श्रावण का महीना शिवजी की उपासना के लिए सर्वोत्तम माना जाता है और इस पवित्र मास में हर एक सोमवार को भगवान शिव जी की विशेष प्रकार से पूजा-अर्चना होती है। मान्यता के अनुसार श्रावण मास सोमवार के दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है और मांगी हुई कोई भी मनोकामना व्यर्थ नहीं जाती। इसीलिए सभी भक्तो को शिव जी के व्रत और सावन मासिक सोमवार का बेसब्री से इंतजार रहता है।
श्रावण मास के तीसरे सोमवार को 1 अगस्त पड़ने वाला है ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यह दिन बेहद खास है क्योंकि इस दिन भगवान शिव जी के साथ गणपति बप्पा की भी पूजा होगी। दरअसल इस दिन भगवान शिव और रवि योग के अलावा विनायक चतुर्थी का खास संयोग बन रहा है। तो आइए जानते हैं सावन मास के तीसरे सोमवार पर कौन-कौन से शुभ संयोग बन रहे हैं।
सावन मास में विनायक चतुर्थी का व्रत 1 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन गणपति बप्पा की पूजा करने से सब जीवन में चल रही सभी बाधाएं खत्म हो जाती हैं और जीवन सुखमयी हो जाती है। तो आइए जानते हैं श्रावण मास के तीसरे सोमवार पूजा विधि के साथ विनायक चतुर्थी व्रत विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व के महत्व के बारे में।
श्रावण मास सोमवार पूजा विधि
श्रावण मास के तीसरे सोमवार के दिन सुबह स्नान के बाद भगवान सूर्य को जल अर्पित करें। क्योंकि इस दिन रवि योग का खास संयोग है इसके बाद श्रावण सोमवार व्रत और शिव जी की पूजा करने का संकल्प लें।
शुभ मुहूर्त में किसी भी शिव मंदिर में जाकर या घर में ही शिवलिंग की विधिवत पूजा अर्चना करें। सबसे पहले गंगा जल से भगवान शिव जी का अभिषेक करें शिवलिंग का अभिषेक आप गंगाजल या गाय के कच्चे दूध से भी कर सकते हैं। इसके अलावा गन्ने के रस से भी भगवान शिव जी का अभिषेक कराना बेहद शुभ होता है।

जल में गंगाजल, दूध, गन्ने का रस मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं और शिव जी को चंदन, अक्षत, सफेद फूल, बेलपत्र, भांग की पत्तिया, शमी के पत्ते, धतूरा, फूलो की माला, भस्म आदि अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव जी को शहद, फल, मिठाई, शक्कर आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाकर धूप दीप जलाएं और आरती करें।
भगवान शिव जी को अभिषेक कराने के बाद पूजा करें और चालीसा का पाठ करें और सोमवार व्रत कथा का पाठ तो अवश्य ही करें। पूजा के आखिरी में शिवलिंग के समक्ष घी का दीपक और कपूर जलाकर भगवान भोलेनाथ की आरती जरूर करें।
श्रावण मास का हर एक सोमवार जिस प्रकार खास होता है इस समय भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा होती है। ठीक उसी तरह मंगलवार को मंगला गौरी व्रत भी रखा जाता है और उसी तरह शिव पार्वती के पुत्र गजानन श्री गणेश जी की विशेष प्रकार से आराधना की जाती है। वैसे तो हर मास में चतुर्थी आती है लेकिन श्रावण मास में पढ़ने वाले विनायक चतुर्थी संकष्टी और विनायक चतुर्थी हर संकट हरने वाला होता है।
श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाएगी जो की इस बार 1 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन गणपति बप्पा का व्रत रखने से सभी बाधाएं ढल जाती है, जीवन शुखमयि होती है तो आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी व्रत से जुड़ी जानकारी।
श्रावण मास विनायक चतुर्थी शुभ मुहूर्त
सावन मास विनायक चतुर्थी शुभ तिथि आरंभ होगी 1 अगस्त सोमवार को प्रातः सुबह 4 बजकर 18 मिनट से।
श्रावण मास की विनायक चतुर्थी तिथि समाप्त होगी 2 अगस्त मंगलवार को प्रातः सुबह 5 बजकर 13 मिनट तक।
गणेश पूजन करने की शुभ मुहूर्त होगा सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 1 बजकर 48 मिनट तक।
अभिजीत मुहूर्त होगा दोपहर 12:00 बजे से 12 बजकर 54 मिनट तक और उदया तिथि के आधार पर श्रावण मास में विनायक चतुर्थी का व्रत 1 अगस्त को रखा जाएगा।
श्रावण मास विनायक चतुर्थी पूजा विधि

श्रावण मास विनायक चतुर्थी व्रत के दिन प्रातः काल सुबह उठकर दैनिक कार्यो से निवृत्त होकर स्नान करें और पूजा स्थल पर भगवान श्री गणेश को स्मरण करते हुए व्रत करने का संकल्प लें। पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाए और उस पर भगवान श्री गणपति की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। भगवान श्री गणेश विघ्नहर्ता को रोली, मोली, दुर्बा, पुष्प, पंचमेवा,पंचामृत, चावल, मोदक, मोतीचूर के लड्डू, नारियल आदि अर्पित करके श्रद्धा भाव से पूजा करें।
गणेश चतुर्थी पर न देखे चंद्रमा
श्रद्धा भाव से भोग लगाने के बाद धूप दीप जलाकर श्री गणेश चालीसा का पाठ करें और फिर 108 बार श्री गणेश जी के बीज मंत्र का पाठ करें। विनायक चतुर्थी की कथा का श्रवण करें और गणेश जी की आरती कर सभी को प्रसाद बांटे। विनायक चतुर्थी पर चंद्रमा देखना वर्जित होता है मान्यता के अनुसार कहा जाता है कि इस दिन चंद्र दर्शन करने से जीवन भर के लिए झूठा कलंक लग जाता है इसीलिए इस दिन चंद्रमा ना देखें।