हेलो दोस्तों! कैसे हैं आप सभी? आज बड़े दिनों के बाद Mood हुआ कि आपके साथ कुछ चटपटा और मजेदार शेयर किया जाए। इसीलिए आज मैं आपके लिए कुछ Spicy लेकर आई हूं। आशा करती हूं आप सभी को यह पसंद आएगा। आज मैं जो आपके लिए लेकर आई हूं, वह कोई कहानी नहीं है बल्कि एक हकीकत है। दुनिया में कौन इंसान अंदर से कैसा है यह कोई नहीं बता सकता। देखने में तो सभी सीधे-साधे और अच्छे ही लगते हैं, लेकिन अंदर से वह व्यक्ति कैसा है, यह हम तभी जान सकते हैं जब गहराई से उस व्यक्ति को समझा जाये। आज मैं आपको जो सुनाने जा रही हूं, वह एक न्यूज़ पेपर में आया था और बिल्कुल हकीकत घटना है। तो चलिए शुरू करते हैं।
यह कहानी शुरू होती है एक सब्जी वाले से जो एक मोहल्ले में रोज सब्जियां बेचा करता था और मोहल्ले की सभी औरतें उसी से सब्जी लेती थी। वह सब्जीवाला स्वभाव से बहुत सीधा-साधा था। लेकिन सबसे खास वजह उस सब्जी वाले से सब्जी खरीदने की यह थी कि वह सभी महिलाओं को उधार दे देता था और कभी भी पैसे के लिए टोका-टोकी नही करता था। जो भी महिला उससे सब्जी लेने आती वह चुपचाप उस महिला को सब्जी दे देता और जितना भी पैसा होता है, अपने खाते में लिख लेता था। उसके बाद सब्जीवाला कभी भी पैसे का जिक्र खुद नही करता था।महिलाएं भी अपने अपने खाते में लिखकर रखती थी और जब भी उनके पास पैसे आ जाते थे वह सब्जी वाले को दे देती थी। सब्जी वाला भी अपने खाते से हिसाब देख लेता था। जब भी महिलाएं बीच-बीच में सब्जी वाले से पूछती कि कितना पैसा हुआ है तो वह अपने हिसाब वाले खाते को देखता और महिलाओं को झट से हिसाब बता देता। लेकिन आश्चर्य की बात तो यह थी कि वह किसी भी महिला का नाम नहीं जानता था, जिस वजह से महिलाएं आश्चर्यचकित रह जाती थी कि वह सब्जी वाला बिना किसी भी महिला का नाम जाने सब का हिसाब सही सही कैसे बताता है, ना ही वह कभी किसी से नाम पूछता है। फिर एक दिन एक महिला को उपाय सूझा। उसने सब्जी वाले के हिसाब वाले खाते को ही चुरा लिया और खाते में उस महिला ने जो देखा उसे देखकर सारी महिलाएं आश्चर्यचकित रह गयी।
सब्जी वाले के खाते में कुछ इस तरह से लिखा था
बिलइया – 20
नकचिप्टी – 18
संवरकी – 20
मोटकी – 40
चितकबरी – 15
पतरकी – 10
भैंसिया – 22
बकबकहि – 12
भुअरकी – 30
कुकुर वाली – 50
मुँहटेढ़ी – 15
कंडेढ़ी – 28
बन्दरमुहि – 35
दंतुलि – 10
बहिरी – 60
“OH MY GOD” यह तो सिर्फ अपने इंडिया में ही हो सकता है। हंसी आ गई ना आप लोगों को भी और सच बताइए, इन नामों को पढ़कर आप लोगों को भी ऐसा ही लगा ना जैसे उस सब्जी वाले का चरित्र आपके फैमिली वालों से मिलता है। आप लोग भी अपने पड़ोसी और जान-पहचान वालों के ऐसे ही अटपटे नाम रखते हैं ना। अक्सर हम जिस व्यक्ति का नाम नहीं जानते, उसके हाव-भाव और रूप-रंग के हिसाब से अपने Mind में उसका एक नाम तैयार कर लेते हैं और उसको फिर उसी नाम से बुलाना शुरू कर देते हैं। उसके सामने नहीं बुलाते लेकिन उसके पीठ-पीछे अपने परिवार के बीच उस व्यक्ति को उसी नाम से बुलाते हैं, जो हमने तय किया है। फिर वह नाम अच्छा भी हो सकता है या गंदे से गंदा भी हो सकता है। हमारे Mind में जो आता है, हम उसका वही नाम फिक्स कर देते हैं।

लेकिन भले ही हम किसी व्यक्ति को कोई भी नाम से बुलाये लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम उस व्यक्ति को सम्मान नहीं देते या फिर हम उस व्यक्ति की तुलना उस नाम से करते हैं। हम अपनी सुविधा के हिसाब से और आदत से मजबूर होकर ऐसा करते हैं लेकिन हम इंडियावाले कभी लोगों को Disrespect नही करते और यकीनन सब्जी वाले की भी नियत महिलाओं के प्रति बुरी नहीं थी। बस उसको संकोच हुआ उन महिलाओं का नाम पूछने में और उनके शक्ल के हिसाब से उसको जो भी नाम समझ में आया उसने रख दिया। इसमें सब्जी वाले की कोई गलती नहीं थी। लेकिन फिरभी सब्जीवाले को उन महिलाओं के अच्छे अच्छे नाम रखने चाहिए थे
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