सुंदर पिचाई का जन्म भारत के मदुरै, तमिलनाडु के एक तमिल परिवार में लक्ष्मी और रघुनाथ पिचाई के घर 10 जून 1972 में हुआ था। सुंदर पिचाई का संपूर्ण नाम पिचाई सुंदराजन है। हॉबी की बात करें तो सुंदर पिचाई को खेल में रूचि है। उनका हॉबी फुटबॉल और क्रिकेट खेल में है।
यह एक अमेरिका के व्यवस्थाएं हैं जो अल्फाबेट कंपनी के सीईओ और उसके सहायक कंपनी एलएलसी के सीईओ हैं। इसके बाद में गूगल ने अपनी कंपनी का नाम अल्फाबेट में बदल दिया। इसके बाद लेरी पेज ने गूगल खोज नामक कंपनी का सीईओ सुंदर पिचाई को बनाया और खुद अल्फाबेट कंपनी के सीईओ बन गए। सुंदर पिचाई ने गूगल सीईओ के रूप में पद भार 2 अक्टूबर साल 2015 को पद ग्रहण किया और 3 सितंबर साल 2019 को अल्फाबेट के सीईओ बने।
सुंदर पिचाई का परिवार
सुंदर पिचाई के माता का नाम है लक्ष्मी पिचाई और उनके पिता का नाम है रघुनाथ पिचाई उनकी मां लक्ष्मी पिचाई एक स्टेनोग्राफर थी और उनके पिता रघुनाथ पिचाई ब्रिटिश जनरल इलेक्ट्रिक कंपनी में एक इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे। सुंदर पिचाई के पिता रघुनाथ पिचाई का एक मैन्युफैक्चरिंग प्लांट था। जहां पर इलेक्ट्रिक कॉम्पोनेंट बनाए जाते थे।
हम सब उनकी सफलता के बारे में तो जानते हैं लेकिन उस महिला के बारे में नहीं जानते जो उनकी तरफ से हमेशा खड़ी थी और हमेशा उनका समर्थन करती थी। वह महिला हैं उनकी पत्नी अंजलि पिचाई इन दोनों की प्रेम कहानी भी काफी सरल थी और बहुत प्यारी भी।
सुंदर पिचाई एक मध्यमवर्गीय परिवार से थे वह चेन्नई में रहते थे और एक सामान्य व्यक्ति के तौर पर बहुत ही साधारण सा जीवन जीते थे। सुंदर इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी IIT, खड़गपुर से मेटालर्जिकल इंजीनियरिंग (धातु कर्म इंजीनियरिंग) की पढ़ाई कर रहे थे। जहां उनकी मुलाकात अंजलि पिचाई से हुई थी वे दोनों सहपाठी थे जिस कारन वे बहुत अच्छे दोस्त बन गए। और दोनों ने बाद में शादी कर ली सुंदर पिचाई और अंजलि पिचाई के अभि दो बच्चे हैं। काव्या पिचाई और किरण पिचाई

सुंदर पिचाई की पढ़ाई
अगर पढ़ाई की बात करें तो सुंदर पिचाई ने अपनी पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय, अशोक नगर, चेन्नई से अपनी दसवीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। और चेन्नई में स्थित वन वाणी मेट्रिकुलेशन हायर सेकंडरी स्कूल से 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी की। उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खरगपुर से मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग में अपनी बैचलर डिग्री हासिल की।
उन्होने एम. एस. सामग्री विज्ञान में स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय और इंजीनियरिंग और पेनसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया है जहां उन्हें एक विद्वान साइबैल और पावर विद्वान के हिसाब से नामित भी किया गया है।
सुंदर पिचाई का करियर
सन 1995 में सुंदर पिचाई आर्थिक तनाव के कारण स्टैनफोर्ड में बतौर पेइंग गेस्ट के हिसाब से रहते थे। वे पैसे बचाने के लिए पुरानी चीजों का भी इस्तेमाल किया लेकिन अपनी पढ़ाई से कभी भी समझौता नहीं किया। वह पीएचडी करना चाहते थे लेकिन परिस्थितियों के कारण उन्हें बतौर प्रोडक्ट मैनेजर अप्लाइड मटेरियल्स लिंक में नौकरी करनी पड़ी।
जब वे प्रसिद्ध कंपनी मैक्किंसे में बतौर कंसल्टेंट का काम करते थे तब तक उनकी कोई खास पहचान नहीं थी। जब वे साल 2004 में गूगल में आए तब उन्होंने सुझाव दिया कि गूगल को अपना ब्राउज़र लांच करना चाहिए। और इसी एक सुझाव से वे गूगल के संस्थापक लैरी पेज के नजरों में आ गए। और इस आईडिया के कारण ही उनको नई पहचान मिलनी शुरू हो गई

सुंदर पिचाई साल 2004 में गूगल में आए जहां उन्होंने गूगल के उत्पाद जिसमें गूगल क्रोम, क्रोम ओएस शामिल है। शुरुआती में तो वह गूगल के सर्च बार पर छोटी टीम के साथ ही काम करते थे। लेकिन इसके बाद उन्होंने गूगल के कई और प्रोडक्ट पर काम करना शुरू किया। उन्होंने जीमेल और गूगल मैप्स जैसे अन्य अनुप्रयोगों के विकास की देखरेख की।
उस समय सुंदर प्रोडक्ट और इनोवेशन ऑफिसर थे। सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (एंड्राइड क्रोम और एप्स डिवीजन) रह चुके हैं। एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम के डेवलपमेंट और साल 2008 में लांच हुए गूगल क्रोम में उनकी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका रही।
उसके बाद भी वे गूगल ड्राइव के हिस्सा बने साथ ही अन्य उत्पाद जैसे जीमेल और गूगल मानचित्र इत्यादि के भी हिस्सा बने। इसके बाद उन्होंने 19 नवंबर साल 2009 में क्रोम ओएस और क्रोमबुक आदि की जांच करके दिखाएं उन्होंने साल 2011 में इसे सार्वजनिक रूप में भी किया। 20 मई साल 2010 को वीपी 8 को मुक्त स्रोत के रूप में बताया। इसके बाद उन्होंने एक नई वीडियो प्रारूप के वेबएम के बारे में भी बताया।
इसके बाद वे 13 मार्च साल 2013 को एंड्राइड के परियोजना से जुड़े। जिसे पहले ऐंडी रूबीन संभालते थे। इसके अलावा भी वह अप्रैल 2011 से 30 जुलाई 2013 तक जीवा सॉफ्टवेयर के निर्देशक भी बने थे। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई जो गूगल के सीईओ हैं उनको किसी परिचय की जरूरत नहीं है। उनकी सफलता की कहानी कई लोगों के लिए प्रेरणा बनी है चेन्नई में एक साधारण सामान्य जीवन जीने से लेकर अपने देश को गौरवान्वित करने तक।