रामपुर के जिलाधिकारी “आंजनेय कुमार” ने जिले के सभी विभागों में तैनात बैठे अधिकारियों की कुर्सी पर एक-एक दिन के लिए एक-एक बेटियों को बैठाया और उन्हें पद संभालने की जिम्मेदारी दी। इस दौरान माननीय आंजनेय कुमार सिंह ने भी अपनी कुर्सी पर एक 12वी क्लास की जिला टॉपर “इकरा बी” को पद भार सम्भालने की जिम्मेदारी दी।
1 दिन के लिए डीएम बनने के दौरान, बरेली से आई विजिलेंस टीम ने कृषि विभाग में बाबू के पद पर रहने वाले मनोज सक्सेना को ₹12 हजार की रिश्वत लेते हुए पकड़ा। कार्रवाई में विजिलेंस टीम को डीएम से अनुमति लेनी पड़ती है। इस मामले में विजिलेंस टीम को इकरा बी ने मौखिक अनुमति दी तो दस्तावेज पर डीएम आंजनेय कुमार सिंह ने हस्ताक्षर किए। डीएम आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि भले ही लिखित अनुमति मैंने ही दी थी लेकिन उस समय जिला टॉपर इकरा बी डीएम की कुर्सी पर बैठी थी। तो लिहाजा रिश्वत का मामला पकड़े जाने का श्रेय भी इकरा बी को ही जाता है।
उत्तर प्रदेश की सरकार नारी शक्ति को मजबूत करने के तरफ कदम बड़ा रही है। रामपुर के जिलाधिकारी ने गुरुवार के दिन पूरे जिले का पद भार देश की बेटियों को सौंप दिया। आपको बता दें कि डीएम और एसपी सहित 65 अधिकारियों का कामकाज बेटियों ने संभाला। बेटियों ने सरकारी दफ्तरों का कामकाज संभालते हुए सरकारी कार्यप्रणाली के तरीके में बदलाव के सुझाव भी दिए। सरकारी दफ्तरों के अलावा ग्राम पंचायतों की बैठक में भी उन्होंने अपनी अध्यक्षता की और इसी दौरान विकास कार्यों से संबंधित प्रस्ताव भी पास किए गए।
जिला अधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से यह एक अनोखा प्रयोग किया गया जो काफी हद तक सफल भी रहा। इस प्रयोग से न केवल बेटियों के मन में आत्मविश्वास जगाई गई बल्कि देश की बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहन भी दिया गया। जिलाधिकारी की मंशा है कि, जिस तरह उस दिन बेटियों ने अपनी कुर्सी संभाली भले ही वह एक दिन के लिए थी, उससे उनको काफी ज्यादा प्रोत्साहन मिला होगा। मैं चाहूंगा की वह आगे बढ़े और अपनी अपनी कुर्सी को आगे चलकर हासिल करें।
तो उन बेटियों ने भी इसी बात के संकेत दिए हैं कि वह आगे चलकर जरूर उस पद को हासिल करेंगे और देश की हर बेटियों को आत्मनिर्भर बनने और कुछ कर दिखाने के लिए जरूर प्रोत्साहित करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार हुआ जो बहुत ही प्रोत्साहन का कार्य था और आगे भी यह प्रयोग बेटियों के समर्थन के लिए, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए ऐसे प्रयास आगे भी किए जाएंगे।
जहां “इकरा बी” ने 1 दिन के कार्यकाल में 1 रिश्वतखोर को पकरवा कर जिस तरह इस दिन को यादगार बनाया उसी तरह 65 प्रशासनिक पदों पर मौजूद मेधावी बेटियों ने भी अपने-अपने छोटे से कार्यकाल में ही कई अहम फैसले लेकर इस दिन को यादगार बना दिया। जिलाधिकारी ने कहा कि यह मिशन शक्ति के तहत बेटियों को अधिकारी नामित करने का निर्णय लिया गया है।
इकरा बी ने कहा
समाज में घूसखोरी बहुत बड़ी समस्या है इसके लिए कड़ी कार्रवाई जरूरी है क्युकी घूसखोरी और रिश्वतखोरी अंदर ही अंदर समाज और व्यवस्था को खोखला कर देती है। ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होनी जरूरी होती है। इकरा बी ने कहा कि आज का दिन मेरे लिए एक सपने जैसा है। कुछ घंटे की जिम्मेदारी में ही मुझे बहुत कुछ सीखने और करने को मिला है।
जिला अधिकारी ने बताया कि जिला प्रशासन की ओर से यह एक अनोखा प्रयोग किया गया जो काफी हद तक सफल भी रहा। 1 दिन के लिए ही सही रामपुर के बिटियो ने इस दिन को यादगार बना दिया।
यूपी के रामपुर में जिलाधिकारी ने शक्ति योजना के तहत 1 दिन के लिए जो प्रयास किया है इस छोटे से प्रयास ने उन सारे लोगों के मुंह पर तमाचा मारा है जो लोग घर की बेटियों को कुछ समझते नहीं है। हालांकि यह एक दिन कुछ घंटों के लिए था लेकिन यह भारत की हर बेटियों के सम्मान के लिए बहुत बड़ी बात है। यह पूरे भारत के बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास में एक इतिहास स्वरूप है और हम कह सकते हैं कि यह भविष्य में बेटियों को कुछ कर दिखाने के लिए नींव रखे जाने जैसा है। हर बेटियों में वह जज्बा कायम करने के लिए और साथ ही हर मां-बाप को यह देखने के लिए कि अगर देश के जिलाधिकारी लोग बेटियों को ऐसे सम्मान दे सकते हैं तो लोग अपने ही घर की बेटी को भला क्यों उनके हक का सम्मान नहीं देते है। और खासकर वे लोग जो बेटियों को पढ़ने देना नहीं चाहते इस छोटे से फैसले ने ही बेटियों के सम्मान को बहुत मजबूत किया है। अब उन लोगों को भी काफी हद तक जवाब मिल गया होगा जो आए दिन बेटियों को शोषण का शिकार बनाते हैं उनके साथ बदसलूकी करते हैं।
देश के हर मां-बाप को गर्व करना चाहिए कि उनके घर में एक फूल जैसी बच्ची है। जिस घर में बेटी नहीं होती है उस घर में लक्ष्मी नहीं बसती। बेटी लक्ष्मी का स्वरूप होती है, सरस्वती का स्वरूप होती है और साक्षात माता दुर्गा का स्वरूप होती है जो शक्ति का प्रतीक है। इसीलिए कभी भी किसी भी बेटी को कमजोर नहीं समझना चाहिए, हर बेटी अपने पर आ जाए तो वह सारी दुनिया से खुद को सैल्यूट करवा सकती है और बता सकती हैं कि वह लड़कों को पीछे तो क्या बहुत पीछे छोड़ सकती है।
निष्कर्ष :-
युपी की बेटियों के आत्मसम्मान से जुड़ी यह कहानी और सरकार का यह कारनामा आपको कैसा लगा हमे कमेंट करके जरूर बताएं। इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और इसको ज्यादा से ज्यादा लाइक भी करें।
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