हिंदू धर्म का पवित्र तीर्थ स्थल है अयोध्या। यह नगरी भारत वर्ष के उत्तर प्रदेश राज्य में बसा हुआ है। यह एक बहुत प्राचीन धार्मिक नगरी है जो पवित्र सरयू नदी के तट पर बसा है। रामायण के मुताबिक कहा जाता है कि अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी। अयोध्या हिंदू धर्म के साथ पवित्र स्थलों में से एक माना जाता है जिसमें अयोध्या, हरिद्वार, मथुरा, कांची, काशी, अवंतिका और द्वारका शामिल है। अयोध्या एक धार्मिक नगरी मानी जाती है क्योंकि यहां पर हमारे मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी ने जन्म लिया था। आज हम अयोध्या मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातों के बारे में जानेंगे साथ ही हम यह भी जानेंगे कि भूमि पूजन के बाद मंदिर निर्माण का कार्य किस तरह हो रहा है। साथ ही इस मंदिर का निर्माण करने के लिए गठित हुए ट्रस्ट के बारे में भी जानेंगे।
सबसे पहले जानते हैं इस जगह के सबसे पुराने इतिहास के बारे में।
पारंपरिक इतिहास में अयोध्या कोसल राज्य की एक प्रारंभिक राजधानी थी। गौतम बुद्ध के समय कौशल के दो भाग हुए थे उत्तर कौशल और एक दक्षिण कौशल जीसके बारे में आप लोग जानते होंगे और इन्हीं दो जगहों के बीच में प्रसिद्ध सरयू नदी बहती थी। वेदों में कहा गया है कि अयोध्या एक ईश्वर की नगरी है और इस जगह की संपन्नता की तुलना भी स्वर्ग से की गई है। और अथर्ववेद में तो अयोध्या को एक योगिक प्रतिक के रूप में उल्लेख किया गया है। यह नगरी सरयू नदी के तट पर बारह योजन लंबाई और तीन योजन चौड़ाई में बसी थी।
कई शताब्दी तक यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रही थी। मूल रूप से अयोध्या हिंदू मंदिरों का एक शहर है। जैन मत के अनुसार कहा जाता है कि यहां 24 तीर्थंकरों में से 5 तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। क्रम अनुसार देखा जाए तो पहले तीर्थंकर थे ऋषभनाथ जी, दूसरे तीर्थकर अजितनाथ जी, चौथे तीर्थंकर अभिनंदन नाथ जी, पांचवे तीर्थकर सुमति नाथ जी और चौदहवें तीर्थंकर थे अनंत नाथ जी। इसके अलावा जैन और वैदिक दोनों मतों के अनुसार भगवान रामचंद्र जी का हुआ था।
साल 2020 में हुआ राम मंदिर का शिलान्यास
आज जय सिया राम का आह्वान केवल भगवान राम के शहर अयोध्या में ही नहीं, पूरे विश्वभर में गूंज रहा है। हिंदू धर्म के परंपराओं का आधुनिक प्रतीक है राम मंदिर इसीलिए भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर के लिए बलिदान देने वाले लोगों को बहुत सम्मान दिया है।
कई सालों के कड़ी तपस्या के बाद साल 2020 में 5 अगस्त के दिन नरेंद्र मोदी ने हनुमानगढ़ी मंदिर में हनुमान जी की अनुमति ली, जिसके बाद राम मंदिर की जमीनी तोड़ हुआ,और शिलान्यास का काम किया गया। जब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, मोहन भागवत मित्र, गोपाल दास जी के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाषण दिए। कहा की “अब इतने सालों से रुका हुआ कार्य भगवान श्री राम के कृपया से पूरा होने जा रहा है”।
राम मंदिर का इतिहास
भगवान विष्णु के अवतार भगवान श्री राम एक व्यापक रूप से हिंदू धर्म में पूजे जाने वाले देवता हैं। हिंदू धर्म के प्राचीन महाकाव्य रामायण के अनुसार विष्णु के रूप भगवान श्रीराम का जन्म अयोध्या में हुआ था जिसे राम जन्मभूमि यानी कि राम की जन्मभूमि के रूप में जाना जाने लगा। 15 वीं शताब्दी में मुगलों ने राम जन्मभूमि पर एक मस्जिद का निर्माण किया जिसका नाम हुआ “बाबरी मस्जिद”. तब हिंदुओं का यह मानना था कि मस्जिद का निर्माण एक हिंदू मंदिर को खंडित करने के बाद किया गया था। विश्व हिंदू परिषद ने घोषणा की थी कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ द्वारा रोकने के आदेश दिए जाने से पहले विवादित क्षेत्र पर मंदिर की आधारशिला रखेगी। और फिर बाद में राजीव गांधी मंत्रालय ने बीएसपी को शिलान्यास करने की अनुमति दे दी और फिर साल 1989 के 9 नवंबर के दिन विहिप नेता और साधुओं के समूह ने मिलकर विवादित भूमि पर 7 क्यूबिक फूट गड्ढे खोदे और आधारशिला रख दी।
विवाद का एक हिंसक रूप साल 1993 में बढ़ गया। जब बाबरी मस्जिद का विध्वंस शुरू हुआ तब विभिन्न प्रकार के कानूनी विवाद हुए, जैसे कि अयोध्या अध्यादेश साल 1993 में निश्चित छेत्र के अधिग्रहण का मार्ग। इसी तरह कई विवाद होते होते साल 2019 के फैसले के बाद यह निर्णय लिया गया कि विवादित भूमि को सरकार द्वारा गठित ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा। फिर 5 फरवरी साल 2020 को संसद में घोषणा की गई थी की मोदी मंत्रालय ने मंदिर निर्माण की योजना को स्वीकार कर लिया है।
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण करने के लिए गठित होने वाले ट्रस्ट की भूमिका
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार 5 फरवरी साल 2020 को लोकसभा में राम मंदिर पर चर्चा के दौरान घोषणा की गई कि राम मंदिर के लिए बनने वाले ट्रस्ट का नाम ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ होगा।

लंबे समय तक चले अयोध्या विवाद में सर्वोच्च न्यायालय (सुप्रीम कोर्ट) ने रामलला के पक्ष में फैसला सुनाया था। और सरकार को आदेश दिया था कि वह राम मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन करें। सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश के तहत ट्रस्ट का गठन किया। जिसका नाम केंद्र सरकार ने ‘श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ ट्रस्ट रखा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर भारत सरकार ने राजपत्र जारी करके कहा कि विवादित स्थल के आंतरिक और बाह्य प्रांगण का कब्जा न्यास को सौंप दिया गया है। साथ ही यह भी स्पष्ट किया है कि केंद्र सरकार ट्रस्ट स्कीम के तहत भूमि पर विकास कार्य करेगा। और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में 15 ट्रस्टी होंगे।
तीन तलों का बनेगा मंदिर
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम मंदिर का एक नक्शा जारी किया है। 5 एकड़ भूमि में बनने वाला राम मंदिर 57 हज़ार 400 स्क्वायर फीट का होगा। जिसमें मंदिर की लंबाई 360 फिट होगी, मंदिर की चौड़ाई 235 फीट होगी और
मंदिर तक शिखर की ऊंचाई 161 फीट होगी। यह मंदिर तीन तले का निर्माण किया जाएगा। और प्रत्येक तले की ऊंचाई 20 फीट होगी, भू तल यानि सबसे निचे के ताल पर 160 स्तंभ होंगे। जबकि प्रथम तल पर 132 स्तंभ होंगे और द्वितीय तल पर 74 स्तंभ होंगे।
मंदिर में 12 द्वार होंगे
राम मंदिर में शिखर के साथ पांच मंडप होंगे और 12 द्वार भी बनाए जाएंगे। इसके अलावा पर्यावरण के मानकों के अनुसार मंदिर के भवन का निर्माण किया जाएगा। साथ ही यहां कलाकृतियों का संग्रह और संरक्षण भी होगा।
तीर्थयात्रियों की संख्या भी बताई
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने तीर्थयात्रियों की संख्या के बारे में भी अनुमान जाहिर किया है। वर्तमान में तो 10 हजार के करीब तीर्थयात्री रामजन्मभूमि पहुंच रहे हैं। तो वहीं रोजाना 50 हज़ार तीर्थयात्रियों की संख्या अपेक्षित मानी जा रही है। और अगर साल भर की बात करें तो लगभग 20 लाख श्रद्धालु अयोध्या पहुंचे हैं। जिसकी अपेक्षित संख्या देखि जाए तो 50 लाख के करीब है।
संत समाज ने जाहिर की खुशी
संत समाज का कहना है कि जिस तरह राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने श्रद्धालुओं के लिए मंदिर की डिजाइन और इंटीरियर की फोटोज अपनी वेबसाइट और फेसबुक पर उपलब्ध कराई है वह बहुत सुंदर व आकर्षित है।
श्री राम मंदिर निर्माण से जुड़ी कुछ रोचक बातें —
- राम मंदिर निर्माण में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा, ताकि राम मंदिर हजार हज़ार वर्षो तक सुरक्षित रहे।
- राम मंदिर में प्राकृतिक प्रौद्योगिकी का भी प्रयोग किया जाएगा।
- और जल निकायों का भी निर्माण और संरक्षण होगा।
- साथ ही राम मंदिर में प्राकृतिक सामग्री का उपयोग किया जाएगा।
- इसके अलावा राम मंदिर में अपशिष्ट पदार्थ का समुचित प्रबंधन होगा।
- राम मंदिर में प्रकाश की भी व्यवस्था अच्छी की जाएगी।
- और इस मंदिर का जल प्रबंधन भूमिगत होगी।
अयोध्या नगरी के कुछ ऐतिहासिक तथ्य —
राम एक ऐतिहासिक महापुरुष थे शोधानुसार यह पता चलता है कि भगवान श्री राम जी का जन्म 5114 ईसा पूर्व हुआ था।
भगवान श्रीराम के बाद अगले 800 वर्षों तक लव ने श्रावस्ती बसाई जिसका स्वतंत्र उल्लेख मिलता है। कहा जाता हैं कि भगवान श्रीराम के पुत्र कुश ने एक बार फिरसे अयोध्या राजधानी का पुनर्निर्माण कराया था।
महाभारत युद्ध के बाद अयोध्या उजड़ गई लेकिन श्रीराम जी के जन्मभूमि का अस्तित्व सुरक्षित था और लगभग 14वीं सदी तक बरकरार रहा।
तथ्यों के मुताबिक, बाबर के आदेश पर साल 1527-28 के दौरान अयोध्या में राम जन्मभूमि पर बने भव्य राम मंदिर को तोड़ दिया गया एक मस्जिद का निर्माण किया गया।