हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से गणेश चतुर्थी यानी गणेश उत्सव की शुरूआत हो जाती है। जो 10 दिनों तक चलती है और अनंत चतुर्दशी तिथि के दिन गणेश विसर्जन के साथ समाप्त हो जाति है।पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मध्याह्र काल में, स्वाति नक्षत्र और सिंह लग्न में हुआ था। इस वर्ष गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त बुधवार के दिन से शुरू होगा।
सनातन हिन्दू धर्म में गौरी पुत्र भगवान श्री गणेश जी विद्या-बुद्धि के प्रदाता, विघ्ननाशक, मंगलकर्ता, रक्षाकारक, सिद्धिदायक, सुख, समृद्धि, वैभव, शक्ति और सम्मान प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं।मान्यता के अनुसार विधि पूर्वक भगवान श्री गणेश जी की पूजा करने से श्री गणेश जी अपने भक्तो से प्रसन्न होते हैं और उनके सभी कष्टो को हर लेते हैं। गणेश उत्सव के दौरान लोग गणपति बप्पा को प्रसन्न करने के लिए कई प्रकार के चीजें अर्पित करते हैं।
गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त्त-
गणेश चतुर्थी की तिथि आरंभ: 30 अगस्त, मंगलवार, दोपहर 03:34 मिनट से।
गणेश चतुर्थी की तिथि समाप्त: 31 अगस्त, बुधवार, दोपहर 03:23 मिनट पर।
गणपति स्थापना का मुहूर्त: 31 अगस्त, बुधवार,
सुबह 11:05 से शुरू होकर 1 सितंबर, रात्रि 01:38 तक रहेगा।
गणेश पूजन का शुभ मुहूर्त्त : 31 अगस्त 11:04 मिनट से 13:37 मिनट तक।
गणेश चतुर्थी का महत्व
हिंदू धर्म में चतुर्थी तिथि भगवान श्री गणेश जी को समर्पित होती है। गणेशोत्सव का पर्व 10 दिनो तक चलता है जहां पर घर-घर और बड़े-बड़े पंडालो में भगवान गणपित की स्थापना की जाती है। खास कर महाराष्ट्र में गणेशोत्सव का त्योहार विशेष तौर से मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतु्र्थी तिथि को गणेश चतु्र्थी के रूप में मनाई जाती है। कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी गणेश चतुर्थी, शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक गणेश चतुर्थी और जब मंगलवार के दिन गणेश चतुर्थी आए तो उसे अंगारक चतुर्थी कहा जाता है। और भाद्रपद माह की गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी और डण्डा चौथ के नाम से भी जाना जाता है।

– मान्यता के अनुसार भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर चंद्रमा के दर्शन नहीं करना वर्जित होता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा के दर्शन करने पर कलंक का भागी बनना पड़ सकता है और इसके पीछे एक पौराणिक कथा वर्णित है।
– कहा जाता है कि भगवान श्री गणेश जी की पूजा में कभी भी तुलसी के पत्तो का प्रयोग नहीं करना चाहिए। तो वहीं भगवान श्री गणेश जी को दूर्वा घास चढ़ाना अति शुभ फलदाई होता है क्योंकि दू्र्वा भगवान श्री गणेश को अति प्रिय है।
– भगवान गणेश सभी देवी-देवताओ में प्रथम पूज्य देवता कहलाते हैं क्योंकि गणेश जी को भगवान शिव जी से यह वरदान प्राप्त हुआ था। इसीलिए किसी भी शुभ कार्य और अनुष्ठान में सबसे पहले भगवान गणेश की ही पूजा की जाती है।
गणेश चतुर्थी पर किए जाने वाले कुछ खास नियम
जीवन में उन्नति और सौभाग्य प्राप्ति के लिए गणेश चतुर्थी के दिन कुम्हार के चाक से थोड़ी से मिट्टी लाएं और गणेश की मूर्ति बनाकर एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर विधि पूर्वक पूजा-अर्चना करें पुजा के दौरान ‘ॐ ह्रीं ग्रीं ह्रीं’ मंत्र का 108 बार जप करें। कहा जाता है कि ऐसा करने से सभी प्रकार विघ्न दूर होते हैं और सकारात्मक शक्ति बनी रहती है।
अगर आप हमेशा आर्थिक समस्याओ से परेशान रहते हैं तो गणेश चतुर्थी के दिन एक साथ 22 दूर्वा जोड़ लें और 11 जोड़े तैयार कर लें ध्यान रखें कि एक गांठ दो दूर्वा से बनती है। इसके बाद 11 गांठो को भगवान श्री गणेश जी के माथे से छूकर उनके चरणो में अर्पित कर दें। ऐसा करने से भगवान श्री गणेश की कृपा प्राप्त होती है और धन संबंधित सभी प्रकार समस्याओ से मुक्ति मिलती है।

नौकरी और कारोबार में उन्नति के लिए गणेश चतुर्थी के दिन घर में पीले रंग की गणेशजी की प्रतिमा स्थापित कर पूजन करें। गणेश पूजन में हल्दी की पांच गांठ चढ़ाएं और फिर ‘श्री गणाधिपतये नम:’ मंत्र का जप करें। इसके बाद 108 दूर्वा पर गीली हल्दी लगाकर हर दूर्वा को श्री गणेश जी के समक्ष चढ़ाए और ‘श्री गजवक्त्रं नमो नम:’ मंत्र का मन ही मन जप करते करें। ऐसा करने से उन्नति के मार्ग खुलने लगते हैं और सफल होने के रास्ते में आ रही अड़चने भी दूर हो जाती है।
बेटी के विवाह में आ रही अड़चन को दूर करने के लिए गणेश चतुर्थी पर विवाह की कामना करते हुए भगवान गणेश को मालपुए का भोग लगाएं और अगर बेटे के विवाह में अड़चन आ रही है तो पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं। ऐसा करने से गणेश जी की कृपा से शीघ्र विवाह के योग बनते हैं और विवाह में आ रही सभी अड़चने दूर होती हैं।
धन संबंधित समस्याओ से मुक्ति पाने के लिए गणेश चतुर्थी के दिन भगवान श्री गणेश जी के पूजन में घी और गुड़ का भोग लगाएं और गणेश अर्थवशीर्ष का पाठ करें। गणेश जी की पूजा करने के बाद घी और गुड़ गाय को खिला दें और फिर अपने अनुसार जरूरतमंद गरीबो में दान करें। ऐसा करने से कर्ज की समस्या खत्म होती है और धन प्राप्ति के मार्ग प्रशस्त होते हैं।