आजकल हर कोई छोटी-मोटी परेशानियों से परेशान होकर इस जिंदगी से मुंह मोड़ लेता हैं और आत्महत्या जैसा घिनौना कदम उठा लेता है। वजह चाहे कुछ भी हो लोग अचानक ही आत्महत्या करके इस जिंदगी से मुँह मोर लेते हैं। पिछले कुछ सालों में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में खुदकुशी की घटनाएं तेजी से बढ़ने लगी है। ज़िन्दगी की परेशानियों के कारण लोगो में हताशा और निराशा है, जिस कारण लोग आत्महत्या जैसा कदम उठा रहे हैं। इसे रोकने के लिए सन 2003 में IASP इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ सुसाइड प्रिवेंशन ने विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस शुरू किया गया था।
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आजकल , हर उम्र के लोग आत्महत्या के चपेट में आ रहे हैं। दुनिया के हर चीज से लोगों का मोह खत्म हो रहा है। आज 10 सितंबर को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस है। इस साल 2020 में वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे का थीम “वॉकिंग टुगेदर टू प्रिवेंट” यानी कि “आत्महत्या पर रोक लगाने का काम करना है” रखा गया है।
लोग पारिवारिक समस्याओं के कारण अपने आपको खत्म कर लेते हैं और साथ ही कई सारे लोग तो ऐसे हैं जो अपनी नौकरी या शादीशुदा जिंदगी से जुड़े किसी समस्या के कारण परेशान होकर आत्महत्या कर लेते हैं। इसके अलावा बच्चों में अगर देखा जाए तो एग्जाम और बेरोजगारी जैसी चीजों से परेशान होकर बच्चे भी सुसाइड जैसा कदम उठा लेते हैं, जो कि बिल्कुल भी सही नहीं है। जब व्यक्ति किसी बात से परेशान होकर संपूर्ण रूप से अकेला हो जाता है तो व्यक्ति आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता है।
अगर आंकड़ों को देखा जाए तो विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर 40 सेकंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। इस हिसाब से अगर आप देखे तो हर साल 8 लाख से भी ज्यादा लोग आत्महत्या कर लेते हैं। और इससे भी अधिक संख्या में लोग आत्महत्या का कोशिश करते हैं लेकिन किसी कारणवश वह बच जाते हैं। तो इस आंकड़ो के हिसाब से आप देख सकते हैं कि, आज के समय में लोगों में कितना ज्यादा मानसिक तनाव आ गया है। आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में 79 फीसदी आत्महत्या करने वाले लोग निम्न और मध्य वर्ग के देशों के ही होते हैं।
जब कोई व्यक्ति मानसिक रूप से दबाव में आ जाता है और हर समय परेशान रहता है तो ऐसे में उसके व्यवहार मे कुछ समय से आप बदलाओ देख सकते हैं। ऐसे लोगो में आप देखेंगे तो वह हर समय किसी भी चीज और लोगों से दूर रहना पसंद करते हैं। सोशल मीडिया इत्यादि से तो पूरी तरह ही दूरी बना लेते हैं। कोई व्यक्ति बहुत ज्यादा बुरी तरह मानसिक तनाव की स्थिति से गुजरता है तो, वह व्यक्ति पूरी तरह अवसाद में चला जाता है और उसी अवसाद के कारण वह आत्महत्या जैसा कदम उठा लेता हैं। ईसी को रोकने के लिए हर साल 10 सितंबर को “World Suicide Prevention Day” के रूप में मनाया जाता है। इस दिवस को हर साल लोगों में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता फैलाने और आत्महत्या के बढ़ते मामलों को रोकने के लिए मनाया जाता है।

कभी-कभी ऐसा लगता है कि सब कुछ लोग Normal है लेकिन वाकई में ऐसा कुछ नहीं होता और जब सब कुछ खराब हो जाता है, सब कुछ खत्म हो जाता है तब हमे एहसास होता है कि हमें शक तो पहले से ही था फिर हमने एक्शन क्यों नहीं लिया। अगर आपको भी ऐसा कुछ शक हो की आपका कोई फ्रेंड, फैमिली मेंबर या फिर पड़ोसी ही मानसिक तनाव का शिकार हो रहा है, हर समय अवसाद में रह रहा है, समाज से खुद को अलग रखना चाह रहा है और आपको लगे कि वह कोई गलत कदम उठा सकता है तो समय न गवातें हुए तुरंत सही एक्शन ले। अपने लेवल पर समझाने का प्रयास करें, किसी ऐसे व्यक्ति की सहायता ले जो इसमें आपकी मदद कर सकता है। ध्यान रखें, किसी की जिंदगी बचाने, किसी की तकलीफ दूर करने से बढ़कर कोई पुण्य का काम नहीं होता इस दुनिया में।