Onam 2020: क्या आपको पता है, केरल के सबसे खास त्योहार ओणम के बारे में यह बातें ?
उत्सव, रीति-रिवाज, जश्न, पूजा-पाठ, हर धर्म में इन शब्दों का अपना एक खास महत्व है। हर धर्म में अलग-अलग तरीके से अलग अलग उत्सव को मनाया जाता है। खास करके हिंदू धर्म में त्योहारों की कमी नहीं है, पूरे साल एक के बाद एक त्यौहार आते रहते हैं और लोग उसे मनाते रहते हैं। अलग अलग धर्म के साथ-साथ अलग-अलग शहरों, जिलों और राज्यों में भी अलग-अलग त्योहारों का प्रचलन है। जिस तरह कोलकाता में दुर्गा पूजा, असम में बिहू, बिहार में छठ पूजा, पंजाब में बैसाखी प्रसिद्ध है, ठीक उसी तरह केरल का मुख्य त्यौहार है ओणम। यह केरल का एक बहुत ही और खास त्यौहार है, जिसके बारे में सभी को जानना चाहिए।

ओणम क्या है, यह त्योहार कैसे मनाया जाता है
पूरे दक्षिण भारत में, खासकर केरल में मनाया जाने वाला एक बहुत ही खास और महत्वपूर्ण त्योहार है ओणम। मलयालम लोग इस त्योहार को मनाते हैं। हमारे देश में बहुत सारे ऐसे त्यौहार है जो फसलों की उपज और समृद्धि के साथ जुड़े हुए हैं। उदाहरण के तौर पर आप लोग असम के रंगाली बिहू को ही ले लीजिए। जिस प्रकार असम में फसलों के त्योहार के रूप में रंगाली बिहू मनाया जाता है, ठीक उसी तरह बाकी अलग-अलग जगहों में भी बहुत से त्यौहार फसलों को समर्पित है। इसी तरह ओणम भी फसलों को समर्पित एक मलालयम त्योहार है। यह त्योहार पूरे 10 दिन तक मनाया जाता है और हर दिन एक नई कार्यक्रम होती है।

हर घर में फूलों की बरसात
इस त्यौहार में लोग मंदिर न जाकर घर पर ही पूजा करते हैं। पूरे 10 दिन तक केरल के हर घर में ओणम की रौनक रहती है। पहले दिन से ही घर में फुल-ग्रह(पुक्कलम) बनाना शुरू हो जाता है और 8 दिन तक उस फूल-ग्रह(पुक्कलम) को रोज नए-नए फूलों को ऐड करके से सजाया जाता है। किसी एक कमरे को साफ करके उस कमरे में, रंग-बिरंगे सुगंधित फूलों को गोलाकार रूप से सजाया जाता है और उसे एक सुंदर आकार दिया जाता है। प्रत्येक दिन उस फूल-ग्रह का आकार बड़ा होते रहता है क्योंकि और भी फूल रोज उस सजावट में जुड़ते रहते हैं। इस सजावट के लिए, खास करके पीले रंग के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है।
भगवान विष्णु, असुर राजा महाबली और ओणम
आठवे दिन, भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित करके पूरे परिवार के लोग एक साथ मिलकर पूजन करते हैं। रात को श्रावन देवता और गणपति की मूर्ति भी सजाई जाती है और पूजा अर्चना की जाती है। दसवे दिन और ओणम का आखिरी दिन होता है और इस तीन मूर्ति को विसर्जित कर दिया जाता है। यह त्यौहार असुर राजा महाबली के साथ जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि ओणम के दिनों में राजा महाबली अपनी प्रजा को देखने और उनका हालचाल जानने के लिए केरल आते हैं। उन्ही के सम्मान में यह आयोजन किया जाता है और 10 दिन तक ओणम का त्यौहार मनाया जाता है।
पर्यटकों का केरल में आगमन
सिर्फ इतना ही नहीं, ओणम के दिनों में पूरे देश से लोग केरल पहुंचते हैं, उनका त्यौहार मनाने और वहां की सुंदरता को देखने के लिए। इस त्यौहार की जनप्रियता को देखते हुए 1961 में सरकार ने ओणम को केरल के नेशनल फेस्टिवल के रूप में घोषित कर दिया।
पूरे केरल में पकवानों का जलवा
ओणम के त्यौहार में पूरा केरल स्वादिष्ट और जायेकेदार व्यंजनों की सुगंध से महक उठता है। अलग-अलग प्रकार के काफी सारे पकवान इस त्योहार पर बनाए जाते है। राजा महाबली को सबसे पहले भोग लगाया जाता है, उसके बाद वहीं पकवान प्रसाद के रूप में ग्रहण किये जाते है। व्यंजनों में खीर प्रमुख है, शुद्ध दूध का खीर हर घर में बनाया जाता है। इसके अलावा चावल, अलग-अलग प्रकार के दाल, कई तरह की सब्जियां,, केले के चिप्स, पापड़, फल, दही इत्यादि भी परोसे जाते हैं। यह सारे भोजन थाली में ना परोसकर केले के पत्ते में परोसा जाता है।

2020 में ओणम
इस साल 2020 में ओणम, 21 अगस्त को शुरू हो चुका है और इस त्योहार का समापन 2 सितंबर को होगा। लेकिन मुख्य ओणम 31 अगस्त सोमवार को मनाया जायेगा।
आपको ओणम त्योहार से जुड़ी यह जानकारी कैसी लगी मुझे कमेंट करके जरूर बताएं। इस लेख को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद।
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