करियर, रोज़गार और जिंदगी! इन सबके लिए शिक्षा बहुत ही महत्वपूर्ण है। कोई भी इंसान शिक्षा के बिना अधूरा है। शिक्षा के इसी Importance को देखते हुए और बच्चों की अपनी पढ़ाई को लेकर होने वाली परेशानियों को ध्यान में रखकर मोदी जी ने शिक्षा की एक नई योजना को बनाई है। इस योजना को 30 जुलाई बुधवार को मंजूरी दी गई है। आज के Post में हम इसी बारे में चर्चा करेंगे। इस योजना के तहत पुराने शिक्षा नीति को बदलकर शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से नवीन कर कर दिया गया है और शिक्षा प्रणाली में बहुत सारी अन्य और अलग अलग सुविधाऐं लाई गई हैं।
पूरे 34 साल के इंतजार के बाद लागू हुए इस नई शिक्षा नीति में स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक काफी सारे बदलाव कर दिए गए हैं। बच्चों के काफी सारी परेशानियों को इस योजना के जरिए कम कर दिया गया है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अगर बात की जाये तो, अगर आपकी पढ़ाई बीच में ही छूट जाती है, तो आपके इतने दिनों की पढ़ाई बेकार नहीं जाएगी। अगर आप 1 साल की पढ़ाई पूरी कर लेते हैं, तो आपको एक सर्टिफ़िकेट दिया जाएगा और अगर आप 2 साल की पढ़ाई पूरी करते हैं, तो आपको डिप्लोमा सर्टिफ़िकेट दिया जाएगा। इस योजना की एक और खास बात यह है कि, इन योजना के तहत वर्ष 2030 तक प्री, प्राइमरी से लेकर उच्चतम माध्यमिक शिक्षा में 100% और उच्च शिक्षा में 50% प्रवेश दर हासिल करने की बात कही गई है।सिर्फ इतना ही नहीं, शिक्षा पर सरकारी खर्च 4.43 % से बढ़ाकर जीडीपी का 6 % तक करने का लक्ष्य किया गया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने New Education Policy-2020 के नाम से नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी है। इस योजना के तहत Ten+Two(10+2) के Format को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। जैसे कि हमारे देश में पहले 10th और 10+2 के हिसाब से पढ़ाई होती थी, लेकिन अब उस पॉलिसी को बदलकर नई पॉलिसी रखी गई है। न्यू एजुकेशन के हिसाब स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 के हिसाब से रखा गया है। आइये इस फ़ॉर्मूले को बेहतर तरीके से समझते हैं।
NEW EDUCATION POLICY (5+3+3+4) Formula
हम इस फ़ॉर्मूले को सरल तरीके से आपको समझाते हैं। पहले क्या होता था कि, जब बच्चा 6 साल का होता था तब उसको पहली कक्षा में भर्ती कराया जाता था। अभी भी वही होगा, अभी भी जब बच्चा 6 साल होगा तब वो पहली कक्षा में जायगा। लेकिन अब से 3 साल का होते ही बच्चे को स्कूल में डाल दिया जायेगा। 3 से 6 साल तक बच्चा प्री-प्राइमरी स्टेज की पढ़ाई करेगा। जब 3 साल की पढ़ाई पूरी हो जायेगी और बच्चा 6 साल का हो जायेगा, तब वो पहली कक्षा में चला जायेगा। यह 5 साल का foundation stage होगा, जिसकी पाठ्यक्रम भी भिन्न होगी। इस 5 साल के स्टेज को Clear करने के बाद बच्चा तीसरी कक्षा में जायेगा।
अगला स्टेज 3 साल का यानी तीसरी कक्षा से पांचवी कक्षा का होगा। उसके बाद फिर 3 साल का स्टेज आएगा, जो छठी कक्षा से आठवीं कक्षा का मिडिल स्टेज होगा। ध्यान देने वाली बात है, छठी कक्षा से बच्चों को अब स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप कराने के साथ साथ प्रोफेशनल और स्किल ट्रेनिंग भी दी जायेगी। अंत मे नौंवी कक्षा से बारहवीं कक्षा का चौथा स्टेज होगा, जो 4 साल का होगा। तो हो गया ना, 5+3+3+4।
नई शिक्षा नीति 2020 — कुछ बड़े बदलाव :
प्राथमिक स्तर –
- इस चरण में बच्चों की कक्षा 3 से कक्षा 5 तक की पढ़ाई कराई जाएगी।
- इस दौरान बच्चों को प्रयोग यानी प्रैक्टिकल के द्वारा विज्ञान गणित कला इत्यादि की पढ़ाई कराई जाएगी।
- इस चरण में 8 से 11 साल तक के बच्चों को कवर किया जाएगा।
मध्यम स्तर –
- इस चरण में कक्षा छठी से आठवीं की पढ़ाई कराई जाएगी।
- इस चरण में 11 से 14 साल के बच्चों को कवर किया जाएगा।
- इन कक्षाओं में विषय आधारित पाठ्यक्रम पढ़ाये जाएंगे
- छठी कक्षा से ही कौशल विकास कोर्स शुरू हो जाएगा।
सेकेंड्री स्तर –
- इस चरण में कक्षा नौवीं से बारहवीं तक की पढ़ाई, दो चरणों में विभाजित करके कराई जाएगी। जिसमें विषयों का गहन अध्ययन भी कराया जाएगा।
- इस चरण में छात्रों को अपने विषय अपनी रुचि अनुसार चुनने की आजादी दी जाएगी।
पहले सरकारी स्कूलों में फ्रि कॉलिंग नहीं थी यानी कक्षा एक से दसवीं तक की पढ़ाई सामान्य रूप में कराई जाती थी और ग्यारहवीं कक्षा से बच्चे अपना विषय चुन सकते थे। लेकिन नई शिक्षा नीति समिति के नेतृत्व कर रहे डॉक्टर कस्तूरीरंगन ने कहा कि इस नए शिक्षा पद्धति में छट्ठी कक्षा से ही स्थानीय स्तर पर बच्चों को इंटर्नशिप कराई जाएगी और छट्ठी कक्षा से ही बच्चे प्रोफेशनल शिक्षा को ग्रहण कर सकेंगे। नई शिक्षा नीति पहले की शिक्षा नीति की तरह बेरोजगार तैयार नहीं करके देगी। इस बार व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास कल्याण पर जोड़ दिया जाएगा। और सबसे अहम स्कूल में ही बच्चों को, नौकरी के लिए जरूरी जो भी प्रोफेशनल शिक्षा होती है वह भी ग्रहण करवाई जाएगी।
एक और खास बात इस शिक्षा नीति की यह है कि, 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा आसान होगी, यानी 10वीं और 12वीं कि जो बोर्ड परीक्षा अभी कराई जाती है, इसकी तुलना में नई शिक्षा नीति के तहत 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव किए जाएंगे। हालांकि बोर्ड परीक्षाओं के महत्व को भी कम कर दिया जाएगा। 10वीं और 12वीं के बच्चे मुख्य रूप से ज्यादा नंबर लाने के चक्कर में रटने की प्रवृत्ति धारण करते हैं और वह पूरी तरह से कोचिंग पर निर्भर हो जाते हैं। जिस कारण बच्चो को संपूर्ण ज्ञान की अनुभूति नहीं हो पाती है। लेकिन फ़्यूचर में उन्हें इस सब से छुटकारा दिलाने के लिए यह बदलाव किए जा रहे हैं।
10वीं 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं के बदलाव
- साल में दो बार परीक्षाएं आयोजित कराई जाएगी। परीक्षा को ऑब्जेक्टिव(Objective) और सब्जेक्टिवSubjective) इन दोनों में विभाजित किया जाएगा।
- बोर्ड परीक्षा का मुख्य जोड़ ज्ञान के परीक्षण पर ही दिया जाएगा , ताकि छात्रों में रटने की प्रवृत्ति को खत्म किया जा सके।
- नई शिक्षा नीति के तहत विभिन्न बोर्ड, आने वाले समय के बोर्ड परीक्षाओं के लिए प्रैक्टिकल मॉडल तैयार करेंगे, जैसे वार्षिक सेमेस्टर और मॉड्यूलर बोर्ड परीक्षाएं।
नई शिक्षा नीति में पांचवी तक और जहां तक संभव हो सके वहां तक मातृ भाषा में ही शिक्षा दी जाएगी। इसके साथ ही स्कूलों में बच्चों के परफॉर्मेंस(Performance) का आकलन करने से बच्चों के रिपोर्ट कार्ड में भी बदलाव होंगे। उनका 3 स्टेज पर आकलन किया जाएगा एक पहला, जो खुद छात्र करेगा, दूसरा छात्र के Classmates करेंगे, और तीसरा शिक्षक स्वयं करेंगे। छात्रों के लिए नेशनल असेसमेंट सेंटर परख बनाया जाएगा, जिसके तहत समय-समय पर बच्चों के सीखने की एबिलिटी की परख की जाएगी। जो बच्चे नामांकन होने के बाद पढ़ाई छोड़ चुके हैं, करीब उन दो करोड़ बच्चों को फिर से दाख़िला दिलाया जाएगा।
ग्रेजुएशन मैं मल्टीपल एंट्री(Multiple Entry) और एग्जिट(Exit) सिस्टम लागू
नई शिक्षा नीति के मुताबिक अगर कोई छात्र इंजीनियरिंग का कोर्स 2 वर्ष के बाद ही छोड़ देता है, तो उसे डिप्लोमा प्रदान किया जाएगा। इस योजना के होने से इंजीनियरिंग छात्रों को बहुत राहत मिलेगी। उच्च शिक्षा सचिव अमित खड़े ने बताया है, कि इस नीति में मल्टीपल एंट्री और Exit व्यवस्था लागू किया जाएगा। इसका मतलब यह है कि अगर 4 साल का इंजीनियरिंग पढ़ने और 6 सेमेस्टर पढ़ने के बाद किसी कारण वश कोई छात्र आगे नहीं पढ़ पाता, तो इसका कोई उपाय नहीं होता है। जिस कारण उनके पहले पढ़ाई की भी कोई कीमत नहीं होती। लेकिन मल्टीपल एंट्री और एक्ज़िट सिस्टम के तहत 1 साल के बाद सर्टिफ़िकेट, 2 साल बाद डिप्लोमा और 3 से 4 साल के बाद डिग्री मिल जाएगी। छात्रों के सुविधा को देखते हुए इस फैसले को लिया गया है। 3 साल की शिक्षा डिग्री उन छात्रों के लिए है, जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेनी। वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री complete करनी होगी। 4 साल की डिग्री लेने वाले Studence को 1 साल में ही MA करना होगा।
स्कूल शिक्षा के सचिव अनिता कारवाल ने कहा कि स्कूल शिक्षा और उच्च शिक्षा में 10 बड़े सुधारों पर ध्यान दिया जाएगा। जैसे
शिक्षा प्रणाली में 10 बड़े सुधार
- तकनीक के इस्तेमाल पर ध्यान दिया जाएगा।
- शिक्षा के लिए विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया जाएगा।
- 3 से 6 वर्ष के आयु के बच्चे स्कूल आएँगे।
- कक्षा 3 के छात्रों की साक्षरता यानी उनका ज्ञान 2025 तक सुनिश्चित किया जाएगा।
- कक्षा 6 से कक्षा 8 के बीच विषयों की पढ़ाई होगी।
- मिडिल कक्षाओं की पढ़ाई पूरी तरह बदली जाएगी।
- उच्च शिक्षा में 5 साल के लिए संयुक्त ग्रैजुएट मास्टर कोर्स लाया जाएगा।
- ग्रेजुएशन के कोर्स में 1 साल के बाद जो बच्चे पढ़ाई छोड़ना चाहते हैं, उनके लिए भी विकल्प होगा।
- सिर्फ छात्रों का ही नहीं शिक्षकों के उन्नयन कार्य के लिए भी नेशनल मेटरिंग प्लेन के तहत जोड़ दिया जाएगा।
- नई शिक्षा नीति में M.Phil को निरस्त किया जाएगा। इसे सबसे बड़ा बदलाव माना जा रहा है। पहले छात्र 4 साल का ग्रेजुएशन डिग्री लेंगे। उसके बाद MA करेंगे, और उसके बाद अपील किए बिना ही सीधे पीएचडी(PhD) कर सकेंगे। यानी नई शिक्षा नीति के लागू होने से बच्चे पहले ग्रेजुएशन, पोस्ट ग्रेजुएशन और उसके बाद सीधे पीएचडी करेंगे।
कुछ मुख्य पहलू
नई नीति के तहत मामला UGC, NCTE, AICTE को खत्म किया जाएगा। कॉलेजों में, उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रवेश के लिए एंट्रेंस एग्जाम का ऑफर होगा। यह परीक्षा राष्ट्रीय एजेंसीओं द्वारा ली जाएगी। आर्थिक रुप से कमजोर छात्रों के लिए फ्री बोर्डिंग कि सुविधा होगी। नई शिक्षा नीति के तहत स्कूल, कॉलेजों की फ़ीस पर भी नियंत्रण किया जाएगा। केंद्रीय विश्वविद्यालय, राज्य विश्वविद्यालय, डीम्ड विश्वविद्यालय, और प्राइवेट विश्वविद्यालय, के लिए अलग अलग नियम हैं। लेकिन भविष्य में सारे नियम एक समान किए जायेंगे और फीस पर भी निश्चित रूप से नियंत्रण किया जायेगा। स्कूली छात्रों के लिए न्यूट्रीशन और हेल्थ कार्ड बनाया जाएगा। उसके साथ ही छात्रों के रेगुलर हेल्थ चेक अप भी कराए जाएंगे।
नई शिक्षा नीति के तहत उच्च शिक्षा में कुछ अन्य अहम बदलाव
नई शिक्षा नीति और NATIONAL RESEARCH FOUNDATION
नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन की तैयारी के मुताबिक, नई शिक्षा नीति में सभी तरह के वैज्ञानिक और सामाजिक अनुसंधान को नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन बनाकर नियंत्रित किया जाएगा। 2030 तक हर जिले में शिक्षण संस्थान बनाए जाएंगे। संस्थानों को बहू विषयक संस्थानों में बदल दिया जाएगा। साथ ही शिक्षा में छात्रों द्वारा तकनीक के इस्तेमाल पर भी जोड़ दिया जाएगा। इसमें स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ-साथ कृषि, कानूनी, चिकित्सा, तकनीकी,व्यावसायिक आदि सभी तरह के शिक्षा नई शिक्षा नीति योजना के तहत दी जाएगी। उसके अलावा संस्कृति को ध्यान में रखते हुए छात्रों के लिए कला, नृत्य-संगीत, शिल्प-कला, खेल-कूद, शारीरिक योग जैसे सभी विषयों पर ध्यान देते हुए इन विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। आपको बता दें, इन विषयों को सहायक पाठ्यक्रम का दर्जा नहीं दिया जाएगा। छात्रों के हर विषय के पाठ्यक्रम सामग्री को कम करके क्रिटिकल थिंकिंग, पूछताछ, खोज, चर्चा इत्यादि से संबंधित पाठ्यक्रम बनाए जाएंगे।
नई शिक्षा योजना में नेशनल रिसर्च फ़ाउंडेशन के तैयारी के अनुसार ऑनलाइन एजुकेशन पर जोर दिया जाएगा। छात्रों के लिए विभिन्न ऐप का इस्तेमाल करके पढ़ाई को रोचक बनाने की कोशिश की जाएगी। विभिन्न स्तर पर छात्रों के ज्ञान को बढ़ावा दिया जाएगा। जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप, और फोन इत्यादि के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई के माध्यम से पढ़ाई कराई जाएगी। जिससे छात्रों का टेक्निकल नॉलेज भी इंप्रूव हो सकेगा। बोर्डिंग स्कूल के रूप में “बाल भवन” नाम का संस्थान स्थापित किया जाएगा। जिसके तहत छात्रों के करियर के लिए हर जिले में विभिन्न कला, खेल- कूद संबंधी गतिविधियों पर ध्यान दिया जाएगा। साथ ही अभी हमारे डीम्ड यूनिवर्सिटी, सेंट्रल यूनिवर्सिटी के लिए सारे नियम अलग-अलग है, लेकिन नई शिक्षा नीति के होने से सारे एजुकेशन पॉलिसी के नियम एक समान होंगे। जैसे कि इस योजना में शिक्षा पर बहुत जोर दिया गया है। तो इसी के तहत (MHRD) यानी मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय किया गया है।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी और त्रि-भाषा फार्मूला
शिक्षा नीति के तहत त्रि-भाषा फार्मूला बनाया गया है। जिसके मुताबिक किसी भी विद्यार्थी पर कोई भी भाषा थोपी नहीं जाएगी। भारत के अन्य पारंपरिक भाषा और साहित्य भाषाएं भी विकल्प के रूप में छात्रों को उपलब्ध कराए जाएंगे। स्कूल के सभी वर्गों और उच्च शिक्षा में संस्कृत भाषा को एक विकल्प के रूप में दिया जाएगा। “एक भारत श्रेष्ठ भारत ” पहल के मुताबिक विद्यार्थियों को 6 से 8 ग्रेड के दौरान किसी भी समय भारत की भाषाओं पर एक आनंददायक परियोजना या गतिविधियों में भाग लेना पड़ेगा। जिसमें कोरियाई, थाई, फ्रेंच, जर्मन, पुर्तगाली, रूसी, स्पेनिश, आदि भाषाओं को पेश किया जाएगा।
नई शिक्षा नीति और NATIONAL SCHOLARSHIP PORTAL
नेशनल स्कॉलरशिप पोर्टल में ST, SC,OBC, छात्रों के लिए स्कॉलरशिप का ऑप्शन बढ़ाया जाएगा।
न्यू एजुकेशन पॉलिसी को इसी विश्वास के साथ लाया गया है, कि देश के आने वाले हर बच्चे का फ़्यूचर और इस देश का फ़्यूचर सुन-हरा हो । देश की आने वाली पीढ़ी जब भी स्कूल से शिक्षा लेकर निकले तो वह साथ-साथ देश की प्रगति और रोज़गार लेकर ही निकले। पुराने एजुकेशन पॉलिसी को हटाकर नई एजुकेशन पॉलिसी लाने का मुहिम तभी सफल हो पाएगा, जब देश का हर बच्चा शिक्षा ग्रहण करेगा और दूसरे देशों के मुकाबले हमारे देश में ज्यादा शिक्षित बच्चे तैयार होंगे। नई शिक्षा नीति हमारे देश के आने वाले भविष्य के लिए बहुत ही जरूरी है। उम्मीद करते हैं आप लोगो को यह पोस्ट पसंद आई होगी और पढ़-के आनंद भी आया होगा। अगर आपका कोई सवाल है तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके हमारे साथ जरूर शेयर करें। अंत में आपसे यही अनुरोध है कि हमारे पोस्ट को एक like जरूर करें।