भारतवर्ष मैं हर साल 20 नवंबर को बाल अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। देश में जन्म लेने वाले हर एक बच्चे को अपने अपने अधिकारो को प्राप्त करने का अधिकार होता है। लेकिन कहीं ना कहीं यह संभव नहीं हो पाता इसीलिए बच्चों के अधिकारों के प्रति देश में लोगो को बच्चों के अधिकारों के बारे में जागरूक बनाने के लिए बाल अधिकार दिवस मनाया जाता है। यह दिवस राष्ट्रीय कमीशन के राष्ट्रीय सभा आयोजित करती है केवल भारत में ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में 20 नवंबर के दिन अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकार दिवस के रूप में मनाया जाता है। भारत में बच्चों की देखभाल करने, उनकी सुरक्षा करने व उनके अधिकारों को दिलवाने के लिए भारत सरकार ने साल 2007 के मार्च महीने में राष्ट्रीय बाल अधिकार सुरक्षा के लिए एक संवैधानिक संस्था का निर्माण किया गया था।
पूरे विश्व में बाल अधिकारो के पुनर्मूल्यांकन के लिए इस दिवस पर विभिन्न तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किए जाते हैं। और लोगों को यह संदेश दिया जाता है कि बाल अधिकार के अनुसार बचपन से ही बच्चो के शारीरिक, मानसिक परिपक्वता के दौरान कानूनी सुरक्षा, देखभाल व संरक्षण करना बहुत जरूरी है। बाल अधिकारों के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए विभिन्न संगठन, सरकारी विभाग, एनजीओ, नागरिक समाज समूह के अलावा भी अन्य कई संगठनों के द्वारा कई सारे कार्यक्रम के आयोजन किए जाते हैं।
बाल अधिकार मनाने के पीछे कारन
बाल अधिकार बाल श्रम, दुर्व्यवहार और बाल अधिकार से वंचित रहने के खिलाफ में कार्य करता है। जिससे बच्चे अपने बचपन के साथ सारे प्राप्त होने वाले अधिकारों को प्राप्त कर सके। बाल अधिकार बच्चो के अधिकार के क्षेत्र में कार्य करता है जिससे बच्चे दूर-व्यवहार, व्यापार और हिंसा के बजाय बच्चों की सुरक्षा और देखभाल हो सके और उनको अच्छी शिक्षा के साथ मनोरंजन, खुशी मिल सके।
बाल अधिकार के तहत लोगों को यह संदेश दिए जाते हैं कि बच्चों को उनके अधिकारो से वंचित नही करने चाहिए। जैसे कि उनके जीवन का अधिकार, उनका पहचान, उनका भोजन, पोषण, स्वास्थ्य, विकास, शिक्षा व मनोरंजन, नाम और राष्ट्रीयता, उनके परिवार के साथ ही पारिवारिक पर्यावरण, सुरक्षा, लोगों के द्वारा की गई बदसलूकी से सुरक्षा, लोगों के दुर्व्यवहार से सुरक्षा, और सबसे पहले बच्चों को गैरकानूनी व्यापार आदि में शामिल होने से बचाना।
बाल अधिकार दिवस कैसे मनाया जाता है
बाल अधिकार दिवस के अवसर पर बच्चों के लिए स्कूलों में तरह-तरह के प्रतियोगितायो के आयोजन किए जाते हैं। विभिन्न समुदायों के लोगों के बीच बाल अधिकार की जागरूकता को प्रचलित करने के लिए व बढ़ावा देने के लिए स्कूल के विद्यार्थियों के द्वारा बाल अधिकार से संबंधित कई तरह के कार्यक्रमों के साथ कई प्रकार के कविता, नृत्य, गायन इत्यादि की प्रस्तुति की जाती है।
साथ ही उनकी जरूरतों को देखना और एक व्यक्ति के रूप में बच्चों को समझने के लिए भी एक कार्यक्रम को रखा जाता है। इस कार्यक्रम में प्रतिभागी कुछ प्रश्न पूछते हैं जिसमें एक व्यक्ति या कोई इंसान के रूप में बच्चों से सवाल जवाब करते है। इसके अलावा बच्चों के लिए अच्छी सुरक्षा, खानपान, शिक्षा, खेलकूद,देखरेख, स्वास्थ्य, परिवार, कपड़े, मनोरंजन, मेडिकल, क्लिनिक, परामर्श, केंद्र भविष्य योजना, परिवहन, नई तकनीकी से आसानी से उनकी पहुंच होनी चाहिए।
कर्तव्य का वहन करने वाले की कमी और बच्चो के अधिकारों के महत्व के बारे में लोगो को जागरूक करने के लिए अधिकार धारक और कर्तव्य धारक के रिश्तों को दिखने के लिए कला प्रदर्शनी रखी जाती है। बाल अधिकार के शुरुआत के बाद से लगातार जारी मुद्दों को समझने के लिए बाल अधिकार आधारित के रास्ते पर पहुंचने के लिए सेमिनार और बहस(debate) रखी जाती है। बच्चों को उनके वास्तविक अधिकार को प्राप्त करने के लिए बाल श्रम से मुक्ति पानी होगी।
बाल अधिकार दिवस का उद्देश्य
- भारत में हर साल बाल अधिकार दिवस बच्चों के अधिकार और उनके सम्मान को सुनिश्चित करने के लिए मनाया जाता है।
- इस बात को सुनिश्चित करें कि बाल अधिकार के कानून, लक्ष्य, नियम का पालन हो सके।
- हमें बच्चों को उनके विकास, सुरक्षा और जिंदगी जीने, आनंद लेने का मौका देना चाहिए।
- पूरे देश में बाल अधिकार योजना को फैलाना, लोगों को इस बारे में प्रेरित और प्रोत्साहित करना।
- देश के हर भाग में बच्चों के रहने की स्थिति को गहराई से देखना।
- कमजोर श्रेणी के बच्चों के लिए नई बाल अधिकार नीति को बनाना और बनाकर लागू करना।
- बच्चों के खिलाफ होने वाले हिंसा दुर्व्यवहार को रोकना, उनके भविष्य के लिए समाज और कानूनी अधिकारों को प्रचारित करना।
- बच्चों के अधिकार को मजबूत करने के लिए समाज को लगातार इस पर कार्य करने के लिए प्रेरित करना।
- बच्चों के अभिभावक की मदद करना बढ़ते बच्चों के विकास के लिए 14 वर्ष की आयु से कम के बच्चों के जिम्मेदारी के लिए उनके माता-पिता को जागरूक करना।
- देश में बच्चों के व्यापार के साथ ही शारीरिक शोषण के खिलाफ कार्य के साथ विश्लेषण करना।
यह बात तो हम सब जानते ही हैं कि आज के समय में बच्चों के जीवन में उपेक्षा दुर्व्यवहार की घटनाएं काफी हद तक बढ़ गई है। लोग अपने स्वार्थ के कारण बच्चों से बाल मजदूरी, बाल तस्करी जैसे अपराध करवाने में कतई नहीं झीझकते। ऐसे में यह बहुत जरूरी है कि बच्चे अपने अधिकारों के विषय में अवगत रहे और अपने साथ हो रहे किसी तरह के भेदभाव, अत्याचार, दुर्व्यवहार होने पर वह इसके खिलाफ आवाज उठा सकें। इसके अलावा बाल अधिकार दिवस के अवसर पर विभिन्न विद्यालयों में गैर सरकारी संस्थानों द्वारा कई तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। ऐसे प्रोग्राम इसीलिए आयोजन किए जाते हैं ताकि बच्चे देखे और आत्मनिर्भर बने लोगों को बच्चों के अधिकारों के प्रति अवगत कराने के साथ बच्चों को भी उनके अधिकारों के प्रति ज्ञान हो सके और वे आने वाले समय में अपने प्रति होने वाले अत्याचार का जवाब दे सके।
हर एक बच्चे को खानपान सेहत के अधिकार के साथ खुशनुमा माहौल में रहने का संपूर्ण सुरक्षा पाने का अधिकार होता है। लेकिन कुछ हद तक बच्चों के अधिकारों का खनन किया जाता है यह सब जानते और समझते हुए भी बच्चे मन की बात कह नहीं कह पाते हैं। बाल अधिकार देश के हर बच्चे को प्राप्त अधिकार है।
शिक्षा आपका शिक्षा विकास की पहली सीढ़ी होती है शिक्षा पाना तो हर बच्चे का अधिकार होता पहला और महत्वम् अधिकार होता है। प्रारंभिक शिक्षा पूरा करना तो हर बच्चे का अधिकार होता है। पहले ही बच्चे का स्कूल छुड़वा देना बहुत गलत होता है अब तो सरकारी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा के साथ भोजन, यूनिफार्म, पढ़ने की पुस्तकें भी प्रदान की जाती है। अब तो सरकार ने ऐसे कई प्रोग्राम लॉन्च किए हैं जिससे प्राथमिक शिक्षा के साथ ही उच्च शिक्षा भी कोशिश करके पा सकते हैं।
बाल अधिकार दिवस मनाने के तहत बच्चों के किन दिशाओं पर गौर किए जाते हैं

स्वास्थ्य
अच्छा स्वास्थ्य पाना तो हर बच्चे का अधिकार होता है। अगर किसी कारण से बच्चे का स्वास्थ्य खराब हो जाता है तो उसे समय पर उचित इलाज पाने का अधिकार होता है। कई लोग ऐसे बीमारी में उपचार के बजाय अन्य उपाय जैसे कि झाड़-फूंक, अंधविश्वास पर ध्यान देते हैं। लेकिन यह ठीक नहीं है इससे और कठिन समस्या हो जाती है ऐसे में बड़ों के अंधविश्वास के बीच ही बच्चों का स्वास्थ्य गुम हो जाता है। लड़का हो या लड़की हर किसी को समय समय पर उपचार कराना चाहिए क्योंकि लड़का हो या लड़की हर बच्चे को स्वास्थ्य का अधिकार प्राप्त होना चाहिए।
प्रोत्साहन
किसी भी बच्चे के विकास में सीख बहुत महत्वपूर्ण होती है। बच्चों की सीखने की प्रक्रिया में कई बार हमसे गलतियां भी हो जाती है जोकि बहुत स्वाभाविक होते हैं। कुछ बच्चे कुछ चीजें आसानी से सीख लेते हैं तो कुछ बच्चे कुछ चीज़ों को सीखने में कुछ समय लेते हैं ऐसे में ज्यादातर माता-पिता उन्हें सजा देते हैं जो कि बहुत गलत होती है। क्योंकि बच्चों से गलती अनजाने में हो जाती हैं बच्चे आगे गलती ना करें और अपने कार्य को बेहतर ढंग से करें इसलिए बच्चों को प्रोत्साहित करना बहुत जरूरी होता है।
सुरक्षा
हिंसा करना बच्चों के अधिकार के खिलाफ होता है हर बच्चे को सुरक्षा पाने का अधिकार प्राप्त है। ताकि उसके साथ किसी प्रकार की हिंसा व दुर्व्यवहार ना हो उसका कोई यौन शोषण ना कर सके। बच्चों का अधिकार है कि वह स्वस्थ सामाजिक वातावरण के साथ विकसित हो इसके अलावा घर का वातावरण सुरक्षित और खुशनुमा रहे। ताकि बच्चों के मन में प्रभाव ना परे इसीलिए यह उनके माता-पिता की जिम्मेदारी होती है की बच्चे के लिए घर का माहौल ठीक बना रहे।
खेलकूद
बच्चों के पढ़ाई स्वास्थ्य के साथ-साथ खेलकूद भी बहुत जरूरी होता है। खेल के मैदान का मंदिर निर्माण या अन्य कामों में उपयोग करके उन्हें बच्चों को खेलने से वंचित रखना बहुत गलत होता है। इसके अलावा भी बच्चों से काम करवाने हो उनको हमेशा पढ़ाई में करने के लिए माता-पिता द्वारा दबाव डाले जाना भी बिल्कुल सही बात नहीं है। इसीलिए यह हमारा कर्तव्य है कि बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेल के लिए भी समय भी उपलब्ध कराएं ताकि बच्चों को अगर खेल में रुचि है तो वह खेल में ही अपना भविष्य बना सके, या फिर अपने बचपन को इंजॉय कर सके। कुछ लोग तो लड़का-लड़की में भेदभाव करके भी बच्चों को खेल से वंचित रखते हैं जो और ज्यादा गलत होता है। लेकिन लड़के और लड़कियां दोनों को खेल के समान अधिकार है और उन्हें अवसर देना चाहिए।
काम काज
बच्चों से काम करवाना कानूनी अपराध होता है। 14 साल से छोटे बच्चों को कारखाने जैसे और स्थानों पर काम करने की इजाजत नहीं होती। इससे बच्चो के शारीरिक और मानसिक दोनों पर प्रभाव पड़ता है। तो उसी तरह लड़कियों पर घर के काम का बोझ डालना भी गलत बात होता है। बच्चों को काम सीखने का अवसर देना सही है पर आर्थिक सहयोग के लिए उनके अधिकारों को खनन करके उनके समय को अपने काम के लिए प्रयोग करना गलत होता है। इसीलिए कभी भी बच्चों पर दबाव डालकर उसे काम नहीं करवाना चाहिए।
भरपेट भोजन
भरपेट खान-पान तो हर बच्चे का अधिकार होता है। लड़का हो या लड़की दोनों को एक साथ उचित भोजन मिलना चाहिए। हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि बच्चे भूखे ना रहे साथ ही उन्हें पोषित भोजन मिले कि उनके शरीर के साथ-साथ उनका मानसिक विकास हो सके।
विचार रखना
हर एक बच्चे को अपने विचारों को सामने रखने का और अपनी बात कहने का अधिकार होता है। यह हमारा कर्तव्य बनता है कि हम बच्चों की बातों को सुने और उन पर विचार करके फैसला करें। घर का माहौल ऐसा बनाएं कि बच्चा बेझिझक अपनी मन की बात को हमारे सामने रख सके। अपने घर का माहौल के साथ अपना और बच्चों का संबंध ऐसा बनाएं ताकि बच्चे बेझिझक अपनी मन की बात कह सके। बच्चों के लिए किए जाने वाले फैसले पर उनका मर्जी होना बहुत जरूरी होता है।