3 अक्टूबर 2020 के दिन सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बहुत ही महत्वपूर्ण “अटल टनल” का उद्घाटन किया गया। 3 अक्टूबर के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल प्रदेश के रोहतांग में दुनिया का सबसे बड़ा “अटल टनल” का लोकार्पण किया और इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी वहीं मौजूद रहे। यह सुरंग 9.02 किलोमीटर लंबी है। रोहतांग से दर्रे के नीचे इसको बनाने का फैसला 3 जून 2000 के दिन लिया गया था और इसकी आधारशिला 26 मई 2002 में रखी गई थी।
अटल टनल के उद्घाटन होने के बाद पीएम मोदी ने कहा: “अटल टनल” लेह – लद्दाख की लाइफलाइन बनेगी।
कि आज सिर्फ अटल जी का “अटल टनल” का ही सपना पूरा नहीं हुआ है। बल्कि हिमाचल प्रदेश के करोड़ों लोगों के दशकों का पुराना इंतजार खत्म हुआ है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहां कि मेरा यह सौभाग्य है कि मुझे “अटल टनल” का लोकार्पण करने का अवसर प्राप्त हुआ। अक्सर ऐसा होता है लोकार्पण के चकाचौंध में वह लोग पीछे रह जाते हैं जिनके परिश्रम से कार्य संभव हो पाता है। या महायज्ञ में अपना पसीना बहाने वाले, अपनी जान को जोखिम में डालने वाले, मेहनती देश के जवानों, इंजीनियरों और मजदूर भाई बहनों को मैं तहे दिल से नमन करता हूं।
पीएम मोदी ने कहा कि “अटल टनल” लेह – लद्दाख की लाइफलाइन बनेगी। लेह – लद्दाख के किसानों, बागवानी और बाकी युवाओं के लिए भी देश की राजधानी दिल्ली और दूसरे बाजारों तक पहुंचने में बहुत आसानी हो जाएगी। अटल टनल से मनाली और केलांग के बीच की दूरी तय करने में 3 से 4 घंटे में कम हो जाएगी। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि पहाड़ पर रहने वाला मेरे भाई बहन या समझ सकते हैं कि पहाड़ पर 3 से 4 घंटे की दूरी कम होने का क्या महत्व होता है।
“अटल टनल” : विश्वस्तरीय बॉर्डर कनेक्टिविटी का जीता जागता उदाहरण ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि “अटल टनल” भारत के बॉर्डर इंफ्रास्ट्रक्चर को नई ताकत देने वाली हैं। यह स्तरीय विश्वस्तरीय बॉर्डर कनेक्टिविटी का जीता जागता उदाहरण है। पीएम नरेंद्र मोदी ने ये भी कहां कि बीते 6 वर्षों में हमारी सरकार ने पुराने स्थिति को बदलने के दिशा में भारी प्रयास किया है। हिमालय क्षेत्र, जम्मू कश्मीर, लेह लद्दाख, कारगिल, उत्तराखंड, सिक्किम में अनेकों प्रोजेक्ट पूरे किए गए हैं और साथ ही कई प्रोजेक्टों पर तेजी से काम चल रहा है।

के बाद पीएम मोदी ने लाहौल घाटी के शिशु में अटल सुरंग के नॉर्थ पोर्टल से 15 यात्रियों की बस को साउथ पोर्टल के लिए रवाना किया। जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि “अटल टनल” के बनने से “लाहौल स्पीति” और पांगी के किसानो, बागवानी से जुड़े लोगों, पशुपालकों, स्टूडेंट्स, व्यापारी, कारोबारी, नौकरी पेशा से जुड़े इन सभी लोगों को लाभ होगा। अब लाहौर के किसानों को गोभी, मटर, आलू इत्यादि के फसल बर्बाद नहीं होगी बल्कि ज्यादा तेजी से मार्केट पहुंचेगी
रोहतांग में स्थित 9.02 किलोमीटर लंबी यह टनल मनाली को लाहौल स्पीति से जोड़ती है। इस टनल की वजह से ही मनाली और लाहौल स्पीति घाटी साल भर एक दूसरे से जुड़ सकेंगे। इससे पहले बर्फबारी की वजह से लाहौल स्पीति घाटी साल के 6 महीने तक देश के बाकी हिस्सों से कट जाती थी।
“अटल टनल” का निर्माण से मनाली और लेह के बीच की दूरी घटेगी ।
“अटल टनल” का निर्माण आधुनिक तकनीकी की मदद से पीर पंजाल की पहाड़ियों में किया गया है जो समुद्र तट से 10,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। इसके बन जाने से “अटल टनल” के बन जाने के बाद से मनाली और लेह के बीच की दूरी घटकर 46 किलोमीटर कम हो गई है। दोनों स्थानों के बीच सफर में लगने वाले समय में 4 से 5 घंटे की कमी आ जाएगी।
“अटल टनल” का आकार
आकार की बात करें तो “अटल टनल” का आकार घोड़े के नाल जैसा है। इसका दक्षिणी किनारा मनाली से 25 किलोमीटर की दूरी पर समुद्र तल से 3060 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जबकि उत्तरी किनारा से लाहौल घाटी में तेलिंग और सिस्सू गांव के नजदीकी समुद्र तल से 3071 मीटर की ऊंचाई पर स्थित।
10.5 मीटर चौड़ी इस सुरंग पर 3.6×2.25 मीटर का फायरप्रूफ आपातकालीन निकास द्वारा बना है। अटल टनल से रोजाना 3000 कारें और 1500 ट्रक 80 किलोमीटर की स्पीड से निकल सकेंगे।

“अटल टनल” : अग्निशामक यंत्र, CCTV की व्यवस्था।
“अटल टनल” में सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम किए गए हैं। हर 150 मीटर की दूरी पर टेलीफोन की व्यवस्था भी की गई है ताकि आपात स्थिति होने पर संपर्क स्थापित किया जा सके। और हर 60 मीटर की दूरी पर अग्निशामक यंत्र भी रखें गए है साथ ही 250 की दुरी पर CCTV की व्यवस्था भी की गई है। इसके अलावा वायु की गुणवत्ता को जांचने के लिए हर 1 किलोमीटर पर मशीन लगी हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोहतांग में अटल सुरंग के उद्घाटन के बाद यह कहा कि साल 2002 में अटल जी ने इस टनल के लिए अप्रोच रोड का शिलान्यास किया था। लेकिन अटल जी के सरकार जाने के बाद जैसे इस काम को भुला ही दिया गया साल 2013 से 14 तक टनल के लिए सिर्फ 1300 मीटर का ही काम हो पाया था। 2014 के बाद “अटल टनल” के काम में काफी ज्यादा तेजी लाई गई।