गोरखपुर के राप्ती नदी से एक दुखद खबर निकलकर सामने आ रही है। दरअसल गोरखपुर में पिछले 3 दिनों से लगातार बारिश हो रही थी। बारिश के कारण गोरखपुर के इलाकों में काफी पानी भर चुका है। लोगों को आने जाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैम लेकिन सबसे डराने वाली जो खबर है वह यह कि इस बारिश ने राप्ती नदी में भयानक बाढ़ की आशंका को जीवित कर दिया है। दरअसल हफ्ते भर पहले जिस राप्ती नदी में खतरे के निशान से 3 मीटर से भी अधिक नीचे तक पानी बह रहा था उसी नदी का पानी अब खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है। जिसने राप्ती नदी के आसपास वाले इलाकों के लोगों को डरा दिया है।
कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश की वजह से चारों ओर पानी ही पानी है। खेत और अन्य इलाकों में जमे पानी तालाब का रूप धारण कर चुके है। चारों तरफ वैसे ही भयानक नजारा है, ऊपर से नेपाल के पहाड़ियों का पानी राप्ती नदी में आने से नदी का जलस्तर लगातार बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है, जो एक विध्वंस का संकेत दे रहा है। डुमरियागंज कस्बे के पश्चिम नौखान व नदी के बीच बसे बड़हरा गांव की स्थिति लगातार बिगड़ती ही जा रही है।

गौरतलब है कि बढ़ते जलस्तर से कटान होना शुरू हो गई है और कटान से हिसाब का पानी गांव में घुसने से पूरे ग्राम में दहशत का माहौल है। ऐसे में प्रशासन को उचित व्यवस्था करना अनिवार्य है अगर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो बांध अगर टूट गया तो पूरा गांव पानी में डूब जाएगा।
जब इस बारे में गांव के लोगों से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि जब बाढ़ आती है तो पूरा गांव पानी में डूब जाता है और भीषण बर्बादी होती है। सारे फसल नष्ट हो जाते हैं, खाने के लाले पड़ जाते हैं पूरे साल भर की मेहनत बेकार हो जाती है। बाढ़ के दौरान कुछ बाबू लोग गांव में आते हैं और कुछ संतोषजनक वादे भी करके जाते हैं। वह लोग कहते हैं कि इस बार ऐसा मजबूत बांध बनेगा जो कभी नहीं टूटेगा। लेकिन एक बार जो गांव से जाते हैं, फिर लौट कर नहीं आते और फिर अगले साल की यही कहानी होती है। ग्रामीण लोग मजबूत बांध के लिए लगातार गुहार लगा रहे हैं और आशा में है कि जल्द ही उनकी परेशानी दूर की जाए और बांध का निर्माण किया जाए।
लगभग हर साल बारिश के दिनों में नेपाल की ओर से आने वाली बाढ़ के पानी के वजह से सीमावर्ती इलाकों में बाढ़ का खतरा बना रहता है। बाढ़ के पानी से कटान विकट स्थिति में पहुंच चुका है। बाढ़पानी से परेशान होकर इलाके के लोग प्रशासन व्यवस्था से लगातार कटान रोकने और पक्की व्यवस्था करने की मांग कर रहे हैं लेकिन कोई संतोषजनक प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है।