विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस हर साल 10 अक्टूबर को मनाया जाता है। दिवस मनाने का उद्देश्य वैश्विक मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा देना और जागरूकता फैलाना है। मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर सामाजिक कलंक के खिलाफ पैरवी करने के लिए और मानव समाज को जागरूक करने के लिए 10 अक्टूबर के दिन यह दिवस मनाया जाता है।
मानसिक स्वास्थ्य सार्वजनिक स्वास्थ्य के सबसे उपेक्षित क्षेत्रों में से एक है। 1 अरब के करीब लोग एक मानसिक विकार के साथ जी रहे हैं, हर साल 3 मिलियन लोग शराब के हानिकारक उपयोग से मर जाते हैं और प्रत्येक 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या कर मर जाता है। कोरोनकाल में, दुनिया में अधिक गुणवत्ता वाली और सस्ती मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक सीमित पहुंच कोविद -19 के कारण और कम हो गई है क्योंकि महामारी ने दुनिया भर में स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित किया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अदनोम घेबियस ने कहा “विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस” विश्व के लिए एक साथ आने और मानसिक स्वास्थ्य की ऐतिहासिक उपेक्षा का निवारण करने का अवसर है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इतिहास
पहली बार 10 अक्टूबर, 1992 को विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था। उस वक़्त विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए विश्व महासंघ की एक वार्षिक गतिविधि के रूप में मनाया गया और इसकी कुछ विशिष्ट थीम थी। हालांकि, 1994 में तत्कालीन महासचिव यूजीन ब्रॉडी के सुझाव पर, पहली बार इस दिन के लिए एक विषय का उपयोग किया गया था।इस दिन का पहला विषय “दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार” था।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का महत्व
टाइम्स नाउ के साथ बातचीत में , मुख्य मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक रूप से वेबसाइट के सह-संस्थापक डॉ रोमा कुमार ने कहा कि एक स्वस्थ भावनात्मक जीवन मुख्य रूप से एक व्यक्ति के दिमाग की प्रक्रिया, मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जानकारी, अनुभव और ज्ञान को समझने की प्रक्रिया है। डॉ रोमा के अनुसार, भावनात्मक रूप से फिट रहना जीवन के सभी पहलुओं में सफलता की कुंजी है।
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020 थीम
वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ (डब्ल्यूएफएमएच) के अनुसार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस 2020 का विषय “मेंटल हेल्थ फॉर ऑल: ग्रेटर इनवेस्टमेंट – ग्रेटर एक्सेस” है।
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ टेड्रोस अदनोम घेबियस ने कहा कि दुनिया सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज की अवधारणा को स्वीकार कर रही है और मानसिक स्वास्थ्य यूएचसी का अनिवार्य हिस्सा होना चाहिए। उन्होंने कहा, “किसी को भी मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच से वंचित नहीं किया जाना चाहिए, वो भी सिर्फ इस वजह से तो बिल्कुल नही की वह गरीब है या दूरस्थ स्थान पर रहता है।”
2020 का थीम इस तथ्य पर जोर देता है कि मानसिक स्वास्थ्य एक मानव अधिकार है और यही वो समय है जब मानसिक स्वास्थ्य सभी के लिए उपलब्ध हो।
कोरोनावायरस के मद्दे नजर वर्तमान की परिस्थिति
कर्मक्षेत्र से जुड़े पेशेवरों के बीच, चिंता और अवसाद की दर में 2008 और 2015 के बीच 45-50 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। 2015 के अध्ययन के अनुसार 42.5% कॉर्पोरेट कर्मचारियों में अवसाद का निदान किया गया था। एक महत्वपूर्ण परसेंटेज में लोग प्रतिदिन 6 घंटे से कम सोने वाले पाये गए।
वर्तमान लॉकडाउन और जीवनशैली में भारी बदलाव के साथ, GOQii द्वारा हाल ही में मानसिक स्वास्थ्य रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान में 43 प्रतिशत भारतीय अवसाद से ग्रस्त हैं और इसके साथ सामना करना सीख रहे हैं। 26 प्रतिशत भारतीयों को हल्के अवसाद का सामना करना पड़ रहा है, 17 प्रतिशत लोग, अधिक कठोर किस्म के तनाव का सामना कर रहे हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि 6 प्रतिशत भारतीय गंभीर रूप से उदास हैं।
भारत में कोरोनोवायरस महामारी के कारण पिछले छह महीनों में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में वृद्धि देखी गई है। देश के विभिन्न हिस्सों से आत्महत्याओं की सूचना मिली है, जिसमें सभी व्यवसायों के लोग शामिल हैं-प्रवासी श्रमिकों और दैनिक ग्रामीणों से लेकर स्वास्थ्य सेवा के कर्मचारियों, छात्रों, किसानों और मशहूर हस्तियों तक, सभी लोग प्रभावित हुए हैं।
हालांकि, यह सिर्फ भारत के मामले में नहीं है। कई अध्ययनों से अब यह स्पष्ट हो गया है कि दुनिया भर में लोग कोरोनोवायरस महामारी के कारण बहुत अधिक मानसिक तनाव में हैं, यह व्यवधान उनके जीवन में आया है और यह अनिश्चितता है कि इससे आगे क्या हो सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि एक भयंकर मानसिक स्वास्थ्य संकट हमारे ऊपर है और महामारी के इस पहलू पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया गया है।
130 देशों के एक हालिया सर्वेक्षण में, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पाया कि कोरोनोवायरस महामारी ने सर्वेक्षण में शामिल 93 देशों में महत्वपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित किया है।
इस बीच, अमेरिका में एक अध्ययन में पाया गया कि अस्पताल में लाए गए हर तीसरे कोविद -19 रोगी में किसी न किसी तरह की मानसिक बीमारी पाई गयी।
भारत में भी, एम्स, पटना के अधिकारियों ने कथित तौर पर कहा था कि अस्पताल में कोविद -19 के लगभग 30 प्रतिशत मरीज मानसिक रूप से परेशान थे।
डब्ल्यूएचओ(WHO) का कहना है कि महामारी के पहले से ही मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की मांग बढ़ा रही है और मांग को पूरा करने के लिए बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
शोक, अलगाव, आय की हानि और भय मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति को कॉम्प्लिकेटेड कर रहे हैं। बहुत से लोग शराब और नशीली दवाओं के उपयोग, अनिद्रा और चिंता के बढ़ते स्तर का सामना कर रहे हैं।
इस तरह से निरंतर तनाव एकाग्रता के स्तर, स्पष्ट रूप से और निर्णायक रूप से सोचने की क्षमता, साथ ही व्यक्ति की उत्पादकता और प्रभावकारिता को प्रभावित करता है। यह सब मानसिक थकावट, चिंता, अवसाद, जलन, और खराब शारीरिक स्थिति को जन्म दे सकता है।

इससे निपटने के लिए, इन सुझावों में से कुछ को आजमा सकते है
- कर्मक्षेत्र और घर में हर चीज की स्पष्ट सीमाएँ निर्धारित करें।
- एक उचित दैनिक दिनचर्या बनाएँ।
- उचित सोच-विचार के साथ एक कार्य केंद्र स्थापित करें। अपने बिस्तर पर, खाने के टेबल पर काम करने से बचें।
- वर्चुअल वर्कप्लेस नेटवर्क बनाए रखें। कॉफ़ी या लंच के लिए सहकर्मियों के साथ ऑनलाइन माध्यम से जुड़े।
- अपने विचारों पर ध्यान दे। जो आप नियंत्रित कर सकते हैं उस पर ध्यान केंद्रित करें
ऐसी एक विकट स्थिति में संगठनों को शारीरिक गतिविधि, पोषण और नींद के साथ जीवन शैली में बदलाव को प्रोत्साहित करना चाहिए। कार्यबल तनावपूर्ण दिनचर्या से ग्रस्त है, इसलिए स्वस्थ जीवन शैली पर जोर देने से मानसिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के कुछ तरीके
* अपनी फीलिंग के बारे में बात करें
जब भी आपका मन खराब हो तो अपनी फीलिंग को अपने मन की बात को कभी भी मन में ना रखें। उसे करीबी दोस्तों या फिर अपने रिश्तेदारों के साथ जरूर शेयर करें। आप क्या महसूस कर रहे हैं यह जताना और बताना बहुत जरूरी होता है।
* संतुलित आहार का सेवन करें
मानसिक रुप से स्वस्थ रहने के लिए हमेशा संतुलित आहार का सेवन करें। जिनमें फाइबर, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, हेल्दी फेट, विटामिंस, मिनरल्स इत्यादि मौजूद है। अगर आपके शरीर में यह सब मौजूद होंगी, तो आपको डिप्रेशन जैसी समस्याओं को दूर करने में यह चीजें काफी मदद करेगी। हाई कैफीन, ज्यादा चीनी वाली ड्रिंक और अल्कोहल को कम मात्रा में लें।
* एक्सरसाइज करें
एक्सरसाइज और फिजिकल एक्टिविटी को अपने डेली रुटीन में शामिल करें। इसका मतलब यह नहीं है कि जिम जाना जरूरी है आप चाहे तो पार्क में भी टहलने जा सकते हैं। साथ ही कई एक्सरसाइज जो आप घर पर ही आसानी से कर सकते हैं, आप घर के काम भी कर सकते हैं। जो आपके मन और शरीर को एक्टिव रखने में मदद करेगा। मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए यह बहुत जरूरी है कि आप 1 हफ्ते में कम से कम 5 दिन आधे घंटे का एक्सरसाइज जरूर करें।
* पूरी नींद ले
हर किसी को रात में 6 से 7 घंटे की अच्छी नींद लेनी बहुत जरूरी होती है। जो आपके मन में नेगेटिव ख्याल नहीं आने देती। अगर आप पूरी मात्रा में नींद नहीं ले पाते हैं तो आपके मन में नेगेटिव ख्याल आने के साथ ही किसी से बात करने का भी मन नहीं करेगा और आप अंदर ही अंदर बुरा फील करोगे। अगर आप भरपूर मात्रा में नींद लेते हैं तो आप पूरा दिन चहकते रहेंगे और बाकी कामों में भी आपको मन लगेगा।
* हमेशा सकारात्मक सोचे
अपनी सोच को हमेशा सकारात्मक बनाए रखना चाहिए। हमें कभी भी किसी भी काम, प्रॉब्लम को नेगेटिव ख्याल के साथ नहीं सोचना चाहिए उसके पॉजिटिव दिशा को देखते हुए हमें काम को करना चाहिए तो ही हम उस काम को पूरा कर पाते हैं। अगर हम नकारात्मक सोच के साथ काम को करेंगे तो वह हम पर मानसिक रूप से हावी हो जाएगा। जिससे हम काम को और ज्यादा बिगाड़ लेंगे।
* संगीत सुनें
संगीत तो हर किसी को पसंद होता है संगीत में मूड बदलने की क्षमता होती है। बीच-बीच में अपने पसंदीदा गानों को सुने और हो सके तो गानों को गाए। जो आपको मानसिक रूप से फ्रेस फील करायेगी।
* ब्रेक लें
मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए हमें कुछ पल शांति के लेने जानी चाहिए। यानी कि अगर आप अपने भाग दौड़ भरी जिंदगी में थोड़ा सा टाइम निकाल कर योगा करेंगे तो यह बहुत कारीगर तरीका है मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए।
* अपने पसंदीदा काम करें
लोग बिजी लाइफ में इतना व्यस्त हो जाते हैं कि वे अपने पसंद का काम करने के लिए भी समय नहीं निकाल पाते लेकिन हमें ऐसा नहीं करना चाहिए। हमें कम से कम थोड़ा सा वक्त अपने लिए निकालकर उस वक्त में अपने मन में जो कुछ भी आए वह सब कुछ करना चाहिए। जैसे कि कोई नया कुछ सीखना चाहता है, कोई कुछ पढ़ना चाहता है, कोई लिखना चाहता है या फिर कोई डांस करना चाहता है तो अपने अपने पसंद अनुसार हम सबको वो काम जरूर करना चाहिए। उस समय आप अपने सारे चिंताओं को भुला कर अपना मूड चेंज कर सकते हैं।
* कभी भी अपनी तुलना किसी से भी ना करें
कभी भी आपको अपनी तुलना किसी और से नहीं करनी चाहिए। आप जैसे हैं वैसे ही खुद को स्वीकार करना सीखिए क्योंकि अगर आप किसी से अपनी तुलना करेंगे, तो आप वैसे खुद में कमियां ही ढूंढते रह जाएंगे। इसीलिए हमेशा खुद को खुद के लिए खास ही महसूस करें ऐसा करने से आपको स्वयं पर विश्वास बढ़ता है।
* अपने आसपास के लोगों की मदद करें
आसपास के लोगों की परवाह करें, उनकी मदद करें, जब आप दूसरों की मदद करते हैं और दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाते हैं तो आपका आत्म सम्मान बढ़ता है और आप अच्छा महसूस करते हैं और तब आप खुश रहते हैं।
जानिये नरेंद्र मोदी के 20 साल के सफर के बारे मे
हर एक व्यक्ति को शारीरिक रूप से तंदुरुस्त होने के साथ-साथ मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहना बहुत जरूरी होता है। दुनिया में ऐसे बहुत से लोग हैं जो शारीरिक रूप से स्वस्थ होने के बावजूद भी मानसिक रूप से अस्वस्थ होने के कारण जिंदगी को खो देते हैं। इसीलिए हम लोगों को अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक संतुलन का भी ख्याल रखना चाहिए। “वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे” भी इसी लिए मनाया जाता है ताकि हम साल में एक बार इस बात को याद कर सके,कि हमें अपने मानसिक संतुलन का ध्यान रखना चाहिए। पता नहीं ऐसे कितने ही लोग हैं जो भारी डिप्रेशन व तनाव के कारण अपना मानसिक संतुलन आए दिन खो बैठते हैं। हमें एक ही जिंदगी मिलती है अच्छे से जीने के लिए इसमें हमें खुद का और अपनों का ख्याल रखना चाहिए। हमने आपको इस आर्टिकल में मानसिक संतुलन ठीक रखने के कुछ उपाय बताए हैं, आप उनको जरूर करें, यह हर व्यक्ति के लिए जरूरी है। अगर आपको हमारा यह पोस्ट अच्छा लगा तो इसे लाइक करें और ज्यादा से ज्यादा लोगों तक इस जानकारी को शेयर करें। अगर आपका कोई सवाल है तो आप हमें कमेंट करके पूछ सकते हैं