Tuesday, September 26, 2023
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इस्कॉन (ISCON) क्या है? जानिए इस्कॉन से जुड़ी सभी महत्त्वपूर्ण जानकारी के बारे में

हिंदू धर्म में प्रथम स्थान भगवान को दिया जाता है। इस धर्म के सभी देवताओ में कई सारे देवी देवता की पूजा होती है और इन्हीं में से एक है भगवान विष्णु के अवतार श्री कृष्ण। महाभारत में भगवान श्री कृष्ण ने धर्म की रक्षा करने और अधर्मीयो का नाश करने के लिए अर्जुन का सारथी बनकर उनका मार्गदर्शन किया था और इसी भगवान श्री कृष्ण यानि श्री हरि नारायण के अवतार भगवान श्री कृष्ण के मंदिर को इस्कॉन मंदिर कहा जाता है। 

भगवान कृष्ण ने जब यह अवतार लिया था उन्होंने कई सारी लीलाए रची थी और उनके जीवन के सभी लीलाओ में कुछ ना कुछ सीख छिपी रहती है। गोवर्धन पर्वत उठाने से लेकर कालिया नाग को हराना इन सभी लीलाओ में बहुत बड़ा संदेश छिपा हुआ है।

दिल्ली में है इस्कॉन मंदिर 

वैसे तो इस्कॉन मंदिर पूरी दुनिया में है जिस बीच हमारे भारत की राजधानी दिल्ली में भी एक ऐसा ही मंदिर है। भगवान श्री कृष्ण का एक ऐसा ही बड़ा मंदिर दिल्ली में भी स्थित है जिसे सभी इस्कॉन मंदिर के नाम से भी जानते हैं। प्रसिद्ध इस्कॉन मंदिर को “हरे रामा हरे कृष्णा” मंदिर भी कहा जाता है इस मंदिर की स्थापना साल 1998 में की गई थी। 

यह मंदिर दिल्ली के पूर्व में स्थित है इस मंदिर को अंदर बाहर पूरी तरह पत्थर से बनाया गया है, लेकिन इसे बनाते समय पत्थरो को काफी सुंदरता से तराशा गया था। यह मंदिर करीब 90 फीट ऊंची है वह तीन मन इसमें तीन मंदिर राधा कृष्ण, सीताराम और गौर निताई का मंदिर है। बाहर से तो इस मंदिर को बहुत सुंदर बनाया गया है साथ ही इस मंदिर के अंदर भगवान श्री कृष्ण के जीवन की सभी घटनाओ को भी बेहद खूबसूरती से पेश किया गया है।

दिल्ली स्थित इस्कॉन मंदिर की खासियत 

इस मंदिर के परिक्रमा परिसर में इस्कॉन मंदिर के अलग-अलग चित्र भी लगाए गए हैं। इस परिक्रमा परिसर में भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तिया भी मौजूद है और वहां के परिसर में केवल यही सबसे बड़ा मंदिर है। वहां के सभी लोग लीला प्रभु पद को ही मानते हैं और उनकी पूजा करते है। इस मंदिर में लोग बेहद दूर से आते हैं यानी विदेशो से और वे लोग जो विदेशो से आते हैं वह यहां पर वेदो का भी अभ्यास करते हैं।

इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति बेहद खूबसूरत दिखती है। यहां भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को सुंदर वस्त्र और आभूषण से सजा कर रखा गया है। दिल्ली स्थित इस मंदिर में हमेशा “हरे रामा हरे कृष्ण” के स्वर गूंजते रहते हैं, हमेशा इसी मंत्र का जप तप होते रहता है। इस मंदिर में भक्तो के लिए सत्संग और कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है। मंदिर के बाहरी हिस्से में बेहद सुंदरता से नक्शे का भी काम किया गया है। 

इस्कॉन (ISCON) क्या है? जानिए इस्कॉन से जुड़ी सभी महत्त्वपूर्ण जानकारी के बारे में

साथ ही इस मंदिर में बाहर की जगह पर कई सारी दुकाने हैं इस मंदिर में प्रवेश करते समय ही एक बड़ा सा सुंदर फव्वारा देखने को मिलता है। इस मंदिर में अलग-अलग जगह पर अलग-अलग देवता के मंदिर मिलते हैं। इस मंदिर में एक बहुत बड़ा संग्रहालय भी मौजूद है जहां पर रामायण और महाभारत के प्रांत रखे गए हैं। हर रविवार के दिन इस मंदिर में भगवान की विशेष पूजा होती है और सभी लोग यहां प्रार्थना करते हैं। 

दिल्ली स्थित भगवान श्री कृष्ण के इस मंदिर में हर साल कोई न कोई कार्यक्रम शुरु ही रहते है। इस मंदिर में कभी भक्तो के लिए सत्संग का आयोजन होता है तो किसी अच्छे मुहूर्त पर भक्तो के लिए कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है। जन्माष्टमी के दिन तो इस मंदिर में बहुत सारे कार्यक्रमो का आयोजन होता है इस अवसर पर मन्दिर में सभी भक्त बड़ी संख्या में मौजूद रहते हैं।

8 लाख से ज्यादा भक्त आते हैं 

जब जन्माष्टमी का त्योहार होता है तो भक्त इस समय जन्माष्टमी के समय पर हर्ष उल्लास के साथ जन्माष्टमी का त्योहार मनाते हैं। हर साल इस मंदिर में 8 लाख से भी ज्यादा भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए आते हैं और अपने मन की बात को भगवान से कहते हैं। त्योहारो के दिन इस मंदिर में सुबह 4:30 बजे से उत्साह की शुरुआत हो जाती है इस अवसर पर धूमधाम से एक बड़ी शोभायात्रा भी निकलती है। लोग भगवान की विशेष पूजा करवाते हैं कई प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमो का भी आयोजन होता है। इस त्यौहार के दिन भगवान कृष्ण के विशेष श्रृंगार भी किया जाता है। 

वैदिक संस्कृति संग्रहालय

इस मंदिर में संग्रहालय भी मौजूद जिसमें वैदिक संस्कृति के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। इस संग्रहालय में सभी देवी देवताओ की पीतल से बनी मूर्तियां रखी गई है। यही नहीं इस संग्रहालय में जिन्हें जिन्हें वीडियो देखनि है उसकी भी व्यवस्था की गई है।

वैदिक कला प्रदर्शित भवन

इस मंदिर में वैदिक कला को प्रदर्शित करने वाला भवन भी मौजूद है जो कि बहुत बड़ा भवन है। इस भवन में दुनिया के सभी लोग कोने से आते हैं और हिंदू धर्म पर आधारित कार्यक्रम करके अपने अंदर की कला को उभारते हैं।

“हरे कृष्ण” आंदोलन

दरअसल यह विदेशी खास करके क्रिश्चियन कम्युनिटी के लोगो द्वारा “हरे रामा हरे कृष्णा” का कृष्णा कीर्तन हरने वाले इस्कॉन मंदिर से जुड़े होते हैं। और अब इस्कॉन मंदिर भगवान श्री कृष्ण जी की भक्ति का सबसे बड़ा संगठन बन चुका है। भगवान श्री कृष्ण को समर्पित इस्कॉन के मंदिरो को “हरे कृष्ण” आंदोलन के नाम से भी जाना जाता है। इस्कॉन को “हरे कृष्ण आंदोलन” के नाम से भी जाना जाता है जो एक छोटे से समूह से शुरू होकर आज भक्ति का बहुत ही बड़ा और बेहद सुंदर आंदोलन बन चुका है। 

इस्कॉन के अनुनाई आज दुनिया भर में मौजूद है और वह पूरे विश्व में हिंदू धर्म, हिंदू संस्कृति और हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथ गीता का प्रचार व प्रसार करते हैं। आज दुनिया भर के कोने कोने से लोग इस मंदिर जुड़े  हुए हैं जिसका उदाहरण विदेशो के बड़े बड़े शहरो में मिलने वाले इस्कॉन के मंदिर है। जैसे न्यूयॉर्क, लंदन, मास्को, बर्लिन, मथुरा, वृंदावन ही क्यों न हो इन सभी जगहो पर इसके अनुनाई दुनिया भर में राम और कृष्ण के भजन कीर्तन करते हुए मिल जाते हैं।

इस्कॉन से जुड़े लोगो का सबसे बड़ा मंत्र 

इस इस्कॉन मंदिर से जुड़े लोगो का सबसे बड़ा मंत्र है “हरे रामा हरे रामा, राम राम हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण हरे हरे”। इस्कॉन मंदिर आस्था और हिंदू संस्कृति का एक महान संगम है जिसे भगवान श्री कृष्ण की भक्ति का प्रचार और प्रसार करने के लिए जाना जाता है। इस्कॉन का पूरा नाम “अंतरराष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ” है और इस मंदिर की स्थापना ही पूरी दुनिया में भगवान श्री कृष्ण के संदेशो को पहुंचाने के लिए किया गया है।

किसने की थी इस्कॉन मंदिर की स्थापना

आज देश और विदेश हर जगह इस्कॉन के 400 से भी ज्यादा मंदिर और विद्यालय मौजूद है। हरे कृष्णा की शुरुआत श्री मूर्ति अभयचरणरविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी ने की थी।

इस्कॉन मंदिर की स्थापना करने वाले स्वामी प्रभुपाद जी का जन्म 1 सितंबर साल 1896 में पश्चिम बंगाल के कोलकाता शहर में हुआ था। स्वामी प्रभुपाद जी ने 49 साल की उम्र में सन्यास लिया था सन्यास लेने के बाद उन्होंने विश्वभर में घूम घूम कर “हरे रामा हरे कृष्णा” का प्रचार किया। स्वामी प्रभुपाद जी का स्वर्गवास 14 नवंबर साल 1977 को वृंदावन में 81 वर्ष की आयु में हुआ था।

क्यों हुई थी इस्कॉन मंदिर की स्थापना 

एक बार की बात है प्रभुपाद महाराज के गुरु भक्ति सिद्धांत सरस्वती गोस्वामी ने उनसे कहा कि तुम युवा हो, तेजस्वी हो जाओ विदेश में कृष्ण भक्ति का प्रचार, प्रसार करो। तब वह अपने गुरु की आज्ञा का पालन करने के लिए 49 वर्ष की आयु में संन्यास लेकर गुरु आज्ञा के अनुसार पूरी दुनिया में भगवान कृष्ण की भक्ति का प्रचार पसार करने निकल परे। और आज दुनिया भर में इस्कॉन के इतने ज्यादा अनुनाई होने का प्रमुख कारण इस्कॉन मंदिर में मिलने वाली असीम शांति हैै आज दुनिया भर से लोग इस शांति की तलाश में ही इस्कॉन में आते हैं। इस्कॉन के बड़ते प्रचार प्रसार के कारण आज कृष्ण की गीता का उपदेश पश्चिम यानी कि अंग्रेज लोगो के लिए भी वरदान साबित हो रही है। 

इस्कॉन के अनुनाईयो के चार सिद्धांत

जानकारी के अनुसार कहा जाता है कि इस्कॉन टेंपल में आस्था रखने वाले भक्तो को चार सरल सिद्धांतो का पालन करना होता है और वह चार सिद्धांत है तप, दया, सत्य और मन की शुद्धता। अपने इन सिद्धांतो के अलावा इस्कॉन के अनुनाई खासतौर पर चार नियमो का पालन भी करते हैं और वह नियम इस प्रकार है।

* तामसिक भोजन त्याग 
इस्कॉन के अनुनाई को तामसिक भोजन त्याग करना होता है, जिसके तहत उन्हें प्याज, लहसुन, मांस, मच्छी, मदिरा आदि से दूर रहना होता है। 

* अनैतिक आचरनो से दूर रहना
इस्कॉन के अनुनाईयो को अनैतिक आचरण जैसे कि जुवा खेलना, वेश्यालय जाना आदि अनैतिक आचरनो को त्यागना पड़ता है।

* शास्त्र अध्ययन करना
इस्कॉन के अनुनाईयो को रोजाना एक घंटा शास्त्र अध्ययन में बिताना होता है। जिसमें गीता के साथ ही भारतीय धर्म और इतिहास से जुड़े शास्त्र का भी अध्ययन करना पड़ता है।

* रोजाना हरे कृष्ण का नाम जपना
इस्कॉन के अनुयायियो के पालन करने वाले सभी 4 नियमो में सबसे महत्वपूर्ण होता है रोजाना हरे कृष्णा नाम का जप करना, कृष्ण भक्तो को रोजाना 16 बार श्री कृष्ण की माला जपनी पड़ती है।

इस्कॉन (ISCON) का मतलब

आज विश्वभर में व्यापित भगवान श्री कृष्ण के भक्ति का सबसे बड़ा मदिरो का संगठन इस्कॉन है और इस इस्कॉन (ISCON) का मतलब “इंटरनेशनल सोसायटी फॉर कृष्णा कांशसनेस” है। इस्कॉन (ISCON) का फूल फॉर्म होता है “International society for Krishna consciousness” यानि “अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण भावनामृत संघ”। जो संगठन आज पूरी दुनिया में कृष्ण भक्ति का प्रचार और प्रसार करता है इस्कॉन मंदिर के स्थापना साल 1966 में न्यूयॉर्क सिटी में की गई थी इस आध्यात्मिक संस्थान की स्थापना भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद जी ने की थी।

किसने और कब शुरुआत की थी इस्कॉन

वृंदावन में इस्कॉन का सबसे बड़ा और सबसे सुंदर मंदिर है जहां विश्वभर से इस्कॉन से जुड़े सभी लोग एकत्रित होते हैं और कृष्ण जन्म उत्सव मनाते हैं। ऐसे लाखो की दल है जोकि विदेशी लोग हैं, इन्होंने हिंदू धर्म अपनाकर खुद को भाग्यशाली समझा है। असल में यही वह लोग हैं जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण और हिंदू धर्म को अच्छे से समझा है और वह इसकी दिल से बहुत कद्र करते हैं।

इस्कॉन की खासियत

आप चाहे दुनिया के किसी भी इस्कॉन मंदिर में क्यों न जाए इन सभी मंदिरो की खास बात यही है कि इनकी बनावट से लेकर इनकी आंतरिक संरचना तक को एक समान रखने का प्रयास किया गया है। इतना ही नहीं आरती, भोजन और भोजन का समय भी इन मंदिरो में तय होता है। इस्कॉन के इन मंदिरो में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति को बेहद खूबसूरती से सजाया जाता है और वहां प्रभुपाद की भी एक मूर्ति होती है। 

वर्तमान समय में विश्व भर में लगभग 400 से भी ज्यादा इस्कॉन के मंदिर मौजूद है। इस्कॉन ने पश्चिमी देशो में ज्यादातर भव्य मंदिर साथ ही भव्य
विद्यालय भी बनवाए हैंं। विश्व के सबसे बड़े इस्कॉन मंदिर की बात करें तो बेंगलुरु का इस्कॉन मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर है, इस मंदिर को साल 1997 में “हरे कृष्ण” हिल पर बनवाया गया था।

इस्कॉन पर विवाद का कारण

न्यूयॉर्क से शुरू हुई कृष्ण भक्ति के निर्मल यमुना नदी जल्द ही विश्व के कोने-कोने में बहने लगी है। कई देश “हरे रामा हरे कृष्णा” के निर्मल और पावन भजन से गुंजायमान होने लगे हैं। दुनिया भर में इस आंदोलन के ज्यादातर लड़ाई बढ़ते जाने के कारण और यह आंदोलन दूसरे धर्म के लोगो के नजरो में खटकने भी लगा है। जिस कारण इस्कॉन के खिलाफ कई विरोधी प्रदर्शन किए जा रहे हैं और बाद में उन्हें कई आरोपो का भी सामना करना पड़ रहा है, उन पर ड्रग्स बेचने और खरीदने का भी आरोप लगाया जा रहा है।

इस्कॉन (ISCON) क्या है? जानिए इस्कॉन से जुड़ी सभी महत्त्वपूर्ण जानकारी के बारे में

ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि इस्कॉन को केवल अमेरिका और यूरोप में ही विरोध प्रदर्शन और कई तरह के आरोपो का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि हमारे भारत में भी कई हिंदू लोग इस्कॉन के खिलाफ है। उनका यह मानना है कि यह लोग हमारे बच्चो का ब्रेनवाश करके उन्हें भी सन्यासी बना देते हैं। जबकि जांच करने के बाद यह सारे आरोप निराधार पाए गए। दूसरी और द्वारिका और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने इस्कॉन मंदिरो पर भी आरोप लगाए थे। उन्होंने इस्कॉन मंदिरो को अमेरिका की साजिश बताया और कहा था कि यह लोग हर साल विदेशो में करोड़ो रुपए का चढ़ावा भेज देते हैं।

कृष्णाटेरियन क्या है

इस्कॉन के लोगो ने अपने खुद का भोजन खुद ही बनाया है। जिसे वह कृष्णा तेरी याद रहते हैं यह बेहद स्वादिष्ट होता है जो कि इस्कॉन के मंदिरो में मामूली से शुल्क के साथ आसानी से मिलता है। लेकिन इस पर भी कुछ लोगो द्वारा आरोप लगाने के कारण उन्होंने अब मंदिरो में भोजन प्रसादी की व्यवस्था बंद करने की घोषणा की है। यह बेहद हैरान करने वाली बात है कि हिंदू धर्म के प्रचारको को हिंदुओ से ही ज्यादा खतरा होने लगा है। 

क्यो कि गई थी इस्कॉन मंदिर की स्थापना 

इस्कॉन के जितने भी भक्त हैं वह सभी भगवान श्री कृष्ण को सबसे बड़ा भगवान मानते हैं और वह ऐसा मानते हैं कि देवता के जितने भी अवतार हुए हैं वह सभी भगवान श्री कृष्ण के हैं इसीलिए वह सभी भगवान कृष्ण को अपना मुख्य देव मानते हैं। इस्कॉन के सभी भक्त यही मानते हैं की सभी लोगो को भक्ति मार्ग को स्वीकार करना चाहिए। भगवान श्री कृष्ण की भक्ति करनी चाहिए और इसीलिए इस्कॉन मंदिरो की स्थापना की गई थी। 

दरअसल इस्कॉन का संबंध गौढ़ीय वैष्णव संप्रदाय से है यहां पर वैष्णव का मतलब होता है भगवान विष्णु की पूजा और गौड़ का संबंध पश्चिम बंगाल के गौड़ प्रदेश से है। इस जगह से ही वैष्णव संप्रदाय की शुरुआत हुई थी। इस्कॉन के संस्थापक भारत भर में भगवान श्री कृष्ण के मंदिर बनवाना चाहते थे।

Jhuma Ray
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नमस्कार! मेरा नाम Jhuma Ray है। Writting मेरी Hobby या शौक नही, बल्कि मेरा जुनून है । नए नए विषयों पर Research करना और बेहतर से बेहतर जानकारियां निकालकर, उन्हों शब्दों से सजाना मुझे पसंद है। कृपया, आप लोग मेरे Articles को पढ़े और कोई भी सवाल या सुझाव हो तो निसंकोच मुझसे संपर्क करें। मैं अपने Readers के साथ एक खास रिश्ता बनाना चाहती हूँ। आशा है, आप लोग इसमें मेरा पूरा साथ देंगे।
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