भारत को आजाद हुए 75 साल पूरे हुए हैं इसीलिए केंद्र सरकार आजादी का अमृत महोत्सव नाम से यह कार्यक्रम चला रही है। इस कार्यक्रम के तहत 13 से 15 अगस्त तक लगातार तीन दिन राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाएगाा। पहले 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता था लेकिन अब केवल सरकारी दफ्तर स्कूल और कॉलेज आदि में ही नहीं बल्कि हर घर में तिरंगा फहराने का अभियान चल रहा है।
इस अभियान के तहत सरकार ने 20 करोड़ लोगो के घर में तिरंगा फहराने का लक्ष्य रखा है। इसीलिए 1 अगस्त से एक 1.60 लाख पोस्ट ऑफिस पर राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री की जाएगी। इसके अलावा कपड़ा मंत्रालय भी तिरंगा बनाने और उसके सप्लायर की पहचान कर रहा है। हर घर तिरंगा अभियान सफल हो सके इसके लिए केंद्र सरकार ने फ्लैग कोड के कुछ नियमो में भी बदलाव किए हैं।
राष्ट्रीय ध्वज को लेकर किए गए नए बदलाव
अगर बदलावो को देखा जाए तो केंद्र सरकार की तरफ से दो बड़े बदलाव किए गए हैं। पहला बदलाव यह है कि अब तिरंगे को रात में भी फहराया जा सकता है। पहले तिरंगा केवल सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त तक फहराया जाता था लेकिन अब 24 घंटे तिरंगा फहराया जाएगा। इस बदलाव के बाद अब आम लोग, निजी संगठन व संस्थान दिन और रात हमेशा तिरंगा फहरा सकते हैं।
क्या तिरंगे के खरीद पर भी कुछ नियम है
हर घर तिरंगा अभियान के तहत तिरंगे के खरीद पर किसी भी प्रकार नियम नहीं है। तिरंगे को कहीं से भी खरीदा जा सकता है तिरंगे की खरीद और बिक्री पर किसी प्रकार का रोक नहीं होगा। तिरंगे को ऑनलाइन भी खरीदा जा सकता है और तिरंगे पर किसी भी प्रकार GST नहीं लगेगा। लोग जितना चाहे उतना बड़ातिंरगा फहरा सकते हैं तिरंगे के साइज को लेकर भी किसी प्रकार नियम जारी नहीं हुए हैं। यह कितना भी बड़ा और कितना भी छोटा हो सकता है हर नागरिक अपने अनुसार फ्लैग लगा सकता है। साल 2002 के मुताबिक तिरंगा आयताकार ही होना चाहिए हालाकि तिरंगे का साइज कुछ भी हो सकता है लेकिन इसकी लंबाई और चौड़ाई का अनुपात 3:2 होगा।

क्या कागज से बने तिरंगे नहीं लगा सकते
वैसे तो कागज से बने तिरंगे नहीं बनाए जा सकते, लेकिन स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, खेलकूद और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कागज से बने तिरंगे फहराए जा सकते हैं। लेकिन कागज से बने तिरंगे को कभी भी फारा या फेंका नहीं जा सकता कागज से बने तिरंगे को भी सम्मान के साथ डिस्पोजल जरूरी है। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी की भले ही तिरंगा फहराना हर एक नागरिक का मौलिक अधिकार है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि इसे आप अपनी गाड़ी पर लगा कर घूमे।
अपनी गाड़ी में कौन तिंरगा लगा कर घूम सकता हैं
फ्लैग कोड के मुताबिक सिर्फ संवैधानिक पदो पर रहने वाले लोगो को ही गाड़ी में तिरंगा लगाने की इजाजत होती है। जैसे कि राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, केंद्रीय राज्य मंत्री, लोकसभा के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, राज्यों के राज्यपाल, केंद्र शासित प्रदेशो के उपराज्यपाल, विदेशो में नियुक्त भारतीय दूतावास, कार्यालयो के अध्यक्ष, केंद्र शासित प्रदेशो के मुख्यमंत्री, कैबिनेट मंत्री, राज्य के विधान परिषद के सभापति, राज्य मंत्री और उपसभापति, भारत के चीफ जस्टिस, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस, सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के जज इन सभी को अपने वाहन में तिरंगा लगाने की अनुमति होती है।
इसके अलावा अगर किसी विदेशी अतिथि को केंद्र सरकार की ओर से कार मुहैया कराई जाती है तो उस कार के दाएं ओर तिरंगा जबकि बाएं ओर उस देश का राष्ट्रीय ध्वज लगेगा। अगर राष्ट्रपति किसी विशेष ट्रेन से यात्रा करते हैं तो जब गाड़ी खड़ी रहेगी तब ड्राइवर के केबिन पर प्लेटफॉर्म की ओर तिरंगा लगेगा। अगर राष्ट्रपति किसी विमान से यात्रा करते हैं तो उस पर भी राष्ट्रीय ध्वज लगाया जाएगा। इस प्रकार प्रधानमंत्री या उपराष्ट्रपति किसी देश की यात्रा करते हैं तो विमान पर राष्ट्रीय ध्वज लगाया जाएगा।
तिरंगा फहराते समय इन बातो का खास रखें ध्यान
जब आप घर में तिरंगा फहराते हैं तो इस बात का जरूर ध्यान रखें कि तिरंगा झुका हुआ ना हो साथ ही वह जमीन से टच ना हो या फिर पानी में ना लग रहा हो अगर ऐसा होता है तो यह तिरंगे का अपमान होगा।ध्यान रखें की तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, सबसे नीचे हरा रंग होना चाहिए किसी भी स्थिति में ऊपर हरा और नीचे केसरिया रंग नहीं होना चाहिए।
कब होता है तिरंगे का अपमान
देश के तिरंगे झंडे पर कुछ भी नहीं लिखा जा सकता तिरंगे को किसी ड्रेस या यूनिफार्म के किसी हिस्से में भी लगाने की मनाही होती है ना ही किसी रुमाल तकिया या नैपकिन में तिरंगे का डिजाइन होना चाहिए। झंडे को किसी भी रूप में लपेटने जिसमें किसी व्यक्ति की शव यात्रा भी शामिल है आदि के काम में नहीं लाया जा सकता। किसी समान को पकड़ने या किसी समान को रखने के लिए भी तिरंगे का प्रयोग नहीं किया जा सकता हालांकि स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस के साथ खास अवसरो पर तिरंगे के अंदर फूलो की पंखुड़िया रखी जा सकती।

राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग किसी मूर्ति या इमारत को ढकने के लिए भी नहीं किया जा सकता। किसी कार्यक्रम में राष्ट्रीय ध्वज का उपयोग स्पीक टेबल को ढकने या मंच को सजाने के लिए नहीं हो सकता किसी वाहन, रेलगाड़ी, हवाई जहाज में भी इसे नहीं लगाया जा सकता। सिर्फ संवैधानिक पदो पर बैठे व्यक्तियो के वाहन में ही इसे लगाने की इजाजत होती है। अगर आप घर में तिरंगा लहरा रहे हैं और वह किसी कारण से फट जाता है या पुराना हो जाता है तो उसे सामान्य तरीके से डिस्पोज किया जाएगा। तिरंगे को आप सम्मान के साथ एकांत में कहीं जलाकर या किसी दूसरे तरीके से नष्ट कर सकते हैं।
तिरंगे का मतलब क्या है
तिरंगे में मौजूद केसरिया रंग साहस और बलिदान का प्रतीक होता है। सफेद रंग शांति और सच्चाई का प्रतीक होता है जबकि हरा रंग प्रसन्नता का प्रतीक होता है। वही अशोक चक्र धर्म चक्र का प्रतीक होता है तभी से अब तक भारत के झंडे में किसी प्रकार बदलाव नही हुआ है।
तिरंगा अपमान करने की सजा
संवैधानिक दृष्टि से तिरंगे का अपमान करने पर 3 साल की कैद या जुर्माना हो सकता है। इसके लिए राष्ट्रीय गौरव का अपमान निवारण अधिनियम साल 1971 की धारा 252 किया गया है। इसके तहत किसी सार्वजनिक स्थान पर तिरंगे को जलाना, फाड़ना, कुचलना या किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाना अपराध होता है।
20 करोड़ घरो में झंडा फहराने की योजना
मोदी सरकार आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत हर घर तिरंगा अभियान चला रही है इसके तहत 13 अगस्त से लेकर 15 अगस्त यानि 3 दिनो तक 20 करोड़ घरो में झंडा फहराने की योजना रखी गई है।
अब आप घर में 24 घंटा तिरंगा फहरा सकते हैं पहले ऐसा नहीं कर सकते थे, लेकिन अब मोदी सरकार ने फ्लैग कोड साल 2002 के कुछ नियमो में बदलाव किए हैं जिसके बाद अब राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को दिन और रात दोनो समय फहराया जा सकेगा। पहले तिरंगा केवल सूर्योदय से सूर्यास्त तक ही फहराया जा सकता था लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।
राष्ट्रीय ध्वज को कब अपनाया गया
22 जुलाई साल 1947 को संविधान सभा ने तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया था। इस तिरंगे को उस समय डोमिनियन ऑफ इंडिया यानी कि 15 अगस्त साल 1947 से 26 जनवरी साल 1950 के बीच भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में चुना गया था। 26 जनवरी साल 1950 को भारत के गणतंत्र बनने के बाद इस तिरंगे को ही राष्ट्रीय ध्वज माना गया।
पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था राष्ट्रीय ध्वज
तिरंगे को स्वतंत्रता सेनानी और मशहूर डिज़इनर पिंगली वेंकैया ने डिजाइन किया था इस तिरंगे को डिजाइन करने के लिए उन्होंने लग भग बेहद गहराई से 30 देशो के राष्ट्रीय ध्वजो की रिसर्च की थी। तिरंगे में सबसे ऊपर केसरिया, बीच में सफेद और सबसे नीचे गहरे हरे रंग के पट्टिया बराबर अनुपात में होती है और सफेद पट्टी के बीच में अशोक चक्र होता है जिसमें चौबीस तीलिया होती हैं।
हर नागरिक का मौलिक अधिकार है तिरंगा फहराना
दरअसल आजादी के बाद आम लोगो को अपने घर में तिरंगा फहराने का अधिकार नहीं था। साल 1996 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला किया कि तिरंगा फहराना देश के हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। इस फैसले के बाद एक कमिटी का गठन किया गया और साल 2002 में एक फ्लैग कोड यानी ध्वज संहिता आई जिसमें आम नागरिको को भी तिरंगा फहराने का अधिकार मिला। जिसके बाद 26 जनवरी साल 2002 से लागू हुआ की तिरंगा फहराना हर एक नागरिक का मौलिक अधिकार है और इसका सम्मान करना मौलिक कर्तव्य।

मोदी सरकार ने आजादी के 75 साल पुरे होने पर आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की घोषणा की। इस दौरान लोगो को घर-घर तिरंगा फहराने और इसे प्रोत्साहित करने का अभियान शुरू किया गया है, ताकि इससे युवाओ में देश प्रेम की भावना पैदा हो सके।
कैसा होना चाहिए राष्ट्रिय ध्वज
भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काटे, बुने, ऊनी, सूती सिल्क या फिर खादी से बना हुआ होना चाहिए। झंडे पर किसी भी प्रकार का अक्षर नहीं लिखा होना चाहिए इसके अलावा झंडे का कमर्शियल उपयोग भी नहीं कर सकते। तिरंगे को यूनिफॉर्म के रूप में भी पहना नहीं जा सकता झंडे को किसी भी स्थिति में जमीन पर नहीं रखा जाना चाहिए साथ ही भारत का ध्वज अगर कटा हुआ या फटा हुआ हो तो इसे फहराया नहीं जा सकता।
देश के आजादी से कुछ दिनो पहले 22 जुलाई साल 1947 के दिन तिरंगे को आधिकारिक तौर पर फहराया गया था। इसमें तीन रंग थे केसरिया, सफेद व हरा और तिरंगे के बिच में अशोक चक्र लगाया गया। झंडे का उपयोग करने और फहराने को लेकर एल्बम एंड नेम प्रिवेंसन ऑफ प्रॉपर यूज एक्ट 1950 बनाया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद के कमेटी की सिफारिश पर तिरंगे को देश के राष्ट्रीय ध्वज के तौर पर अपनाया गया था।