हमारे हिंदू धर्म में कई त्योहार आते जाते रहते हैं ऐसा ही एक त्यौहार जिसे हम हिंदू लोग बहुत धूमधाम से मनाते हैं वह त्यौहार है सोमवती आमावस्या। आज हम आपको हिंदू धर्म के त्योहार सोमवती अमावस्या के विशेष महत्व के बारे में बताएंगे। साथ ही इस व्रत के विधि के अलावा इस व्रत से जुड़ी और सब जानकारियों के बारे में भी जानेंगे।
सोमवती अमावस्या का महत्व
हिंदू धर्म के अनुसार सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है सोमवती अमावस्या उसे कहते हैं जो सोमवार के दिन पड़ती है वह अमावस्या ही सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है। एक वर्ष में दो या फिर तीन सोमवती अमावस्या पड़ती है मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि में यानी कि 14 दिसंबर को सोमवार पड़ रहा है और इसी दिन अमावस्या भी है इसिलिए यह सोमवती अमावस्या कहलाएगा। सोमवती अमावस्या के कई कथाएं प्रचलित हैं। जिनके अनुसार महाभारत में भीष्म ने युधिष्ठिर को इस दिन का महत्व बताते हुए कहा था कि जो भी व्यक्ति इस दिन पवित्र नदी में स्नान करेगा उस व्यक्ति को हर तरह से सुख और समृद्धि से भरा जीवन प्राप्त होगा। ऐसा करने से सभी प्रकार के रोग दूर होगों और दुखों से जल्दी मुक्ति मिलेगी। सोमवती अमावस्या पर दान करने का बहुत महत्व होता है इस दिन अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए नदी में स्नान करने का भी महत्व होता है। कहा जाता है कि सोमवती अमावस्या के तिथि पर नदी में स्नान करके प्रार्थना किया जाता है और फिर दान पूर्ण किया जाता है ऐसा करने से हमारे पितरों की आत्मा संतुष्ट रहती है। सोमवती अमावस्या के दिन पति के लंबी उम्र के लिए कई सुहागिन स्त्रियां व्रत करती है। सोमवती अमावस्या के दिन मौन व्रत करने का भी विधान है। कहा जाता है कि जो व्यक्ति सोमवती अमावस्या पर मौन व्रत करता है उसे सहस्र गोदान के समान फल की प्राप्ति होती है। मान्यता यह भी है कि इस दिन जो सुहागन महिलाएं व्रत करती है उनके पति की आयु लंबी होती है सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इसीलिए सुहागिन महिलाएं अपने पति के दीर्घायु की कामना करते हुए सोमवती अमावस्या पर व्रत रखती हैं।
चलिए जानते हैं इस व्रत की पूजा विधि
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव जी से दीर्घायु की कामना की जाती है। कहा जाता है की पीपल के वृक्ष के मूल भाग में भगवान विष्णु जी का और अग्रभाग में ब्रह्मा जी का और थाने में शिव जी का वास होता है। इसीलिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा की जाती है। इस दिन विवाहित स्त्रियों को पीपल के वृक्ष में दूध, जल, पुष्प, अक्षत और चंदन से पूजा की जाती है। साथ ही पीपल के वृक्ष में 108 बार धागा लपेट कर परिक्रमा किया जाता है और पति के लंबी उम्र की कामना की जाती है। कुछ अन्य परंपराओं के अनुसार धान, पान और खड़ा हल्दी को मिलाकर विधि पूर्वक तुलसी के पेड़ को चढ़ाया जाता है इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करने का भी बड़ा महत्व होता है।सोमवती अमावस्या में पतियों के दीर्घायु की कामना करते हुए सुहागिन स्त्रियां व्रत रखती है। इस दिन मौन व्रत करने की भी मान्यता है कहा जाता है कि इस दिन मौन व्रत रखने से सहस्र गोदान के बराबर का फल प्राप्त होता है। कहा जाता है कि पहली सोमवती अमावस्या के दिन पान, सुपारी, हल्दी, सिंदूर, दान की भँवरी दी जाती है और उसके अलावा इस दिन अपने सामर्थ्य के अनुसार फल, मिठाई, सुहाग सामग्री खाने की चीजें इत्यादि भी चढ़ाई जाती है और चढ़ाया गया यह सब सामान किसी सुपात्र ब्राह्मण या फिर भांजे को दिया जा सकता है।
सोमवती अमावस्या की कथा
ऐसे तो सोमवती अमावस्या की कई कथाएं प्रचलित है, कहा जाता है कि सोमवती अमावस्या के दिन विधि पूर्वक पूजा करके सोमवती अमावस्या की कथा सुनी जाती है। एक कथा के अनुसार कहा जाता है कि एक गरीब ब्राह्मण परिवार था जिसमें पति-पत्नी और उनकी एक सुन्दर पुत्री रहती थी।
धीरे धीरे पुत्री बड़ी होने लगी हर लड़की की तरह उस लड़की में भी समय के साथ साथ सभी स्त्रियों के गुणों का विकास होने लगा परी की सुंदर थी, गुणवान भी, और संस्कारवान भी थी। लेकिन वे गरीब होने के कारण लड़की का विवाह नहीं हो पा रहा था। एक दिन की बात है उनके घर एक ब्राह्मण यानी साधु आए जो कि कन्या के द्वारा किए गए सेवा भाव से बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने उस लड़की को लंबी आयु का आशीर्वाद दिया फिर उन्होंने उस लड़की के हथेली पर देखा तो उसके हाँथ पर विवाह के देखा ही नहीं थे। फिर लड़की के ब्राह्मण पिता ने साधु से उपाय पूछा कि ऐसा क्या किया जा सकता है जिससे उसकी बेटी के जीवन में विवाह के योग बन सके। फिर साधु ने उनसे कुछ देर का समय मांगा और कुछ देर विचार करने के बाद अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करते हुए उपाए बताया। साधु ने कहा कि कुछ दूरी पर एक गांव में सोना नाम के धोबी जाति की एक महिला अपने बेटे और अपने सासु के साथ रहती है। जो कि बहुत ही अच्छे विचार की है और संस्कारी होने के साथ पति परायण स्त्री है। अगर यह कन्या उसकी सेवा करें और वह महिला इस कन्या के मांग में अपने मांग का सिंदूर लगा दे तो फिर इस कन्या के विवाह का योग बन सकता है। यह बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी से धोबिन के सेवा करने की बात कही।

फिर लड़की तैयार हो गयी ये सब करने के लिए और साधु के कहे अनुसार लड़की हर रोज़ सुबह उठकर सोना धोबिन के घर जाती और साफ़ सफाई जैसे सारे काम करके अपने घर वापस आ जाती थी। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा और फिर एक दिन सोना धोबिन अपने सास से पूछती है कि तुम तो जल्दी ही उठ कर सारा काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता फिर उसकी सास बोलती है कि मै कहाँ सारा काम करती हुं मै समझती हुं की सारा काम तुम कर लेती हो यह सुनकर सोना धोबिन बोलती है मां जी मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम कर देती है तब उन्हें पता चलता है की काम ना साथ करती है और ना बहू फिर वे सोचते हैं कि आखिर घर का काम करता कौन है। इस बात पर दोनों सास बहू सोचती है कि वे निगरानी करेंगे कि कौन जल्दी से आता है और छुपकर घर के सारे काम करके चला जाता है। फिर कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या अंधेरे में आती है और सारे काम करके चली जाती हैं। एक दिन कन्या जब घर के सारे काम करके जाने लगती है तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ती है और पूछने लगती है कि आप कौन हैं और क्यों इस तरह छूकर मेरे घर के काम कर देती है। तो कन्या ने साधु द्वारा कही गई सारी बात सोना धोबिन को कहती है सोना धोबिन जिस तरह पति परायण थी उसमें अलग ही एक तेज था वह कन्या की बात सुनकर दुखी हो जाती है और उसके मांग में अपना सिंदूर लगाने को तैयार हो जाती है।
वह जानती थी कि जैसे ही वह कन्या के मांग में सिंदूर लगाएगी तो उसका पति नहीं रहेगा लेकिन फिर भी वह कन्या के दुख से दुखी होकर उसे अपना सुहाग देने का फैसला कर लेती है। अगले दिन सोमवती अमावस्या का दिन था उस दिन सोना का पति थोड़ा अस्वस्थ था लेकिन उसने इसकी परवाह किए बगैर व्रत रखकर कन्या के घर गई और अपने मांग का सिंदूर कन्या के मांग में लगा दिया। जिस तरह उसने अपना सिंदूर कन्या के मांग में लगाया उसी वक्त उसके पति का देहांत हो गया और फिर कन्या के घर से लौटते वक्त सोना धोबिन रास्ते में पीपल के वृक्ष की पूजा अर्चना करती है और पीपल के वृक्ष की 108 परिक्रमा करते हुए धागा लपेटती है।जब वह पूजा पाठ करके घर लौटी तो देखी कि उसका पति जीवित हो गया है वह भगवान को कोटि-कोटि धन्यवाद देती है। तब से यह माना जाता है कि सोमवती अमावस्या को पीपल के वृक्ष की पूजा करने से सुहाग की उम्र लंबी होती है।
इसीलिए सोमवती अमावस्या के दिन जो स्त्री व्रत रखती है और विधि विधान से पीपल के वृक्ष में 108 बार धागा लपेट कर वृक्ष की पूजा करती है उस स्त्री को सौभाग्य की प्राप्ति होती है। पीपल के वृक्ष को सभी देवों का वास माना जाता है जो व्यक्ति हर अमावस्या यह व्रत नहीं कर पाता वह सोमवार को पढ़ने वाले सोमवती अमावस्या के दिन 108 फल चढ़ाकर सोना धोबिन और गौरी गणेश का पूजा करता है ऐसा करने से उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या पर किए जाने वाले कुछ धार्मिक उपाए
सोमवती अमावस्या के अवसर पर किए जाने वाले कुछ धार्मिक उपाय जिन्हें करने से आपको सुख समृद्धि व मनचाहे फल की प्राप्ति होती है। ऐसा बहुत बार होता है कि हमारा अच्छा खासा काम होते होते रुक जाता है नहीं हो पाता। चाहे वह करियर से रिलेटेड हो या फिर जिंदगी से ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुछ ऐसे उपाय किए जा सकते हैं जिसे करने से ऐसी छोटी-छोटी समस्याओं से और अच्छे कामों में आने वाले बाधाओं से मुक्ति मिल सकती है तो चलिए जानते हैं कुछ ऐसे उपायो के बारे में।
दुनिया में ऐसे कई लोग हैं जो नौकरी संबंधित परेशानियों से जूझते हैं काबिलियत होते हुए भी कुछ न कुछ छोटी-मोटी परेशानियों के कारण अच्छी खासी नौकरी हाथ से चली जाती है। ऐसे में आप लोगों को सोमवती अमावस्या के दिन ओमकार मंत्र का जाप करना चाहिए यह बहुत ही फलदाई माना जाता है। कहा जाता है कि इसके जप करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है यानी कि सभी मंगल कामनाओं की पूर्ति होती है। इसके अलावा इस दिन रात को रोटी में सरसों का तेल लगाकर किसी काले कुत्ते को खिलाना चाहिए। इससे जीवन में आने वाले सारे कष्ट और करियर में आने वाले सारे वधाओ का नाश होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि अगर सोमवती अमावस्या के दिन स्नान करके मौन व्रत धारण किया जाए तो इससे हजारों गोदान के समान फल की प्राप्ति होती है। इसके अलावा अगर दिन में पीपल और भगवान विष्णु जी के पूजन किए जाए तो भी सभी तरह की मनोकामनाएं पूर्ण होती है। पूजन के बाद पीपल के 108 बार परिक्रमा की जाती है इसके बाद प्रणाम करके जीवन में आने वाले आर्थिक समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए प्रार्थना की जाती है। साथ ही इस दिन पीपल के वृक्ष में 108 बार कच्चे सूत से लपेटे जाते हैं और गिन कर 108 फल अर्पित भी किए जाते हैं और फिर पूजा संपन्न होने के बाद ब्राह्मणों को या फिर गरीब बच्चों में यह फल बांट देने चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती साथ ही संतान भी चिरंजीवी होते हैं।
अगर आपके जीवन में लगातार कोशिशों के बाद भी धन संचय नहीं हो पा रहे हैं या किसी मामले में धारण खर्च लगता ही जा रहा है तो ज्योतिष शास्त्र में इसके भी उपाय दिए हुए हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसी स्थिति में सोमवती अमावस्या के दिन तुलसी मां के पूजन करना चाहिए इसके लिए तुलसी को जल फूल चढ़ाकर उनकी पूजा करनी चाहिए। तुलसी के पौधे के सामने धूप, दीप जलाकर श्रद्धा से “श्री हरी, श्री हरी, श्री हरी” जाप करते हुए 108 परिक्रमा करनी चाहिए। पूजा करने के बाद तुलसी मां से प्रार्थना करते हुए कहा जाता है कि हमारे जीवन में जितनी भी पैसों से संबंधित समस्याए हैं उन्हें दूर करें और धन संपत्ति से हमारे घर को भरें . इस आर्टिकल में हमने आपको सोमवती अमावस्या के बारे में सभी जानकारी दी है। यह त्यौहार हिंदू धर्म के में काफी महत्वपूर्ण होता है साथ ही हमने जो भी उपाय बताए हैं वह भी बहुत फलदाई है। आप लोग इन उपायों को सोमवती अमावस्या के दिन जरूर करके देखें आपको आपकी मनचाही फल की प्राप्ति होगी। सोमवती अमावस्या के बारे में हमारे द्वारा दी गई यह जानकारी आपको कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं और इसे ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और लाइक करें।