22 सितंबर का दिन गुलाब दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को इसीलिए मनाया जाता है ताकि दुनिया में जो लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ रहे हैं उन लोगों को जीवन के लिए एक नई उम्मीद नई आशा से भरा जा सके। इस दिवस उनमें एक अलग जज्बा पैदा करके अंदर से मजबूत बनाने के लिए और बिमारी से लड़ने के लिए हिम्मत पैदा किया जाता है। ताकि बीमारियों से जूझ रहे उन लाखों लोगों के मन में एक सकारात्मक भाव उपज सके। यह दिन लाखों की तादाद में बीमारियों से लड़ रहे लोगों को समर्पित होता है।
विश्व गुलाब दिवस(World Rose Day) दरअसल में 12 वर्षीय नन्हीं बच्ची मेलिंडा रोज नाम की लड़की को समर्पित है। जिसने सबसे कम आयु में जीवन जीने की चाहत से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी को हराने का जज्बा दिखाया था। और लाखों कैंसर पीड़ित मरीजों के लिए प्रेरणा बन गई। मेलिंडा रोज के याद में हर साल 22 सितंबर को (World Rose Day) विश्व गुलाब दिवस मनाया जाता है। 12 वर्ष की “मेलिंडा रोज” एक छोटी सी बच्ची थी। लेकिन उस छोटी सी उम्र में ही सन् 1994 में मेलिंडा को आस्किन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया। जो कि एक किस्म का खतरनाक रक्त कैंसर होता है।
डॉक्टरों के अनुसार बताया गया था की वह कुछ ही हफ्तों में मर सकती जाएगी। क्योंकि उसकी बीमारी लास्ट स्टेज यानी की अंतिम अवस्था में थी। यह बात सुनकर मेलिंडा के माता-पिता और उसके पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। लेकिन मेलिंडा अपने आप को पूरी ताकत से इस बीमारी से लड़ने के लिए तैयार कर चुकी थी। उसने जीवन के हर एक पहलू को सकारात्मक दृष्टि से देखना शुरू किया था और अपनी बीमारी से लड़ने का हर संभव जितना हो सके प्रयास करती रही। वह ना सिर्फ अपने अंदर जिंदगी को जीने की चाहत को मजबूत कर रही थी बल्कि आसपास में रह रहे कैंसर से पीड़ित लोगों को भी इस बीमारी से लड़ने के लिए प्रेरित कर रही थी। बहुत से पीड़ित लोगों में उसने सकारात्मक भाव को पैदा किया। जीवन जीने की एक नई चाहत पैदा की। वह हर समय केंसर पीड़ित लोगों और उनके परिवार, परिजन, उनकी देखभाल कर रहे लोगों को पत्र लिखती थी और कविता, ईमेल के माध्यम से समय-समय पर उनमें जिंदगी के लिए नया उत्साह भरती थी। उन मरीजों को खास होने का एहसास दिलाती थी।
उसने अपने दुख को भूलाकर दूसरे के दुख को महसूस किया। उसका दूसरों के प्रति, दूसरे कैंसर मरीजों के मानवीय संवेदनायो व जीवन के प्रति बहुत लगाव था। और वह लोगों के लिए प्रेरणा बन गयी। जो डॉक्टर उसे कुछ दिनों का मेहमान बता रहे थे, सकारात्मक सोच के कारण वह बच्ची पूरे 6 महीने तक जीवित रही। उसने अपने आखिरी सांस तक जिंदा रहने के उम्मीद को नहीं छोड़ा। अंतिम समय तक भी उसने उस बीमारी से लड़ने का संघर्ष जारी रखा। अपनी बीमारी से सामना करते हुए सितंबर महीने में उसने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। मेलिंडा रोज जो 6 महीने बाद कैंसर की बीमारी से हार गई। लेकिन उसका जीवन जीने का जो जज्बा था उस जज्बे से प्रेरित होकर कई कैंसर से पीड़ित मरीजों को अपनी बीमारी से लड़ने के लिए हौसला मिला। वह उन सब लोगों के नए जीवन के लिए एक नई प्रेरणा बन गई। उसके इसी जज्बे को सलाम करने के लिए हर साल 22 सितंबर के दिन विश्व गुलाब दिवस के रूप में मनाया जाता है।
World Rose Day के दिन कई तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है
इस दिन सरकार और विभिन्न स्वयंसेवी संस्था, समाजिक कार्यकर्तायो के द्वारा अनेक तरह के कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस दिन कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाता है। इस दिन बीमारी से लड़ने के लिए लोगो को प्रेरित किया जाता है। जिंदगी को जीने के लिए और सकारात्मक दृष्टि से देखने के लिए बीमारी से लड़ने वाले लोगो में जागरूकता पैदा करने की एक छोटी सी कोशिश की जाती है। इस बीमारी से जुड़ी सारी जानकारी भी लोगों को प्रदान की जाती है।
World Rose Day के दिन कई बड़े-बड़े अस्पतालों और स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा जगह-जगह पर शिविर का आयोजन किया जाता है और उन शिविरो में कैंसर की जांच कराई जाती है। लोगों को इस बात से अवगत कराया जाता है ताकि मजबूत इच्छाशक्ति को बनाए रखें और सकारात्मक भावना को लेकर इस बीमारी से लड़ते रहे। इस दिन कई लोग कैंसर के अस्पताल में जाकर कैंसर के रोगियों को गुलाब के फूल, कार्ड और उपहार देते हैं। गुलाब का फूल केवल प्रेम के भाव को व्यक्त करने की कोमल भावनाओ की ही नहीं बल्कि गुलाब का फूल प्रतीक है संघर्ष करके खिलने का और अपने चारों ओर के वातावरण को खुशबू से महकाने का और इसीलिए गुलाब के फूल को कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए हिम्मत और हौसला का प्रतीक बनाया है।

आप लोग भी इस रोज डे अपनेेे आसपास के लोगों को हौसला दीजिए और सभी को जिंदगी जीने की एक नयी राह दिखाइए। इस रोज डे सबकी जिंदगी में खुशियां भरने का एक छोटा सा प्रयास हमारी तरफ से भी जरूर होनी चाहिए, इसी हौसले के साथ यह रोज डे उमंग के साथ में मनाइए।