गोरखपुर रेलवे स्टेशन से मात्र 12 किलोमीटर दूर गोरखपुर-कुशीनगर नेशनल हाईवे न.28 पर गोरखपुर एयरपोर्ट से आगे साल के वृक्षों से भरा कुसम्ही जंगल है। इस कुसम्ही जंगल के अंदर दो प्रसिद्ध स्थान हैं- एक Budhiya Mai Mandir (बुढ़िया माई मन्दिर) है, जो कि एक धार्मिक स्थल है जिसमें एक पुराना देवी मंदिर है और दूसरा Vinod Van नामक पिकनिक स्पॉट। आज हम आपको गोरखपुर के कुसम्ही जंगल स्थित बुढ़िया माई के मंदिर का इतिहास बताने जा रहे हैं।
इस प्राचीन Budhiya Mai Mandir बुढ़िया माई के मंदिर बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर एक चमत्कारी वृद्ध महिला के सम्मान में बनाया गया था। वहीं कुछ लोगों का कहना
है कि पहले यहां थारू जाति के लोग निवास करते थे। वे जंगल में तीन पिंड बनाकर वनदेवी के रूप में पूजा करते थे। थारुओं को अक्सर इस पिंड के आसपास सफेद वेश में एक वृद्ध (बूढ़ी महिला) दिखाई दिया करती थी। कुछ ही पल में वह आंखों से ओझल भी हो जाती थी। किवदंती के अनुसार यह महिला जिससे नाराज हो जाती थी उसका सर्वनाश होना तो तय था और जिससे प्रसन्न हो जाए, उसकी हर मनोकामना पूरी कर देती थी। कुसम्ही जंगल के अंदर स्थित इस Budhiya Mai Mandir बुढ़िया माई मन्दिर में नवरात्रि के दौरान मेला लगता है। इस दौरान दूर-दूर से लाखों भक्त देवी मां का दर्शन करने आते हैं।

Budhiya Mai Mandir बुढ़िया माई मंदिर के पुजारी के अनुसार प्राचीन समय में भी इमिलिया उर्फ बिजहरा गांव में यहां तुर्रा नदी बहती थी। इस पर गांव वालों ने पहले पुल बना दिया था। मंदिर और पुल के रास्ते में एक बुढ़िया बैठा करती थी। कहा जाता है कि एक बार इसी रास्ते से होकर बैलगाड़ी से एक बारात गुजर रही थी तो वहां बैठी बुढ़िया ने नाच दिखाने को कहा जिसे बारात में मौजूद नाच के जोकर को छोड़कर किसी ने नहीं माना जिससे वो बृद्ध महिला क्रोधित हो गयी। उसके बाद जोकर को छोड़कर पूरी बारात तुर्रा नाले में समा गई थी। इसी घटना के पश्चात स्थानीय लोगों ने यहां Budhiya Mai Mandir बुढ़िया माई मंदिर की स्थापना की।
