माता आदिशक्ति अंबिका सर्वोच्च हैं और उनके कई रूप है जिन्हें हम सती, पार्वती, उमा आदि जैसे अनेक नामो से जानते हैं। मां दुर्गा ने ही दुर्गमासुर का वध किया था इसीलिए उन्हें दुर्गा मा कहा जाता है। नवरात्र व्रत में प्रकृति के बहुत सारे अवरोध समाप्त हो जाते हैं। कहा जाता है कि नवरात्रि केे नौ दिनो में दिन की अपेक्षा रात्रि में आवाज देने पर वह दूर तक जाती है। नवरात्र के 9 दिनो में रात्रि के समय किए गए सभी शुभ संकल्प सिद्ध होते हैं।
नवदुर्गा में 10 महाविद्याओ की भी पूजा होती है जिनके नाम काली, तारा, छिन्नमस्ता, षोडशी, भुवनेश्वरी, त्रिपुर भैरवी, धूमावती, बगलामुखी और कमला है। इन सभी देवियो की पूजा साधना करने की पद्धति अलग-अलग होती है।
नवरात्रि कलश स्थापना शुभ मुहूर्त
26 सितंबर, सोमवार 2022
घटस्थापना मुहूर्त: सुुुबह 06 बजकर 11 मिनट से 7 बजकर 51 मिनट तक।
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 42 मिनट तक।
कलश स्थापना मंत्र
कलश की स्थापना करते समय मंत्र का जाप करें इस दौरान सभी देवी-देवताओं और ग्रहों का आह्वान भी करते हुए “ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:।
पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः” इस मंत्र का जाप करें।
9 दिनो तक ब्रम्हचर्य का पालन है जरूरी
नवरात्रि के 9 दिनो में माता रानी की साधना में ब्रम्हचर्य का पालन बहुत जरूरी होता है। समर्थ अनुसार जो लोग फल और दूध के सहारे रह सकते हैं वह भोजन करना छोड़ दें या एक समय ही भोजन ग्रहण करें। इसके अलावा नियमित समय पर मौन धारण करें, धरती पर सोए, चमड़े से बनी वस्तु का त्याग करें अपने सभी प्रकार सुख सुविधाओ का त्याग करके उपासना में लीन रहे।

मां आदिशक्ति का जन्म
पौराणिक मान्यता के अनुसार देवताओ को भगाकर महिषासुर ने स्वर्ण पर कब्जा कर लिया। तब सभी देवता मिलकर त्रिमूर्ति के पास गए त्रिमूर्ति यानि ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपने शरीर की ऊर्जा से एक आकृति बनाई और सभी देवताओ ने अपनी शक्तियां उस आकृति में डाल दी इस प्रकार माता दुर्गा बेहद शक्तिशाली देवी बन गई और अपनी शक्ति से महिषासुर का वध किया और आदिशक्ति कहलाई।
शक्ति देवी भी कहा जाता है
सभी देवताओ से शक्ति पाने के बाद मां दुर्गा शक्ति देवी बन गईइसीलिए मां दुर्गा को शक्ति देवी भी कहा जाता है। दुर्गा माता की छवि बेहद सौम्य और आकर्षक थी और उनके कई हाथ थे देवी मां का जन्म सबसे पहले दुर्गा के रूप में ही माना जाता है। जिन्हें राक्षस महिषासुर का वध करने के लिए जन्म दिया गया था यही कारण है कि उन्हें महिषासुरमर्दिनि भी कहा जाता है।
महिषासुर का वध करने में 9 दिन लगे
माता दुर्गा को सबसे ताकतवर देवी माना जाता है और इसीलिए उन्हें शक्ति देवी भी कहा जाता है। जब माता दुर्गा ने महिषासुर पर हमला किया तो महिषासुर और कई जगहो पर उठ खड़ा हो जाता था इस प्रकार एक-एक करके देवी ने असुरो को मारना शुरू किया। कहा जाता है कि महिषासुर को मारने में माता दुर्गा को 9 दिन लगे इसीलिए नवरात्र को 9 दिनो तक मनाया जाता है।
नवरात्र तिथि 26 सितंबर से 5 अक्टूबर तक
हिंदू कैलेंडर के अनुसार शारदीय नवरात्र आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाई जाती है। शारदीय नवरात्रि को शरद नवरात्रि भी कहा जाता है क्योंकि इसी समय से शरद ऋतु का आगमन भी होता है इस साल शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से शुरु होगी और 5 अक्टूबर तक रहेगी।

कलश की स्थापना ईशान कोण में करें
शारदीय नवरात्रि में माता दुर्गा के प्रतिमा या कलश की स्थापना ईशान कोण यानि उत्तर पर्व में होना चाहिए। इस दिशा को देवताओ का स्थल बताया जाता है इस दिशा में कलश स्थापना करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है जिससे हमारा पूजा पाठ में मन लगता है पूजा के दोष दूर होते हैं।
चंदन की चौकी का इस्तेमाल करें
नवरात्रि में मां दुर्गा की प्रतिमा कलश स्थापना के लिए चंदन की चौकी का इस्तेमाल करना शुभ होता है। ऐसा करने से वास्तु दोष कम होता है और पूजा के स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र बनता है। नवरात्रि में माता की पूजा करते समय ध्यान के समय आपका मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ हो पूर्व दिशा को शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है इस दिशा के स्वामी सूर्य देव हैं।
मां दुर्गा की पुजा में लाल रंग प्रयोग करें
शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा के पूजा स्थल को सजाने के लिए और पूजा के लिए लाल रंग के फूलो का उपयोग करें। लाल रंग को वास्तु में शक्ति का प्रतीक माना गया है लाल रंग के फूल चढ़ाने से मां दुर्गा जल्दी प्रसन्न होती है साथ ही मां दुर्गा के पूजा से संबंधित चीज़े जैसे कि चंदन, साड़ी, चुनरी, रोली, वस्त्र आदि भी आप लाल रंग का ही प्रयोग करें।
काले वस्तुओ का प्रयोग बिल्कुल ही ना करें
वास्तु के अनुसार शारदीय नवरात्रि के शुभ अवसर पर पूजा पाठ के समय काले रंग के वस्त्र का प्रयोग करने से बचे। काले रंग के किसी भी वस्तु का प्रयोग पूजा में बिल्कुल भी ना करें ऐसा करने से अशुभता आती है। काले रंग का प्रयोग करने से मन में अशुद्धि की भावना आती है और पूजा पाठ में भी मन नहीं लगता।