आज से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो गई है आज यानि नवरात्रि के पहले दिन से कलश स्थापना के साथ मां दुर्गा की पूजा होगी और 9 दिनों तक माता रानी के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा होगी। नवरात्र के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा की जाती है यानि नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित होता है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा जाता है।इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा करने के साथ ही उनकी कथा और दुर्गा चालीसा का पाठ करना भी बेहद शुभ फलदायी होता है। नवरात्रि में पहले दिन देवी के शैलपुत्री स्वरूप की उपासना और पूजा के बाद मां शैलपुत्री की कथा का पाठ जरूर कढ़नी चाहिए।
माता शैलपुत्री की कथा

माता शैलपुत्री का दूसरा नाम सती है। एक बार की बात है माता सती के पिता यानी दक्षिणा जाने की याद करने का निर्णय लिया इस यज्ञ में सभी देवी देवताओं को निमंत्रण भेजा गया लेकिन भगवान शिव के पास निमंत्रण नहीं किया लेकिन माता सती को विश्वास था कि उनके पास भी निमंत्रण जरूर आएगा लेकिन माता सती भगवान शिव को और माता सती को यज्ञ के लिए निमंत्रण नहीं आए इस बात से माता सती को बहुत दुख पहुंचा वह अपने पिता की याद में जाना चाहती थी लेकिन नियंत्रण आने के कारण भगवान शिव जी ने माता सती वियोग में जाने से मना कर दी उन्होंने कहा कि जब कोई निमंत्रण ही नहीं आया तो वहां जाना बिल्कुल ही उचित नहीं है लेकिन जब सती माता ज्यादा आग्रह करने लगी और होने लगी तब शिवजी को दुख हुआ और उन्होंने माता सती को जाने के लिए अनुमति दे दी लेकिन जब माता सती प्रजापति दक्ष के घर यज्ञ में पहुंची तो उनसे सभी मुंह फेरने लगे केवल उनकी माता ने ही उन्हें सीने से गले लगाया और उनकी बहने भी उनका उपहास कर रही थी साथ ही भगवान शिव जी को भी काफी अपमान कर रहे थे वहां पर मौजूद सभा में सभी भगवान शिव को भी काफी अपमान कर रहे थे या देख माता सती को बर्दाश्त नहीं हुआ माता सती अपने पिता द्वारा अपने और अपने स्वामी के तिरस्कार को सहन नहीं कर पाए और वही अग्नि कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए। अगले जन्म में यही सती माता मां शैलपुत्री स्वरूप में प्रकट हुईं और भगवान शिव से फिर विवाह किया।
शैलपुत्री की पूजा का महत्व
आश्विन मास के इस नवरात्र को शक्ति प्राप्त करने वाली नवरात्रि भी कहते हैं। नवरात्रि में मां शैलपुत्री की पूजा करने से जीवन के सभी संकट और नकारात्मक शक्तियो का नाश होता है। नवरात्रि के पहले दिन पान के एक पत्ते पर लौंग, सुपारी, मिश्री रखकर मां शैलपुत्री को अर्पण करने से आपके जीवन की हर इच्छा पूर्ण होती है। कहा जाता है कि मां शैलपुत्री की पूजा करने से मूलाधार चक्र जागृत होता है और सभी प्रकार सिद्धियो की प्राप्ति होती है।

देवी के पहले स्वरूप का पूजन
नवरात्र में सुबह और शाम दोनो समय पूजा करने के बाद माता रानी का पाठ और आरती करनी चाहिए। पहले नवरात्र पर को एक लकड़ी के पटरे पर लाल या सफेद वस्त्र बिछाकर मां शैलपुत्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। मां शैलपुत्री को सफेद वस्तु बहुत प्रिय है, इसलिए मां शैलपुत्री को सफेद वस्त्र, सफेद फूल और सफेद बर्फी का भोग लगाएं।
मनोकामना पूर्ति के लिए करें ये उपाय
सबसे पहले मां शैलपुत्री के सामने घी का दीपक जलाए और एक साबुत पान के पत्ते पर 27 फूलदार लौंग रखके माता के सामने चढ़ाए। मां शैलपुत्री को स्मरण करते हुए “ॐ शैलपुत्रये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें जाप करने के बाद सारे लौंग को एक कलावे से बांधकर माला की तरह बनाए और अपनी मन की इच्छा बोलते हुए लौंग की माला को मां शैलपुत्री को अर्पण करें। ऐसा करने से आपको हर कार्य में सफलता मिलेगी और पारिवारिक कलेश नष्ट होंगे।