भगवान शिव जी की कृपा प्राप्त करने के लिए श्रावण मास उत्तम होता है और इस श्रावण मास में पढ़ने वाले हर एक सोमवार का दिन सर्वोत्तम माना गया है। श्रावण मास में पढ़ने वाले सोमवार को विधि विधान से की गई पूजा से शिवजी अपने भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण करते है। आज के इस पोस्ट में हम जानेंगे सावन मास के दौरान भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करने का क्या महत्व होता है, साथ ही सोमवार के दिन पूजा करने और व्रत रखने की विधि क्या है।
कितने दिन का होगा सोमवार व्रत
इस बार श्रावण मास में चार सोमवार पर रहे हैं जिसमें श्रावण मास का पहला सोमवार 18 जुलाई को होगा, दूसरा श्रावण सोमवार 25 जुलाई को होगा, तीसरा सोमवार 1 अगस्त को होगा और चौथा सोमवार 8 अगस्त को होगा।

हिंदू मान्यता के अनुसार उपवास का बहुत महत्व होता है कहा जाता है कि श्रावण मास के सोमवार के दिन व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार हर देवता को समर्पित एक कथा होती है सावन मास के दौरान सोमवार को उपवास करना महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में अपने व्रत को फलदाई बनाने के लिए सोमवार के दिन भगवान शिव की कथा का पाठ करने और सुनने का बहुत महत्व बताया जाता है।
श्रावण मास सोमवार पूजा विधि
श्रावण मास के सोमवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर पूजा घर की अच्छे से साफ सफाई करें। पूरे घर में गंगाजल छिड़क कर पूरे घर को पवित्र करके घरके किसी पवित्र स्थान पर भगवान शिव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। अगर घर में शिवलिंग स्थापित है तो शिवलिंग को अभिषेक करके पूजा शुरू करें।

अभिषेक के बाद भगवान शिव को बेलपत्र, दुर्बा, कमल के फूल आदि चढ़़ाकर भगवान शिव को प्रसन्न करें। ध्यान रखें भगवान शिव को धतूरे का फूल अवश्य चढ़ाएं धतुरा जो भगवान शिव को बेहद प्रिय होता है। साथ ही भगवान शिव को दूध, दही, चंदन, मधु, बेलपत्र, भांग, धतूरा आदि सभी चीजो के साथ जल चढ़ाएं और भगवान शिव का ध्यान करें। ध्यान के बाद “ओम नमः शिवाय” मंत्र का जाप करके भगवान शिव की पूजा करें ओम नमः शिवाय के मंत्र से ही माता पार्वती की भी पूजा करें पूजा करने के बात व्रत कथा सुने और आंखरी में आरती कर प्रसाद बांटे।
श्रावण सोमवार व्रत रखने की विधि
हम सभी जानते हैं कि ईश्वर कभी भी अपने भक्तों से नहीं कहते कि वह उपवास रखें। ये भक्तो की श्रद्धा होती है जो अपने आपको भगवान को समर्पित करके उपवास रखते हैं। ऐसे में सोमवार का व्रत निर्जला भी किया जाता है तो फलाहार करके भी इस व्रत को किया जाता है तो वहीं कुछ लोग नमक के आलावा एक समय भोजन करके भी इस व्रत को करते हैं। ऐसे में भक्तो की श्रद्धा और शक्ति पर निर्भर है कि वह इस व्रत को कैसे करना चाहते हैं।
श्रावण मास व्रत कथा
एक साहूकार था जिसके पास धन-संपत्ति तो थी लेकिन उसकी कोई संतान नहीं थी जिस कारण वह बहुत दुखी रहता था। वह हर सोमवार को व्रत करके भगवान शिव और माता पार्वती की सच्चे दिल से पूजा करता था। शाम होते ही वह मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती के सामने घी के दीपक चलाता था। उसकी भक्ति देखकर माता पार्वती प्रसन्न होती हैं और भगवान शिव से कहती है कि हे प्राणनाथ यह साहूकार आपका सच्चा भक्त है आप इसकी मनोकामना पूर्ण करें।
तब भगवान शिव उन्हें बताते हैं कि पूर्व जन्म के कर्म के कारण साहूकार के भाग्य में संतान नहीं है। लेकिन माता पार्वती नहीं मानी जिस कारण भगवान शिव साहूकार के सपने में जाकर कहते हैं कि तुम्हारी संतान पाने की इच्छा पूरी होगी लेकिन तुम्हारा संतान अल्पायु होगा और तुम्हारे पुत्र की आयु मात्र 16 वर्ष की ही होगी। यह बात सुनकर साहूकार एक तरफ खुश हुआ तो वहीं दूसरी तरफ चिंतित हो गया और उसने यह सारी बात अपनी पत्नी को बताई।
तब उसकी पत्नी भी अपने पुत्र के अल्पायु होने की बात सुनकर दुखी हो गई। लेकिन साहूकार ने भगवान शिव की पूजा करना नहीं छोड़ा और कुछ समय बाद ही साहूकार के घर उसके पुत्र ने जन्म जिसका नाम साहुकार ने अमर रखा था। जब अमर 11 साल का हुआ तब उसके पिता ने अमर को मामा के साथ शिक्षा ग्रहण करने काशी भेज दिया। यात्रा करते हुए अमर और उसके मामा दीपचंद एक राज्य पहुंचे जहां की राजकुमारी का विवाह हो रहा था।

लेकिन उस राजकुमारी का होने वाला दूल्हा अंधा था और यह बात किसी को पता न चले इसीलिए राजकुमार के पिता ने अमर से दूल्हे की जगह बैठने के लिए कहा इस तरह अमर की शादी राजकुमारी से हो गई। लेकिन जब विदाई होने लगी तब अमर ने राजकुमारी को सारी बात बता दी और राजकुमारी को पिता के घर छोड़कर वह अपने मामा के घर काशी चला गया। जब अमर 16 वर्ष का हुआ तब उसके मामा ने एक यज्ञ कराया और यज्ञ करने के बाद उन्होंने ब्राह्मणो को भोजन भी कराई।
लेकिन भगवान शिव के वरदान के अनुसार उसी दिन अमर की मृत्यु हो गई और यह देख अमर के मामा जोर जोर से रोने लगे। उस दिन भगवान शिव और माता पार्वती वहीं से गुजर रहे थे अमर के मामा का विलाप सुनकर माता पार्वती भगवान शिव से कहती है कि प्राणनाथ इस व्यक्ति के दुख को दूर कीजिए। तब भगवान शिव कहते हैं कि ये उसी साहूकार का बेटा है जिसकी आज मृत्यू हो गई है और ये उस बच्चे का मामा है जो विलाप कर रहा है। तब माता पार्वती कहती हैं कि इस बालक का पिता 16 वर्ष से आपका व्रत करते और आपको भोग लगाते आ रहा है।
कृपया कर आप इनके दुख को कम कीजिए माता पार्वती की बात सुनकर भगवान शिव अमर को जीवन दान देते हैं। जिसके बाद अमर खड़ा हो जाता है और अमर अपने पिता साहूकार के घर फिर से वापस जाता है रास्ते में वह राजकुमारी के पास भी जाता है जहां उसने राजकुमारी से शादी की थी तब राजकुमारी के पिता ने राजकुमारी को भी अमर के साथ ही विदा कर दिया। वही साहूकार और उनकी पत्नी यह बात भली-भति जानते थे कि उनके बेटे की आयु केवल 16 वर्ष है और इसीलिए वह बहुत दुखी थे।
तभी उनका पुत्र राजकुमार सुंदर राजकुमारी के साथ घर पहुंचता है अपने पुत्र को पुत्रवधू के साथ देख कर साहूकार और उनकी पत्नी बहुत खुश हुए। उसी दिन साहूकार के सपने में भगवान शिव जी आते हैं और कहते हैं कि मैंने तुम्हारे व्रत से प्रसन्न होकर तुम्हारे पुत्र की आयु लंबी कर दी है। इस प्रकार साहूकार के भाग्य में संतान सुख ना होने के बाद भी भगवान शिव जी का व्रत रखकर पूजा करने से साहूकार की मनोकामना पूर्ण हुई।