देश के लोगों के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर निकल कर आई है। दरअसल अब देश के किसी भी कोने में रहने वाला कोई भी नागरिक दुनिया का सबसे बेहतरीन जगह कश्मीर में अपने सपनों का घर बना सकता है और केवल घर ही क्यों अब देश के लोग कश्मीर में जमीन खरीद कर कारोबार के लिए दुकान और किसान कृषि भूमि खरीद कर उस भूमि पर तरह-तरह की खेती कर सकता है इसके लिए उन्हें ना ही डोमिसाइल सर्टिफिकेट की जरूरत होगी और ना ही स्थाई नागरिकता प्रमाण पत्र याने की पीआरसी की जरूरत होगी। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम लागू होने के लगभग 1 साल के बाद मोदी सरकार ने भूमि स्वामित्व अधिनियम संबंधी कानूनों में संशोधन करते हुए जमीन के मालिकाना हक से संबंधित 12 कानूनों को निरस्त कर दिया है। इस संबंध में केंद्रीय कानूनों को लागू करने के लिए जम्मू कश्मीर पुर्नगठन तृतीय आदेश 2020 जारी किया गया है।

इस संशोधन के अनुसार जम्मू कश्मीर में जमीन के मालिकाना अधिकार, जमीन के विकास, वन भूमि, कृषि भूमि सुधार तथा जमीन आवंटन संबंधी सभी कानूनों में से जम्मू कश्मीर के स्थाई नागरिक शब्द को हटा दिया गया है। जम्मू कश्मीर वन अधिनियम की जगह भारतीय वन अधिनियम ने ले ली है। यह एक सुनहरा संयोग ही है कि यह फैसला भारतीय सेना के जम्मू कश्मीर में आगमन और जम्मू कश्मीर के भारत में विलय की 73 वीं सालगिरह के मौके पर लिया गया है।
कृषि भूमि के लिए कोई बदलाव नहीं
नए कानूनों के मुताबिक कृषि भूमि किसानों को ही दी जा सकेगी लेकिन यह किसान जम्मू कश्मीर का निवासी होगा या देश के किसी अन्य हिस्से का रहने वाला इस बारे में अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। इसके अलावा राजस्व विभाग के वित्ता युक्त की अध्यक्षता में राजस्व बोर्ड भी बनाया जाएगा और नियंत्रण के लिए मुख्य प्राधिकरण में बनेगा और यह तय करेगा कि जमीन किस को पट्टे पर देनी है और जमीन का कैसे इस्तेमाल होगा।
इस नए नियम से राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकी संतुलन का एक स्वतः तंत्र विकसित होगा और इससे अलगाववाद और आतंकवाद की जड़ें भी कमजोर होगी और प्रदेश में जिहादी मानसिकता के बढ़ते प्रभाव को भी रोकने में मदद मिलेगी। 5 अगस्त 2019 से पहले जम्मू कश्मीर राज्य की अलग संवैधानिक व्यवस्था थी, उस व्यवस्था में सिर्फ जम्मू-कश्मीर के स्थाई नागरिक ही जमीन खरीद सकते थे देश के किसी अन्य भाग का नागरिक कुछ और कानूनी औपचारिकताओं को पूरा कर किराए पर या पट्टे पर जमीन ले सकते थे। लेकिन अब नियमों में बदलाव हो गए हैं, जो नागरिकों के लिए बहुत खुशी की खबर साबित होगी।
कुछ खास बदलाव के साथ अब नया कश्मीर
★ अब से सेना के कोर कमांडर रैंक के अधिकारी के लिखित आग्रह पर जम्मू कश्मीर सरकार किसी भी क्षेत्र को रणनीतिक क्षेत्र घोषित कर सकती है।
★ स्वास्थ्य एवं चिकित्सा क्षेत्र तथा उच्च शिक्षा के प्रचार प्रसार के लिए सरकार किसी भी व्यकि विशेष या संस्थान के पक्ष मे जमीन के हस्तांतरण की अनुमति दे सकती है।
★ विस्थापित और शरणार्थियों के लिए इवेक्यू (पाकिस्तान पलायन कर गए लोगों की संपत्ति) संपत्ति के अधिकार बहाल कर दिए गए है। इवेक्यू प्रॉपर्टी अधिनियम में सिर्फ 1947 के शरणार्थियों को ही जमीन, मकान या दुकान किसी दूसरे के नाम पर हस्तांतरित करने या फिर उनका पूर्ण मालिकाना हक प्राप्त करने का अधिकार था। लेकिन अब नियम में बदलाव हो गया है। अब से वर्ष 1965 और 1971 के शरणार्थियों को भी यह अधिकार प्राप्त होगा।
★ राज्य के बाहर रह रहे व्यक्ति को पीढ़ी दर पीढ़ी खेती करने के बावजूद भी जमीन पर मालिकाना अधिकार नहीं मिल रहा था। लेकिन अब ऐसा बिल्कुल नहीं होगा।
★ इस नए नियम से जम्मू कश्मीर संपत्ति हस्तांतरण अधिनियम की धारा 139 को समाप्त कर दिया गया है इसके तहत जम्मू-कश्मीर का कोई भी नागरिक अपनी जमीन और मकान को किसी को भी संबंधित नियमों के तहत हस्तांतरित कर सकता है।
★ अब जम्मू कश्मीर में कोई भी किराएदार किराए के अ उस संपत्ति पर अपने मालिक होने का दावा नहीं ठोक पाएगा।
★ सरकारी जमीन पर अब से किसी भी तरह से कब्जा धारक को मालिकाना अधिकार नहीं मिलेगा। सिर्फ इतना ही नहीं राजस्व बोर्ड और मुख्य नियंत्रक उस व्यक्ति को जमीन से बेदखल कर खुद उस जमीन पर कब्जा ले सकेंगे और वह भी बिना नोटिस के।
★ सरकारी जमीन पर कब्जा जमाने पर 3 साल की कैद और 5 से 10 हजार रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा जाता है और इसकी सुंदरता की वजह से ही यह पहले से ही यह एक विवादित विषय रहा है। पहले से ही कश्मीर पर दूसरे देशों की नजरें गड़ी हुई है। इसी वजह से कश्मीर के कानून में बहुत सारे बदलाव होते रहते हैं। मोदी सरकार जब से सत्ता में आए, उन्होंने कश्मीर का मुद्दा सुलझाने का बहुत प्रयास किया और काफी हद तक सुलझाया भी। लेकिन कश्मीर एक ऐसा जगह है जिसके लिए झगड़ा कभी खत्म नहीं होता। उम्मीद है इस नए नियम से माहौल में थोड़ी शांति आएगी और नरेंद्र मोदी का यह कदम देश और देश की जनता के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा। लेकिन क्या मोदी के इस फैसले से सारी मुसीबतें खत्म हो जाएगी।
अब यह तो समय ही बताएगा कि आगे क्या होगा। यह फैसला देश की जनता के लिए कितना सकारात्मक साबित होगा और देश की जनता इस फैसले का कितना सदुपयोग कर पाएगी। लेकिन इस नियम का लाभ उठाने के लिए जरूरी है कि हर कोई इस नियम को भली-भांति समझे और अपना सारा संदेह क्लियर कर ले। क्योंकि तभी इस नियम से देश का भला हो सकेगा। बात करें दुश्मन देश की तो अभी भी उनकी नजरे कश्मीर से नहीं हटी है। ऐसे में यह फैसला उनके रवैए पर क्या असर डालेगा यह बता पाना मुश्किल है। अब तो सिर्फ आशा ही कर सकते हैं की यह नया नियम हमारे देश के लिए सकारात्मक परिणाम लेकर आए।