9 दिनों तक चलने वाली नवरात्रि का आज अंतिम दिन है पूरी दुनिया पूरे हर्ष और उल्लास के साथ नवरात्रि मनाती है। और जब यह त्यौहार खत्म हो जाता है तो सबके चेहरे की खुशी जैसे गायब हो जाती है। हर कोई उदास हो जाता है जब मा अपने निवास स्थान चली जाती हैं। लेकिन वही दूसरी और संतोष भी रहता है कि अगले साल फिर से नवरात्रि आएगी और फिर से पूरी दुनिया खुशियां मनाएगी।नवरात्रि में बहुत लोग उपवास रखते हैं और पूरे 9 दिनों तक माता का ध्यान करते हैं। लेकिन कुछ लोग उपवास नहीं रख पाते। नवरात्रि में उपवास रखने का मुख्य उद्देश्य होता है अपने मन और आत्मा को पवित्र करना। इन 9 दिनों तक सात्विक भोजन करके हम एक तरह से खुद की शुद्धिकरण करते हैं। सभी त्यौहार अपने साथ कुछ न कुछ महत्व को दर्शाते हैं। त्यौहार आते ही इसलिए है ताकि लोगों को गलत राह से खींचकर सही राह पर ला सके। अपने-अपने पारिवारिक जीवन में व्यस्त हो कर हम अक्सर सही गलत का फर्क भूल जाते हैं और जब यह त्यौहार आते हैं त्योहार से जुड़ी कथा सुनते हैं, पूजा-पाठ करते हैं एक दिव्य माहौल में हम प्रवेश करते हैं तो खुद व खुद हमारा मन बुराई से हटकर अच्छाई की तरफ चल पड़ता है। बुराई पर अच्छाई की जीत का एक सठीक उदाहरण पेश करता है नवरात्रि का त्यौहार। इस त्यौहार का मतलब होता है कि बुराई कितनी भी बलशाली क्यों ना हो अच्छाई के आगे उसको हारना हीं पड़ता है।
बुराई का अंत होना ही है
मां शेरावाली की कथा से तो हर कोई वाकिफ है। मां सिंहवाहिनी ने महिषासुर नाम के एक भयंकर असुर का वध किया था। कहा जाता है कि वह असुर बहुत ज्यादा शक्तिशाली था दानव से लेकर देवता तक कोई भी उस असुर को खत्म करने में सक्षम नहीं था। और ऐसी परिस्थिति में देवता गण ने मिलकर माता की आराधना की और तब माता वैष्णोदेवी ने महिषासुर का वध किया। यह त्यौहार हमें यही समझाता है कि बुराई कितना भी शक्तिशाली क्यों न हो लेकिन अच्छाई के आगे उसको शीष झुकाना ही पड़त है।
आज का दानव
बात करें, आज के जमाने की तो आज के युग में कोई दानव नहीं है और ना ही कोई असुर है। लेकिन आज भी दुनिया में कुछ ऐसे दानव मौजूद है जिनका अंत होना बहुत आवश्यक है। आज के युग में दानव है हमारे अंदर की कमी, हमारे अंदर की खराबी और हमारी बुरी आदते, हमारा क्रोध और अहंकार और वे सभी आदतें जिनके हम आदि है और चाह कर भी नहीं छोड़ पा रहे हैं। नवरात्रि का त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है और इस नवरात्रि बुराई की हार होनी चाहिए। तो क्यों न इस नवरात्रि हम भी अपने अंदर के बुराइयों को अंत करने का संकल्प लें।
माता के मिलेगी ताकत
कहते हैं, किसी भी काम को करने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति की जरूरत होती है और वह दृढ़ इच्छा शक्ति वाली ताकत हमें नवरात्रि में प्राप्त हो सकती है। अगर माता को सच्चे दिल से याद करके उनसे कुछ मांगा जाए तो वह हमें अवश्य मिलता है और सभी को पता है माता अम्बे शक्ति की देवी है और हमें जब भी किसी बड़े काम को करने के लिए ताकत की जरूरत पड़ती है तो माताजी का द्वार खटखटाते है। आज के वक़त में हमारा सबसे बड़ा दुश्मन, सबसे बड़ा असुर तो मन के अंदर ही बैठा है।
अपनी एक बुरी आदत को छोड़ने का संकल्प
अपने-अपने स्वार्थ मे हम इतने अंधे हो गए कि एक दूसरे के बारे में सोचता तो मानो भूल ही गए। नवरात्रि का त्योहार हम सबको एहसास दिलाता है कि यह जिंदगी हमें बहुत नसीब से मिलती है और हमें अच्छी तरह जीना चाहिए, अपने अच्छे गुणों को विकसित करना चाहिए, बुराइयों को दूर रहना चाहिए और अगर बुराई को मिटाना है तो यह सब केवल और केवल संकल्प से ही संभव है। यह तो सब को पता है, कि संकल्प करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति चाहिए। आज की पोस्ट को हम इसीलिए लेकर आए हैं ताकि आप लोगों को यह समझा सके कि यही सही समय है जब हम यह संकल्प कर सकते हैं कि आज बल्कि अभी से ही अपनी बुरी आदतों को छोड़ देंगे। अब ऐसा तो संभव नहीं है की हमारी सभी बुरी आदते एक साथ छूट जाएगी।
लेकिन हम इतना तो कर ही सकते हैं की अपनी किसी भी एक आदत को छोड़ने का इस नवरात्रि संकल्प करें और यह भी संकल्प करें कि 1 साल हम उस एक काम को बिल्कुल नही दोहराएंगे जो गलत है। कल माता रानी चली जाएंगी तो क्यों न हम माता रानी से यह वादा करले की जब अगले साल माँ वापस आएंगी तबतक हम अपने एक बुरी आदत को छोड़ चुके उनको मिलेंगे। माता रानी को हमारी तरफ से वही सच्ची श्रद्धांजलि होगी तो चलिए दोस्तों इस साल मां की मूर्ति के सामने हम यह संकल्प ले की आज से ही हम लोग अपनी एक बुरी आदत को छोड़ देंगे।
HAPPY NAVRATRI