शास्त्री की मौत 11 जनवरी साल 1966 को हुई थी। इससे पहले वो पाकिस्तान के साथ 1965 की जंग को खत्म करने के लिए समझौता पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिए ताशकंद गए थे। 10 जनवरी, साल 1966 को ताशकंद में पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर करार होने के केवल 12 घंटे बाद 11 जनवरी को 1.32 बजे शास्त्री की अचानक मौत हो गई।
लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर साल 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। देश की आजादी में शास्त्री का बड़ा योगदान रहा है। वे साल 1920 में ही भारत के आजादी की लड़ाई में शामिल हो गए थे जब वह केवल 16 साल के थे। 2 अक्टूबर के दिन गांधी जयंती मनाई जाती है क्योंकि इस दिन महात्मा गांधी का और इसी दिन लाल बहादुर शास्त्री जी को भी श्रद्धांजलि दी जाती है इनका भी जन्म जन्म 2 अक्टूबर के दिन ही हुवा था हुवा था।
लाल बहादुर शास्त्री की मौत हुई थी 11 जनवरी साल 1966 को। उनके मौत के 52 साल बाद आज भी उनकी मौत एक रहस्य बनी हुई है। RTI के जवाब में शास्त्री के मेडिकल रिपोर्ट से चौकाने वाली बातें सामने आई हैं। पूर्व पीएम शास्त्री की मौत की जांच की रिपोर्ट को लेकर RTI ने जो दावा किया उसके जवाब में पाया कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री मरने से 30 मिनट पहले तक बिल्कुल ठीक थे। 15 से 20 मिनट के अंदर ही उनकी तबियत खराब हुई और उनकी मौत हो गई।
कहा जाता है कि शास्त्री की मौत के बाद उनके डेड बॉडी का पोस्टमार्टम भी नहीं किया गया था। RTI से मिले जवाब के मुताबिक, शास्त्री 10 जनवरी 1966 की रात 12.30 बजे तक बिलकुल ठीक थे। इसके बाद अचानक ही शास्त्री की तबियत खराब हुई जिसके बाद वहां के मौजूद लोगों ने डॉक्टर को बुलाया। उनके इलाज के लिए सोवियत डॉक्टर को बुलाया गया और इससे पहले कि सोवियत डॉक्टर इलाज शुरू करते रात को 1.32 बजे शास्त्री की मौत हो गई।
RTI कार्यकर्ता ने सवाल किया कि पूर्व पीएम शास्त्री की मौत की जांच रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं किया गया। उसे गुप्त क्यों रखा गया जबकि, शास्त्री का परिवार भी इसके बारे में जानना चाहता है यहां तक कि उनके पोते ने भी मौत के कारणों को जानने के लिए इसकी मांग की थी।
उनकी मौत के बाद उनकी पत्नी ललीता शास्त्री ने दावा किया कि उनके पति को जहर देकर मारा गया। उनके बेटे सुनील शास्त्री ने सवाल किया था कि उनके पिता की बॉडी पर नीले निशान थे साथ ही उनके शरीर पर कुछ कट के निशान भी थे।
हालांकि, आधिकारिक तौर पर कहा जाता रहा है कि उनकी मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई है शास्त्री को पहले से ही ह्दय संबंधी बीमारी थी और इससे पहले साल 1959 में उन्हें एक हार्ट अटैक भी आया था। जीसके बाद उनके परिजन और दोस्त उन्हें कम काम करने की सलाह देते थे। लेकिन 9 जून साल 1964 को देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद उन पर काम का दबाव बढ़ता ही चला गया।
पिछले 54 सालों से लेकर हर साल 11 जनवरी को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि के रूप में मनाई जाती है। उनका जन्म वाराणसी में हुआ था उनके मौत के इतने साल बाद भी उनका मौत एक राज ही बना हुआ है। अपनी साफ सुथरी छवि और सादगी के लिए प्रसिद्ध शास्त्री ने प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद 9 जून साल 1964 को प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया था।
देश की एकता, अखंडता को सुरक्षित रखने और राष्ट्र की प्रगति में सैनिकों और किसानों के योगदान को सम्मान देने के लिए उन्होंने ‘जय जवान, जय किसान’ का अमर मंत्र दिया। देश में कृषि और दुग्ध उत्पादन में क्रांति के लिए शास्त्री जी के प्रयासों को हमेशा आदरपूर्वक स्मरण किया जाएगा। शास्त्री करीब 18 महीने तक देश के प्रधानमंत्री रहे। उनके नेतृत्व में भारत ने 1965 की जंग में पाकिस्तान को करारा जवाब दीया गया था। ताशकंद में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब खान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी साल 1966 की रात में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गई।
भारत और पाकिस्तान के बिच हुए उस ऐतिहासिक समझौते के कुछ घंटों बाद ही भारत के लिए सब कुछ बदल गया। गंभीर परिस्थितियों में विदेश की धरती पर भारतीय पीएम की मौत से सन्नाटा सा छा गया। लोग दुखी तो थे ही, लेकिन उससे कहीं ज्यादा हैरान थे।
लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ी कुछ रोचक बातें
लाल बहादुर शास्त्री भारत के स्वतंत्रता की लड़ाई में 17 साल की उम्र में ही जेल गए थे। लेकिन नाबालिक होने के कारण उन्हें छोड़ दिया गया था लाल बहादुर शास्त्री जब डेढ़ साल के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया था। जिसके बाद वे चाचा के साथ रहने के लिए गए थे ताकि उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त हो सके। आपको बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री अपने बचपन में कई मील दूर नंगे पांव चलकर विद्यालय जाते थे। जब लाल बहादुर शास्त्री केवल 11 साल की आयु के थे तभी उनमें देशभक्ति की ऐसी उमंग जागी कि उन्होंने छोटी उम्र में ही देश के आजादी के लिए कुछ करने का मन बना लिया और बाद में वे 16 साल की उम्र में ही पढ़ाई छोड़कर महात्मा गांधी जी के साथ असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए।
शास्त्री जी केवल देश भक्त ही नहीं थे वे देश भक्त होने के साथ-साथ देश के कानून का भी बहुत सम्मान करते हैं। इस बात का पता इससे चलता है जब लाल बहादुर शास्त्री जेल में थे, एक बार उनकी पत्नी छिपा कर दो आम लेकर उन्हें देने गई। लेकिन इस पर खुश होने के बजाय उनका विपरीत स्वभाव देखने को मिला। उन्होंने अपनी पत्नी से कहा कि कैदियों को जेल के बाहर का कोई खास चीज खाना देश के कानून के खिलाफ होता है इसीलिए वे आम नहीं ले सकते।
जब लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने तब देश में खाने की चीजें विदेशों से मंगाई जाती थी। लेकिन साल 1965 में पाकिस्तान से जंग होने के बाद देश में भयंकर सूखा पड़ गया। जिसके बाद शास्त्री ने पूरे देश भर में 1 दिन का उपवास रखने का अनुरोध किया था। और तभी लाल बहादुर शास्त्री ने “जय जवान जय किसान” का नारा दिया था। पाकिस्तान के साथ जंग खत्म करने के लिए लाल बहादुर शास्त्री जब ताशकंद गए थे जब आलोचना होने के बाद अगले ही दिन खबर आई कि हार्ट अटैक के कारण लाल बहादुर शास्त्री की मौत हो गई है।
लाल बहादुर शास्त्री भले ही आज हम सबके बीच नहीं हैं, लेकिन देश के लिए उनके योगदान कभी भी खाली नहीं जाएंगे। उनके द्वारा दी गई कई सीख सोशल मीडिया पर बहुत प्रचलित है जीससे लोग बहुत सिख लेते हैं। वैसे तो लाल बहादुर शास्त्री का जो सबसे अमर मंत्र था वह था “जय जवान जय किसान” इसके अलावा भी लाल बहादुर शास्त्री ने देश भक्ति से जुड़ी और व्यक्ति के व्यक्तित्व से जुड़ी कई ऐसी बातें कहीं हैं जो हर एक व्यक्ति को जानना जरूरी है। तो आइए जानते हैं लाल बहादुर शास्त्री से जुड़ी इन बातों के बारे में।
आइए जानते हैं लाल बहादुर शास्त्री के द्वारा दी गई कुछ सीख की बातें —
जब देश की अखंडता और देश की स्वतंत्रता खतरे में हो, तो अपने पूरी शक्ति के साथ आने वाले चुनौती का सामना करना ही एकमात्र कर्तव्य होता है। और जरुरत परने पर किसी प्रकार के बलिदान देने के लिए भी एक साथ मिलकर हमेशा तैयार रहना चाहिए।
हमारे देश को मजबूत बनाने के लिए सबसे पहले हमें हमारे देश के लोगों में एकता स्थापित करनी होगी। हमारे ताकत के लिए जो सबसे जरूरी है वह है लोगों में एकता और एकजुटता को स्थापित करना।
हम आजादी चाहते हैं यह ठीक है। लेकिन इसके लिए हम किसी का शोषण नहीं करेंगे और ना ही किसी दूसरे को नीचा दिखाएंगे, मैं कुछ इस तरह आजादी चाहता हूं कि लोग इससे सीख ले और देश के संसाधन, मानवता के कल्याण के रूप में उपयोग कर।
कभी भी हिंसा और असत्य जैसे दुष्प्रभावो से समाज का सच्चा लोकतंत्र हासिल नहीं किया जा सकता। देश की आजादी की रक्षा करना केवल देश के सैनिकों का ही काम नहीं है, देश की आजादी को रक्षा करने के लिए पूरे देशवासी को मजबूत होना पड़ेगा।