Tuesday, September 26, 2023
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ऐसा देश जो बाकि देशों से 7 साल चल रहा है पीछे

Ethiopian Calendar aur Ethiopia se Judi kuchh rochak batein, friends ajj ye bahut hi interesting topic is here, “Ethiopia : Ek desh Jo Baki Desho Se 7 Saal Piche Chal Raha इथियोपिया: एक देश जो बाकि देशो से 7 साले पीछे चल रहा – in hindi

दोस्तों, क्या आप लोगो को नई नई बातों के बारे में जानना पसंद है। क्या आप उन चीजों के बारे में जानने में intrested है जिनके बारे में, न ही इससे पहले आप लोगो ने सुना है, ना पढ़ा है। दुनिया में ऐसी बहुत सी रहस्यमयी घटनाये मौजूद हैं, जिनके बारे में लोगो को आज तक नहीं पता है। आज हम ऐसी ही एक रहस्यमई बात की चर्चा आप
लोगों के साथ करने वाले हैं और हमें पूरी उम्मीद है कि इस आर्टिकल (Ethiopia : Ek desh Jo Baki Desho Se 7 Saal Piche Chal Raha) (इथियोपिया: एक देश जो बाकि देशो से 7 साले पिछे चल रहा) को पढ़कर आपको बहुत खुशी होगी और आपको एक नई चीज़ सीखने को मिलेगी। लेकिन अपना लेख शुरू करने से पहले हम आपसे दो सवाल करना चाहते हैं।

हमारा पहला सवाल यह है कि 1 साल में कितने महीने होते हैं? अब आप लोग सोच रहे होंगे यह कैसा सवाल हम आप से कर रहे हैं। यह तो बच्चे बच्चे को भी पता है कि 1 साल 12 महीने का होता है।

लेकिन एक जगह ऐसी भी है जहां 1 साल पूरे 13 महीने का होता है। अब हमारा दूसरा सवाल आपसे यह है कि अभी कौन सा year चल रहा है। फिर एक बार आप लोग यह सोच रहे होंगे हम आज आपसे कैसे कैसे सवाल कर रहें हैं। यह तो 2020 ही चल रहा है न। लेकिन हम आज आपको जिस जगह के बारे में बताने वाले हैं, वहां अभी 2020 नही बल्कि 2013 चल रहा है।

तो चलिए उस जगह और उस जगह के समय के बारे में जानकारी लेते हैं और आर्टिकल को पूरा पढ़ते हैं…

दुनिया का एक अजीब देश

दुनिया के इस अजीबोगरीब देश का नाम है दोस्तों Ethopia. यह देेेश अफ्रीका देश के साथ सटा हुआ है। जहां भारत की आबादी 135 करोड़ है वही अफ्रीका के निकटवर्ती देश इथोपिया की आबादी महज 10 करोड़ के आसपास है। हम सब इस बात से अच्छी तरह से वाकिफ है कि 1 जनवरी से हमारा नया साल शुरू होता है लेकिन इथोपिया में ऐसा नहीं होता। इथोपिया में 11 सितंबर से नया साल शुरू होता है।भारत और दुनिया के बाकी सारेे देश 12 महीनेेे का 1 साल मनाते हैं वही इथोपिया के निवासी 13 महीने का 1 साल मनाते हैं। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह हैै कि उन लोगोंं का 13 वां महीना 30 या 31 दिन का नहीं होता।

Pagume

इथोपिया में आखरी और 13वे महीने को pagume कहा जाता है। यह महीना 30 या 31 दिन का नहीं बल्कि 5 या फिर 6 दिन का ही होता हैं। दरअसल यह महीना इसीलिए होता हैं ताकि उन दिनों की पूर्ति हो सके जो पूरे साल के दौरान किसी कारणवश छूट गए और गिनती में नही आये।

इथोपिया का समय 7 साल पीछे रहने का कारण

क्या आप लोगो के दिमाग में यह बात आई कि इथोपिया हमसे 7 साल पीछे क्यों है। दुनिया के सभी देश ईशा मसीह के जन्म से  दिनों की गिनती शुरु करते हैं। बाकी देशों के अनुसार ईशा मसीह का जन्म 1AD को हुआ था। और उसी टाइम से दुनिया में वर्ष और महीनों की गिनती शुरू हुई। लेकिन इथोपिया के अनुसार ईशा मसीह का जब जन्म हुआ, तब 7BC था। और इस तरह से इथोपिया का समय 7 साल पीछे चला गया। यही कारण है कि अभी भी इथोपिया के लोग हमसे  7 साल पीछे ही जी रहे हैं। क्योंकि तारीख अलग है तो इथोपिया में सारे त्यौहार भी अलग तारीख पर मनाये जाते है। भारत और दुनिया के बाकी देशों में जिस दिन, जो त्यौहार होता है, इथोपिया में उस दिन वह त्योहार मनाया जाता।

इथोपियन कैलेंडर

भारत और दुनिया के बाकी सारे देशों में जहां ग्रिगेरियन कैलेंडर का इस्तेमाल होता है। वही इथोपिया में ग्रिगेरियन
कैलेंडर की जगह ऑप्टिक कैलेंडर का इस्तेमाल होता है। कॉप्टिक कैलेंडर की तारीख हमारे तारीख से 7 साल आगे हैं।
जब कैलेंडर की बात हो ही रही है तो आपको बता दे की ग्रिगेरियन कैलेंडर इथोपिया छोड़कर बाकी सब देशों में
इस्तेमाल किया जाता है। इस कैलेंडर को पोप ग्रेगरी ने बनाया था और इस कैलेंडर की शुरुआत 1582 में हुई थी।
दरअसल जूलियन कैलेंडर की जगह पर इस ग्रिगेरियन कैलेंडर को लाया गया था और  तब से इथोपिया को छोड़कर
बाकी सारे देशों में इसी कैलेंडर को फॉलो किया जा रहा हैं।

उम्मीद करते हैं इथोपिया और इथोपियन कैलेंडर से जुड़ी यह जानकारी आपको अच्छी लगी होगी और इस आर्टिकल से आपको जरूर कुछ नया सीखने को मिला होगा। हम इसी तरह की नई-नई बातों की जानकारी आपके लिए लाते रहेंगे ताकि आपके ज्ञान का भंडार और ज्यादा समृद्ध हो सके। बस आप अब हमारे आर्टिकल को एक लाइक कर दीजिए और अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर कर दीजिए ।इसके अलावा अगर आपके मन में कोई सवाल है तो कमेंट करें और आपको अगर किसी भी और नई चीज के बारे में पता है तो हमें बहुत खुशी होगी अगर आप उस जानकारी को हमारे साथ साझा करेंगे। धन्यवाद!

Author – jhumawati Ray.

GR Newsdesk
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