Tuesday, September 26, 2023
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करवा चौथ 2020: जानिए इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और करवा चौथ से जुड़ी कहानी।

आज की पोस्ट में हम करवा चौथ के बारे में बात करेंगे। इस साल यानी 2020 में करवा चौथ 4 नवंबर को पड़ रहा है। आज के पोस्ट में हम करवा चौथ का महत्व, इस व्रत के पीछे की कहानी और करवाचौथ से जुड़ी और भी कुछ खास बातों के बारे में जानेंगे। तो चलिए पोस्ट को पूरा पढ़ते हैं।

करवा चौथ: 2020

इस साल 2020 में कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी तिथि पर संकष्टी श्रीगणेश करक चतुर्थी व्रत यानी करवा चौथ व्रत इंग्लिश कैलेंडर के हिसाब से 4 नवंबर बुधवार के दिन होगा। यह व्रत पति के दीर्घायु, यश, कीर्ति और सौभाग्य वृद्धि के लिए किया जाता है। कहा जाता है कि यह व्रत कठिन होता है और चौथी दिन मनाया जाता है इसीलिए इसे करक चौथ का व्रत भी कहा जाता है। इस साल यह व्रत 4 नवंबर बुधवार के दिन होगा। जानकारी के हिसाब से शाम को करीब 7:57 पर चंद्रोदय होगा चंद्रोदय होने के बाद व्रत करने वाले चंद्रमा को देखने और उन्हें अर्ग देकर चंद्रमा की पूजा करके परंपरागत तरीके से इस व्रत खोल सकते है।

2020 करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त

4 नवंबर बुधवार के दिन करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5:34 से शाम 6:52 तक रहेगा इस बीच आपको करवा चौथ की पूजा कर लेना है।

करवा चौथ पूजा की सामग्री

करवा चौथ में महिलाओं को मिट्टी का ढक्कन पानी का लोटा, गंगाजल, धूप, दीप, चंदन, कुमकुम, अक्षत, फूल, कच्चा दूध, दही, घी, शहद, चीनी, हल्दी, चावल, मिठाई, मेहंदी, महावर, सिंदूर, कंघी, बिंदी, चुड़ी, चुनरी, बिछुआ, गौरी माता की प्रतिमा बनाने के लिए मिट्टी या फिर गोबर,लकड़ी से बना हुआ एक छोटा आसन, छलनी, आठ पुरिया की अवधि, हलवा और दक्षिणा के पैसों की आवश्यकता होती है।  

करवा चौथ की पूजा अर्चना कैसे करें

सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर सरगी ग्रहण करना चाहिए और फिर दिन भर निर्जला उपवास रखना चाहिए। थोड़ा सा चावल पहले से भीगा कर रखे और उस चावल को पीसकर के घोल बनाकर फलक पर करवा का चित्र बनाएं, इस दिन कुछ पकवान भी बना ले और मीठे मैं मीठा हलवा या खीर बना ले। इस दिन पीली मिट्टी या फिर गोबर की मदद से माता पार्वती की एक प्रतिमा बनाएं और इस प्रतिमा को लकड़ी के आसन पर बिठाकर मेहंदी, महावर, सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, चुनरी, बिछुआ इत्यादि अर्पित करके जल से भरा हुआ एक लोटा रखे और इस प्रकार सभी चीज़े अर्पित करके धुप दीप जलाकर शिव माता पार्वती, पुत्र गणेश और कार्तिक की पूजा करे।  

करवा चौथ कहाँ का त्यौहार है और इस व्रत को कौन कर सकता है

करवा चौथ का व्रत हिंदुओं का एक प्रमुख त्यौहार होता है। यह त्योहार भारत के उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान इत्यादि जगहों का प्रमुख पर्व है। यह पर्व कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। यह व्रत सूर्योदय से पहले ही भोर 4:00 बजे शुरू हो जाता है सरगी खाने से लेकर रात को चंद्रमा दर्शन के बाद तक यह पर्व चलता है। भले ही यह पर्व कुछ जगहों का प्रमुख पर्व है लेकिन इस पर्व को भारत के ज्यादातर जगहो पर ही मनाते हैं। ग्रामीण स्त्रियों से लेकर आधुनिक महिलाएं भी अपने सौभाग्य प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती है। शास्त्रों के अनुसार पति के दीर्घायु एवं अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी के दिन यह व्रत करना चाहिए।

यह व्रत 12 वर्ष और 16 वर्ष तक लगातार हर वर्ष किया जाता है और अवधि पूरी हो जाने के बाद इस व्रत का उद्यापन किया जाता है। जो सुहागिन स्त्रियां जीवन भर इस व्रत को रखना चाहती हैं वह भी जीवन भर इस व्रत को कर सकती हैं। कहा जाता है कि इस व्रत के तरह सौभाग्य दायक दूसरा अन्य कोई व्रत नहीं होता। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही इस पर्व को करने का अधिकार है। स्त्री चाहे किसी भी जाति, किसी भी आयु, किसी भी संप्रदाय की क्यों न हो सबको इस व्रत को करने का अधिकार होता है। सुहागन महिलाएं अपने पति के लंबी आयु व उनके स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करके यह व्रत करती है।

करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा का महत्व

करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा का विशेष महत्व होता है। संध्या के समय व्रत करने वाली स्त्री यह पूजा करके चंद्रमा को अर्घ्य प्रदान करती है फिर पति की पूजा करती है। फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत को खोलती है हिंदू धर्म के अनुसार चंद्रमा को भगवान विष्णु जी का रूप माना जाता है। चंद्रमा को लंबी आयु का वरदान प्राप्त हुआ है चंद्रमा में सुंदरता, प्रेम तथा लंबी आयु जैसे विशेष गुण होने के कारण प्रत्येक महिला चंद्रमा को देखकर यह कामना करती है कि उनके पति में ही ये प्रत्यय गुण हो।

करवा चौथ 2020: जानिए इस व्रत का महत्व, पूजा विधि और करवा चौथ से जुड़ी कहानी।

चौथ माता का मंदिर  

भारतवर्ष में वैसे तो चौथ माता जी के कहीं-कहीं मंदिर स्थित है लेकिन सबसे प्राचीन और सबसे विख्यात मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के चौथ का बरवाड़ा गांव में स्थित है। चौथ माता के नाम पर इस गांव का नाम बड़वारा से चौथ का बरवाड़ा किया गया है। और चौथ माता का वह मंदिर की स्थापना महाराजा भीम सिंह चौहान ने की थी।

करवा चौथ व्रत रखने से जुड़ी कुछ जरुरी जानकारी

* देखा जाता है कि कुछ महिलाएं कथा सुनने में रुचि नहीं रखती और वे कथा में अपना ध्यान भी नहीं लगाती है। तो कुछ महिलाएं समय के अभाव से भी कथा नहीं सुनती लेकिन जितना जरूरी होता है व्रत रखना, पूजा अर्चना करना, उतना ही जरूरी होता है करवा चौथ व्रत का कथा सुनना।

* करवा चौथ व्रत के दौरान पानी या चाय पीना नहीं होता है।

* करवा चौथ के दिन और काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए इस दिन लाल और पीले कपड़े ही पहनना शुभ होता है।

* पहली बार व्रत करने पर सासु माँ के हाँथ से सरगी खाना चाहिए।

* करवा चौथ व्रत को पति के हाँथ से पानी पीकर खोलना चाहिए।  

करवा चौथ व्रत कथा

कुछ समय पहले की बात है एक साहूकार के सात बेटे थे और उनकी एक बहन थी जिसका नाम था करवा। सभी सातों भाई अपनी बहन करवा से बहुत ज्यादा प्यार करते थे यहां तक कि वे भाई पहले अपनी बहन करवा को खिलाते थे फिर खुद खाते थे। एक बार की बात है करवा ससुराल से मायके आई हुई थी शाम को जब सारे भाई खाना खाने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन को बुलाया लेकिन बहन ने कहा कि वह आज करवा चौथ का निर्जला व्रत रखी है इसीलिए वह तब तक खाना नहीं खाएगी जब तक चंद्रमा को देखकर उनको अर्ग नही देगी। और अभी तक चंद्रमा अभी तक नहीं निकले हैं इसीलिए वह भूख प्यास से व्याकुल हो रही है।

करवा की बातें सुनकर उसके सबसे छोटे भाई से अपनी बहन की भूखी प्यासी हालत देखी नहीं गई और वह दूर के एक पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। जिससे उसके घर से वह चांद जैसा दिखने लगता है जैसे चतुर्थी का चांद उदित हो रहा हो वैसा दिखाई पड़ने लगता है। इसके बाद बहन करवा को बताता है कि देखो चांद निकल आया है तुम उससे अर्घ देकर भोजन कर सकती हो करवा बहुत खुश हो जाती है वह सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखती है और अर्घ देकर खाना खाने बैठ जाती है। जब वह पहला टूकरा मुंह में डालती है तो उसे पहले छींक आ जाती है, जब दूसरा टुकड़ा डालती है तो उसमें एक बाल निकल आते हैं और जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश करती है तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिलता है। ऐसे में वह बौखला जाती है फिर उसकी भाभी उसे सच्चाई बताती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण भगवान उससे नाराज हो गए हैं और उन्होंने उसे यह सजा दिया उसके बाद करवा सच्चाई जानने के बाद निश्चय करती है कि वह अपने पति का अंतिम संस्कार नहीं होने देगी।

वह अपने सतीत्व से उसे पुनर्जीवन दिलाकर ही रहेगी। वह पूरे 1 साल तक अपने पति के शव के पास बैठी रहती है और उसकी देखभाल करती है इसके ऊपर उगने वाले घास को वह एकत्रित करती जाती है। 1 साल बाद वह फिर करवा चौथ का दिन आता है उसकी सभी भाभियों करवा चौथ का व्रत रखती है जब भाभीया उसे आशीर्वाद लेने आती है तो वह प्रत्येक भाभी से श्याम सुई ले लो पिया सुई दे दो मुझे भी अपनी जैसी सुहागिन बना दो ऐसा आग्रह करती है। लेकिन हर बार भाभी उसे अगली भाभी से आग्रह करने का कह कर चली जाती है। इस प्रकार जब छठे नंबर की भाभी आती है तो करवा उससे भी यही बात कहती है यह भाभी उसे बताती है कि सबसे छोटे भाई की वजह से ही उसका व्रत टूटा था इसीलिए उसकी पत्नी में ही शक्ति है कि वह तुम्हारे पति को दो आप दोबारा जीवित कर सकती है। तो जब वह आए तो तुम उसे पकड़ लेना और जब तक वह तुम्हारे पति को जिंदा ना कर दे उसे छोड़ना मत ऐसा कह कर वह चली जाती है। उसके बाद सबसे अंत में छोटी भाभी आती है करवा उस भाभी से भी सुहागिन बनने का आग्रह करती है लेकिन वह टालमटोल करने लगती है ऐसा देख करवा उन्हें जोर से पकड़ लेती है और अपने सुहाग को जिंदा करने के लिए कहती है। भाभी उसे छुड़ाने के लिए नोचती है बकोटती है। लेकिन करवा भाभी को नहीं छोड़ती लेकिन अंत में उसकी तपस्या को देख कर भाभी भी पसीज जाती है और अपनी छोटी अंगुली को चीरकर उसमें से अमृत उसके पति के मुंह में डाल देती है। करवा का पति तुरंत श्री गणेश, श्री गणेश कहता हुआ उठ कर बैठ जाता है इस प्रकार प्रभु कृपा से उसकी छोटी भाभी के द्वारा करवा को अपना सुहाग वापस मिल जाता है। इस प्रकार है श्री गणेश जिस प्रकार करवा को चिरसुहागण रहने का आशीर्वाद मिला उसी प्रकार हर एक को सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद मिले।

आपको करवा चौथ से जुड़ी यह जानकारी कैसी लगी हमें कमेंट करके जरूर बताएं और इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लाइक करें।

Jhuma Ray
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नमस्कार! मेरा नाम Jhuma Ray है। Writting मेरी Hobby या शौक नही, बल्कि मेरा जुनून है । नए नए विषयों पर Research करना और बेहतर से बेहतर जानकारियां निकालकर, उन्हों शब्दों से सजाना मुझे पसंद है। कृपया, आप लोग मेरे Articles को पढ़े और कोई भी सवाल या सुझाव हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क करें। मैं अपने Readers के साथ एक खास रिश्ता बनाना चाहती हूँ। आशा है, आप लोग इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।
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