AIIMS गोरखपुर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान या AIIMS, सार्वजनिक आयुर्विज्ञान महाविद्यालय का एक समूह है। नई दिल्ली स्थित AIIMS भारत का सबसे पुराना और उत्कृष्ट संस्थान है। सन 1952 में इसकी आधारशिला रखी गई थी। सन 2012 में भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह के सरकार द्वारा एक ही वर्ष में भारत के अलग-अलग राज्यों में 6 AIMS खोले गए थे।
उसके बाद, नए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सन 2015 से पूरे भारत में छह अन्य AIMS संस्थान निर्माण कार्य के लिए अग्रसर हुए हैं, ताकि दूरदराज के लोगों को बेहतर इलाज की सुविधाएं दी जा सके। आपको बता दें, 2022 तक हर राज्य में एक AIMS बनाने का लक्ष्य किया गया है।

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) गोरखपुर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) गोरखपुर में चिकित्सा क्षेत्र में और बेहतर सुधार होने वाली है। इस संस्थान में Anesthesiology, Biochemistry, Community medicine and Family medicine, Dermatology, Forensic Medical and Toxicology , General Surgery, General Medicine, Pediatrics, इत्यादि के साथ आंख, नाक, गला इत्यादि विभागों के शिक्षा लिए 37 प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर उपलब्ध हैं।
AIIMS में एमबीबीएस(MBBS) का पहला Batch बीते शिक्षा सत्र से शुरू हुआ है। प्रथम वर्ष में प्री क्लिनिकल पाठ्यक्रम होता है। इसमें विद्यार्थियों को फिजियोलॉजी, एनाटॉमी की शिक्षा दी जाती है। उसके बाद दूसरे बर्ष में 3 सेमेस्टर का पाठ्यक्रम होता है। जिसमें कम्युनिटी मेडिसिन, पैथोलॉजी, फार्मोकोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, फॉरेंसिक मेडिसिन इत्यादि की शिक्षा और ओपीडी में प्रयोगीक शिक्षा भी दी जाती हैं। तीसरे वर्ष के 4 सेमेस्टर में कम्युनिटी मेडिसिन, साइकियाट्री, डोरमेटोलॉजी, पीडियाट्रिक, गायनेकोलॉजी इत्यादि की शिक्षा दी जाती है। सेवाओं में सुधार के साथ-साथ एमबीबीएस(MBBS) के द्वितीय वर्ष को देखते हुए और ज्यादा चिकित्सा शिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है।
पीएम मोदी ने फर्टिलाइजर मैदान से इस बात का उद्घाटन किया कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ओपीडी की शुरुआत हो चुकी है। जिसके बाद से ही रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया।

ओपीडी का निर्माण
करीब 112 एकड़ जमीन में 1,100 करोड़ की लागत से AIIMS ओपीडी का निर्माण काफी तेज गति से किया जा रहा है। AIMS में केवल गोरखपुर के लोग ही नहीं कुशीनगर, देवरिया, महाराजगंज, पूर्वांचल के करीब 20 जिले और साथ ही नेपाल, पश्चिम बिहार के लोग भी इलाज कराने जाएंगे।
एम्स(AIIMS) में बनने वाले कोविड अस्पताल की तैयारियों का, कमिश्नर जयंत, डीएम विजेंद्र और श्रीकांत तिवारी ने निरीक्षण किया और इसी दौरान काम करा रही कार्यदाई संस्था से भी जानकारी प्राप्त की। कार्यदाई संस्था ने बताया कि जल्द से जल्द यह काम पूरा कर दिया जाएगा। डीएम ने बताया कि ज्यादा से ज्यादा 25 अगस्त तक AIMS में 50 बेड और कोविड लेवल टू अस्पताल शुरू कर दिया जाएगा। और इसी के तुरंत बाद ही मरीजों की भर्ती करने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी।
गोरखपुर AIMS की व्यवस्था जोधपुर AIIMS के निर्देशक डॉ संजीव मिश्रा की देखरेख में हो रही है। वहीं एनआर बिश्रोई जी, निदेशक प्रशासन की जिम्मेदारी उठाए हैं। उन्होंने बताया कि मरीजों को हर संभव सुविधा प्रदान की जाएगी और लोगों से भी इसकी गुजारिश करते हुए कहा कि इसमें सहयोग करें और समय के पाबंद बने। अगर वह ऐसा करेंगे तो उनका इलाज बेहतर ढंग से हो सकेगा।
फिलहाल में अभी, गोरखपुर AIIMS में, जनरल सर्जरी, मेडिसिन, स्त्री एवं प्रसूति रोग, नेत्र रोग, हड्डी रोग, चर्म रोग, और मानसिक रोग, से पीड़ित मरीज के इलाज की व्यवस्था हैं। बाकी अन्य विभागों में इलाज की सुविधा देने में AIIMS प्रशासकों को कुछ महीनों का समय और लगेगा। जो भी मरीज वहां पर इलाज के लिए गए हैं, उनका यही कहना है कि आने वाले समय में वहां पर अच्छी और बेहतर इलाज की सुविधा मिलेगी और इसी बीच AIIMS की शुरुआत होने पर पूर्वांचल वासियों ने योगी आदित्यनाथ जी की तारीफ भी की।
गोरखपुर एम्स(AIIMS) में ऑनलाइन प्रक्रिया के तहत इलाज की सारी सुविधा दी गई है। मरीज चाहे तो पर्ची बनवा सकते हैं, या फिर इलाज के लिए ऑनलाइन भी बुक करा सकते हैं।

कोरोना अस्पताल
AIIMS के डायरेक्टर, डॉ सुरेखा किशोर ने बताया कि निर्माण कार्य संस्था को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द अस्पताल बना कर दे और साथ ही 10 वेंटीलेटर की मांग परिवार एवं स्वास्थ्य मंत्रालय से की गई है। कोविड अस्पताल को शुरू करने के लिए 50 सीनियर रेजीडेंट और 50 जूनियर पद के लिए स्वीकृति भी मांगी गई है।
डॉक्टर सुलेखा किशोर ने बताया कि जैसे ही हमें अस्पताल के लिए बिल्डिंग मिल जाती है, उसके 15 दिनों के अंदर ही कोरोना मरीजों के लिए अस्पताल तैयार कर दिया जाएगा। अस्पताल बनाने के लिए आवश्यक जो भी संसाधन चाहिए होंगे, उसके लिए मंत्रालय को फाइल पहले ही भेज दी गई है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले 50 बेड का अस्पताल तैयार किया जाएगा। जिससे इमरजेंसी मरीजों का इलाज हो सकेगा। इसमें लेवल वन के मरीज भर्ती रहेंगे। इसके बाद और 50 बेड बढ़ा दी जाएगी। इसमें लेबल टू के मरीज भर्ती होंगे। इसमें कम से कम 50-50 बेड का लेवल वन और लेवल टू कोविड वार्ड बनाया जाएगा।
लेकिन मरीजों की गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए ऐम्स गोरखपुर के 90 बेड वाले टीवी अस्पताल को लेवल 2 अस्पताल बना दिया गयाा है। यहां पर उन मरीजों का इलाज किया जा रहा है, जिनमें कोरोना के सामान्य लक्षण मौजूद है। दरअसल अभी तक लेबल टू और थ्री अस्पताल पूरे गोरखपुर मंडल में केवल बीआरडी कॉलेज में था, जिस वजह से मरीजों को काफी परेशानी हो रही थी। इसी कारण गोरखपुर एम्स में यह व्यवस्था की गई ताकि मरीजों का इलाज सुचारू रूप से किया जा सकें।
मरीजों की परेशानी को देखते हुए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने टेलीमेडिसिन नाम की एक सुविधा की शुरुआत की है। इसके तहत AIIMS प्रशासन ने 2 Numbers को सार्वजनिक किया है। इन नंबरो पर वे कॉल कर सकेंगे, जिनका AIMS में पहले से ही पंजीकरण हुआ होगा। आपको बता दें कि, अन्य मरीजों के लिए यह सुविधा नहीं है। इसके अलावा इमरजेंसी सेवा में भी इन नंबरों पर कॉल करके सलाह नहीं ले सकते हैं। इसके उपनिदेशक ने यह जानकारी दी है कि सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 9:00 बजे से लेकर 1:00 बजे तक दिए गए नंबरों पर संपर्क करके पंजीकृत मरीज परामर्श ले सकेंगे। वे दोनो नंबर है —
- 0551-2205501
- 0551-2205585
AIIMS के नाम पर जालसाजी
ध्यान दें कि, इनके नाम पर बेरोजगारों को ठगने के लिए जालसाजी प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। कुछ दिन पहले एक फर्जी विज्ञापन के तहत एम्स(AIIMS) के नाम पर स्टोरकीपर और सीनियर स्टोर कीपर के 26 पद निकाले गए थे जो कि एम्स(AIIMS) के एक फर्जी वेबसाइट पर डाले गए थे। जब इसका पता चला तो इस बात का खंडन करते हुए इसकी जानकारी डीएम और एसएसपी को दी गई।
जानकारी के मुताबिक इसे गवर्नमेंट जॉब के नाम से एक वेबसाइट पर अपलोड किया गया था। इसमें स्टोर कीपर के 20 पद थे और सीनियर स्टोर कीपर के 6 पद के लिए आवेदन मांगे गए थे। लेकिन फिलहाल में अभी इस बात को कुछ महीने हो गए हैं। इस फर्जी आवेदन की अंतिम तिथि 3 फरवरी जारी की गई थी।
जरूरी जानकारी
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) के सीनियर डॉक्टर ने जब ऋषिकेश में अपना टेस्ट कराया, तो उनके कोरोनावायरस का रिपोर्ट पॉजिटिव आया। बाद में उनके संपर्क में आने वालों की जब तलाश शुरू हुई, तब पता चला कि एम्स के 15 से भी अधिक डॉक्टरों समेत 40 कर्मियो का रिजल्ट पॉसिटिव था और उन सभी को क्वॉरेंटाइन करने की सलाह दी गई है। वे एम्स में एक विशेष पद पर होने कारन ऋषिकेश जाने से पहले काफी लोगों के संपर्क में रहे थे।
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Author : Jhuma Roy
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