इस साल शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर यानी कि शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा। शास्त्रों के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी की उपासना करने से धन सम्पत्ति में वृद्धि होती है। माना जाता है कि इस दिन विधि विधान से देवी की आराधना करने वाले लोगों पर माता लक्ष्मी की सदा ही कृपा बरसती है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको शरद पूर्णिमा से जुड़ी सारी जानकारी देंगे जैसे कि शरद पूर्णिमा पर पूजा की तिथि क्या रहेगी शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा विधि क्या होगी शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा करने का महत्व क्या होता है इत्यादि
शरद पूर्णिमा आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी का जन्म हुआ था। कहा जाता है कि इस दिन माता लक्ष्मी धरती पर विचरण करती है। धर्म ग्रंथों के अनुसार शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत की वर्षा करते हैं। शरद पूर्णिमा को कौमुदी यानी कि मूनलाइट या कोजागरी पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
शरद पूर्णिमा की पूजा विधि
शरद पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि से निबृत होकर साफ कपड़े पहने फिर एक चौकी ले और उस पर गंगाजल छिड़ककर जगह को पवित्र करे और उस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर माता लक्ष्मी सहित भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। और उनके सामने घी का दीपक जलाएं और भगवान विष्णु, और माता लक्ष्मी को कुमकुम का तिलक लगाएं।
शरद पूर्णिमा के दिन व्रतियों को अपने इष्ट देवता की पूजा करनी चाहिए। इस दौरान लोगों को तामसिक भोजन ग्रहण नहीं करने चाहिए। उसके बाद माता लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाकर उनको सफेद मिठाई और खीर का भोग लगाना चाहिए। उसके बाद धूप दीप नैवेद्य इत्यादि को शामिल करके माता के की पूजा-अर्चना करनी चाहिए फिर मां लक्ष्मी के मंत्रों का पाठ करके माता लक्ष्मी की आरती करनी चाहिए।
उसके बाद माता लक्ष्मी को लाल फूल अर्पित करे हो सके तो माता को कमल का फूल चढ़ाएं और विष्णु जी को कोई भी पीला फूल चढ़ाएं आपको पता होगा माता लक्ष्मी के आठ स्वरूप होते हैं धन लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, आधी लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी और धान्य लक्ष्मी 8 नामों को लेकर माता लक्ष्मी को प्रणाम करें उसके बाद चार कटोरिया में माता को खीर का भोग लगाएं उसके बाद महालक्ष्मी स्त्रोत, लक्ष्मीनारायण स्रोत, ह्रदय स्त्रोत, विष्णु स्तुति और कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें ।
और उसके बाद रात को खीर के कटोरियों को चंद्रमा की रोशनी में कुछ देर के लिए किसी वस्तु जैसे चलनी से ढक कर रख दे और अगले दिन स्नान करके महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना करके घर के सभी सदस्यों में माता लक्ष्मी के भोग को बाट कर खाए कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में रखी गई खीर खाने से रोग या प्राप्त होती है यानी कि लोगों को स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है । शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक रहती है और चंद्रमा के रौशनी में औषधीय गुण मिलते हैं जिस कारण लोग खीर बनाकर उसे चंद्रमा की रोशनी में रखकर चंद्रमा के औषधीय गुण को खीर में प्राप्त करते हैं और उस खीर को खाकर बीमारियों से छुटकारा पा लेते हैं।
शरद पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त
शरद पूर्णिमा की तिथि प्रारंभ होगी 30 अक्टूबर शुक्रवार की शाम 5:45 से और समाप्त होगी 31अक्टूबर शनिवार की रात 8:18 बजे।
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त -20 अक्टूबर शुक्रवार के दिन शाम 5:26 से शाम 6:55 तक रहेगा।
निशिता पूजा का शुभ मुहूर्त -30 अक्टूबर शुक्रवार को रात 11:42 से रात 12:27 तक रहेगा।
शरद पूर्णिमा के दिन और क्या क्या किया जाता है
सनातन धर्म के अनुसार पान का प्रयोग बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि पान के पत्ते को पवित्र माना जाता है। क्योकि पान समृद्धि का प्रतीक होता है इसीलिए शरद पूर्णिमा के दिन माता लक्ष्मी की पूजा करते समय उनको पान जरूर अर्पित करें।
इस तिथि पर दान करने का भी काफी महत्व होता है। ऐसे में अगर आप पूर्णिमा पर दान करना चाहते हैं, हवन पूजन करना चाहते हैं, तो आप एक 30 अक्टूबर के दिन कर सकते हैं। पूर्णिमा पर खरीदारी का भी विशेष महत्व माना जाता है। इसके अलावा इस दिन रात्रि जागरण ब्राह्मण भोज व दक्षिणा देना भी उत्तम माना जाता है।
चन्द्रमा की पूजा करे
इस दिन शाम को चंद्रमा उदय होने के बाद चंद्रमा की भी विशेष पूजा की जाती है। और चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पित किया जाता है।
दीपक जलाए
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह तुलसी माता के सामने एक दीपक जरूर जलाएं और शाम को हनुमान जी के सामने भी चौमुखी दीपक जलाकर रखें इससे माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है और धन लाभ होता है।
शरद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का महत्व
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा के दिन व्रत रखने का काफी महत्व होता है। इस दिन व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है और घर में धन की कमी नहीं होती। इस व्रत को करने से धन संपत्ति से जुड़ी सभी परेशानियों का हल निकलता है। इस व्रत को कौमुदी व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत केवल धन संपत्ति के लिए ही नहीं बल्कि इस व्रत को करने से जिन विवाहित स्त्रियों को संतान की प्राप्ति नहीं होती वे विवाहित स्त्रियां अगर शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना करें, चंद्रमा की पूजा करें और विधिवत सारे नियमों को का पालन करके व्रत रखे तो जल्द ही उनको संतान की प्राप्ति होती है। यह भी कहा जाता है कि इस दिन अगर संतान के लंबी उम्र की कामना की जाए तो वह मनोकामना भी पूर्ण होती है साथ ही कुंवारी कन्यायो को भी इस व्रत को करने से सुयोग्य वर प्राप्त होता हैं।