Wednesday, November 29, 2023
Homeहिन्दीजानकारीकोरोना वैक्सीन के मोर्चे पर एक बड़ा ऐलान,(DCGI) ने केंद्रीय औषधि प्राधिकरण...

कोरोना वैक्सीन के मोर्चे पर एक बड़ा ऐलान,(DCGI) ने केंद्रीय औषधि प्राधिकरण की विशेषज्ञ समिति की सिफारिश को मंजूरी दी।

अमेरिका ब्रिटेन के साथ कई देश कोरोना वायरस को ख़त्म करने के लिए टीकाकरण का अभियान चला रहा हैं और अब भारत भी इस सूची में शामिल हो चूका है। ऑक्सफ़ोर्ड और एस्ट्रोजेनेका की कोरोना वेक्सीन “कोविशील्ड” को अब कुछ शर्तों पर भारत में आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी मिल गई है।

आपातकालीन इस्तेमाल क्या है?

किसी वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल का मतलब यही होता है कि वेक्सीन के टीकाकरण की पूरी प्रणाली डॉक्टरों के निगरानी में की जाएगी। वेक्सीन देने के पश्चात उसके अच्छे व बुरे परिणामों पर भी चिकित्सकों द्वारा नजर रखा जाएगा। 

किसी भी वैक्सीन के आपातकालीन उपयोग से पहले इसकी पुष्टि की जाती है कि वैक्सीन प्रभावी है की नहीं। उसके बाद वैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी जाती है। आपातकाल के दौरान अगर उपयोग किए जाने वाले वेक्सीन से भी अधिक कार्यरत वेक्सीन मिल जाती है तो आपातकालीन के दौरान उस वेक्सीन की मंजूरी वापस भी ली जा सकती है। वहीं अगर उपयोग के दौरान टीकाकरण सफल रहता है तो इसे एक आखिरी मंजूरी भी दी जा सकती है। ताकि सभी लोगों तक वेक्सीन को पहुंचाया जा सके।

ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) का फैसला  

और इसके लिए केंद्र सरकार के सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी(SEC) सिफारिश की थी। जिसका आख़िरी फैसला ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के हाथ में था। जीसे मंजूरी मिलने के बाद यह भारत की पहली कोरोना वेक्सीन है । जबकि “कोविशील्ड” को मंजूरी देने वाला भारत दुनिया का दूसरा देश होगा। कोरोना के खिलाफ़ टीका (‘कोवैक्सीन-(Covaxin)’ और “कोविशील्ड”) के आपात इस्तेमाल के लिए की गई सिफारिश को मंजूर कर लिया गया है  

दरअसल “सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड ऑर्गेनाइजेशन” के सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने 1 और 2 जनवरी को किए गए सिफारिश की थी जिसके बाद कोरोना महामारी से निपटने के लिए भारत में दो वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिली है। अब सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक की कोरोना वैक्सीन को आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह देश के लिए बहुत राहत की बात है, क्योंकि दुनिया में अमेरिका के बाद संक्रमण के मामले सबसे ज्यादा भारत में हैं। केंद्र सरकार के योजना अनुसार अगले 6 से 8 महीनों में टीकाकरण अभियान के पहले चरण में करीब 30 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। 


को 2 दिन पहले ही अपने आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी है। ऐसे में वेक्सीन को लेकर लोगों के मन में कई तरह के सवाल भी उठ रहे होंगे। लेकिन जवाब वह जानना चाहते हैं जैसे कि क्या वेक्सीन लगवाने पर तुरंत ही कोरोना वायरस से छुटकारा मिल जाएगी ऐसे ही कई सवाल हैं जिसका जवाब लोग जानना चाहते हैं।

दुनिया भर में वैक्सीन बना रहे विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के अनुसार वैक्सीन को पूरी तरह से शरीर पर प्रभाव छोड़ने के लिए वैक्सीन के दो डोस देना जरूरी है। रेमर्स जो अमेरिका के संक्रामक रोग विशेषज्ञ है वह कहते हैं कि पहली खुराक से करीब 50% कोरोना वायरस से सुरक्षा मिल सकती है इसीलिए अगर आपको 95% सुरक्षा चाहिए तो वैक्सीन की दूसरी खुराक लेनी होगी। ब्राजील के क्वेश्चन्स ऑफ़ साइंस इंस्टिट्यूट के अध्यक्ष बायोलॉजिस्ट नतालिया पस्टनक कहती हैं कि दूसरी खुराक लेने से ही कोरोना वायरस के ख़िलाफ़ प्रतिरक्षा पर बेहतर प्रतिक्रिया देखा जा सकता है जिसे वायरस से बचाव संभव होगा।

संक्रामक रोग विशेषज्ञ रेमर्स ने कहा कि वैक्सीन लगाने के बाद शरीर में कोरोना वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा होने में कम से कम 10 से 14 दिन का समय लग सकता है। BBC के मुताबिक साओ पाउलो यूनिवर्सिटी के चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ जॉर्ज कलील कहते हैं कि वेक्सीन देने के बाद भी कम से कम 15 दिनों तक कोरोना वायरस से बचाव के लिए जरूरी  सावधानी बरतना जरूरी है।

विशेषज्ञ कहते हैं कि वैक्सीन को पूरी तरह अपना प्रभाव दिखाने में कुछ समय लग सकता है। इसीलिए वैक्सीन लेने वाले व्यक्ति को जरूरी है कि वह वैक्सीन लेने के बाद भी कुछ समय तक के लिए अपनी सुरक्षा का ध्यान रखें। दूसरे लोगों से शारीरिक दूरी बनाए रखें, मास्क का इस्तेमाल करते रहे और नियमित रूप से हाथ भी धोते रहें।

सरकार ने कहा है कि भारत में टीकाकरण अभियान के तहत पहले चरण में 30 करोड लोगों को वैक्सीन दी जाएगी। जिसमें हेल्थ केयर वर्कर्स, अस्पताल चलाने वाले फ्रंटलाइन वर्कर, पुलिसकर्मी और एंबुलेंस ड्राइवर इत्यादि शामिल होंगे। इसके अलावा 50 साल की आयु से अधिक के लोगों का टीकाकरण भी 30 करोड़ लोगों के चरण में ही किया जाएगा।

दिल्ली के सफ़दरजंग अस्पताल के डॉक्टर नीतिश गुप्ता कहते हैं कि जब भी कोई व्यक्ति को वेक्सीन लगती है तो उसको दो तरीके के कॉम्प्लिकेशंस यानी परेशानी होता है। पहला सुई लगाने पर जो लोग दर्द नहीं सह सकते हैं वैसे लोगों को चक्कर आ जाता है और कुछ लोगों को उल्टी होने की भी समस्या होती है जबकि दूसरा जो समस्या है वह है साइड इफेक्ट कुछ ऐसे व्यक्ति भी होते हैं जिनको सुई लगाने पर साइड इफेक्ट हो जाते हैं ऐसा ज्यादातर केशेस में देखा गया है ऐसा वैक्सीन लगाने के बाद 20 मिनट में देखे जाते हैं।

इसीलिए दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि वैक्सीन लगाने के 20 मिनट बाद तक मरीज को वहीं बैठ कर रहना है और देखना है कि उससे उसे कोई परेशानी तो नहीं हो रही है अगर कोई परेशानी नहीं है तो उसे घर भेजा जा सकता है।

“कोविशील्ड” वैक्सीन की उत्पादन की जिम्मेदारी पूणा के स्थित सिरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पास है। पिछले महीने आई एक रिपोर्ट से पता चला कि सिरम इंस्टीट्यूट ने वैक्सीन के चार करोड़ डोस तैयार कर लिए हैं। लेकिन उसका इस्तेमाल केवल भारत में किया जाएगा या वैश्विक स्तर पर उसकी आपूर्ति की जाएगी, इस बात का अभी भी स्पष्टीकरण नहीं है। हालांकि विशेषज्ञ यह भी कहते हैं कि एक भारतीय कंपनी ही इस वैक्सीन का उत्पादन कर रही है तो निश्चित तौर पर इसका ज्यादा फायदा भारतवासी को ही मिलना चाहिए और शायद मिलेगा भी। ऐसे में हो सकता है कि भारत को वैक्सीन की ज्यादा खुराक मिले जिससे यहां टीकाकरण का काम तेजी से होगा।

“कोविशील्ड” वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के शुरुआती नतीजों में 90% तक यह वेक्सीन असरदार पाई गई है। और इसी के आधार पर ब्रिटेन ने इस वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। रिपोर्ट के मुताबिक यह वैक्सीन सभी उम्र के लोगों पर समान असरदार होगा। यही वजह है कि इस वैक्सीन को भारत के लिए पहले से ही सबसे अच्छा माना जा रहा था।

इस वेक्सीन को रखने की बात करें तो “कोविशिल्ड” वैक्सीन का रखरखाव दूसरे कंपनियों के वैक्सीन के मुकाबले बेहद ही आसान है। रिपोर्ट के अनुसार इसे सामान्य तापमान पर भी स्टोर करके रखा जा सकता है। जबकि मॉडर्ना और फाइजर कंपनियों के द्वारा विकसित वैक्सीनो को रखने के लिए -20 से – 80 डिग्री तक के तापमान की जरूरत होती है। भारत में अभी डीप फ्रीजर की व्यवस्था उतनी नहीं है, ऐसे में मॉडलों और फाइजर की वैक्सीन का रखरखाव थोड़ा मुश्किल है, जबकि ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन को सामान्य फ्रिज में भी रखा जा सकता है।

“कोविशील्ड” की कीमत

सिरम इंस्टीट्यूट के अनुसार “कोविशील्ड” की कीमत दूसरे कंपनियों के वैक्सीन के मुकाबले काफी कम होगी। जहां इसकी एक डोस की कीमत करीब ₹500 रूपए होगी तो वही फाइजर के एक डोस की कीमत $19. 50 यानी कि करीब 1450 रुपए होंगे। और वही मॉडर्न के वैक्सीन की बात करें तो मॉडर्ना की वैक्सीन की कीमत $25 से 37 डॉलर यानी कि करीब ₹1850 से ₹2700 के बीच होगी।

क्या मुफ्त होगा टीका करण

जानकारी के मुताबिक अभी क एक करोड़ स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्करों को ही केंद्र सरकार द्वारा मुफ्त वैक्सीन मुहैया कराया जाएगा। वहीं अन्य 27 करोड़ लोग जिनकों जून महीने तक वैक्सीन देने का लक्ष्य रखा गया है। उनको लेकर अभी तक किसी प्रकार का निर्णय नहीं लिया गया है। लेकिन अगर राज्य सरकार चाहेगी तो ऐसे लोगों को मुफ्त में टीका उपलब्ध करवा सकती है। 

Jhuma Ray
Jhuma Ray
नमस्कार! मेरा नाम Jhuma Ray है। Writting मेरी Hobby या शौक नही, बल्कि मेरा जुनून है । नए नए विषयों पर Research करना और बेहतर से बेहतर जानकारियां निकालकर, उन्हों शब्दों से सजाना मुझे पसंद है। कृपया, आप लोग मेरे Articles को पढ़े और कोई भी सवाल या सुझाव हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क करें। मैं अपने Readers के साथ एक खास रिश्ता बनाना चाहती हूँ। आशा है, आप लोग इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।
RELATED ARTICLES

Leave a Reply

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments

error: Content is protected !!
%d bloggers like this: