Tuesday, September 26, 2023
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मार्कण्डेय पुराण के अनुसार नौ औषधिय पौधे जिसमें होता है माता रानी का वास और ब्रह्माजी ने दिए दुर्गाकवच का नाम।

नवरात्रि में पूजी जाने वाली माता रानी के नौ रूप अलग-अलग होते हैं लेकिन यह सभी माता रानी के ही रूप है। नवरात्रि के प्रथम दिन से शुरू होकर नौ दिनों तक माता दुर्गा के अलग-अलग रूप की उपासना होती है। देवी के इन नौ रूपो को इस संसार में नौ औषधीय पौधो में विद्यमान बताया गया है। मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री देवी मां के इन नौ रूपो को औषधीय पौधो में विद्यमान बताया जाता है। इन औषधीय पौधो को मार्कंडेय पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने दुर्गा कवच का नाम दिया है, तो चलिए जानते हैं कौन से है वह पौधे जिसमें स्वयं माता रानी का होता है वास।हरड़  

हरड़ एक ऐसा पेड़ है जो आयुर्वेद का एक प्रधान औषधी है इस हरड़ को हिमावती भी कहते हैं और यह मां शैलपुत्री का एक रूप माना जाता है। हरड़ सात प्रकार की होती है जिसमें हरीतिका भय को हरने वाली है, पथया- हित करने वाली है, कायस्थ – शरीर को स्वस्थ रखने वाली है, अमृता – अमृत के समान, हेमवती – हिमालय पर होने वाली, चेतकी -चित्त को प्रसन्न करने वाली और श्रेयसी- कल्याण करने वाली मानी जाति है।

ब्राह्मी 

ब्राह्मी को मां ब्रह्मचारिणी का प्रतीक माना जाता है इस ब्राह्मी के प्रयोग से स्मरण शक्ति और आयु में वृद्धि होती है। ये स्वर को मधुर करने का काम करती है इसलिए इस पौधे को सरस्वती भी कहा जाता है। 

चंदुसूर 

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार नौ औषधिय पौधे जिसमें होता है माता रानी का वास और ब्रह्माजी ने दिए दुर्गाकवच का नाम।

चंदुसूर पौधे में मां चंद्रघंटा का वास होता है इसके पत्तियो के सेवन से शारीरिक शक्ति बढ़ाने में मदद मिलती है। ह्दय रोग से पीड़ितो को मां चंद्रघंटा की पूजा करना चाहिए और इस औषधी का प्रयोग करना चाहिए।

पेठा 

मां कूष्मांडा का अर्थ है कुम्हड़ा जिससे पेठा यानि मिठाई बनती है पेठे में मां का यह रूप विराजमान बताया जाता है। मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि मानसिक रूप से कमजोर व्यक्ति के लिए पेठा अमृत के समान होता है। नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा कर इसका उपयोग जरुर करना चाहिए।

अलसी 

अलसी तो आप लोग जानते ही होंगे अलसी में मां स्कंदमाता विद्यमान बताई जाती है। और इस अलसी में वात, पित्त, कफ, आदि जैसे रोगो को नष्ट करने की शक्ति होती है। इस बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को नवरात्री के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा अवश्य करनी चाहिए।

मार्कण्डेय पुराण के अनुसार नौ औषधिय पौधे जिसमें होता है माता रानी का वास और ब्रह्माजी ने दिए दुर्गाकवच का नाम।

मोइया 

आयुर्वेद में मां कात्यायनी के कई नाम हैं जैसे अम्बालिका, अम्बिका, मोइया आदि। मोइया औषधि का प्रयोग कफ, पित्त और गले के रोगो को ठीक करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

नागदौन

नागदौन के पौधे को मां कालरात्रि का रूप माना जाता है। कहा जाता है कि इसे घर में लगाने से नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है और घर सकारात्मक शक्ति का वास होता है। यह नागदौन की औषधि मानसिक तनाव को ठीक करने के लिए रामबाण मानी जाति है।

तुलसी 

तुलसी के पौधे के बारे में तो आप लोग जानते ही होंगे वही तुलसी का पौधा जो हर घर में होता है और उनकी पुजा होती है। उसी तुलसी के पौधे में मां महागौरी विद्यमान रहती है नवरात्रि के दौरान घर में तुलसी लगाने से सुख-समृद्धि आती है और तुलसी माता की पूजा करने से मां महागौरी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। 

शतावरी 

नवरात्रि के नौवे दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है और ये मां सिद्धिदात्री को शतावरी भी कहते हैं। शतावरी के प्रयोग से बल और बुद्धि में बृद्धि होती है। 

Jhuma Ray
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नमस्कार! मेरा नाम Jhuma Ray है। Writting मेरी Hobby या शौक नही, बल्कि मेरा जुनून है । नए नए विषयों पर Research करना और बेहतर से बेहतर जानकारियां निकालकर, उन्हों शब्दों से सजाना मुझे पसंद है। कृपया, आप लोग मेरे Articles को पढ़े और कोई भी सवाल या सुझाव हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क करें। मैं अपने Readers के साथ एक खास रिश्ता बनाना चाहती हूँ। आशा है, आप लोग इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।
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