Wednesday, November 29, 2023
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जलेबी एक मुस्लिम पकवान है या हिन्दू: अगर भारत में जलेबी मुस्लिम लेकर आये थे तो फिर यह कैसे संभव है?

जलेबी का नाम सुनते ही हर किसी के मुंह में पानी आ जाता है। दुनिया में ऐसे कम ही लोग होंगे जो जलेबी पसंद नहीं करते हैं क्योकि जलेबी खाने के शौकीन हर कोई होता है। अगर कभी किसी को मीठा खाने का मन करे तो घर में सबसे पहले जलेबी ही मंगाई जाती है। उसके अलावा अगर कहीं बाहर घूमने या खाने पीने की बात छिड़े तो भी लोग जलेबी खाने बाहर जाते हैं। दशहरा, दिवाली जैसे त्योहारों पर भी लोग जलेबी को महत्वपूर्ण मानते हैं और लोगों के घर में पहले जलेबी ही दस्तक देती है। जलेबी की मिठास ही ऐसी होती है कि हर किसी को जलेबी खाते वक्त अपनी पुरानी कोई न कोई कहानी याद आ जाती। चलिए आज हम आप लोगों को जलेबी के बारे में ही बताते है।

क्या आप लोग जानते हैं की लोगों के लजीज मिठाई जलेबी, जो हर नुक्कड़ से लेकर बड़े-बड़े होटलों में पाई जाती है यह मिठाई भारत में नहीं बनी बल्कि यह मिठाई किसी और देश की है, जो हमारे देश में पहुंची। शायद आप लोग यह नहीं जानते कि पहली बार जलेबी को भारत में नहीं बनाया गया। जलेबी की खोज भारत में नहीं बल्कि पश्चिम एशिया में हुई थी। कहा जाता है कि जलेबी को मुस्लिम लोग रमजान के समय गरीबों में बांटने के लिए बनाते थे। इरान में इसे जलेबिया, जोलबीया इत्यादि कहा जाता था। क्या आप लोग जानते हैं जलेबी इतनी फेमस मिठाई है कि इसके बारे में किताबों में भी लिखा जा चुका है। 13 वी शताब्दी में मोहम्मद बिन हसन अल-बगदादी ने प्रसिद्ध व्यंजनों की एक किताब लिखी जिसका नाम था किताब अल तबीख । इस किताब में उन्होंने जलेबी के जिक्र किया था। कहां जाता है की यह मिठाई मध्यकाल में फारसी और तुर्की व्यापारियों के साथ भारत में आई थी। फिर इसे हमारे देश में भी बनाया जाने लगा। लेकिन जलेबी के बारे में हमने जो आपको यह सब बताया है यह कितना सच है यह कहा नहीं जा सकता। क्योकि इसके विपरीत कुछ बाते खुल कर आई है, कई सवाल खड़े हो गए हैं जिससे इस बात को मानने में शंका हो रही है। यह बातें ट्विटर के द्वारा सामने आई है तो चलिए जानते हैं कि जलेबी के बारे में लोगों के क्या क्या राय है।

जलेबी एक मुस्लिम पकवान है या हिन्दू: अगर भारत में जलेबी मुस्लिम लेकर आये थे तो फिर यह कैसे संभव है?

“गुजरात हिस्ट्री” नाम के एक टि्वटर हैंडल ने यह दावा किया है कि भारत में जलेबी मुसलमानों की देन है और जलेबी नाम अरबी के शब्द जलाबिया से निकला है। और फारसी में इसे जलिबिया कहते हैं जो भारत का मशहूर मिष्ठान है। इसके अलावा भी मुस्लिम लोग ही, भारत देश में चपाती बनाने की कला, कुल्फी, गुलकंद, गुलाब जामुन, जलेबी, पुलाव, फालूदा, बर्फी, बिरंज, मुरब्बा, शिरो और शक्कर पारा लेकर आए थे। गुजरात हिस्ट्री ट्वीट में लिखती है कि मध्यकाल में कई सदियों तक मुस्लिमों ने भारत में राज किया। इसके बाद उन्होंने यह भी लिखा कि कुछ लोग हो सकते हैं उनके ट्वीट को पसंद करें लेकिन कुछ लोग इसे ना पसंद करेंंगे लेकिन वह ऐतिहासिक तथ्यो को बदल नहीं सकते।

बताते चलें कि अपने इस ट्वीट का स्रोत उन्होंने गुजरात की एक इतिहासिक किताब को बताया है।  उस किताब का नाम है “भारत का सांस्कृतिक इतिहास” साथ ही उन्होंने ट्वीट में यह भी लिखा है कि मुस्लिमों के 550 साल के शासन काल में मुस्लिम और हिंदुओं के बीच खान-पान, रहन-सहन, भाषा, मान्यता, संस्कृति और परंपराओं का आदान-प्रदान हुआ। गुजरात हिस्ट्री के इस दावे पर कुछ लोगों ने काफी नाराजगी जाहिर की है।

वही, आदि नाम के एक ट्विटर यूजर ने यह दावा किया कि जलेबी नाम की मिठाई प्रभु राम जी के जन्म दिवस पर बनाई जाती थी। जिसका जिक्र हिंदुओं के आध्यात्मिक पुस्तक रामायण में है उस समय जलेबी को “कर्णशष्कुलिका” कहा जाता था।

उसके बाद राज शर्मा नाम के एक ट्विटर यूजर ने बताया कि जलेबी कान के पन्ना जैसी लगती है और इसीलिए इसका नाम “कर्णशष्कुलिका” रखा गया था। इसके अलावा भी 17 वी सदी की किताब में एक मराठा ब्राह्मण रघुनाथ ने जलेबी बनाने की विधि का उल्लेख कुण्डलिनि नाम से किया था। इसका आधार “भोजनकुतूहल” नाम की किताब है।

वहीं राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों के जानकार दिव्य कुमार सोती जी ट्विटर पर लिखते हैं कि “बर्फी बनाने के लिए दूध, बिरयानी बनाने के लिए चावल, मुरब्बा बनाने के लिए आंवला और जलेबी बनाने के लिए गुड़-चीनी मुसलमान, अरब के रेगिस्तान से भारत लेकर आए थे। इतिहास नहीं जानते तो कम से कम आपको भूगोल और खेती का तो पता होना चाहिए”।  

इसी तरह एक और यूजर @commentlogy ट्वीट कर लिखते हैं कि मुगलों से पंद्रह सौ साल पहले संगम काल में तमिल कविता में जिक्र है कि आखिर कैसे मसालों और चावल से मीट बनता था। इसीलिए यह मानना कि पुलाव बनाना मुगलों ने सिखाया, गलत है।

डॉक्टर पीएस विष्णुवर्धन लिखते हैं, कि “तो धरती के सबसे अमीर भारतीय, तब तक क्या आदिकाल की तरह कच्चा मांस खाते थे, जब तक धरती के सबसे ग़रीब इलाकों से मुगल यहां आइसक्रीम और बिरयानी नहीं लेकर आए थे।

तो वही टि्वटर के मशहूर टि्वटर अकाउंट “ट्र इंडोलॉजी” भी गुजरात हिस्ट्री को चपाती बनाने की विधि पर पूछते हैं कि, रोटी बनाने की विधि भारत में मुस्लिम लेकर आए थे ? फिर कहते हैं “महान चपाती मुलत: संस्कृत शब्द चर्पटी से निकला है, जबकि दोनों का अर्थ एक ही होता है। फारसी और अरबी में ऐसे कोई शब्द नहीं है। चटपटी का उल्लेख अम्राकोसा में है, जिसे पैगंबर के जन्म से सैकड़ो साल पहले लिखा गया था।

जलेबी जिसे हर कोई चाव से खाता है उसे अलग अलग जगहों में अलग अलग नाम से जाना जाता है। जैसे पश्चिमी एशिया में जलेबी को जिलपी, जिबली, जेल्पी, इमरती, जहांगीरी, और पाक के नाम से भी जाने जाते हैं। जलेबी का नाम और इसका टेस्ट हर समुदाय और देश के साथ साथ बदलता जाता है। कुछ देशों में जलेबी को चावल और उड़द दाल के आटे के साथ बनाया जाता है और वहीं कुछ देशों में इसे सिर्फ बेसन और आटे से बनाया जाता है।  

निष्कर्ष —
आशा करतेे हैं यह आर्टिकल पसंद आया। अगर आपके पास भी जलेेबी और इसके उत्पत्ति को लेकर कोई खास इन्फॉर्मेशन है तो हमारे साथ जरूर शेयर करें। पोस्ट को पूरा पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

Jhuma Ray
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नमस्कार! मेरा नाम Jhuma Ray है। Writting मेरी Hobby या शौक नही, बल्कि मेरा जुनून है । नए नए विषयों पर Research करना और बेहतर से बेहतर जानकारियां निकालकर, उन्हों शब्दों से सजाना मुझे पसंद है। कृपया, आप लोग मेरे Articles को पढ़े और कोई भी सवाल या सुझाव हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क करें। मैं अपने Readers के साथ एक खास रिश्ता बनाना चाहती हूँ। आशा है, आप लोग इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।
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