अर्नब गोस्वामी भारतीय टीवी समाचार के प्रस्तोता होने के साथ “रिपब्लिक टीवी” के प्रबन्ध संपादक और आधे से ज्यादा शेयर के मालिक है। इसके अलावा भी वे समाचार प्रसारण संघ के अधिशासी परिषद के अध्यक्ष। पिछले 4 नवंबर को मुंबई पुलिस ने अर्नब गोस्वामी को अन्वय नायक के आत्महत्या के आरोप गिरफ्तार कर लिया।
रिहाई के बाद अर्नब गोस्वामी का चैलेंज
अर्नब गोस्वामी ने रिहाई के बाद उद्धव ठाकरे को चैलेंज किया कि अगर उनको मेरे पत्रकारिता करने से इतना ही प्रॉब्लम है तो वे एक इंटरव्यू ले में उद्भव ठाकरे को डिबेट करने का ओपन चैलेंज देता हूं।
अर्णब गोस्वामी के जेल से बाहर लाने के लिए देश के युवा पीढ़ी के साथ देश के करोड़ो लोग जो अर्णब गोस्वामी के हित में उनके समर्थन में उनकी रिहाई की मांग कर रहे थे। उन सब को देख अर्नब गोस्वामी को बहुत ख़ुशी हुई।
अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी के बाद देश के युवा की भीड़ उमरी
अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी के बाद पूरी दुनिया के लोगों में आग सी लग गई। खासकर के युवा पीढ़ी के जो लड़के हैं उनको तो काफी हद तक अंदर से गुस्से में देखा गया। युवा पीढ़ी अर्नब गोस्वामी को रिहा करने के लिए हर जगह बोली लगाते हुए दिखाई दिए। उन्होंने कहा कि जो देश के हित में सोचते हैं देश के लोगों को एकत्रित करना चाहते हैं, सोते हुए नींद से जगाना चाहते हैं, उनके साथ यही होता है। हमारे देश में पहले से ही यही होता आ रहा है हमारे देश के बड़े बड़े क्रांतिकारी भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस ने जिस तरह से अच्छे कार्य के परिणाम में जेल में सजा भुगती उसी प्रकार देश के क्रांतिकारी के रूप में अर्णब गोस्वामी को भी जेल ले जाया गया। साथ ही उनके साथ महाराष्ट्र पुलिस मारपीट भी की उनके साथ बुरा व्यवहार किया। हम यह बर्दास्त नहीं करेंगे क्योंकि ऐसे कितने ही लोग होते हैं जो देश में सोते हुए गरीब के ऊपर गाड़ी चढ़ा देते हैं और उन्हें हमेशा के लिए सुला देते हैं। लेकिन अरनव गोस्वामी जैसे पत्रकार जो पूरे देश को ऐसी चीजें दिखाकर उन्हें जगाना चाहते हैं उनको बिना वजह जेल ले जाया गया, उनके साथ बुरा व्यवहार किया गया। बहुत दुर्भाग्य की बात है की जो कोई भी देश को आइना दिखाना चाहते हैं कहीं ना कहीं किसी ना किसी उपाय को अपनाकर उनकी आवाज को दबा दिया जाता है। लेकिन अब हम जाग गए है अब हम यह बर्दाश्त नहीं करेंगे।
अर्नब गोस्वामी की गलती क्या है की उन्होंने इस देश के राष्ट्रवाद के खिलाफ हिंदुत्व के खिलाफ जो षड्यंत्र हो रहे थे उन्हें तोड़ने की कोशिश की। हम सब लोगों को आईना दिखाने की कोशिश की? और इसी कारण उनके साथ इस प्रकार का बर्ताव हो रहा है। लेकिन हम यह बताना चाहेंगे कि उनके साथ जो बरताव हो रहे हैं, उन्हें जो कष्ट दिया गया इस सब से हमें भी बहुत कष्ट हुए है, देश के करोड़ों युवाओं को हुवा है। आखिर हम पूछते हैं कि अर्नब गोस्वामी की गलती क्या है ? कि उन्होंने हम सब हिंदुओं को एक करने की बात कही ? सुशांत सिंह राजपूत के मौत पर आवाज उठाई ? उनके साथ जो कुछ भी हुए सब इसीलिए क्योंकि अर्नब गोस्वामी ने इस देश को यह संकेत दिया कि अगर आप इस देश के राष्ट्रवाद की बात करेंगे, इस देश की एकाग्रता की बात करेंगे, हिंदुत्व की बात करेंगे, तो आपका यही हाल होगा। लेकिन हमारे देश के युवा कुछ हद तक तो जाग ही गए हैं कि इस देश की राष्ट्रवाद का बात करने वाले हिंदुत्व के बात करने वाले को पहचान सके। इसीलिए हम अर्णब गोस्वामी से कहना चाहते हैं कि हम उनके साथ है।
अर्नब गोस्वामी की हुइ बेल
गिरफ्तारी के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूरिका पब्लिक टीवी के editor-in-chief अर्नब गोस्वामी को जमानत दे दी। अन्वय नाइक जोकि इंटीरियर डिज़ाइनर थे उनके आत्महत्या के मामले में हिरासत जेल गए थे फिर अदालत ने 50 हजार के निजी मुचलके पर अर्नब गोस्वामी को रिहा करने का हुकुम दिया। अर्नब गोस्वामी के सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में अर्णब गोस्वामी की तरफ से वकील की तरफ से हरीश साल्वे पेश हुए। उन्होंने कहा कि अन्वय नाइक की फर्म पिछले 7 साल से घाटे में डूबी हुई थी यह मुमकिन हो सकता है कि उसने पहले अपनी मां को कॉल किया हो और उसके बाद खुद सुसाइड कर लिया हो।
हरीश साल्वे ने यह भी दावा किया कि अर्नब गोस्वामी ने सभी बकाया तय किए वक्त पर अदा किया था। और पुलिस पर आरोप लगाते हुए कहा कि रायगढ़ पुलिस ने सुसाइड मामला दोबारा खोलने में सही कानून पर अमल नहीं किया। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र पुलिस ने अर्णब गोस्वामी को 4 नवंबर के दिन गिरफ्तार किया था, लेकिन ऐसे में मजिस्ट्रेट को उन्हें निजी मुचलके पर रिहा कर देना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उनके वकील हरीश साल्वे ने कोर्ट से मांग की है कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ चल रहे मुकदमे को अब सीबीआई(CBI) के हैंड ओवर कर दिया जाए। उन्होंने कोर्ट से यह भी अपील करते हुए कहा कि अगर अर्नब गोस्वामी को जमानत दे जाए अगर उनको ज़मानत नहीं दी जाएगी तो कोई आसमान नहीं टूट पड़ेगा।
अदालत में जब सुनवाई हुई तो सुनवाई के दौरान महाराष्ट्र सरकार को सलाह देते हुए कहा गया कि, हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है। महाराष्ट्र सरकार को इस सब को (टीवी पर अर्नव गोस्वामी के तानों को) नजर अंदाज करना चाहिए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि मैं अर्नब का चैनल नहीं देखता और आपकी विचारधारा भी अलग हो सकती है। लेकिन कोर्ट अभिव्यक्ति की आजादी की रक्षा नहीं करेगा तो यह रास्ता उचित नहीं है।
अर्नब गोस्वामी का जीवन
अर्नब गोस्वामी का जन्म असम के गुवाहाटी में साल 1973 में 7 मार्च के दिन हुआ था। वह एक असमिया परिवार से हैं अर्नब के पिता एक सेना अधिकारी हैं और इसीलिए उन्होंने अपनी शिक्षा विभिन्न स्थानों से पूरी की। इन्होंने 10th बोर्ड की परीक्षा माउंट सैंट मैरी स्कूल से दी जो कि दिल्ली के छावनी में स्थित है और अपनी 12th की परीक्षा इन्होंने जबलपुर के छावनी में रहने वाले केंद्रीय विद्यालय से पूरी
की। उसके बाद उन्होंने समाजशास्त्र में अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई दिल्ली के हिंदू महाविद्यालय से पूरी की फिर उन्होंने सामाजिक नृविज्ञान में मास्टर्स डिग्री भी हांसिल की। और यह डिग्री उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सेंट अंतोनी विश्वविद्यालय से साल 1994 में पूरी की। अर्नब गोस्वामी साल 2000 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय के सिडनी का ससेक्स कॉलेज के इंटरनेशनल स्टडीज विभाग के एक विजिटिंग फेलो भी रहे थे। इनके परिवार की बात करें तो अर्णब गोस्वामी की पत्नी का नाम पीपी गोस्वामी है और दोनों का एक बेटा है।
अर्नब गोस्वामी ने अपने करियर की शुरुआत “द टेलीग्राफ”, कोलकाता से की। जहां पर वे 1 वर्ष समाचार पत्र के संपादक के तौर पर काम किए उसके बाद साल 1998 में “द टी वी” में काम करना शुरू किया जहां पर वे एक दैनिक समाचार के एंकर रहे थे और न्यूज़ टुनाईट नामक एक कार्यक्रम के रिपोर्टिंग करते थे। साल 1998 में अर्नब एनडीटीवी के हिस्सा बने जहां वे न्यूज़ और नामक कार्यक्रम के एंकरिंग करते थे।
इतना लंबा समाचार विश्लेषण किसी दूसरे चैनल में नहीं दिखाया जाता था। एन.डी.टी.वी के वरिष्ठ संपादक होने के कारण वे पूरे चैनल के प्रकरण के संपादन के भी जिम्मेदार थे। अर्नब गोस्वामी एन.डी.टी.वी के समाचार संपादक के तौर पर प्रमुख टीम का हिस्सा रहे और साल 1998 से साल 2003 तक के बीच न्यूज़ ओवर का संचालन किया। फिर एन.डी.टी.वी में वे वरिष्ठ संपादक के तौर पर काम करने लगे और साल 2006 में “टाइम्स नाउ” में जाने के से पहले अरुण गोस्वामी वहीं वरिष्ठ संपादक के तौर पर काम करते रहे। फिर उन्हें संपादकीय निदेशक और प्रधान संपादक से हटाकर टाइम्स नाउ और ईटी नाऊ का प्रेसिडेंट- न्यूज़ और प्रधान संपादक बनाया गया। अर्नब गोस्वामी ने कुछ किताबें भी लिखी है जैसे कि द लीगल चैलेंज, कोमपेटिबल चेलैंज इत्यादि।