बाबरी मस्जिद विध्वंस के मामले में 28 साल के बाद फैसला आ गया लखनऊ स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने 32 आरोपियों को बाइज्जत बरी कर दी है। जिनमें आर एस एस के कई दिग्गज नेता और भाजपा के दिग्गज नेताओं के नाम शामिल हैं। अदालत ने कहा कि 6 दिसंबर 1993 को हुई घटना कोई सुनियोजित नहीं थी। असामाजिक तत्वों ने ढांचे को गिराया था। इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, विनय कटियार सहित 49 लोग आरोपी थे। जिनमें से 17 आरोपियों को मौत हो चुकी है बाकी 32 आरोपियों को अदालत ने बरी कर दिया है। इस फैसले को लेकर देशभर में खुशी का माहौल है तो वहीं दूसरे पक्ष ने इस फैसले से नाखुश होकर हाई कोर्ट जाने का ऐलान किया है।
बरी होने की खुशी में बाटी मिठाईया
मुरली मनोहर जोशी और लालकृष्ण आडवाणी के घर तो मिठाई भी बांटी जा रही है। इस समय बीजेपी के नेताओं के बीच जश्न का माहौल बना हुआ है। इन नेताओ पर आरोप था कि इन नेताओं ने बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराने के लिए कारसेवकों को उकसाया था। लेकिन अब यह कहते हुए अदालत ने इन नेताओं को बरी कर दिया है कि बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराने के लिए इन नेताओं द्वारा कारसेवकों को उकसाने का कोई सबूत नहीं मिला है। जिस कारण अदालत यह नहीं मान सकती कि इन नेताओं द्वारा कारसेवकों को उकसाया गया था। बाबरी मस्जिद के ढांचे को गिराने के लिए आरोप में रहने वाले 49 नेताओं में से 17 आरोपियों की तो मौत हो गई है बाकी 32 आरोपियों को अब अदालत ने बरी कर दिया। एक तरफ जहां आरोपी नेता बरी हुए हैं तो दूसरी तरफ सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या विपक्ष के मुस्लिम पक्ष फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट जाएगे।
रघुवर दास ने कही माफी मांगने की बात
रघुवर दास ने इस फैसले को ऐतिहासिक दिन बताते हुए कहा कि पूज्य संतों, बीजेपी नेता, संघ और विहिप से जुड़े पदाधिकारियों और समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों के पदाधिकारियों को बदनाम करने के लिए उन्हें झूठे मुकदमे में फंसा कर उन पर झूठा आरोप डाला गया। इसके लिए जिम्मेदार कांग्रेस देश की जनता से माफी मांगे। इस दौरान भाजपा प्रदेश मंत्री रीता मिश्रा, पूर्व जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार, पूर्व जिला अध्यक्ष रामबाबू तिवारी और अभिषेक सिंह, विप्लव कुमार सहित कई लोग मौजूद थे।
जज एस के यादव ने इन नेताओं पर लगे आरोप से इन्हें बरी करार किया है और इन्हें बरी करार देने के बाद अब एस के यादव ने रिटायरमेंट भी ले ली। फ़ैसला सुनाते वक्त कोर्ट ने लालकृष्ण आडवाणी के लिए कहा कि बाबरी विध्वंस के समय लाल कृष्ण आडवाणी मंच पर ही मौजूद थे लेकिन विध्वंस के लिए कारसेवकों का साथ देने का कोई सबूत उनके खिलाफ नहीं मिला है। कोर्ट ने कहा कि नारों में जो ऑडियो की आवाज गूंज रही है उसमें वह आवाज आरोपियों के आवाज से मेल नहीं खा रही इसी कारण हम यह कह सकते हैं कि असामाजिक तत्वों ने ढांचे को गिराया था। गवाहों ने यह भी माना कि सबूत के तौर पर दिए गए वीडियो के फुटेज से छेड़छाड़ की गई है। यह भी साबित भी नहीं हो पाया की आरोपियों ने भड़काऊ भाषण देकर कारसेवकों को उकसाया था, जिससे दो संप्रदायों के बीच दंगा हो गया। आरोपियों ने भले ही उत्तेजक भाषण जरूर दिए थे लेकिन उत्तेजक भाषण से ही आरोपियों को दोषी करार नहीं किया जा सकता। साथ ही दोनों संप्रदायों में फैले दंगे को भड़काने के सबूत भी नहीं मिले हैं।

कोर्ट ने कहा कि हम केवल तस्वीरों के आधार पर ही किसी को दोशी नहीं मान सकते हैं। अदालत ने यह भी कहा कि इस मामले में जिन्हें आरोपी बनाया गया उन्होंने बाबरी के ढांचे को बचाने की कोशिश की थी। कोर्ट ने कहा कि बाबरी विध्वंस की घटना कोई पूर्व नियोजित नहीं थी। यह घटना एक आकस्मिक घटना थी। कोर्ट ने अखबारों को साक्षी ना मानते हुए कहा कि आरोपियों के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला बल्कि हम तो इस नतीजे पर पहुंचे हैं की उन्होंने उन्मादी भीड़ को रोकने की कोशिश की थी।
जानिए लालकृष्ण आडवाणी ने बाइज्जत बरी होने पर क्या कहा
उन्होंने कहा कि यह हम सबके लिए बहुत ही खुशी का प्रसंग है मैंने जब यह समाचार सुना तो “जय श्री राम कहकर” इस समाचार का स्वागत किया। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि आज हम बाइज्जत बरी हो गए हैं।
इस अवसर पर बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा
मुरली मनोहर जोशी ने कहा कि मैं इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करता हूं, और यह भी समझता हूं कि अभी पूरा देश इस निर्णय से प्रसन्न है।
बीजेपी सांसद विनय कटियार अयोध्या के बाद अब वृंदावन, मथुरा व काशी को याद किए
विनय कटियार ने कहा कि मथुरा और काशी का जो मामला है वह सब संतो को बुलाकर तय करेंगे और मथुरा, वृंदावन तो पूरा का पूरा साधु संतों का ही गढ़ है।
बाबरी विध्वंस मामले में 32 लोगों पर आरोप लगे जो अब बड़ी हुए हैं उनके नाम हैं
इस मामले में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, सुधीर कक्क्ड़, राम चंद्र खत्री, सतीश प्रधान, कल्याण सिंह, उमा भारती, ओम प्रकाश पांडे, संतोष दुबे, राम विलास वेदांती, प्रकाश शारना, विनय कटियार, गांधी यादव, लल्लू सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामजी गुप्ता, महंत नृत्य, गोपाल दास, बृजभूषण सिंह, चंपत राय, विनय कुमार राय, साक्षी महाराज, नवीन भाई शुक्ला, जय भगवान गोयल, धर्मदास, अमरनाथ गोयल, धर्मेंद्र सिंह, गुर्जर आरएम श्रीवास्तव, साध्वी रितंभरा, पवन पांडे, विजय बहादुर सिंह आरोपी थे। जिन्हें सीबीआई की विशेष अदालत से बुधवार को बरी किया गया। यह अब एक ऐतिहासिक केस बन गया है क्योंकि 28 वर्ष से चल रहे इस केस की सुनवाई कोर्ट ने 2300 पन्नों में दिया है।