गर्भ संस्कार। दोस्तों! क्या इससे पहले आप लोगों ने कभी गर्भ संस्कार शब्द सुना है या इसके बारे में जानते हैं? अगर हां, फिर तो बहुत अच्छी बात है लेकिन अगर नहीं तो आज आपको गर्भ संस्कार के बारे में सब कुछ इस आर्टिकल के माध्यम से पता चलने वाला है। गर्भ संस्कार क्या है। पूरी जानकारी।
दुनिया में आज भी ऐसे बहुत लोग हैं जिनको गर्भ संस्कार के बारे में पता होना तो दूर यह शब्द भी कभी उन लोगों ने सुना नहीं होगा। लेकिन एक हिंदू होने के नाते हम लोगों को शास्त्र ज्ञान का पूरा Knowledge ना सही, लेकिन थोड़ा बहुत ज्ञान तो होना ही चाहिए।
दोस्तों गर्भ संस्कार शब्द भी हमारे शास्त्रों के साथ ही जुड़ा हुआ है हमें आशा है कि आप भी गर्भ संस्कार के बारे में जानने को इच्छुक हैं और इस आर्टिकल को ध्यान से पढ़ेंगे। आज के इस पोस्ट में हम ना सिर्फ गर्भ संस्कार क्या है, यह बताएंगे बल्कि गर्भ संस्कार का महत्व क्या है एक बच्चे के जीवन में यह भी आप लोगों को सरलता के साथ समझाएंगे। उसी के साथ हम यह भी बताएंगे की गर्भ संस्कार के लिए जरूरी बातें कौन सी है। अब ज्यादा समय ना गवांते हुए चलिए गर्भ संस्कार के बारे में जानते हैं। आर्टिकल शुरू करने से पहले हम आप सभी से यह कहेंगे कि गर्भ संस्कार के बारे में पूरा ज्ञान लाभ करने के लिए आप लोग इस लेख को ध्यानपूर्वक पढ़िए।

गर्भ संस्कार क्या है :
दोस्तों, हम सभी को पता है कि हर मा- बाप अपने बच्चों को एक अच्छे इंसान बनते देखना चाहते हैं। और एक बच्चा आगे चलकर कैसा इंसान बनेगा यह बात पूरी तरह से निर्भर करता है इस बात पर कि बच्चे को कैसे संस्कार दिए जाए। लेकिन हम सभी को सिर्फ इतना ही पता है कि बच्चे को बचपन से ही संस्कार दिए जाते हैं क्या लेकिन क्या हम इस बात से अवगत है कि बच्चे को माता के गर्भ ने आने से पूर्व से ही संस्कार दिए जाते हैं। जी हां, दोस्तों! सुनने में थोड़ा अजीब लगता है लेकिन यह बात पूरी तरह से सच है कि बच्चे को गर्भ से ही संस्कार दिए जाते हैं और उसी को गर्भ संस्कार कहा जाता है।
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हमारे शास्त्रों में भी सोलह संस्कार का वर्णन किया गया है। और उन्हीं में से एक गर्भ संस्कार भी है।एक शिशु आगे चलकर अपने जीवन में कैसा आदमी बनेगा, समाज मे कैसा उदाहरण प्रस्तुत करेगा, इसके लिए काफी हद तक गर्भ संस्कार की भी जिम्मेदारी होती है। हम सभी जानते हैं कि एक बच्चे को संस्कार देने के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार माता होती है। जब एक बच्चा मा के गर्भ में रहता है तब उसकी मा कैसा आचरण करती है, कैसी विचारधारा अवलंबन करती है, क्या सोचती है, कैसा खान-पान अपनाती है, किस तरह के सोच मन में लाती है यह सभी बातें गर्भ में पल रहे बच्चे की मानसिकता निर्माण के लिए जिम्मेदार होते हैं।

गर्भ संस्कार की शुरुआत कब से करनी चाहिए :
आपको बता दें कि गर्भ संस्कार गर्भधारण के 3 महीने पहले से ही शुरू हो जाती है। जब कोई दंपत्ति संतान प्राप्ति के लिए मन बना रहा हो, तभी से उनको अपने मनोदशा, विचार ,खानपान इत्यादि में सावधानी लानी चाहिए। जब बच्चा गर्भ में आ जाता है तो शुरू के 3 महीने तक माता का खानपान और मनोदशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए ताकि बच्चे का विकास पूरी तरह से हो सके। और प्रसव के 6 महीने पहले से माता को ऐसी चीजों में मन लगाना चाहिए जो धार्मिक हो, अच्छा हो, नैतिक हो, सभ्य हो। इस समय माता को कोई गलत विचार मन में नहीं लाना चाहिए क्योंकि जिस तरह से मा सोचती है, करती है बच्चा अपना चरित्र उसी तरह से Build कर लेता है और आगे चलकर उसका असर बच्चे पर देखने को मिलता है। कुल मिलाकर कहे तो गर्भ में आने से 3 महीने पूर्व से लेकर प्रसव तक हम अपने विचार आचरण द्वारा बच्चे को जिस दिशा में ढालते हैं, जो संस्कार उसको देते हैं। उसी को गर्भ संस्कार कहा जाता है।

एक गर्भवती मां के लिए ध्यान रखने लायक कुछ खास बातें
खानपान का रखें ध्यान :
जब कोई औरत गर्भवती होती है तो उसको सबसे ज्यादा ध्यान अपने खान-पान का रखना होता है। क्योंकि खानपान सही तरह से ना होना बच्चे की शारीरिक विकास में रुकावट पैदा कर सकता है। जिससे आगे चलकर बच्चे को आजीवन परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। इसीलिए होने वाली मा को अपने खान-पान का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए।
कोई भी तनाव मन में ना आने दे :
जब कोई औरत गर्भवती हो तो उसको तनाव में भी मुस्कुराने की आदत डाल लेनी चाहिए। और कुछ ना सही फिर भी अपने बच्चे के लिए उसको अपने मन से तनाव को जितना हो सके दूर रहना चाहिए। क्योंकि गर्भवती मा के तनाव का असर बच्चे पर काफी बुरा पड़ता है जिसका अंदाजा उस समय तो नहीं होता लेकिन बच्चे के पैदा होने के बाद बच्चे का स्वास्थ्य अच्छी तरह से एहसास दिला देता है।
बच्चे से बात करते रहे समय समय पर :
क्या आपको पता है कि जब गर्भ में बच्चा 6 महीने का हो जाता है तब वह बाहर की आवाज सुनने और समझने लगता है। इसीलिए मा का फर्ज है कि वह अपने बच्चे से बात करें और उसे अच्छी-अच्छी बातें कहें। इससे उसके दिमाग का विकास तेजी से होगा और जिस तरह की बातें उस time पर मा अपने बच्चे से करेगी, बच्चे की मानसिकता उसी तरह से बनति जाएगी।
पूजा पाठ करें :
इस समय पर गर्भवती औरत के लिए पूजा पाठ करना उसके और उसके बच्चे दोनों के लिए काफी सकारात्मक साबित होगा। क्योंकि हम सभी को पता है कि पूजा पाठ करने से हमारे अंदर आध्यात्मिक भावना की उन्नति होती है और नकारात्मक सोच हम से कोसों दूर चली जाती है। इसीलिए ऐसे समय पर पूजा पाठ करने से मां और बच्चे दोनों के विचार और शारीरिक स्वास्थ्य पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा ।
ग्रंथो का अध्ययन करें, जीवनी पढ़े :
गर्भधारण के समय नारी को समय निकालकर ग्रंथों को अध्ययन करना चाहिए, महान पुरुषों की जीवनी पढ़नी चाहिए। ऐसा करने से बच्चा ना सिर्फ स्वस्थ और तंदुरुस्त रहेगा बल्कि उसका दिमाग भी अपने आपको इसी तरह से ढालने की कोशिश करेगा। हमने आपको पहले ही बताया कि गर्भ में आने के 3 महीने बाद से ही बच्चा बाहरी आवाज सुनने और समझने लगता है। तो इस तरह से जीवनी और ग्रंथों का पढ़ना बच्चे के दिमाग के विकास में काफी सकारात्मक परिणाम लाएगा।
दोस्तों यह तो हो गई गर्भ संस्कार के लिए एक मा की भूमिका लेकिन जब बच्चा माता-पिता दोनों का है, तो पिता का भी तो कुछ फर्ज बनता है अपने बच्चे के प्रति। तो आइए अब जानते हैं कि गर्भ संस्कार में एक पिता की क्या भूमिका होनी चाहिए।
गर्भ संस्कार में एक पिता की जिम्मेदारी
अपने बच्चे की माता का रखें पूरा ध्यान
जब एक औरत मा बनने वाली होती है या बनती है तो हजारों परेशानी उसके इर्द-गिर्द घूमती रहती है। उसको काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, एक जीव को इस दुनिया में लाने के लिए। ऐसे में अगर अपने जीवन साथी का साथ मिल जाए, तो यह मुश्किल वक्त भी आसानी से गुजर जाते हैं। और अगर गर्भवती होने के समय औरत खुश रहे तो बच्चा भी healthy पैदा होता है यह हम सभी को पता है।
ऐसे में एक पति का फर्ज है कि वह अपनी पत्नी का पूरा ध्यान रखें। ध्यान रखने से मतलब सिर्फ उसकी जरूरतों को पूरा कर देना ही नहीं है, उसके मानसिक अवस्था का भी पूरा ध्यान रखने की कोशिश करें। अपने आचरण और व्यवहार से अपनी पत्नी को पूरी तरह से खुश रख, अपनी पत्नी को कहीं घुमाने ले जाए, अच्छी बातें करें, प्यार दें, उसको हर पल अपने साथ होने का एहसास दिलाये। तभी बच्चा दुनिया में खुशी खुशी आ पाएगा।
बच्चे को अपने होने का भी एहसास दे
जब बच्चा गर्भ में होता है तो उसके अंदर भी एक छोटा सा प्राण होता है, जो हर बात को समझ सकता है। ऐसे में होने वाले माता के गर्भ पर हाथ रखना, अपने बच्चे से बातें करना, उस बच्चे को अपने पिता के साथ होने का एहसास दिलाता है। इससे बच्चे पे काफी अच्छा असर पड़ता है। समय-समय पर अपने बच्चे से बात करें, उसकी धड़कनों को सुनें और उसको अपने होने का एहसास दिलाये। आपका यह छोटा सा कदम आपके बच्चे के विकास के लिए काफी मददगार साबित होगा।
आज हमने क्या सीखा
उम्मीद करते हैं, इस पोस्ट को पढ़कर आप लोगों को गर्भ संस्कार के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। साथ ही यह आर्टिकल (गर्भ संस्कार क्या है। पूरी जानकारी।) एक होने वाली मा को काफी help करेगा यह समझने के लिए की गर्भवती होने के बाद उनको किस तरह की सावधानियां अपनानी चाहिए ताकि बच्चा पूरी तरह से सुरक्षित रह सके।
अंत में बस यही कहेंगे कि अगर आप लोगों को यह आर्टिकल पसंद आया और वाकई में इस आर्टिकल से आप लोगों को कुछ सीखने को मिला तो इसको लाइक जरूर करें और अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा शेयर भी कर दें। ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इसके बारे में जानकारी मिल सके। अगर फिर भी इस टॉपिक (गर्भ संस्कार क्या है। पूरी जानकारी।) को लेकर आपके मन में कोई सवाल है या कुछ सुझाव आप हमको देना चाहते हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में हमसे जरूर जुड़े।
author : Madhuwati ray