भारत में विभिन्न प्रकार के हस्तशिल्प , कला और संस्कृति : जानिये इससे संबंधित जानकारी
आदि काल से हाथ के बने हुए वस्तुएं भारत में बेहद मशहूर है। जहां तक कला और संस्कृति का सवाल है, भारत दुनिया में सबसे अधिक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देशों में से एक है। भारत के हस्तशिल्प को दुनिया भर के कोने कोने में प्यार और सम्मान प्राप्त हुआ है । कई ग्रामीण लोग अभी भी अपनी रचनात्मक कलाओं से अपनी दैनिक जीवन संबंधी आजीविका कमाते हैं। भारत अभी भी अपने कारीगरों, अपनी कला और अपने हस्तशिल्प को संरक्षित करने में पूर्ण रूप से कामयाब रहा है। हाथ से बने हुए समाग्री को कारीगरी कहा जाता है। हस्तशिल्प में कारीगर किसी भी प्रकार के मशीन का उपयोग नहीं करते है। हस्तशिल्प से विभिन्न प्रकार के कागज़ , लकड़ी , मिटटी , पत्त्थर , धातु , चित्रकारी , जूट के सामान इत्यादि बनाये जाते है।
भारत अपनी कला और अनोखी संस्कृति के लिए विश्व भर में लोकप्रिय है। भारत के कई प्रकार के कुशल कारीगर है और उनके रचनातमक कला ने भारतीय हस्तशिल्प को प्रसिद्ध बनाया। गाँव में रहने वाले अधिकतर लोग कृषि के साथ , हाथ की बेहतरीन वस्तुओं को बनकर अपना दैनिक जीवन गुजारा करते है।
आज हम इस लेख के माध्यम से देश के विभिन्न हस्तशिल्पो के विषय में बताएँगे :
बांस
भारत में बांस अधिक मात्रा में पाए जाते है। बांस से लोग गुड़िया , टोकरी , चटाई , खिलोने , काठी , गहने इत्यादि बनाये जाते है। बांस से बनी सामग्री ज़्यादातर पश्चिम बंगाल , असम और उत्तर पूर्वी राज्यों में ज़्यादा बनाये जाते है।
बेलमेटल
इस प्रकार के धातु का उपयोग सिंदूर के बक्से , मोमबत्ती स्टैंड और कई प्रकार के वस्तु बनाये जाते है। इस प्रकार की हाथ की कारीगरी मध्यप्रदेश , असम ,मणिपुर में ज़्यादा देखने को मिलती है।
हड्डी के हस्तशिल्प
बहुत सारे कारीगर हड्डी और सींग के बेहतरीन हस्तशिल्प चिड़िया और जानवरो की आकृति बनाने के लिए मशहूर है। यह बिलकुल असली प्रतीत होते है। इससे घर की सजावट की चीज़ें , पेनस्टैंड , गहने, लाफिंग बुद्धा इत्यादि का निर्माण किया जाता है। कर्नाटक और केरल जैसे राज्यों में इसका निर्माण किया जाता है।
मिटटी की बनी हुयी आकर्षक वस्तुएँ
भारत की हड़प्पा और मोहनजोदड़ो सभ्यता और संस्कृति पूरे दुनिया में लोकप्रिय है। यहाँ के बनी हुई चीज़ों पर आज भी शोधकर्ता रिसर्च कर रहे है। मिटटी के बर्तन बनाने वाले को कुम्हार कहते है। ग्रामीण जगहों पर अक्सर लोग विभिन्न प्रकार के मिटटी के वस्तुओं का निर्माण करते है , जिस पर पर्यटक मोहित हो जाते है। पश्चिम बंगाल के कृष्णागर ,बीकानेर , लखनऊ इत्यादि राज्यों में मिटटी के अलग अलग मटके , फूलदान , घर पर सजावट के सामान, इत्यादि कुम्हार बनाते है और बाद में इस पर नक्काशी भी करते है।
मिटटी के हस्तशिल्प के अंतर्गत लाल , काले और ग्रे बर्तन बनाये जाते है। मिटटी के बर्तनो को गोल चाक पर बनाया जाता है। बनाते समय हाथों की सहायता से इसे विशेष रूप दिया जाता है। इसमें अभ्यास की बेहद ज़रूरत होती है। चाक की मदद से गीली मिटटी को एक सुन्दर आकार दिया जाता है और सुख जाने के बाद इन बर्तनो को ऊँचे तापमान में भट्टी पर रखा जाता है।
उसके बाद विभिन्न रंगो से उसपर चित्रकारी की जाती है। मिटटी के गमले , हुक्के , भोजन रखने के लिए पात्र इत्यादि लोगो को बहुत पसंद आते है। बीकानेर अपने चित्रित मिट्टी के बर्तनों के लिए प्रसिद्ध है, ज्यामितीय पैटर्न के साथ मिट्टी के बर्तनों के लिए पोखरण लोकप्रिय है । जयपुर का नीला बर्तन भी बहुत प्रसिद्ध है। कुम्हार भारत की शिल्प परंपराओं को उँचाईओं पर ले गया है।
जूट हस्तशिल्प
पूरे विश्व में जूट की सामग्री की बड़ी मांग है। जूट एक प्रकार का फाइबर है जिससे कारीगर बैग , गहने , वाल हैंगिंग , सजावट के सामान , चूड़ियां इत्यादि बनाते है। भारत के राज्य जैसे पश्चिम बंगाल , असम , और बिहार सबसे बड़े जुट उत्पादक केंद्र है। पर्यटक जब भी यहाँ घूमने आते है जुट क्राफ्ट की वस्तुओं को खरीदते है। जूट बैग्स के बिजनेस में काफी बढ़ोतरी हुयी है और बाहर देशो में इसकी मांग की संभावनाएं बढ़ रही है। जूट फाइबर बायो डेग्रेडेब्ल है और पर्यावरण के अनुकूल है और इसलिए लोग जूट बैग का उपयोग करते है।
लकड़ी का फर्नीचर और लकड़ी से बनी वस्तुएँ
बरेली शहर में शीशम , साल , सागौन इत्यादि लकड़ी के बने फर्नीचर देश में लोकप्रिय है। बरेली के कई इलाको में लकड़ी के बने फर्नीचर मिलते है , जहाँ बच्चे से लेकर वृद्ध वाले भी कार्य करते है। बरेली के फर्नीचर की कलात्मक रचना की तारीफ़ सभी करते है। यहाँ के अच्छे कारीगर लकड़ी के टुकड़े पर अद्भुत नक्काशी करते है। नक्काशी के बाद समाग्रियों पर वार्निश की पोलिश की जाती है। यहाँ के फर्नीचर देश के दूसरे राज्यों में भी भेजे जाते है। मेज़ , पलंग , कुर्सी इत्यादि प्रमुख चीज़ें की रचना प्रत्येक दिन हो रही है। लकड़ी के हस्तशिल्प भी भारत में लोकप्रिय है। कारीगरों द्वारा देश भर में लकड़ियों के विभिन्न सामान बनाये जाते है।
भारत के विभिन्न राज्यों में हस्तशिल्प के सरकारी दुकाने पायी जाती है और प्रत्येक राज्य का अपना अलग एम्पोरियम होता है। विकसित शहरों में कई हस्तशिल्प दुकाने मिल जाते है। देश के लोकप्रिय हस्तशिल्प दुकाने निम्नलिखित है :
दिल्ली हाट
राजस्थली , जयपुर
कृपाल कुम्भ , जयपुर , राजस्थान
कला माध्यम , बैंगलोर
रघुराजपुर हेरिटेज विलेज , ओडिशा
देवराई आर्ट विलेज , महाराष्ट्र
तिलोनिआ , राजस्थान , मस्ट आर्ट गैलरी दिल्ली इत्यादि।
हैंडलूम और टेक्सटाइल
हैंडलूम और टेक्सटाइल जैसी वस्तुएँ भी कारीगर बनाते है जैसे चादर , तकिया , कवर इत्यादि घर में उपयोग किये जाने वाले सामान को हाथो से खूबसूरत तरीके से और बारीकी से डिज़ाइन करते है ।
गहने
भारत में हस्तशिल्प व्यापार विभिन्न प्रकार के आभूषण जो चांदी , मनके , लोहे और धातु का इस्तेमाल करके बनाते है। गहनों को रखने के लिए आकर्षक बक्सों का निर्माण कारीगर करते है। गले , नाक , कान , हाथ और पैरो में पहनने के लिए अनोखे आभूषण बनाये जाते है।
खूबसूरत कारपेट यानी कालीन , भारत में भारी मात्रा में निर्माण होता है। बहुत दशकों से हमारा देश कार्पेट निर्माण के मामले में विश्व विख्यात है। रेशम और ऊन जैसे फाइबर से विभिन्न प्रकार के कार्पेट कारीगरों द्वारा बनाये जाते है। विदेशी देशो में ऐसे कार्पेटों की भारी मांग है।
चित्रकारी
कारीगर विभिन्न वस्तुओं से खूबसूरत पेंटिंग्स का निर्माण करते है। कारीगर किसी भी प्रकार के कल्पना को कैनवस में भली भाँती उतार सकते है और इस प्रकार के कारीगर को पेंटर कहते है।
कागज़ो के विभिन्न उत्पाद
भारत में कागज़ बनाने वाले छोटे छोटे हस्तशिल्प के दूकान है जहाँ हाथ से बने सुन्दर पेपर बैग और कागज़ से निर्मित सजावट की वस्तु को बाहर के देशो में भी भेजा जाता है।
पश्मीना शॉल
पश्मीना ऊन का एक अच्छा प्रकार है और इसके अधिकतर वस्त्र पहले कश्मीर में बुने जाते हैं।पश्मीना शॉलों को एक बेहतरीन प्रकार के कश्मीरी ऊन से बनाया जाता है और फिर उत्तरी भारत में कश्मीर की घाटी में पहुँचाया जाता है। कताई से लेकर बुनाई और परिष्करण तक के सभी चरणों को पूरी तरह से कारीगर और महिलाएं अपने हाथों द्वारा करती है। पश्मीना कपड़े के उत्पादन का प्रमुख केंद्र श्रीनगर है। पश्मीना शॉल की एम्ब्रायडरी बेहद ख़ास होती है। यह बेहद मुलायम होती है।
चमड़े की वस्तुएँ
भारत में चमड़े के कौशल का सदियों पुराना है। चमड़े का उपयोग न केवल कपड़े और जूते बनाने में किया जाता था, बल्कि टोपी, बैग, काठी, ढाल आदि बनाने में भी किया जाता था। भारत अपने चमड़े के उत्पादों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है। मध्य प्रदेश अपने चमड़े के शिल्प के लिए भी जाना जाता है। विभिन्न प्रकार के चमड़े की वस्तुओं का उत्पादन जूते, बैग और कपड़े इत्यादि किया जाता है। महाराष्ट्र अपने चमड़े के जूते जिसे कोल्हापुरी चप्पल कहा जाता , बेहद मशहूर है।
शैल के वस्तुएँ
शैल विभिन्न प्रकार के होते है जैसे कोंच शैल , समुद्री शैल। शैल की मदद से विभिन्न प्रकार के वस्तुएँ बनाये जाते है जैसे चुरिया , सजावट वाले सामान , आइने का फ्रेम , टेबल मैट इत्यादि। जो स्थान समुद्र के निकट है वहाँ शैल से निर्मित वस्तुएँ बनाई जाती है। गोवा , ओडिसा जैसे राज्यों में शैल से बनी छोटी बड़ी हाथ से बनी वस्तुएँ बनाई और बेचीं जाती है।
फुलकारी
फुलकारी एक प्रकार की एम्ब्रायडरी डिज़ाइन है जो बहुत जटिल होती है। अनुभवी कारीगर ही इस प्रकार के डिज़ाइन बनाने में सक्षम है। इस प्रकार के डिज़ाइन आजकल फैशन डिज़ाइनर ,जैकेट , बैग , तकिये के कवर , टेबल मैट , जूते इत्यादि पर करते है। यह बहुत ही आकर्षक और रंगीन डिज़ाइन होता है। शॉल पर यह डिज़ाइन अक्सर देखने को मिलते है।
निष्कर्ष भारत में अन्य हस्तशिल्प भी है जैसे ग्लास हस्तशिल्प , तामचीनी , जरी , संगमरमर , ब्रास के सामग्री ,पत्थर , बुनाई और कढ़ाई हस्तशिल्प इत्यादि। भारत के कारीगरों के हाथों का काम अविश्वसनीय और अद्भुत है , जिसकी जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है। आशा है आपने भारत के अलग अलग हस्तशिल्पो के बारें में जानकारी प्राप्त कर ली है। देश के कुशल कारीगर दिन रात परिश्रम करके यह बहुमूल्य चीज़ें बनाते है। फैक्ट्रीज के आने के पश्चात उनके छोटे उद्योग पर प्रभाव पड़ा है , मगर आज भी पूरे दुनिया में हाथ से बनी हुयी वस्तुओं की लोग दिल से तारीफ़ करते है।