रिलायंस इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड (Reliance Industries Limited) एक भारतीय संगुटिका नियंत्रण कंपनी है। इस कंपनी का मुख्यालय महाराष्ट्र (मुंबई) में स्थित है। रिलायंस भारत भर में केवल एक या दो क्षेत्र में ही काम नहीं करती यह ऊर्जा, प्राकृतिक संसाधन, खुदरा,दूरसंचार, पेट्रोकेमिकल और कपड़ा के क्षेत्र में कारोबार करती है| रिलायंस भारत के सबसे ज्यादा फायदेमंद कंपनियों में से एक मानी जाती है, और बाजार पूंजीकरण के आधार पर भारत की सबसे बड़ी सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी है, यही नहीं राजस्व के मामले में भी यह भारत की सबसे बड़ी कंपनी है। 22 जून साल 2020 को BSE पर बाजार पूंजीकरण, 11,43,667 करोड़ को पार करने के बाद, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ बाजार पूंजीकरण के क्षेत्र में $ 150 बिलियन से भी ज्यादा पार करने वाली प्रथम भारतीय कंपनी है। साल 2020 में फॉर्च्यून ग्लोबल 500 के लिस्टद्वारा कंपनी को विश्व के सबसे बड़े कार्पोरेशन की सूची में 96 वां स्थान प्राप्त हुवा है।
रिलायंस की स्थापना साल 1966 में भारतीय उद्योगपति धीरूभाई अंबानी के द्वारा की गयी थी। अंबानी एक ऐसे मार्ग दर्शक रहे हैं, जिन्होंने भारतीय शेयर बाज़ार को वितीय लिखित जैसी पूर्ण परिवर्तनीय डिबेन्चर से परिचित कराया है। अंबानी उन पहले उद्यमियों में से एक हैं, जिन्होंने खुदरा निवेशकों को शेयर बाज़ार की ओर आकर्षित किया। बड़े बड़े आलोचक यह कहते है कि बाज़ार पूंजीकरण के क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की उन्नति को सर्वोच्च स्थान पर लाने का एकमात्र श्रेय धीरुभाई की चालाकी से काम निकलवाने की क्षमता को जाता है। जिस तरह वे नियंत्रित अर्थव्यवस्था को अपने फायदे के लिए उपयोग करते थे। कंपनी के मूल व्यवसाय की बात करें तो वह तेल से संबंधित व्यापार है। लेकिन पहले के कुछ सालो में कंपनी ने विविध व्यापारों में अपने हाथ आज़माएं हैं। संस्थापक धीरूभाई अंबानी के दो बेटे हैं मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी लेकिन दोनों बेटों के बीच गहरे मतभेद है जिस वजह से साल 2006 में समूह को दोनों के बीच विभाजित कर दिया गया। सितम्बर साल 2008 में, रिलायंस इंडस्ट्रीज़ एक ऐसी भारतीय कंपनी हुई जिसे “दुनिया की 100 सबसे सम्मानित कंपनियों” फोर्ब्स की सूची में शामिल किया गया।
Reliance Industries का पर्यावरण रिकॉर्ड
रिलायंस इंडस्ट्रीज़ दुनिया की सबसे बड़ी पोलिस्टर निर्माता कंपनी है और इसी के फलस्वरुप रिलायंस दुनिया की सबसे बड़ी पोलिस्टर वेस्ट उत्पादको में से एक है।
साल 2006 में रिलायंस इंडस्ट्रीज़ ने नई दिल्ली में पर्यावरण के प्रति जागरूकता के एक सम्मलेन का समर्थन किया था। इस सम्मलेन का आयोजन एशिया पेसिफिक जूरिस्ट असोसिअशन(Asia Pacific Jurist Association) द्वारा किया गया था। जिसमें पर्यावरण और वन मंत्रालय भारत सरकार और महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की भागीदार थे। इस सम्मलेन का उद्देश्य पर्यावरण सरंक्षण के लिए नए विचारों और विभिन्न पहलुओं को उत्पन्न करने में मदद करना था। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने प्रदूषण नियंत्रण मानकों का पालन करने वाली विभिन्न कंपनियों को सक्रिय भाग लेने और प्रायोजक के रूप में समर्थन करने के लिए आमंत्रण दिया। यह सम्मलेन पर्यावरण को बढ़ावा देने के सम्बन्ध में काफ़ी प्रभावित साबित हुई।
Reliance Industries के जितने वाले कुछ पुरष्कार
– साल 1994 से 1997 तक, कंपनी ने पेट्रोकेमिकल के क्षेत्र में राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार जीता था।
- साल 2000 में इस कंपनी को इंडस्ट्री वीक पत्रिका द्वारा दुनिया की 100 सबसे कामयाब कंपनियों में से एक के रूप में चयनित किया गया।
- साल 2009 में Boston Counseling Group (बीसीजी) ने निवेशकों को सबसे ज्यादा मुनाफ़ा देने वाली 25 कंपनियों की सूची में Reliance Industries को दुनिया की 5th सबसे बड़ी ‘स्थायी मूल्य निर्माता’ के रूप में नामित किया।
- Reliance Industries को कॉर्पोरेट संपोषणीयता के क्षेत्र में योगदान के लिए साल 2011 में “राष्ट्रीय गोल्डन पीकॉक” अवार्ड से सम्मानित किया गया था।
- रियल लायंस इंडस्ट्रीज को साल 2012 के मार्च महीने में रसायन विज्ञान परिषद द्वारा रिस्पांसिबल केयर कंपनी के रूप में प्रमाणित किया गया था।

- साल 2012 में बिक्री के आधार पर ICIS के द्वारा तैयार की गई 100 रसायन कंपनियों की सूची में रिलायंस इंडस्ट्रीज को दुनिया भर में 25 वें स्थान पर रखा गया था
- साल 2013 में हार्ट एनर्जी के 27वें विश्व रिफाइनिंग और ईंधन सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय रिफाइनर ऑफ़ द ईयर पुरस्कार प्राप्त हुआ है, कम्पनी को दूसरी बार जामनगर रिफ़ाइनरी के लिए यह पुरस्कार प्राप्त हुआ है। इससे पहले साल 2005 में पुरस्कार प्राप्त हुआ था।
- ब्रांड फाइनेंस द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार साल 2013 में भारत का दूसरा सबसे मूल्यवान ब्रांड में रिलायंस का नाम है।
- साल 2013 में ब्रांड ट्रस्ट रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस को भारत के 7वें सबसे विश्वसनीय ब्रांड का स्थान दिया गया है।
Reliance Industries लिमिटेड (RIL) की शुरुआत धीरूभाई अंबानी ने की थी। अब इस कंपनी के CEO मुकेश अंबानी हैं। जानकारी के अनुसार इस कंपनी के पास 110 ब्रांड्स और प्रोडक्ट्स हैं। और 45 कंपनियों के साथ पार्टनशिप है। ये पॉलिएस्टर इंटरमीडिएट्स, पेट्रोलियम उत्पाद, पॉलिएस्टर उत्पाद, प्लास्टिक, पॉलीमर इंटरमीडिएट्स,सिंथेटिक टेक्सटाइल, फेब्रिक प्रोडक्ट और केमिकल प्रोडक्ट पर काम कर रही है। रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड(RIL) की 11 पॉलीमर कंपनियां भी हैं। ये कंपनियां पॉलीप्रोपाइलीन, पॉलीप्रोपाइलीन रैंडम पाइप्स, पॉली ब्यूटाडाईन रबर, पॉलीथीन, पॉलीविनाइल क्लोराइड, हाई डेनसिटी पॉलीथीन, स्टाइलिश ब्यूटाडाइन रबर, ब्यूटाइल, हैलोजेनेटेड ब्यूटाइल रबर और एडवांस मटेरियल कंपोजिट पर काम करती हैं।
रिलायंस की सहायक और सहयोगी कंपनियां
- खुदरा व्यापार के क्षेत्र में रिलायंस रिटेल रिलायंस इंडस्ट्रीज की एक सहायक कंपनी है। साल 2013 के मार्च महीनें में, भारत में रिलायंस की 1466 खुदरा दुकानें थी। यह भारत की सबसे बड़ी खुदरा व्यापार की कंपनी है। जीसके अंतर्गत रिलायंस फुटप्रिंट, रिलायंस टाइम आउट, रिलायंस फ्रेश, रिलायंस सुपर, रिलायंस ट्रेंड्स, रिलायंस डिजिटल, रिलायंस ऑटोज़ोन, रिलायंस मार्ट, रिलायंस मार्केट, रिलायंस आईस्टोर, रिलायंस वेलनेस, रिलायंस होम किचन और रिलायंस ज्वेलरी जैसे ब्रांड आते हैं।
- रिलायंस लाइफ स्इन्सेज़ चिकित्सा, संयंत्र, औद्योगिक, जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काम करती है। इस पर साधारण तथा जैव औषधि, नैदानिक अनुसंधान सेवा, पुनर्योजी चिकित्सा, आणविक चिकित्सा, नवल चिकित्सा विज्ञान, जैव ईंधन, पादप जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा व्यापार उद्योग के जैव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रिलायंस इंडस्ट्रीज के उत्पादों के विनिर्माण, ब्रांडिंग एवं विपणन का जिम्मा है।
- रिलायंस इंस्टिट्यूट ऑफ़ लाइफ स्इन्सेज़, धीरूभाई अंबानी फाउंडेशन के द्वारा स्थापित की गई एक संस्था है। जो कि जीव विज्ञान और इससे संबंधित तकनीकियो के विभिन्न क्षेत्रों में उच्च शिक्षा प्रदान करती है।
- रिलायंस लोजिस्टिक्स भंडारण, रसद, परिवहन, वितरण, और आपूर्ति श्रृंखला से संबंधित उत्पादों की बिक्री करने वाली एक एकल कंपनी है।
- रिलायंस क्लीनिकल रिसर्च सर्विसेज(RCRS) एक अनुबंध अनुसंधान संगठन और रिलायंस लाइफ साइंसेज के पूर्ण स्वामित्व में आने वाली एक सहायक कंपनी है, जो कि नैदानिक अनुसंधान सेवा उद्योग में विशेषज्ञ है। और इसके ग्राहकों में मुख्य रूप से मेडिसिन, जैव प्रौद्योगिकी और चिकित्सा उपकरण कम्पनियाँ शामिल हैं।
- रिलायंस सोलर सौर ऊर्जा के क्षेत्र में रिलायंस की सहायक है, यह मुख्य रूप से दूर के क्षेत्र और ग्रामीण क्षेत्रों के लिए खुदरा सौर ऊर्जा प्रणालियों के उत्पादन करने के लिए स्थापित की गयी थी। यह सौर लालटेन, गृह प्रकाश व्यवस्था, सड़क प्रकाश व्यवस्था, जल शोधन प्रणाली, प्रशीतन प्रणाली एवं सौर एयर कंडीशनर जैसे उत्पादों का निर्माण करती है।
- रेलीकोर्ड, रिलायंस लाइफ साइंसेज के स्वामित्व में गर्भनाल रक्त बैंकिंग सेवा प्रदान करती है। इसकी स्थापना साल 2002 में की गई थी।
- रिलायंस जियो इंफ़ोकॉम (RJIL) एक ब्रॉडबैंड सर्विस प्रदान करता है। जिसने पूरे भारत में 4जी को परिचालन करने के लिए लाइसेंस हासिल किया है। पहले इसका नाम इंफोटेल ब्रॉडबैंड था।
- रिलायंस इंडस्ट्रीज़ इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (RIIL) रिलायंस इंडस्ट्रीज़ की एक सहयोगी कंपनी है, जिसका मुख्य उद्देश्य पेट्रोलियम उत्पादों के परिवहन के लिए देश भर में पाइपलाइनों का निर्माण और संचालन करता है।

Reliance Industries के Founder धीरूभाई अंबानी कैसे खड़ी की इतनी आरी कंपनी
रिलायंस इंडस्ट्रीज के फाउंडर धीरूभाई अंबानी ने सिर्फ ₹1000 रूपए से ही रिलायंस इंडस्ट्री की शुरुआत की थी , आप लोगों को यह सुनकर थोड़ा अजीब लगा होगा, लेकिन इसमें कोई भी आश्चर्य होने की बात नहीं है। क्योंकि आज हर एक कामयाब इंसान के स्ट्रगल की कहानी को देख लीजिए आपको हर एक व्यक्ति के किए गए स्ट्रगल की कहानी से आश्चर्य होने वाली बातें देखने को मिलेगी। वो कहते हैं ना कि जिस-जिस पर यह जग हंसा है, उसी ने इतिहास रचा है। यह बात बड़े-बड़े कामयाब लोगों पर ज्यादातर मामलों में फिट बैठता है। आज हम आपको रिलायंस इंडस्ट्री के फाउंडर धीरूभाई अंबानी के बारे में बताएंगे, यही नहीं हम आपको इनके बनाए कंपनी रिलायंस इंडस्ट्री और इस इंडस्ट्री के सहयोगीकंपनियों के बारे में भी बताएंगे साथ ही इस कंपनी को क्या-क्या पुरस्कार मिले हैं, ऐसी सारी जानकारी के बारे में इस पोस्ट में बताने वाले हैं। तो आप लोग हमारे इस पोस्ट को पूरा पढ़ें आपको रिलायंस इंडस्ट्री के बारे में व इसके फाउंडर के बारे में बहुत कुछ जानने को मिलेगा।
जैसा की हमने बताया की रिलायंस इंडस्ट्री के मालिक धीरूभाई अंबानी केवल ₹1000 रूपए से इस कंपनी की नींव रखी थी। 6 जुलाई साल 2002 को जब उनकी मृत्यु हुई तब तक रिलायंस 62 हजार करोड़ की कंपनी बन चुकी थी। और यह ऐसे ही नहीं बनी इसको बनाने के दौरान धीरूभाई अंबानी ने कई उतार-चढ़ाव देखे थे, और उनका सामना किया था। तब जाकर ही आज अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्री पूरे भारतवर्ष में फैली हुई है।
धीरूभाई अंबानी का जन्म साल 1933 में 28 दिसंबर के दिन जूनागढ़ में एक सामान्य वर्ग के परिवार में हुआ था। धीरूभाई अंबानी के पिता का नाम हीराचंद गोवर्धनदास अंबानी था। जो एक स्कूल में शिक्षक थे, शिक्षक होने और बड़ा परिवार होने के कारण परिवार में आर्थिक तंगी हमेशा ही लगी रहती थी और इस तंगी के कारण धीरू भाई अंबानी सिर्फ हाई स्कूल तक की पढ़ाई ही पूरी कर पाए। और फिर उन्होंने छोटे-मोटे काम करना शुरू कर दिया। लेकिन उनके छोटे-मोटे कामों से परिवार की आर्थिक तंगी दूर नहीं होती थी।
लेकिन किसको पता था कि ऐसी तंगी में जी रहे व्यक्ति के लिए इतना बड़ा सक्सेस इंतजार कर रहा है। धीरूभाई अंबानी की बुद्धि बचपन से ही व्यापारी में बहुत तेज थी, एक बार की बात है धीरूभाई अंबानी ने एक होलसेलर से एक टिन मूंगफली का तेल खरीदा और उस भरे तेल के टिन को सड़क किनारे रिटेल में बेच दिया। उन्होंने इस लेनदेन से लाभ के रूप में कुछ रुपए कमा लिए। जिस समय स्कूल में गर्मियां की छुट्टी मिलती थी उस समय भी वह कुछ ना कुछ काम ढूंढ कर करते थे। कई बार तो वे मेले में जाकर भजिया बेचा करते थे ।
जब धीरुभाई 16 वर्ष के थे तो उनकी नौकरी की तलाश शुरू हुई। साल 1949 में वे दूसरे शहर पहुंचे जहां उनके बड़े भाई रमणिकलाल काम करते थे। इसी कारण उनके बड़े भाई रमणिकलाल ने उन्हें भी अपनी कंपनी अपने साथ ₹300 रुपए प्रति महीने के वेतन पर पेट्रोल पंप पर काम में लगवा दिया। 2 साल बाद उन्हें कंपनी में मैनेजर बना दिया गया। लेकिन उन्हें वह मैनेजर का काम रास नहीं आया आता भी कैसे क्योंकि उन्हें तो कुछ बड़ा करना था और यही सपना लेकर वह वापस भारत आ गए। करीब 1 साल बाद वह अपने सपने को पूरा करने के लिए जेब में सिर्फ ₹500 रुपए और बहुत बड़ा हौसला लेकर मुंबई आए। बहुत सारे संघर्ष और पैसों की कमी ने धीरूभाई अंबानी के इरादे को कमजोर पड़ने नहीं दिया। उन्होंने एक छोटे से कमरे में एक मैच सजाकर, तीन कुर्सियां लगाकर, टेलीफोन रखकर और दो सहयोगी के साथ पूरे रिलायंस इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन की रूपरेखा बना ली। उस समय भारत में पॉलिस्टर की बहुत ज्यादा मांग थी और विदेश में भारत के मसालों की मांग रहती थी इसीका फायदा अंबानी ने उठाया उनकी कंपनी भारत से मसाला भेजती थी और वहां से पॉलिस्टर के धागे मांगती थी। नई सोच और विश्वास के साथ वह इस काम को आगे बढ़ाते चले गए ।
साल 1966 में उन्होंने कपड़े बनाने के कारोबार में कदम रखा और उन्होंने अहमदाबाद में कपड़ा मिल की शुरुआत की। उन्होंने विमल ब्रांड की भी शुरुआत की और यह नाम उनके बड़े भाई रमणीक लाल के बेटे विमल अंबानी के नाम पर रखा गया था। साल 1993 में ग्लोबल मार्केट से फंड जुटाने में रिलायंस देश की पहली कंपनी बनी। साल 2000 के आसपास रिलायंस पेट्रोकेमिकल और टेलीकॉम के सेक्टर में धीरूभाई अंबानी देश के सबसे रहीस व्यक्ति बन कर उभरे। फिर 6 जुलाई साल 2002 को धीरूभाई अंबानी अपनी यादें छोड़ गए। भले ही आज धीरूभाई अंबानी हमारे बीच मौजूद नहीं है , लेकिन उनके हौसले और कामयाबी से आज भी हम लेते हैं। और हर आने वाले युवा पीढ़ी को लेनी चाहिए।