विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, हर साल 8 लाख के करीब लोग आत्महत्या करते हैं, जो हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति है।
यह संच है कि जीवन चुनौतियों से भड़ा है, लेकिन फिरभी हम सभी के लिए अपने जीवन को जीना हमारा अधिकार और कर्तव्य दोनो है। आज के पोस्ट में मैं, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी के द्वारा सुझाये 7 मार्ग और सोचने का तरीके के बारे में बताऊंगी, जिसे पढ़कर आपको यह एहसास होगा कि आत्महत्या आपकी समस्याओं का जवाब नहीं है। ज्ञान की यह बातें आपके दर्द को काफी हद तक कम कर सकते हैं, और दृष्टिकोण में निश्चित तौर पर बदलाव पैदा कर सकते हैं, आशा पैदा कर सकते हैं। तो चलिए जानते हैं उन 7 मंत्रो के बारे में।

आध्यात्मिक ज्ञान
यह केवल शरीर के माध्यम से सम्भव हो सकता है कि आप जीवन की पीड़ा को दूर कर सके और दुख से छुटकारा पा सके। लेकिन इसके बजाय, आप बहुत से ऐसे साधन को खुद अपने हाथों नष्ट कर देते हैं, जिससे आप पीड़ा से छुटकारा पा सकते थे। यही कारण है कि आध्यात्मिक ज्ञान इतना महत्वपूर्ण है।
दुख दूर नहीं होता
अगर कोई व्यक्ति ठंड में कांप रहा है और वह बाहर चला जाता है और अपने सारे कपड़े निकाल देता है, तो आप उसे क्या कहेंगे? आप पहले से ही एक गर्म कमरे में ठंड महसूस कर रहे हैं, ऊपर से आप खुले में आ गए और कहते हैं, “मैं बहुत ठंडा हूं”, और अपनी जैकेट, अपनी टी-शर्ट, अपने आंतरिक कपड़ों को हटा दिए। क्या ऐसा करने से ठंड कम हो जाएगी?
अब आप इस बात पर थोड़ा और विचार कीजिये और उस व्यक्ति की जगह खुद को रखकर परिस्थिति को थोड़ा अलग तरीके से देखने का प्रयास कीजिये।
यह चिंता करना बेकार है कि समाज आपके बारे में क्या सोचता है
लोग आत्महत्या करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा, अपनी स्थिति खो दी है। लेकिन आपकी प्रतिष्ठा के बारे में सोचने का समय किसके पास है? हर कोई अपनी समस्याओं से, अपने मन से उलझा हुआ है। वे अपने मन से बाहर नहीं निकल सकते। फिर उनके पास, आपके बारे में सोचने का समय कहां है? दरसल इस प्रकार की भावनाएं इसलिए आती हैं क्योंकि आपको लगता है कि अन्य लोग आपका अनादर करने वाले हैं। यह सोचना बेकार है कि समाज आपके बारे में क्या सोचता है।
मानव शरीर अनमोल है
इतने सारे अलग-अलग जीवन और विभिन्न कठिनाइयों के बाद आपको एक मानव शरीर मिलता है, एक मानव जन्म। एक कीड़ा, एक मेंढक, एक बिच्छू, एक सर्प, एक मुर्गी, कहीं किसी छेद में एक चूहा, एक बिल्ली, एक कुत्ता, एक पक्षी इत्यादि न जाने किस किस योनि से गुजरने के बाद एक मानव जीवन मिलता है। इसीलिए यह बहुत कीमती है और इसको खुद अपने हाथों से गवाना कहीं से भी समझदारी नही है।

आनंद के लिए आपकी ललक ही आपके अवसाद का मुख्य कारण है
सबसे पहले तो आप इस बात को समझिए की सभी सुख क्षणिक हैं, आखिर वे कब तक रहेंगे? देखें कि वे कितने क्षण के हैं। पांच से दस मिनट का आनंद और फिर यह चला गया। तो फिर यह क्या है जिसपर आप लटके हुए हैं? कुछ लोग आपकी सराहना करते हैं? जान लीजिए, इसका कोई अर्थ नहीं है। लोग आपके सामने आपकी सराहना करते हैं, आपके पीछे वे आपके बारे में जलन महसूस करते हैं। यही होता आ रहा है और यही होगा। वे आज आपकी प्रशंसा करेंगे तो कल आपकी आलोचना करने से भी पीछे नही रहेंगे।
तो सराहना क्या है? यह केवल कुछ विचार हैं जो किसी के दिमाग से गुजर रहे हैं। क्या आपको लगता है कि वे इसे हमेशा के लिए कर रहे हैं। कुछ लोगों के पास अच्छी टिप्पणियां हैं और कुछ लोगों की गलत टिप्पणियां हैं, तो क्या?
अगर कोई आपकी आलोचना करता है, तो क्या? जो आपकी आलोचना करते हैं वे भी मरने वाले हैं, और आप, जिनकी आलोचना की जा रही है वह भी मरने वाला है। एक दिन सब खत्म हो जाएगा। तो आप किसी की सराहना, या आलोचना के बारे में इतने परेशान क्यों हैं? इसके बदले अगर आप हल्के ढंग से रहते हैं, तो अवसाद का सवाल ही कहां है।
अपने जीवन को एक सामाजिक कारण के लिए समर्पित करें, कुछ उच्च कारणों के लिए
उन लाखों लोगों को देखें जो आप से अधिक पीड़ित हैं। फिर आप क्यों इतना दुखी है, आप किस चीज के पीछे भाग रहे हैं। दरअसल आपकी अधूरी इच्छाएं ही आपके अंदर असंतुुष्टि पैदा कर रही है और वह असंतुष्टि ही दर्द का रूप ले रही है, आपकी इच्छाओ को उबाल रही है। फिर यही भावनाएं आपको आत्महत्या करने के लिए प्रेरित कर रही हैं।
अपने जीवन को एक सामाजिक कारण के लिए समर्पित करें, कुछ उच्च कारणों के लिए। ऐसा करने से आपका दुख छोटा हो जाएगा और जब आपका दुख छोटा हो जाएगा, तो आप कभी भी आत्महत्या करने के बारे में नहीं सोचेंगे।
जीवन खुशी और दर्द का एक संयोजन है
दर्द अपरिहार्य है, लेकिन पीड़ा वैकल्पिक है। जीवन में एक व्यापक दृष्टिकोण रखने से आपको दर्दनाक समय में आगे बढ़ने की ताकत मिलती है। जान लें कि इस दुनिया में आपकी बहुत जरूरत है। अपनी सभी असीम संभावनाओं के साथ, यह जीवन आपके लिए एक उपहार है, यह न केवल अपने लिए बल्कि कई अन्य लोगों के लिए भी खुशी और खुशी का एक फव्वारा बन सकता है। ”
अगर आप लोग भी इन दिनों चिंतित, तनावग्रस्त महसूस कर रहे हैं हैं तो आप लोग आर्ट ऑफ़ लिविंग की सलाहकारों की मदत ले सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर – +91 8067612338
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर का कहना है कि हर भावना सांस के साथ जुड़ी हुई है। यदि आप श्वास को बदलते हैं, तो लय को बदलिए, आप भावना को बदल सकते हैं। इसलिए, जब आप सीधे अपनी भावनाओं को नियंत्रित नहीं कर सकते, तो सांस की मदद से आप ऐसा कर सकते हैं।
ऑनलाइन मेडिटेशन और ब्रेथ वर्कशॉप से आप लोग हमारे समय की सबसे शक्तिशाली साँस लेने की तकनीक, सुदर्शन क्रिया योग के बारे में जान सकते हैं। शोध अध्ययन से पता चलता है कि इस तकनीक के नियमित अभ्यास से तनाव हार्मोन में 56% की कमी होती है और लाक्षणिक और गैर लाक्षणिक अवसाद में काफी कमी आती है।