हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी व्रत का विशेष महत्त्व होता है। हिन्दू पंचांग के अनुसार कृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को होती है। धर्म ग्रंथो के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि को भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म हुआ था और इसी उपलक्ष में इस दिन भक्त कृष्ण जन्म उत्सव मनाते हैं और व्रत रखकर भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा करते हैं। मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान कृष्ण जी की पूजा करने से जीवन सुखमयी होती है, संतान सुख की प्राप्ति होती है और जीवन के सभी क्षेत्रो में तरक्की होती हैं।
जन्माष्टमी शुभ मुहूर्त
इस साल जन्माष्टमी 2 दिन तक मनाई जाएगी, क्योंकि अष्टमी तिथि 18 और 19 अगस्त को पड़ रहा है। इस बार जन्माष्टमी के दिन कई बेहद खास योग भी बन रहेें हैं जोकि पूजा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस साल जन्माष्टमी वृद्धि और ध्रुव योग का संयोग बन रहा है जो इस दिन के महत्व को बढ़ा देता है। वृद्धि योग में भगवान कृष्ण के साथ माता लक्ष्मी स्वरूप राधा रानी की भी पूजा होती है और ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है।
वृद्धि योग
17 अगस्त को 8 बजकर 57 मिनट से वृद्धि योग आरंभ होगा, जो 18 अगस्त रात 8 बजकर 42 तक रहेगा।
ध्रुव योग
वही ध्रुव योग 18 अगस्त को रात 8 बजकर 41 मिनट से शुरु होगा जो 19 अगस्त रात 8 बजकर 59 तक रहेगा इसीलिए कहा जाता है कि इस शुभ योग में राधा कृष्ण की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी।
अभिजीत मुहूर्त
इस साल जन्माष्टमी पर अभिजीत मुहूर्त 18 अगस्त दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से शुरु होकर 19 अगस्त को 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा।
पारण करने का मुहूर्त
19 अगस्त रात्रि 10 बजकर 59 के बाद जन्माष्टमी व्रत रखने वाले सभी व्रतधारी पारण कर सकते हैं।
जन्माष्टमी व्रत किसी वरदान से कम नहीं

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कहा जाता है कि जिनकी कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है उनके लिए श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत किसी वरदान से कम नहीं होता। जिन दंपतियो को संतान सुख प्राप्त नहीं होती उनके लिए यह बेहद शुभ फलदाई देने वाला होता है। उन्हें संतान की प्राप्ति के लिए जन्माष्टमी का व्रत अवश्य करना चाहिए।
जन्माष्टमी पर जरुर करें इन उपायो को
जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा करने के साथ ही कुछ ख़ास उपाए भी किए जाते हैं इस अवसर पर शुद्ध मन से किए जाने वाले नियम हमारे लिए शुभ फलदाई होता है। तो चलिए जानते हैं उन नियमो के बारे में
धन की कमी दूर करने के लिए
भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा में एक पान का पत्ता जरुर अर्पित करें। इसके बाद उस पत्ते पर रोली से श्री यंत्र लिखे और तिजोरी में या फिर धर्म के किसी स्थान पर इससे रख दें, कहा जाता है कि ऐसा करने से दरिद्रता नहीं आती है धन में बढ़ोतरी होती है।
संतान सुख प्राप्त करने के लिए
जिन दंपतियो को संतान की प्राप्ति नहीं होती उन्हें संतान दंपतियों को जन्माष्टमी के दिन घर में गाय या बछड़े की मूर्ति या तस्वीर लानी चाहिए और भगवान कृष्ण जी के साथ इनकी पूजा करनी चाहिए। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है साथ ही संतान पक्ष की परेशानिया दूर होती है।
बरकत के लिए करें ये उपाए
अच्छे आमदनी और नौकरी में पदोन्नति की इच्छा पूर्ति के लिए जन्माष्टमी पर 7 कन्याओ को खीर या सफेद मिठाई बांटे, इस उपाय को जन्माष्टमी के बाद भी लगातार पांच शुक्रवार तक करें। ऐसे करने से नौकरी में पदोन्नति और कारोबार में लाभ होगा।
सुख और समद्धि के लिए
जन्माष्टमी के अवसर पर केसर और चंदन से भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। श्री कृष्ण भगवान को केसरिया चंदन में गुलाब जल मिलाकर तिलक लगाए साथ ही रोली चंदन से कृष्ण जी का श्रृंगार करें। मान्यता के अनुसार इससे घर में सुख समद्धि आती है और मां लक्ष्मी की कृपा से धन की कभी कमी नहीं होती।
कृष्ण जन्माष्टमी की लीला विश्व भर में है अमर
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की रोहिणी नक्षत्र में मनाए जाने वाले कृष्ण जन्माष्टमी की लीला सबसे ज्यादा न्यारी होती है और उनकी लीलाएं विश्व भर में अमर हैं। हिंदू धर्म में कृष्ण जन्माष्टमी का विशेष महत्व है और सभी भक्त इसे धूमधाम से मनाते हैं। भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म रात में हुआ था इसलिए कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा रात को होती है। इस दिन श्रृंगार भोग के साथ पूजा में बहुत सी चीजों का प्रयोग होता है।

लेकिन सबसे ज्यादा महत्व खीरे का होता है कहा जाता है कि खीरे के बिना भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म अधूरा होता हैै। इसीलिए जन्माष्टमी पर लोग भगवान श्री कृष्ण जी को खीरा चढ़ाते हैं। मान्यता के अनुसार खीरे से भगवान श्री कृष्ण जी प्रसन्न होते हैं और भक्तो के दुख दर्द हर लेते हैं। जन्माष्टमी के दिन ऐसा खीरा लाया जाता है जिसमें थोड़ा सा डंठल और पत्तिया लगी होती हैै।
खीरे के बिना कृष्ण जी की पुजा होती है अधुरी
कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर खीरे के बिना पूजा अधूरा हो जाता है। कहा जाता है कि जब बच्चा पैदा होता तब उसको मां से अलग करने के लिए गर्भनाल को काटा जाता है ठीक उसी प्रकार जन्माष्टमी के दिन खीरे को डंठल से काटकर अलग किया जाता है यानि यह नियम भगवान श्री कृष्ण को मां देवकी से अलग करने का प्रतीक होता है। और ऐसा करने के बाद ही कान्हा जी की विधि विधान से पूजा शुरू की जाती हैं।
जन्माष्टमी पर खीरे का महत्व
इस दिन खीरे को भगवान कृष्ण के पास रख दिया जाता है रात में जैसे ही 12 बजते हैं तब भगवान श्री कृष्ण जी का जन्म होता है और उसके तुरंत बाद एक सिक्के की मदद से खीरे को डंठल से काटकर अलग कर दिया जाता है। इसी को श्री कृष्ण भगवान का जन्म मानते हुए शंख और घंटीयो की आवाज गूंजने लगती है। बहुत सी जगहो पर भगवान श्री कृष्ण जी के जन्म में उपयोग हुए खीरे को प्रसाद के रूप में बांट दिया जाता है तो वहीं कुछ जगहो पर इसे नवविवाहित महिला या गर्भवती महिलाओ को खिलाया जाता है। मान्यता के अनुसार ऐसा करने से भगवान श्री कृष्ण जी की तरह ही पुत्र की प्राप्ति होती है।
भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा में न भूले इन वस्तुओ को चढ़ाना

तुलसी
भगवान श्री कृष्ण जी के पूजा में तुलसी का बहुत महत्व होता है तुलसी के पत्ते के बिना भगवान श्री कृष्ण जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। इसीलिए भगवान श्री कृष्ण जी को चढ़ाने वाले भोग में तुलसी के पत्ते को जरूर शामिल करना चाहिए।
शंख
हिंदू धर्म में कोई भी पूजा अनुष्ठान संघ के बिना पूरा नहीं होता है शंख शुद्धता के साथ ही शुभता और आस्था का मजबूत प्रतीक माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण जी के बाल स्वरूप और शालिग्राम को स्नान कराने में शंख का प्रयोग किया जाता है जन्माष्टमी पर अवश्य इसीलिए जन्माष्टमी की पूजा पर शंख अवश्य जाना चाहिए।
गाय
हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना जाता है क्योंकि गाय में सभी देवी देवताओ का वास होता है। भगवान श्री कृष्ण जी को गाय बेहद प्रिय होता है, भगवान श्री कृष्ण जी हमेशा गाय के साथ समय बिताते हैं और ऐसा करना उन्हें बेहद प्रिय होता है। इसीलिए भगवान श्रीकृष्ण को जन्माष्टमी पर गाय की पूजा और सेवा अवश्य करनी चाहिए।
माखन मिश्री
माखन मिश्री का भोग भगवान श्री कृष्ण जी को बेहद प्रिय होता है और इस जन्माष्टमी के शुभ अवसर पर भगवान श्री कृष्ण जी के बाल स्वरूप को माखन मिश्री का भोग अवश्य लगाना चाहिए ऐसा करने से आपके जीवन में प्रेम और मिठास बढ़ेगा।
वैजयंती माला
भगवान श्री कृष्ण जी को वैजयंती माला बेहद प्रिया होता है गले में इसीलिए भगवान श्री कृष्ण जी के हर एक मूर्ति में वैजयंती माला धारण किया हुआ रहता है वैजयंती माला कमल के बीज से बनी होती है ऐसे में श्री कृष्ण जी की जन्माष्टमी पर वैजयंती माला जरूर अर्पित करना चाहिए।
मुरली
भगवान श्री कृष्ण जी का मुरली बहुत प्रिय है इसीलिए उन्हें मुरलीधर भी कहा जाता है। अगर आप भगवान श्री कृष्ण जी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो इस जन्माष्टमी श्री कृष्ण जी को पूजा में बांसुरी अवश्य चढ़ाएं।