Thursday, September 28, 2023
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कोलकाता के बाद पटना है दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध अगल अलग भव्यता से होती है मां दुर्गा की अनोखी पूजा 

भारत त्योहारो का देश है जिसमें नवरात्रि का त्यौहार भारत में रहने वाले हर जाति के लोग बेहद धूमधाम से मनाते हैं। वैसे तो नवरात्रि यानी दुर्गा पूजा बंगाल में बेहद धूमधाम से मनाई जाती है। कोलकाता भर में भव्य पंडाल सजाए जाते हैं और देश भर की नजर यहां के दुर्गा पूजा पर रहती है। बंगाली परिवारो के लिए 9 दिन हर्षोल्लास के साथ बीतते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं कि केवल बंगाल ही बल्कि बिहार और देश के कई ऐसे जगह हैं जो दुर्गा पूजा में जगमगा उठती है।

जिस प्रकार कोलकाता की दुर्गा मां पूरे विश्व विख्यात हैं उसी तरह कोलकाता के बाद बिहार के पटना में होने वाले दुर्गा पूजा बहुत आकर्षित होती है। पटना में ज्यादातर कोलकाता के जैसे बड़े-बड़े पंडाल बनाए जाते हैं और कोलकाता के मूर्ति कारो को बुलाकर मूर्तियां बनवाई जाती है। इसीलिए जहां कोलकाता के दुर्गा पंडालो को देखने लोग विदेशो से आते हैं तो वहीं कोलकाता के बाद ही पटना के दुर्गा पूजा के चर्चे होते हैं। जहां पर दुर्गा माता के भव्य मूर्ति बनाए जाते हैं और महल जैसे पंडाल बनते हैं आइए आपको बताते हैं 

कोलकाता के बाद बिहार की राजधानी पटना में आकर्षित दुर्गा पंडाल निर्माण होता है जिसे देखने ना केवल पटना बल्कि बिहार के आसपास के लोग भी पहुंचते हैं। सबसे भव्य पंडाल की बात करें तो बिहार के पटना में स्थित डाक बंगला चौराहा पर काफी शानदार पंडाल बनते हैं। यहां न केवल बिहार के लोग बल्कि यहां के शानदार पंडाल और मां दुर्गा के दर्शन करने लोग बाहर से आते हैं।

पटना पूजा समितियो का अतीत 150 साल पुराना

पटना का कदमकुआं इलाका दुर्गा माता के पूजा के लिए राज्य भर में प्रसिद्ध है वहां बिना गए दुर्गा उत्सव के भ्रमण की यात्रा पूरी नहीं होती। क्योंकि यहां पर बढ़-चढ़कर पंडाल की सजावट होती है और मूर्तियो के निर्माण पूजा समितियो की ओर से कराई जाती है। यहां पर मां के प्रतिमा की पूजा 104 वर्षों से होती आ रही है, पहली बार यहां साल 1918 में दुर्गा माता की मूर्ति स्थापित हुई थी। इसीलिए दुर्गा पूजा के चर्चा हो तो कोलकाता के बाद पटना का ही नाम आता है। 

कोलकाता के बाद पटना है दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध अगल अलग भव्यता से होती है मां दुर्गा की अनोखी पूजा 

पटना में दुर्गा पूजा के मौके पर विशाल और भव्य प्रतिमाएं देखने को मिलती है, यहां के कई पूजा समितियो का अतीत एक से डेढ़ सौ साल पुराना है। आप पटना के बंगाली अखाड़ा पूजा समिति, डाक बंगला चौराहा, दुर्गा आश्रम, बेली रोड, चूरी मार्केट, गोविंद मिश्रा रोड आदि जैसे कई पुजा समितियो को ही देख लीजिए इन सभी का इतिहास बहुत पुराना है। पटना के दुर्गा आश्रम में तो 82 वर्षो से माता रानी की पूजा होती आ रही है, यही नहीं खाजपुरा शिव मंदिर का पूजा पंडाल 88 वर्षों से माता की प्रतिमा स्थापित करते आ रही है।

शेखपुरा के बेली रोड

शहर की पुरानी पूजा समितियो में शेखपुरा के बेली रोड स्थित दुर्गा आश्रम पूजा समिति काफ़ी पुरानी है यहां साल 1939 से बेहद भव्यता से दुर्गा पूजा होती आ रही है। दुर्गाश्रम बेली रोड के सचिव ने बताया कि यहां शुरुआत के दिनो में मां दुर्गा का पिंड स्थापित था। नवरात्रि के समय यहां पर मेला लगता था जहां लोग मां के पिंड की पूजा के लिए दूर-दराज से आते थे। 

पंचमी को होती हैं कलश स्थापना

पटना का यह एक ऐसा पंडाल है जहां कलश की स्थापना नवरात्र के पहले दिन नहीं बल्कि पंचमी तिथि से होती हैं। पूजा समिति प्रायोगिक झांकी और भव्य पंडाल के लिए हमेशा से ही यह जगह चर्चित है। साल 2013 में यहां भगवान शिव जी की जटा से निकलने वाली गंगा माता को दुर्गा मां द्वारा रोकने की झांकी को श्रद्धालुओ ने खूब पसंद किया था।

कलमकुआं इलाका पूरे राज्य में प्रसिद्ध

पटना का कलमकुआं इलाका दुर्गा उत्सव के लिए पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कदमकुआं नाम के इलाके में पंडाल लगाने वाली समिति की स्थापना साल 1917 में हुई थी। यहां के पंडाल में मूर्ति देखने के लिए बहुत ज्यादा भीड़ उमड़ती है पहले यहां बंगाली परंपरा के अनुसार एक ही फ्रेम में तीन प्रतिमाएं बनती थी। जिनमें दुर्गा मां और राक्षस को एक साथ बनाए जाते थे प्रतिमा के विसर्जन के बाद फ्रेम को फिर अपने स्थान पर रखा जाता था। 

कोलकाता के बाद पटना है दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध अगल अलग भव्यता से होती है मां दुर्गा की अनोखी पूजा 

माता को पहनाए जाते हैं सोने के गहने 

सबसे खास बात यह है कि दुर्गा प्रतिमा को समिति के सदस्य कंधे पर रखकर भद्र घाट तक पैदल ले जाते थे। लेकिन साल 1958 से बंगाली परंपरा छोड़ बड़ी प्रतिमा बैठने की परंपरा शुरू हुई जो आज तक बरकरार है। जिनमें मां दुर्गा, सरस्वती, लक्ष्मी, गणेश और कार्तिकेय भगवान की प्रतिमा बनाई जाती है। मूर्ति का निर्माण कोलकाता के मूर्तिकार करते हैं, इस वर्ष मूर्ति का निर्माण कोलकाता के मूर्तिकार शिव शंकर पंडित की टीम ने की है।

यहां की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां मां दुर्गा की प्रतिमा को शुद्ध सोने के गहने पहनाए जाते हैं। हर प्रतिमा के लिए 5 सेट गहने होते हैं जीनमें बड़ी हार, छोटी हार, मांगटीका, नथनी, हाथफूल और कनबाली होते हैं और हर साल माता को गहने पहनने से पहले साफ सफाई होती है।

इको फ्रेंडली पंडाल 

इस बार यहां पर इको फ्रेंडली पंडाल बना है जिसका मुख्य उद्देश्य लोगो को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना है। इसके लिए कोलकाता से कलाकार आए हैं यहां पर होने वाली दुर्गा पूजा अपने आप में अनोखा है। क्योंकि यहां बनारस और बंगाली पद्धति से पूजा संपन्न होता है और इसीलिए यहां पर लोग पूजा में शामिल होने दूर-दूर से आते हैं।

पटना के गोलघर 

कोलकाता के बाद पटना है दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध अगल अलग भव्यता से होती है मां दुर्गा की अनोखी पूजा 

पटना के गोलघर के पास स्थित अखंडवासिनी मंदिर में नवरात्रि के दौरान काफी भीड़ उमड़ती है। यहां के इतिहास के अनुसार साल 1902 में विश्वनाथ तिवारी जी ने यहां दुर्गा माता के लिए दो अखंड दीप जलाए थे एक सरसो के तेल का और दूसरा घी का, जीसके बाद वहां दुर्गा पूजा की परंपरा शुरू हुई। नवरात्रि में भक्त अपनी मनोकामना और प्रार्थना पूर्ति के लिए 9 दिनो तक दीप जलाते हैं और पिछले 15 सालो से यहां पूजा कर रहे हैं। वे बताते हैं कि सृष्टि से लेकर दसमी तक 50 हजार से भी ज्यादा भक्त दर्शन करने आते हैं।

डाक बंगला चौराहा

राजधानी पटना के भव्य पंडालो की बात करें तो डाक बंगला चौराहा पर काफी शानदार पंडाल बनता है। पटना बल्कि अन्य जिलों से भी लोग यहां पर पंडाल देखने आते हैं। इस बार यहां पर इंडोनेशिया के प्रसिद्ध प्रबंधन मंदिर के थीम पर दुर्गा माता के पंडाल का निर्माण हुआ है और भव्य प्रतिमा स्थापित हुई है। इस पंडाल के खर्चे की बात करें तो करीब 20 से 25 लाख रुपए खर्चा होने की जानकारी मिल रही है। 

खाजपुरा पूजा समिति

जगह जगह पर सुरक्षा व्यवस्था भी तगड़ी है और सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। जहां बात करें खाजपुरा पूजा समिति की तो यहां बाहुबली के तर्ज पर पंडाल निर्माण की है। पिछले 1 महीने से यहां पूजा की सजावट चल रही थी और मां दुर्गा के प्रतिमा का निर्माण कराया जा रहा था। जनकारी के अनुसार अभी 12 से 15 लाख रुपए खर्च होने का अनुमान बताया जा रहा है।

जगमोहन पैलेस

कोलकाता के बाद पटना है दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध अगल अलग भव्यता से होती है मां दुर्गा की अनोखी पूजा 

पटना के प्रसिद्ध जगमोहन पैलेस की तर्ज पर पंडाल का निर्माण कराया गया है इसके अलावा यहां पर एलईडी लाइट से पूरे सड़क को सजाया जाएगा साथ ही भव्य गेट का भी निर्माण होगा। सुरक्षा के लिहाजे से अगर बात करें पंडालो में सीसीटीवी कैमरो के जरिए एक-एक करके सभी गतिविधि का ख्याल रखा जा रहा है। इस पूजा समिति की बात करें तो पुरे पंडाल में तकरीबन 12 से 15 लाख रुपए के खर्च की जानकारी मिल रही है।

बोरिंग कैनाल रोड

बिहार के राजधानी पटना में भी बोरिंग कैनाल रोड स्थित मिनी चौराहे पर भव्य पंडाल निर्माण हुआ है। पंचमुखी मंदिर समिति भव्य पंडाल के निर्माण के लिए प्रसिद्ध है इस बार केदारनाथ के तर्ज पर पंडाल निर्माण हुआ है। यहां के बजट की बात करें तो तकरीबन पूरे पंडाल पर दस लाख खर्च किए गए हैं। इसके अलावा पूजा समिति राजधानी पटना में नवनिर्मित इस्कॉन मंदिर के थीम पर पंडाल बन रही है।

बंगाली अखाड़ा पूजा समिति

बिहार के पटना में बंगाली अखाड़ा पूजा समिति का इतिहास काफी पुराना है यहां पर बंगाली पद्धति से मां दुर्गा की पूजा होती है। पूजा समिति के संयुक्त सचिव के अनुसार बंगाली अखाड़ा का नामकरण इसीलिए हुआ है क्योंकि यहां पर साल 1893 के पहले से कुश्ती की प्रतियोगिता होती थी। यहां पर स्वतंत्रता सेनानियो ने अंग्रेजो से बचने के लिए कुश्ती करने के बहाने से आंदोलन को लेकर रणनीति बनाई थी।

धुनुची नृत्य का आयोजन 

अंग्रेजो की आंखो में धूल झोंकने के लिए दुर्गा माता की प्रतिमा स्थापित कर आजादी के दीवानो ने यहां पर दुर्गा पुजा का शुभारंभ किया जो आज भी बरकरार है। यहां की खास बात यह है कि यहां षष्ठी से माता की पूजा आरंभ होती है षष्ठी के दिन से ही मां के प्रतिमा के पट भी खोल दीए जाते हैं। सप्तमी और नवमी तक आरती के समय धुनुची नृत्य का आयोजन होता है जो लोगो को बेहद आकर्षित करती है।

 डोमन भगत सिंह लेन

पटना के डाकबंगला चौराहा पूजा समिति के बाद कदमकुंआ स्थित डोमन भगत सिंह लेन पूजा समिति श्रद्धालुओ को बेहद आकर्षित करता है। यहां पर साल 1959 से लेकर 1985 तक भारत माता की प्रतिमा बैठाई गई थी। जहां मां के हाथ में प्रतिमा था जो अपने आप में बहुत अलग होता था साल 1985 के बाद यहां अष्टधात्री माता दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर पूजा होने लगी।

खाजपुरा शिव मंदिर

इन सबके अलावा पटना शहर के खाजपुरा शिव मंदिर का पूजा पंडाल आकर्षण का केंद्र है। यहां पर शिव मंदिर के निर्माण के समय यानि साल 1932 से ही दुर्गा पूजा होते आ रहा है। पटना में दुर्गा पूजा और दशहरा का महोत्सव का इतिहास बरसो पुराना है यहां पर सभी पूजा समिति अपने अपने स्तर पर बड़े-बड़े कार्यक्रमो का आयोजन करती है। राजधानी में लगभग डेढ़ सौ से ज्यादा पूजा समितिया दुर्गा माता की प्रतिमा खास मूर्तिकारो से बनवाते हैं।

कोलकाता के बाद पटना है दुर्गा पूजा के लिए प्रसिद्ध अगल अलग भव्यता से होती है मां दुर्गा की अनोखी पूजा 

दुर्गा पूजा के शुभ अवसर पर पूरे देश में धूम रहती है नवरात्री के नौ दिनो तक देश में जगह जगह पर रामलीला का आयोजन होता है। इस दौरान कोलकाता और पटना ही नहीं देश के कई बड़े शहरो में बेहद खूबसूरत प्रतिमाएं बनती है और अच्छे अच्छे पंडाल बनाए जाते हैं। जैसे कि

गुवाहाटी 

मां दुर्गा के स्वागत में असम राज्य भी भक्ति भाव में डूब जाता है। असम के गुवाहाटी शहर में देवी माता की पूजा भव्यता से होती है और दुनिया भर के लोगो का ध्यान आकर्षित करती है।

मैसूर

मैसूर में मनाए जाने वाला दशहरा पर्व काफी लोकप्रिय है नवरात्रि के समय पूरा शहर रोशनी में डूब जाता है पूरे शहर में नवरात्रि के नौ दिनो तक नृत्य, संगीत की मस्ती गूंज उठती है और दसवे दिन यानी विजयादशमी के दिन यहां शोभायात्रा निकलती है।

राजधानी दिल्ली

बात करें देश की राजधानी दिल्ली की तो यहां पर नवरात्रि की अच्छी खासी धूम रहती हैं। यहां के दुर्गा पंडालो में दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ती है इसके अलावा दिल्ली में रामलीला भी मनाए जाते हैं।

मुंबई

मुंबई की बात करें तो सांताक्रुज में लगने वाले विशाल दुर्गा पंडाल को देखने लोग दूर-दूर से आते हैं यहां का पंडाल बॉलीवुड के मुखर्जी परिवार द्वारा लगाया जाता है और इसकी भव्यता हर किसी को आकर्षित करती है। यहां के प्रतिमा निर्माण के लिए कोलकाता, पटना, छत्तीसगढ़ आदि जगहो के बड़े मूर्तिकारो को आमंत्रण दिया जाता है।

Jhuma Ray
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