्वारा लागू किए गए नियम जैसे की, घरेलू हिंसा की धारा 2009, एक्ट 2009 के तहत बालविवाह को रोकथाम, एक्ट 2000 के तहत दहेज में रोकथाम इन सब से अवगत होना चाहिए।
* धनलक्ष्मी योजना की शुरुआत —
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने “धनलक्ष्मी” नाम से एक योजना की शुरुआत भी की है। जिसके तहत बालिका शिशु के परिवार को नगद हस्तांतरण के द्वारा मूलभूत जरूरतों जैसे कि असंक्रमीकरण, जन्म पंजीकरण, स्कूल में नामांकन और कक्षा 8 वीं तक के रखरखाव को पूरा किया जाता है। शिक्षा का अधिकार कानून ने बालिका शिशु के लिए मुफ्त और जरूरी शिक्षा उपलब्ध कराया गया है।
* बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत —
देश में बालिकाओं के भविष्य को बेहतर बनाने के लिए अब अनेक प्रयास किये जा रहे हैं। बेटियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से साल 2015 में ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ योजना की शुरुआत की गयी थी। सरकार के द्वारा चलाया गया ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ अभियान लड़कियों के लिए चलाया गया एक बेहद अच्छा कदम साबित हुआ। इसके जरिए लड़कियों और महिलाओं से जुड़े कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया गया।

सरकार के द्वारा किए प्रयासों से महिलाओं के प्रति होने वाली कई अमानवीय प्रथाओं जैसे भ्रूण हत्या अब कुछ हद तक कम हो गए हैं। लेकिन अगर सरकार के किए गए प्रयास ऐसे ही जारी रहेंगे, तो शायद भविष्य में लड़कों से आगे लड़कियां ही निकल कर दिखाएंगे। अभी वर्तमान में सरकार ने ऐसे कई नियम लागू किए हैं, जिससे कि लड़कियों को समाज में समान अधिकार मिल सके। वे अपने आप को छोटा ना समझे, और उन्हें भी आगे बढ़ने दिया जा सके।
सरकार के द्वारा किए गए कुछ महत्वपूर्ण प्रयास —
- गर्भावस्था के दौरान गर्व में पल रहे बच्चे का लिंग जानने पर रोक लगाई गई है।
- अल्ट्रासाउंड जांच भारत में अवैध बताया गया है।
- बालिका विवाह पर भी रोक लगा दिया गया है।
- सरकार ने “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” योजना की शुरूआत की है।
- पिछले वर्ग की लड़कियों के लिए “ओपन लर्निंग सिस्टम” का भी बंदोबस्त।
- ग्रामीण क्षेत्रों में लड़कियों के लिए बेहतरीन आजीविका सुनिश्चित करने के मकसद से कई स्वयं सहायता समूह भी लगातार प्रयास कर रहे हैं।
- मुफ्त और जरूरी प्राथमिक स्कूल के जरिए भारत में बालिका शिशु शिक्षा की स्थिति में सुधार हुआ है।
- सरकार ने बालिका शिशु को बचाने के लिए “बालिका शिशु को बचाओ” योजना की शुरुआत की है।
- अशिक्षा, गरीबी, कुपोषण, समाज में शिशु की मृत्यु दर जैसी समस्या से लड़ने के लिए भारत के सभी गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव पूर्व यानि बच्चे के जन्म लेने से पहले ही देख रेख बहुत जरूरी बना दी गई है।
- भारत सरकार ने बाल विवाह पर रोक लगाया है।
- भारतीय सरकार ने बालिका शिशु की स्थिति को ठीक करने के लिए स्थानीय सरकार में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीट आरक्षित रखी है।
- स्कूल सेवा को उन्नत बनाने के लिए शिक्षकों की शिक्षा के लिए “ऑपरेशन ब्लैकबोर्ड” के साथ दूसरे कई कार्यक्रम भी आयोजित किए गए हैं।
- पिछले वर्ग के लड़कियों के लिए आसानी से मुफ्त शिक्षा व्यवस्था की स्थापना की गई है।
- बालिका शिशु के प्रति ये घोषित किया गया है कि उनके लिए समान मौके को और हर एक क्षेत्र में उनको आगे बढ़ाने के लिए “लड़कियों के साथ बराबर का व्यवहार किया जाए।
- ग्रामीण क्षेत्र में लड़कियों के बेहतर जीवन के लिए सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूह भी आरंभ किए गए हैं।
- स्कूल के बच्चों को शैक्षणिक वस्तु, दोपहर का खाना, यूनिफॉर्म दी जाएगी, और SC, ST जाति के लड़कियों के परिवारों को धन वापसी किया जाता है।
- इसके अलावा सरकार की तरफ से कलेक्ट भी चलाए गए हैं
- महिलाओं की स्थिति और रोजगार के मौके को बढ़ाने के लिए कानून के द्वारा एमटीपी विरोधी, दहेज विरोधी, कानून विरोधी एक्ट भी लगाए गए हैं।
राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस क्यों मनाया जाता है —
समाज में लड़कियों को सिर उठाकर जीने के लिए लोगों के बीच उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए व समाज में लड़कियों की स्थिति को बढ़ावा देने के लिए इस दिवस को खासतौर से मनाया जाता है। यह बेहद जरूरी है कि विभिन्न प्रकार के सामाजिक भेदभाव और शोषण को समाज से पूर्ण रूप से खत्म किया जाए।
ताकि जिसका हर रोज लड़कियां अपने जीवन में सामना करती है उन सबसे उनको छुटकारा मिले। समाज में लड़कियों के अधिकारों व जरूरतो के बारे में भी जागरूकता बढ़ाना बेहद आवश्यकता है। जिसे देखते हुए लड़कियों का समान शिक्षा, मौलिक आजादी के ऊपर विभिन्न राजनीतिक व सामुदायिक नेता जनता के बीच भाषण देते हैं।

बेटियों के लिए यह बहुत जरूरी है, कि वह सुरक्षित रहे, सशक्त बने और बेहतर माहौल में जीवन जी सके। उनका भी कानूनी अधिकार होना जरूरी है, उन्हें इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि उनके पास अच्छी शिक्षा, अच्छा पोषण, देखरेख, स्वास्थ्य यह सब कुछ है।
हमारे देश में बालिकायों की स्थिति —
हमारे देश भारत वर्ष में अभी भी महिला का साक्षरता दर 53.87% ही है और युवा लड़कियों का एक तिहाई कुपोषित है। स्वास्थ्य सेवा तक सीमित पहुंच और समाज में लैंगिक असमानता के कारण महिलाएं कई तरह की दूसरी बीमारियों और खून की कमी जैसी समस्याओं से पीड़ित है। विभिन्न प्रकार की योजनाओं के जरिए बालिका शिशु की स्थिति को सुधारने के लिए महिला और बाल विकास मंत्रालय के द्वारा राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर बहुत सारे कदम उठाए गए हैं।
राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस कैसे मनाया जाता है —
समाज में लड़कियों को समान दर्जा देने के लिए, उनकी स्थिति को बढ़ावा देने के लिए बालिका शिशु दिवस मनाया जाता है। जिसके लिए देश भर में विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन होता है। भारतीय समाज में लड़कियों की ओर लोगों की चेतना को उनके सोच को बढ़ाने के लिए भारत सरकार के द्वारा एक बड़ा अभियान आयोजित किया जाता है।
साल 2008 से महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के जरिए राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाने की शुरुआत की गई थी। इस अभियान के द्वारा भारतीय समाज में लड़कियों के साथ होने वाले असमानता को चिन्हित किया जाता है। साथ ही, इस अवसर पर देश में बालिका बचाओं अभियान चलाए जाते हैं।

इस दिन बालिका शिशु को बचाव के संदेश देने के जरिए और रेडियो स्टेशन, स्थानीय और राष्ट्रीय अखबार, टीवी पर सरकार के द्वारा विभिन्न तरह के विज्ञापन दिखाए जाते हैं, ताकि इन्हें देख कर भी लोगों को समझ आ सके। एनजीओ (NGO) संस्था और गैर सरकारी संस्थाएं भी एक साथ आ जाते हैं और बालिका शिशु के बारे में सामाजिक कलंक के खिलाफ लड़ने के लिए इस उत्सव में भाग लेते हैं।
बालिका शिशुयो पर होने वाले समस्याँए —
- किसी भी क्षेत्र में जाने पर लड़कियों को लड़कों से नीचा समझा जाता है, व भेदभाव की समस्या देखी जाती है।
- आए दिन लड़कियों पर शारीरिक शोषण जैसी घटनाएं देखने को मिलती है।
- ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी नाबालिग लड़कियों को ही विवाह कर दिया जाता है, व उनके स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होता है।
- किसी भी क्षेत्र में जैसे कि जॉब, पढ़ाई इन सभी क्षेत्रों में जाने पर लड़कियों को बुरी नजरों का सामना करना पड़ता है।
- देश में लड़कियों पर दहेज के लिए इतने जुल्म किए जाते हैं कि लड़कियां विवाह के पश्चात आत्महत्या ही कर लेते हैं, तो कहीं लड़कियों को दहेज के लिए बलि चढ़ा दिया जाता है ।
- कम उम्र में शादी होने पर उनके खेलने कूदने के बजाय संसारीक दबाव पढ़ते हैं वह लड़कियां कम उम्र में बच्चे
- नाबालिग अवस्था में बच्चे पैदा करने की स्थिति के कारण जीवन भुगतान करती है।
- भ्रूण हत्या भी भारत में एक ऐसी बड़ी समस्या है, जिसके कारण लड़कियों के अनुपात में काफी कमी आयी है।
- नाबालिक अवस्था में गर्भवती होने पर लड़की और बच्चे दोनों की जान खतरे में आ जाती है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास
राष्ट्रीय बालिका दिवस पहली बार साल 2008 में महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा शुरू किया गया था। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली विषमताओं को उजागर करना है। जिसमें बालिकाओं के अधिकारों, शिक्षा के महत्व, उनका स्वास्थ्य और पोषण के साथ जागरूकता को बढ़ावा देना है। आजकल लैंगिक भेदभाव भी एक बड़ी समस्या बनी हुई है जिस वजह से लड़कियों व महिलाओं को जीवन भर इसका सामना करना पड़ता है।
राष्ट्रीय बालिका दिवस को 24 जनवरी के दिन इस दिन इस लिए मनाया जाता हैं, क्युकि साल 1966 में 24 जनवरी के दिन ही इंदिरा गांधी ने हमारे देश भारत के प्रथम महिला प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण कीया था। और इसी कारण यह दिन और भी खास होता हैं।
राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस का थीम —
- साल 2017 में राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस के लिए थीम रखी गई थी “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ” (BBBP) ।
- साल 2018 में राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस के लिए थीम रखी गई थी “एक लड़की एक फूल है, कांटा नहीं”।
- साल 2019 में राष्ट्रीय बालिका दिवस का थीम था ‘सुनहरे कल के लिए बालिकाओं का सशक्तीकरण’। यानि कि लड़कियों के उज्जवल भविष्य के लिए सशक्त बनाना जरुरी है।
दोस्तों हम सबको हम सब देशवासियों को बेटी का सम्मान करना चाहिए। बेटी हर घर की वह फूल होती है, जिसके खीलने से पूरा घर सुनहरा होता है वह जिसके मुरझाने से पूरा घर मुरझा जाता है। जिस घर में बेटी होती है, बेटियों का सम्मान होता है वह घर स्वयं स्वर्ग के समान होता है। इसीलिए बेटी को अधिकार दीजिए और बेटे के जैसा ही बेटी को भी प्यार कीजिए। देश के हर एक नागरिक, माता पिता को बेटी को पढ़ाना लिखना चाहिए। उनका सम्मान करना चाहिए, ताकि समाज को प्रगति का रास्ता मिल सके। यह जरूरी नहीं है कि केवल लड़के ही समाज में प्रगति ले आएंगे, अगर लड़कियों को इतने मौके दिए जाएंगे। तो शायद लड़कियां लड़कों से बेहतर बनकर दिखाएंगे और अपने देश, अपने परिवार और समाज के लिए और भी ज्यादा अच्छे काम करके दिखाएगी।
आज के दौर में बैठे मां-बाप का दुख नहीं समझते। लेकिन उस तुलना में अगर बेटियों को देखा जाए तो बेटियां बेटों से ज्यादा परिवार के लोगों का दुख समझती है और दुख की घड़ी में साथ देती है। लोग कहते हैं कि बेटियां शादी के बाद पराई हो जाती है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है . सच तो यह है कि शादी के बाद बेटेपराए हो जाते हैं लेकिन बेटियां शादी के बाद भी अपने माता-पिता अपने परिवार के लोगों के लिए जितना हो सके उतना सोचती है। लोग बेटों को यह सोचकर पढ़ाते दिखाते हैं कि उनका जब भविष्य उज्जवल हो जाएगा तो वह हमारी देखरेख करेंगे, और यही सोचकर बेटीयो को पीछे छोड़ देते हैं कि एक न एक दिन यह शादी करके पराए घर चली जाएगी।
बेटो को जितनी छूट दी जाती है अगर उतने से आधा भी छूट बेटियों को दी जाए तो शायद बेटियां वह सब करके दिखा सकती हैं, जो कि बेटे कभी सपने में भी सोच नहीं सकते। इसीलिए हम सबको बेटियों के गुणों को छुपाना नहीं चाहिए, बेटियों के सपनों के बारे में, बेटियों के हुनर के बारे में लोगों से बात करनी चाहिए। लोगों को समझाना चाहिए की संसार की एक अनुपम उपहार होती हैं बेटियां। बेटियों के प्रति समाज में होने वाले भेदभाव को जड़ से मिटाने के लिए उनके कल्याण का संकल्प लेना चाहिए। ईसलिए कहा गया है कि लोगों की भारी से भारी मंशा भी अधूरी रहती है, जब तक घर में बेटी न हो, भारी से भारी आशा भी निराशा लगती है। इसीलिए बेटी बचाएं और भ्रूण हत्या को जितना हो सके उतना मिटाए .
अगर देश की बेटियां खुश रहेंगे तो देश का आने वाला भविष्य बेहद ही खुशहाल होगा। इसीलिए हम सब को बेटी का सम्मान करना चाहिए, बेटी का आदर करना चाहिए, उनके सपनों को साकार करने के रास्ते ढूंढकर उन्हें दिखाना चाहिए। ताकि वे आगे बढ़ सके आप सभी को बेटी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। आइए बेटी दिवस के इस अवसर पर हम यह संकल्प लें, कि आप और हम सब मिलकर बेटी के सम्मान का रक्षा करेंगे। हमें बेटियों पर यह भरोसा रखना चाहिए कि वे अपने जीवन के साथ-साथ दूसरों के जीवन में भी बदलाव ले आएगी। क्योंकि घर आंगन का श्रृंगार होती है बेटियां और रिश्तो का आधार होती है बेटियां। भारत का विकास तभी संभव है जब महिलाएं सामने आएंगी और शिक्षित होगी।