देश में कोरोना महामारी के बढ़ते संक्रमण के बीच अभी पिछले दिनों मुस्लिमों द्वारा फलों और सब्जियों में जानबूझकर कोरोना संक्रमण फैलाए जाने की वायरल हो रही तस्वीरों और खबरों के बाद डर के मारे लोगों ने मुस्लिम दुकानदारों से सामान लेना ही बंद कर दिया था। इसी बीच एक हिंदू दुकानदार द्वारा अपनी दुकान के आगे हिंदू फल विक्रेता का बैनर टांग दिया गया, जिसकी खबरें और तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर बहुत वायरल हुई थी, जिसका देश के कथित सेकुलर वर्ग द्वारा बहुत ज्यादा आलोचना और विरोध किया जा रहा है।

पिछले कुछ दिनों की घटनाओं पर गौर किया जाए तो हिंदुओं द्वारा इस तरह की सावधानी बरतें जाना जायज भी है क्योंकि जान का भय तो सब को होता है। आजतक तो हिंदुओं ने कभी दुकानदार का धर्म देखकर खरीददारी नहीं की थी। इस तरह का माहौल किसने तैयार किया आखिर? इनकी कौम के ही चंद गद्दारों की वजह से तो आज इनकी पूरी कौम के सामने रोजी रोटी का संकट है। हम सभी जानते हैं कि यदि हिंदुस्तान का हिन्दू मुस्लिमों की दुकानों और प्रतिष्ठानों का बहिष्कार करना शुरू कर दे तो मुस्लिम कितने दिन इस देश में अपनी जीविका चला पाएंगे?
ऐसे में यदि कोई हिंदू दुकानदार अपनी दुकान के आगे हिंदू शब्द लिखकर दुकान लगा देता है तो इसमें विरोध करने वाली कोई बात नहीं है। क्योंकि उसे अपना सामान बेचना है और लोग मुस्लिम दुकानदारों से परहेज कर रहे हैं। हिन्दू दुकानदार अपनी दुकान पर हिन्दू शब्द अंकित करे तो इसमें विरोध करने वाली क्या बात हो सकती है?
मुस्लिम को अपनी कौम के एक आतंकवादी का भी समर्थन करने में जब गर्व होता है तो क्या हिन्दू को अपने हिंदु होने पर गर्व नहीं हो सकता? क्या हिंदुस्तान में एक हिन्दू खुद को गर्व से हिन्दू नहीं कह सकता या लिख सकता? क्या इस देश में ‘मुस्लिम’ शब्द लिखा कोई बैनर पोस्टर या बोर्ड नहीं देखा है किसी ने? क्या मुस्लिम मुसाफिरखाना, इमामबाड़ा, मुस्लिम दवाखाना, मजलिस, जमात जैसे शब्द मुस्लिमों ने नहीं अंकित करवा रखे हैं अपने प्रतिष्ठानों पर?
परंतु हिंदुस्तान में अब तो ‘हिंदू’ और ‘हिंदुत्व’ शब्द ही सांप्रदायिक साबित किया जाने लगा है। जहां भी हिंदुत्व या हिंदुओं की बात होती है तो तुरंत उसे साम्प्रदायिक साबित किया जाने लगता है। वहीं दूसरी ओर मुस्लिमों की हर गलत और नाजायज हरकतों का समर्थन करना, टुकड़े-टुकड़े गैंग का समर्थन करना, आतंकवाद का समर्थन करना, सरकार, देश के कानून का मज़ाक बनाना, हिंसा, तोड़फोड़, अराजकता और देश में अस्थिरता फैलाना यह सब कृत्य ‘सेक्युलरिज़्म’ की श्रेणी में आने लगे हैं।
सर्वविदित है कि हिंदुस्तान जिसका मूल (Root) हिन्दू और हिंदुत्व ही है फिर यहीं पर हिन्दू और हिंदुत्व शब्द इतना विवादित क्यों होता जा रहा है? साम्प्रदायिक क्यों होता जा रहा है? क्या चंद राजनीतिज्ञों के हाथों की कठपुतली बनकर हिंदुस्तान के लोग अपने इतिहास को ही झुठलाने में लगे हैं? तुष्टिकरण की गन्दी राजनीति करने वाले कुछ नेताओं ने हिंदुत्व को सांप्रदायिक साबित करना शुरू कर दिया है जिससे मुस्लिमों का वोट हासिल किया जा सके।
मुस्लिम समुदाय के जमातियों ने आज इस देश को मौत के मुंह में झोंक दिया है, ये सारी दुनिया देख रही है। इंसानियत के इन दुश्मनों की वजह से आज पूरे देश पर मौत का संकट मंडराने लगा है। हमेशा से पूरे विश्व में हिंसा, आतंकवाद और बर्बादी के जिम्मेदार रहे इस कौम के लोगों को यदि अपने मुस्लिम होने पर गर्व हो सकता है तो हिन्दू को हिन्दू होने पर गर्व क्यों न हो? हमें अपने हिन्दू होने पर गर्व है और हमेशा रहेगा क्योंकि इतिहास गवाह है कि हिंदुओं ने सृजन किया है विनाश नहीं किया। हिंदुओं ने इंसानियत की रक्षा की है इसे तबाह, बर्बाद नहीं किया है।
हम हिंदुस्तानी हैं, हिंदुत्व हमारी पहचान है, हमारा मूल है और हमें अपने हिन्दू होने पर हमेशा गर्व रहेगा। यदि हिंदुत्व की बात करना साम्प्रदायिक है तो हमें सेक्युलर की जगह साम्प्रदायिक कहलाना ही मंजूर है।