विश्व ब्रेल दिवस मनाने के पीछे लुइस ब्रेल नाम के एक महान व्यक्ति हैं। उन्होंने कागज पर उभरे हुए बिंदुओं के आधार पर एक भाषा का निर्माण किया जिन्हें महसूस किया जा सकता है, और नेत्रहीन व्यक्ति हर चीज को पढ़ सकता है। उन्होंने नेत्रहीन लोगों की ज़िन्दगी को भी आम लोगो की तरह आसान बनाने के लिए ऐसा अविष्कार किया। दुःख की बात तो यह है की लुइस ब्रेल का निधन भी कम उम्र में ही हो गया, जब वह केवल 46 वर्ष के थे।
विश्व ब्रेल दिवस
विश्वभर में 4 जनवरी के दिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ब्रेल दिवस मनाया जाता है। यह हर साल लुईस ब्रेल के जन्मदिन के स्मरण उत्सव के रूप में मनाया जाने वाला दिन है। इस दिन नेत्र रोगों की पहचान और रोकथाम दिव्यांगो के अधिकार अधिनियम और पुनर्वास के विषयों पर बातें होती है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार विश्व भर में लगभग 39 मिलियन लोग देख नहीं सकते। जबकि 253 मिलियन के लोगों में कोई ना कोई दृष्टि की समस्या है।
विश्व ब्रेल दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य
विश्व ब्रेल दिवस का मुख्य उद्देश्य दृष्टि बाधित लोगों का अधिकार प्रदान करना और ब्रेल लिपि को बढ़ावा देना है। विश्व ब्रेल दिवस को संचार के माध्यम के रूप में ब्रेल के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मनाया जाता है। इसका उद्देश्य यही है कि व्यक्ति को ब्रेल के बारे में जानकारी मिल सके। ब्रेल दिवस के दिन गैर सरकारी संगठनों के साथ अन्य संगठन भी दृष्टिहीन लोगों के लिए दूसरे लोगों के समान ही स्थान दिलवाने में मदद करने के लिए काम करती है। वह दृष्टिहीन लोगों के साथ की जाने वाली उपेक्षा के विरुद्ध जागरूकता पैदा करने के लिए एक साथ काम करती है। यह दिन लोगों में यह महत्व समझाने में सहायता करती है कि नेत्रहीन लोगों के पढ़ने लिखने के लिए ब्रेल भाषा में साहित्य की रचना होती है।
ब्रेल लिपि क्या है
लिपि एक कूट भाषा है कूट यानी कोड, जिसमें संपूर्ण अक्षरों की प्रस्तुति और वर्णो की प्रस्तुति के लिए सतह पर उभारों और अभिज्ञानों का इस्तेमाल किया जाता है। यह एक जटिल भाषा है जिसे अंधा व्यक्ति आसानी से पढ़ लेता है। भाषा होने के कारण कुटों से गणित, संगीत, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग के विषय तैयार किए जा सकते हैं और जिसे अंधे नेत्रहीन व्यक्ति आसानी से पढ़ सकते हैं। दरअसल ब्रेल लिपि के अंतर्गत कुछ उभरे हुए बिंदुओं से एक कोड बनाया जाता है। जिसमें 6 बिंदुओं की 3 पंक्तियां होती है और इन्हीं में इस पूरे सिस्टम का कोड छिपा होता है।

यानि की ब्रेल एक लेखन पद्धती है। यह नेत्रहीन व्यक्तियों के लिए बनाया गया था ब्रेल एक स्पर्शनिय लेखन प्रणाली होती है जीसे एक विशेष प्रकार के उभरे कागज पर लिखा जाता है। इसका आविष्कार फ्रांसीसी नेत्रहीन शिक्षक और आविष्कारक लुइस ब्रेल ने कीया था और इन्हीं के नाम पर इस पद्धति का नाम ब्रेल लिपि रखा गया। ब्रेल में उभरे हुए बिंदु होते हैं जिन्हें सेल के नाम से जाना जाता है। और कुछ बिंदुओं पर छोटे उभार होते हैं इन्हीं दोनों की व्यवस्था और संख्या से भिन्न चरित्रों की विशिष्टता तय की जाती है। ब्रेल की मैपिंग हर एक भाषा में अलग अलग होती है इस लिपि में स्कूली बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकों के अतिरिक्त महाभारत, रामायण जैसे ग्रंथ भी छपते हैं। ब्रेल लिपि में कई पुस्तकें भी निकलती है।
ब्रेल लिपि के फायदे
ब्रेल लिपि के आविष्कार होने के बाद विश्व भर में आंशिक रूप से नेत्रहीन या दृष्टिहीन लोगों की जिंदगी बहुत ज्यादा हद तक आसान हो गई है। इसके मदद से ऐसे कई दृष्टिहीन लोग अपने पैरों पर खड़े चुके हैं।
ब्रेल लिपि का आविष्कार करने वाले लुइस ब्रेल
लुइस ब्रेल का जन्म 4 जनवरी साल 1809 में फ्रांस के कुपवर में हुआ था। जब वह केवल 3 वर्ष के थे तभी उनकी आंखें अंधी हो गई। लुइस ब्रेल का बचपन में ही एक एक्सीडेंट हो गया था जिस कारण उनकी दोनों आंखों की रोशनी चली गई। आंखों की रोशनी चली जाने के बाद भी लुइस ने हिम्मत नहीं हारी। जब ब्रेल की आंखें चली गई तब उन्होंने एक ऐसा आईडिया खोज निकाला जिससे नेत्रहीन लोग भी आसानी से पढ़ सकें। वे एक ऐसी चीज बनाना चाहते थे, जो उनके जैसे दृष्टिहीन लोगों की मदद कर सके। इसीलिए उन्होंने अपने नाम से एक राइटिंग स्टाइल बनाई, जिसमें सिक्स डॉट कोड्स थे, वही स्क्रिप्ट आगे चलकर ‘ब्रेल के नाम से जानी गई। 43 वर्ष की अल्पायु में ही दृष्टीबाधितों के जीवन में शिक्षा की ज्योति जलाने वाले ये प्रेरक दीपक 6 जनवरी 1852 को इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए। एक ऐसी ज्योति जो खुद देख नही सकती थी लेकिन अनेकों लोगों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में नया प्रकाश कर गई।
ब्रेल दिवस की शुरुआत
विश्व में सबसे पहली बार अंतरराष्ट्रीय ब्रेल दिवस की शुरुआत 4 जनवरी साल 2019 को किया गया। इस दिन में सबसे पहली बार विश्व ब्रेल दिवस मनाया गया था और इसके प्रस्ताव को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 6 नवंबर साल 2018 को पारित किया था।
लुइस ब्रेल के द्वारा बनाई गई यह लिपि साल 1824 में बनाई गई। जिसे करीब विश्व के हर एक देश में उपयोग में लाया जाता है। और इसीलिए लुईस ब्रेल की याद में हर साल 4 जनवरी के दिन विश्व ब्रेल दिवस मनाया जाता है। इस दिन पूरी दुनिया में विश्व ब्रेल दिवस के रूप में लोगों को जागरूक किया जाता है।
ब्रेल लिपि का इतिहास
ब्रेल लिपि के खोज के लिए सबसे पहला नाम जो आता है वह है Valentin Hauy . क्योंकि यह पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिन्होंने इस लिपि को कागज पर उतारा था। वहीं कुछ लोग कहते हैं कि इंग्लैंड के विलियम मूल ने इस लिपि की खोज की थी। उन्होंने इस लिपि को रोमन अक्षर के रूपरेखा देकर बनाया। लेकिन यह लिपि इतनी जटिल थी कि इसको नेत्रहीन लोगों के लिए पढ़ना संभव नहीं था। लेकिन इतिहास चाहे जो भी हो आखिरी में लुइस ब्रेल ने ही ब्रेल लिपि का अविष्कार किया।

सबसे पहले ब्रेल लिपि का आईडिया लुइस ब्रेल के दिमाग में नोपोलियन की सेना के एक कैप्टन बार्बियर जोकी नेपोलियन की एक सेना थे उनकी वजह से आया था। जो उनके स्कूल के दौरे पर आए हुए थे, उन्होंने बच्चों के साथ नाइट राइटिंग नाम की एक तकनीकी को शेयर किया। जिसकी मदद से सैनिक दुश्मनों से बचने के लिए उपयोग करते थे इसके तहत वे उभरे हुए बिंदुओं में गुप्त संदेश का आदान-प्रदान करते थे। और इसी को देखकर लुइस ब्रेल को ब्रेल लिपि का आइडिया आया और उन्होंने इस तकनीकी पर काम करके ब्रेल लिपि तैयार कर लिया। जब लुइस ब्रेल को फ्रांसीसी सेना के सैन्य संचार प्रणाली के बारे में पता चला जीस प्रणाली में ड्रॉट्स का उपयोग किया जाता था। यह जानकर लुइस ब्रेल ने अपनी लिपि पर काम करना शुरू किया। लुइस ब्रेल ने साल 1824 तक अपनी लिपि को लगभग तैयार कर ही लिया था तब वह केवल 15 वर्ष के थे। और उनके द्वारा बनाई गई यह लिपि बेहद ही सरल हो गई।
आज लुइस ब्रेल के 29 लिपि के आधार पर ही नेत्रहीन लोगों के लिए घड़ी और सेलफोन बनाए गए हैं। जिससे नेत्रहीन लोग भी घड़ी पहचान सकते हैं और सेलफोन को साथ लेकर घूम सकते हैं। और जरूरत पड़ने पर आम लोगो की तरह ही कभी भी किसी से बात कर सकते हैं। ब्रेल लिपि के आविष्कार ने नेत्रहीन लोगों के जीवन को बहुत आसान बना दिया है। और ब्रेल लिपि के तकनीकी के माध्यम से आगे भी कई ऐसे चीजें बनाई जाएंगी, जो नेत्रहीन लोगों कि जिंदगी को काफी आसान बना देगी। आज यह कहना गलत नहीं होगा कि ब्रेल लिपि के आविष्कार ने नेत्रहीन लोगों की जिंदगी को एक मकसद देने में कामयाब हुआ है।
क्या आप जानते हैं कि अब ब्रेल लिपि कंप्यूटर तक भी पहुंच गई है। यानि की अब कंप्यूटर में भी ब्रेल सिस्टम लागू हो गई है, ऐसे कंप्यूटर में गोल और उभरे बिंदु होते हैं। ऐसा होने से अब दृष्टिहीन लोग भी तकनीकी के रूप में मजबूत हो रहे हैं और आगे बढ़ रहे हैं। लुइस ब्रेल का सम्मान
उनको उनके जीवनकाल में जो सम्मान नही मिल सका वो उनको मरणोपरांत साल 1952 के 20 जून दिन सम्मान के रूप में मिला।। उनके मृत्यु के 100 साल बाद वापस उनके पार्थिव शरीर को राष्ट्रीय सम्मान के साथ दफनाया गया। फ्रांस की समस्त जनता तथा नौकरशाह ने अपनी ऐतिहासिक भूल के लिए लुई ब्रेल के नश्वर शरीर से माफी माँगी। और भारत में साल 2009 में 4 जनवरी को उनके सम्मान में डाक टिकट जारि किया गया।
दोस्तों इस आर्टिकल को आप लोग ज्यादा ज्यादा शेयर करके सोशल मीडिया के हर एक प्लेटफार्म जैसे फेसबुक, व्हाट्सएप सब जगह ब्रेल लिपि के बारे में लोगों को जागरूक करें। ताकि लोग ब्रेल लिपि के बारे में जान सके और इसके महत्व को समझ सके। ताकि ज्यादा से ज्यादा दृष्टिहीन भाई बहन को मदद मिल सके और इस भाषा को सीख सकें।