दोस्तों इस दुनिया में सबसे पहले कौन सा धर्म आया यह जानने के लिए हमें समय से हजारों वर्ष पीछे जाना पड़ेगा।
पुराने ज़माने में लोग जंगली जीवन यापन करते थे। धर्म के नाम पर हजारों धर्म ऐसे थे जिनमें प्रकृति, पूर्वजों और कई काल्पनिक देवी देवताओं की पूजा करते थे। हर एक समूदाय का अपना अलग देव था। लेकिन जैसे जैसे लोगो की समझ बढ़ी तो धर्म का विकास होने लगा। नियम बनने लगे और सभ्यता की शुरुआत हुई।
विज्ञान क्या कहता है
विज्ञान के अनुसार जब होमोसेपियंस का विकास अपना अंतिम रूप ले रहा था, तब वह अपना एक ग्रुप बनाकर रहने लगे थे। और उनकी बुद्धि भी पहले से काफी विकसित हो चुकी थी। उस समय का मनुष्य आज के मनुष्य से बहुत अलग थे। क्योंकि वे मनुष्य प्रकृति के बनाए गए सभी जीव-जंतु, पेड़-पौधे, पहाड़ पर्वत सबको अपने समान ही मानता था। तभी होमोसेपियंस के अंदर अपनी कई मान्यताएं पनपने लगी जो कि दूसरे जीव-जंतुओं के लिए पूर्ण रूप से बेवकूफी से भरी थी।
जैसे कि किसी दूसरे जीव जंतु से हुए फायदे और नुकसान से यह तय होता था कि उनके लिए कौन शुभ शक्ति है। जैसे कि अगर किसी जानवर का पीछा करते समय उन्हें कोई खाने पीने की चीज है या उनके फायदे की कोई चीज मिलती थी तो उनके लिए वह जानवर शुभ होता था और उस जानवर के शिकार पर रोक लगा दी जाती थी। ऐसे ही उनके हिसाब से जो लकी होती थी वे उस चीज़ की पूजा करने लगते थे और इसी तरह से जन्म हुआ “Aninism” और इस धर्म में कोई भगवान नहीं होता था बल्कि प्रकृति के द्वारा बनाए गए प्रकृति की चीजें होती थी। और उन चीजों की ही पूजा की जाती थी लेकिन यह ज्यादा दिनों तक नहीं चला।
कुछ दिनों बाद वे लोग उन्ही जीव जंतु, और पेड़ पौधों को अपना गुलाम मानने लगे। लेकिन तब भी कुछ चीजें ऐसी थी जिन पर काबू पाना संभव नहीं था। जैसे कि सूखा पड़ना, बाढ़ आना, फसल बर्बाद होना इत्यादि जैसे चीज़े। ऐसे में उन लोगों ने सोचा कि ऐसी कोई तो चीज होगी जिसे खुश करके इन सब को काबू किया जा सकता है और तभी से शुरू हुआ उनके माने गए रिचुअल्स और रीति-रिवाजों की। जैसे की खेतों में दिया जलाना जिससे कि उनकी फसल अच्छी हो यानि की फसल के देवता खुश होकर अच्छी फसल दे। इसके अलावा बली भी दी जाने लगी ताकि उन्हें समृद्धि मिल सके।
इसी तरह से जन्म हुआ “Polythism” धर्म का जो कई सारे देवी-देवताओं पर अपनी आस्था रखता हो। जैसे कि हिंदू धर्म जो एक “Polythism” धर्म है लेकिन अभी तो केवल शुरुआत थी क्योंकि अब एक ऐसी शुरुआत होने की जरूरत थी जो एक ही धर्म मानने वाले को अलग करने वाला था। और ऐसी शक्ल लेने वाला था जैसा कि आज हम देखते हैं। जैसे-जैसे वह सभ्यता बढ़ती गई लोग ग्रुप बनाकर रहने लगे और अपने ही बनाए गए भगवान और शक्ति से उनका भरोसा उठने लगा। और ऐसा करने वाले केवल कुछ लोग ही नहीं थे पूरी की पूरी सभ्यता ऐसा करने लगी थी। और वो खुद के माने हुए अलग धर्म को ही सर्वश्रेष्ठ मानने लगी थी। और फिर जन्म हुआ एक ऐसे धर्म का जो सिर्फ और सिर्फ एक ही भगवान् को मानते थे इस धर्म को “Missionary” धर्म कहा जाता है जैसे कि इस्लाम एक “Missionary” धर्म है।
सिंधु घाटी सभ्यता
सिंधु घाटी हड़प्पा सभ्यता से प्राप्त धर्म के संकेत अब तक के सबसे प्राचीन धार्मिक प्रतीक है। जो कि हिंदू धर्म की प्राचीनतम को दर्शाता है। लेकिन भारतीय धार्मिक कथाएँ जिनके कोई सबूत भी मौजूद नहीं है इनका काल कोई नहीं जानता जो इस धर्म को मानने का प्राचीनतम और सबसे पहला धर्म होने की ओर इंगित करता है। रामायण में वर्णित योद्धा और सेनाएं दुनिया के सबसे प्राचीनतम प्रजातियों की शाखा से संबंधित गुणों को दर्शाती है। कुछ हिंदू मंदिर और उनकी बनावट का कोई साक्ष्य भी निकट इतिहास में कहीं नहीं मिलते।
समय के हिसाब से देखा जाए तो
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि हिंदू धर्म 90 हज़ार वर्ष पुराना है। सबसे पहले हिंदू धर्म में 9057 ईसा पूर्व, में स्वायंभूव मनु हुए, भगवान श्रीराम का जन्म 5114 ईसा पूर्व बताया जाता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म भी 3112 ईसा पूर्व बताया जाता है। वर्तमान शोध के अनुसार 12 से 15 हजार वर्ष प्राचीन और ज्ञात रूप से लगभग 24 हज़ार वर्ष पुराना धर्म हिंदू धर्म को ही माना जाता है।
जैन धर्म
जैन धर्म की बात करें तो प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ स्वायंभूव मनु (9057 ईसा पूर्व) से पांचवी पीढ़ी में इस क्रम में हुए — स्वायंभूव मनु, प्रियव्रत, अग्निघ्र, नाभि और फिर ऋषभ। 24वे तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी ने इस धर्म को एक नई व्यवस्था और दिशा यानी धारा दी।
यहूदी धर्म
हिन्दू धर्म के बाद कई प्राचीन धर्मों का उल्लेख किया जाता है। जैसे की पेगन, वुडू आदि। लेकिन हिंदू और जैन धर्म के बाद यहूदी धर्म ही एक ऐसा धर्म था जिससे धर्म को एक नई व्यवस्था में डाला गया और उसे एक नई दिशा और संस्कृति दी गई। हज़रत आदम से लेकर अब्राहम और अब्राहम से लेकर मूसा तक की परंपरा यहूदी धर्म की का हिस्सा है। और यह सभी कहीं ना कहीं हिंदू धर्म से जुड़े थे, ऐसा माना जाता है कि राजा मनु को ही यहूदी लोग हज और नूह कहते थे।
यहूदी धर्म को आज से लगभग 4 हज़ार साल पुराना माना जाता है। जो वर्तमान में इजराइल का राजधर्म है माना जाता है कि ईसा से लगभग 1500 वर्ष पूर्व हुए हजरत मूसा ने यहूदी धर्म की स्थापना की थी।
पारसी धर्म
यहूदी धर्म के बाद वैदिक धर्म से ही पारसी धर्म का जन्म हुआ। ऐसा कहा जाता है पारसी धर्म के स्थापक अत्रि ऋषि के कुल के थे। पारसी धर्म का उदय ईसा 700 वर्ष पूर्व पारस *(ईरान) में हुआ था। पारस को ही बाद में फारस के नाम से जाना जाने लगा जीस पर पहले पारसियों का शासन था और यह पारसी धर्म के लोगों की मूल है। पारसी धर्म के संस्थापक है जरथुस्त्र।
प्राचीन इतिहास में ईसा से लगभग 1200 से 1500 वर्ष पूर्व ईरान में महात्मा जरथुस्त्र हुए थे उन्होंने पारसी धर्म की स्थापना की। और यह धर्म कभी ईरान का राजधर्म भी हुआ करता था। हालांकि इतिहास कारों का कहना है कि जरथुस्त्र 1700 से 1500 ईसा पूर्व के बीच हुए थे।
ईरानी लोग जो पारसी धर्म का पालन करते थे इस्लाम के लगातार हो रहे आक्रमण को नहीं झेल पाए। 7वीं सदी में मोहम्मद बिन कासिम के आक्रमण के बाद पारसियों ने भारत में शरण लिया। अब फारस ईरान के रूप में एक मुस्लिम राष्ट्र है।
बौद्ध धर्म
कहा जाता है कि इस्लाम धर्म और ईसाई धर्म से पहले बौद्ध धर्म की उत्पत्ति हुई। यहूदी धर्म के बाद 500 ईसा पूर्व बाद बौद्ध धर्म अस्तित्व में आया। पांचवा सबसे बड़ा धर्म बौद्ध धर्म के संस्थापक थे भगवान बुद्ध। भगवान् बुद्ध स्वयं ही हिंदू थे बौद्ध धर्म को हिंदू धर्म का सबसे नवीनतम और शुद्ध संस्करण माना जाता है।
बौद्ध धर्म का प्रचलन आते-आते हिंदू धर्म बिगाड़ का शिकार होते चला गया। लोग वैदिक मार्ग को छोड़कर पराणिकों बहुदेववादी मार्ग पर चलने लगे थे। भगवान बुद्ध ने प्रथम बार धर्म को एक वैज्ञानिक व्यवस्था प्रदान की और समाज को एकजुट किया। लेकिन शंकराचार्य के बाद हिंदुओं का बौद्ध धर्म में दीक्षा लेना रुक गया।
ईसाई धर्म
बौद्ध धर्म के बाद आज से करीब 2 हज़ार वर्ष पूर्व ईसा मसीह ने ईसाई धर्म की शुरुआत की।
इस्लाम धर्म
ईसाई धर्म के बाद आज से करीब 1400 वर्ष पूर्व यानी छठी सदी में इस्लाम धर्म की स्थापना हुई। मोहम्मद ने इस धर्म की शुरुआत की और देखते-देखते यह धर्म केवल 100 वर्ष में पूरे अरब का धर्म बन गया। विद्वान लोग इसे पूर्ण रूप से यहूदी और वैदिक धर्म का मिला जुला रूप मानते हैं। हज़रत मोहम्मद से पहले अरब में इस धर्म के मनमाने रूप प्रचलित हो चले थे और यह धर्म पूरी तरह से बिगाड़ हो गया था। हज़रत मोहम्मद ने धर्म को एक नई व्यवस्था प्रदान की ताकि लोग इस धर्म का अच्छे से पालन कर सके और सामाजिक अनुशासन का पालन कर सकें।
सिख धर्म
जब अरब, तुर्क और ईरान के कारण हिंदू धर्म खतरे में था, तब चारों ओर युद्ध चल रहा था। ऐसे में गुरु नानक देव जी ने आकर लोगों में भाईचारा और विश्वास का माहौल बनाया। उनका जन्म कार्तिक महीने के पूर्णिमा के दिन 1469 को राएभोए के तलवंडी नामक स्थान में हुआ था। तलवंडी को ही अब नानक के नाम पर ननकाना साहब कहा जाता है, जो कि अब पाकिस्तान में है। सिख परंपरा में 10 गुरुओं ने मिलकर सिख धर्म को मजबूत बनाया। सिख धर्म के अंतिम गुरु गोविंद सिंह जी ने सिख धर्म को विश्व का सबसे शक्तिशाली धर्म बनाया।
मैक्सिको के प्रमाण
‘मैक्सिको’ शब्द संस्कृत के ‘मक्षिका’ शब्द से आया है। और मैक्सिको में ऐसे हजारों प्रमाण मिलते हैं, जिनसे यह सिद्ध होता है की वहां पर क्राइस्ट्स से बहुत पहले एकमात्र हिंदू धर्म प्रचलित था। कोलंबस तो बहुत बाद में आया दरअसल अमेरिका, खास कर दक्षिण-अमेरिका एक ऐसे महाद्वीप का हिस्सा था जिसमें अफ्रीका भी सम्मिलित था और भारत ठीक मध्य में था।
मैक्सिको को ही “मक्षिका” कहते थे
पुराने भारतीय शास्त्रों में इसके उल्लेख किया गया हैं कि लोग एशिया से अमेरिका पैदल ही चले जाते थे यहां तक कि दोनों जगहों के लोगो की शादियां भी होती थीं। कृष्ण के प्रमुख शिष्य और महाभारत के प्रसिद्ध योद्धा अर्जुन ने मैक्सिको की एक लड़की से शादी भी की थी, निश्चित ही वे मैक्सिको को ही मक्षिका कहते थे। लेकिन उसका वर्णन बिलकुल मैक्सिको जैसा ही है।
मैक्सिको में हिंदुओं के देवता बाप्पा गणेश जी की मूर्तियां मिलती हैं, दूसरी ओर इंग्लैंड या कहीं भी गणेश जी की मूर्ति का मिलना मानो की असंभव है। जब तक कि वह देश हिंदू धर्म के संपर्क में न आया हो और वहां हिंदू धर्म न रहा हो।
अगर इसके बारे में आप और अधिक जानकारी पाना चाहते हैं तो आप भिक्षु चमन लाल की ‘हिंदू अमेरिका’ पुस्तक को देख सकते हैं यह पुस्तक उनके जीवनभर का शोधकार्य है।
हिंदू और जैन धर्म
सबसे पहले वैदिक धर्म का प्रारंभ हुआ। लगभग 2 हज़ार ईसा पूर्व हिन्दू धर्म अस्तित्व में आया। पुराणों की रचना होने के बाद इसी में से पुराणिक धर्म का प्रारंभ हुआ। यानि कि हिन्दू धर्म के भीतर वैदिक धर्म से पूर्व की परंपरा और रीति रिवाज भी सम्मलित होते गए। अब तक के प्राप्त प्रमाण के अनुसार हिंदू धर्म ही दुनिया की सबसे प्राचीन धर्म है। लेकिन यह कहना भी सही नहीं होगा की जैन धर्म की उत्पत्ति हिंदू धर्म के बाद हुई, क्योंकि प्राचीन ऋग्वेद में आदिदेव, ऋषभदेव का उल्लेख मिलता है।

राजा जनक भी दिगंबर परंपरा से थे। वैदिक काल में परिवार में एक व्यक्ति ब्राह्मण धर्म में दीक्षा लेता था तो दूसरा जैन धर्म में। यानि की इस देश में दो जड़ें एकसाथ विकसित हुईं इक्ष्वाकू कुल के लोग हिंदू भी थे और जैन भी।
सबसे ऊपर होता है परमात्मा का ध्यान करना
इस दुनिया में सबसे पहले क्या था यह जरूर चाहिए लेकिन अभी भी किसी धर्म को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए इस दुनिया में पहले कोई धर्म नहीं था या धर्म बाद में बना एक उदाहरण के तौर पर आप देख सकते हैं जब गीता जी भूल गए उस समय ना हिंदू था और ना ही मुसलमान था उसके बाद द्वापर युग तक भी कोई धर्म नहीं थे कलयुग में जाकर धर्म बन गए धर्म सोचने वाली बात है आज की दुनिया में लोग हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई कैसे धर्मों में ही उलझ कर रह जाती है और अपना जो वास्तविक काम होता है उसे वह पीछे रह जाती है उसे नहीं कर पाती वास्तविक आर्य है धर्म के बंधन से ऊपर उठकर परमात्मा को जानना प्रमाण है कि पूरी दुनिया में एक सर्वशक्तिमान भगवान होता है