होली का पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है हिंदू धर्म में यह बेहद खास त्यौहार होता है। इस त्योहार का महत्व बेहद खास है होली रंग से भरे त्यौहार मनाने से पहले होली त्यौहार मनाने से पहले होलिका दहन होता है, जिसे छोटी होली के नाम से भी जाना जाता है।
इस साल होली का दहन 17 मार्च को किया जाएगा और 18 मार्च को रंग बिरंगी गुलाल लगाकर होली खेली जाएगी होली त्यौहार से पहले होलिका जलाई जाती है ऐसे में होलिका दहन 17 मार्च रात 9 बजकर 6 मिनट से 10 बजकर 16 तक होलिका दहन करने का मुहूर्त रहेगा। होलिका दहन करने का समय 1 घंटा 10 मिनट होगा जिसके अंदर सभी लोगो को परिवार के साथ होलिका दहन करके होली पर्व की शुरुआत करेंगे।
होली पर्व का प्राचीन इतिहास
होली भारत का बेहद प्राचीन पर्व है होली के त्योहार को होलीका या होला के नाम से भी मनाया जाता है। बसंत ऋतु में हर्षोल्लास खुशी के साथ मनाए जाने के कारण होली के इस त्यौहार को बसंत उत्सव और काम महोत्सव भी कहा जाता है। इतिहासकारो के अनुसार ज्यादातर यह पूर्वी भारत में ही मनाया जाता था। इस पर्व का वर्णन कई पुरातन धार्मिक पुस्तको में भी मिलता है जिनमें प्रमुख जैमिनी के पूर्व मीमांसा सूत्र और कथाकार देव सूत्र, नारद पुराण और भविष्य पुराण जैसे पुराणो की प्राचीन हस्तलिपि और ग्रंथ में होली के इस पर्व का उल्लेख है।
संस्कृत साहित्य में बसंत ऋतु और बसंतोत्सव अन्य कवियो का प्रिय विषय रहा है। सुप्रसिद्ध मुस्लिम पर्यटक अलबरूनी ने भी अपने इतिहास में होलिकोत्सव का वर्णन किया है। भारत के अनेक मुस्लिम कवियो ने अपनी रचनाओ में इस बात का उल्लेख किया है कि होली का उत्सव केवल हिंदू ही नहीं बल्कि मुसलमान भी मनाते हैं। प्राचीन इतिहास में अकबर का जोधा बाई के साथ और जहांगीर का नूरजहां के साथ होली खेलने का वर्णन मिलता हैै। इतिहास में वर्णन है कि शाहजहां के जमाने में भी होली खेली जाती थी।
होली पर्व के ऐतिहासिक मुसलमान नाम
इतिहासकारो के अनुसार पौराणिक समय में होली को “ईद-ए-गुलाबी” या “आब -ए -पाशी” भी कहा जाता था। अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर के बारे में भी प्रसिद्ध है कि होली पर उनके मंत्री उन्हें रंग लगाने जाते थे। इसके अलावा प्राचीन चित्र मंदिरो की दीवारो पर भी इस उत्सव के चित्र मिलते हैं। विजयनगर की राजधानी हंपी के एक चित्र फलक पर होली का चित्र उकेरा गया है। इस चित्र में राजकुमार और राजकुमारियो के एक साथ पिचकारी लिए दंपतियो को होली खेलते हुए दिखाया गया है।
जिस दिन होली मनाई जाती है यानि रंग लगाया जाता है, उस दिन की पूर्व संध्या यानी होली पूजा वाले दिन शाम को होलिका दहन किया जाता है। इस दिन लोग अग्नि पूजा करते हैं होलीका की परिक्रमा करना शुभ माना जाता है। इस दिन किसी सार्वजनिक स्थल पर या घर के अंगन में बहुत सारे लकड़ी और उपले से होलीका तैयार की जाती है और इसकी तैयारिया होली से काफी दिन पहले से शुरू हो जाती है। होलिका की अग्नि जलाने के लिए सभी सामग्रिया जैसे लकड़ी, उपले आदि प्रमुख रूप से होते हैं।

लकड़ियो और उपलो से तैयार किए गए होलीका को सुबह से ही विभिन्न तरह पूजा जाता है। होली के दिन घरो में खीर, पुरी और कई प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं। घरो में बने पकवानो से भोग लगता है और दिन ढलने पर शाम के समय मुहूर्त के अनुसार होलिका दहन होता है। जिसमें आग जलाकर होलिका दहन किया जाता है परिवार के सभी लोग होलीका में आग लगाते हैं, इस आग में गेहूं, जौ की बालिया और चने भी जलाए जाते हैं।
दूसरे दिन सुबह से ही रंग बिरंगे गुलाल से होली खेलना शुरू हो जाती है हर कोई एक दूसरे पर रंग अबीर, गुलाल आदि डालते हैं। ढोल बजा बजाकर होली के गीत गाते हैं और घर-घर जाकर लोगो को रंग लगाया जाता है। इस दिन सुबह होते ही सभी लोग रंगो से खेलते अपने मित्रो और रिश्तेदारो से मिलने निकल पड़ते हैं। इस दिन सभी का स्वागत गुलाल और रंगो से ही किया जाता है दिन जगह-जगह पर रंग बिरंगे कपड़े पहनकर नाच गाना दिखाई पड़ता है। और सभी बच्चे पिचकारी से रंग छोड़कर अपना मनोरंजन करते हैं।
होली के इस पर्व पर सबसे ज्यादा खुश बच्चे होते हैं वह रंग बिरंगी पिचकारीओ को लेकर बेहद खुश होते हैं और जो मिले उसी पर भाग भागकर रंग डालकर दौड़ दौड़ के मजे लेते हैं। होली के इस त्यौहार में सभी एक दूसरे को रंग लगाने के बाद दोपहर को नहा धोकर अच्छे कपड़े पहनकर एक दूसरे के घर जाकर गले मिलते हैं और मिठाइयां, पकवान खाते खिलाते हैं।
आधुनिक समय की होली
अगर आधुनिक काल की बात करें तो आधुनिक दौर में होली के रंगो का त्योहार अलग ही दिखता है। होली का त्योहार खुशी का त्यौहार है, लेकिन आज होली के भी अनेक रूप देखने को मिलते हैं। आज प्राकृतिक रंगो के स्थान पर लोग रासायनिक रंगो का प्रचलन कर चुके हैं। भांग और ठंडाई की जगह लोग नशे बाजी और लोक संगीत की जगह फिल्मी गानो का प्रचलन ही होली के त्यौहार का आधुनिक रूप है। और इससे होली पर गाए बजाए जाने वाले ढोल, मंजीरा, धमाल चैती और ठुमरी की शान अब नजर नहीं आती है।
होली का त्यौहार हमें क्या सिखाती है
होली का त्यौहार प्रत्येक साल मार्च महीने के आरंभ में मनाया जाता है लोगो का विश्वास है कि होली के चटक रंग ऊर्जा, जीवंत स्वभाव, हंसी मजाक और आनंद का सूचक है। प्रत्यय व्यक्ति का जीवन रंगो से भरा होना चाहिए प्रत्येक रंग अलग अलग खुशी और आनंद उठाने के लिए बनाए गए हैं। अगर सभी रंगो को एक में मिलाकर देखा जाए तो वह सभी काले दिखेंगे, इसीलिए सभी रंगो को अलग अलग देखने और उनका आनंद लेने के लिए लाल, पीला, हरा आदि सभी रंगो को अलग-अलग ही होने चाहिए।
कहा जाता है कि जब व्यक्ति का मन चेतना शुद्ध, उज्वल, शांत और प्रसन्न रहता है तो वह विभिन्न रंग और भावनाए जन्म देता है और उससे व्यक्ति को सभी भूमिकाओ को निभाने की शक्ति मिलती है। ऐसे में सभी रंगो के अलग अलग महत्त्व की तरह ही व्यक्ति द्वारा जीवन में निभाई जाने वाली सभी भूमिकाए भी अलग अलग होनी चाहिए। हम चाहे जिस भी परिस्थिति में हो जीवन में हमें हमारे सभी रिश्तो के प्रति योगदान देना चाहिए और अपने सभी कर्तव्य को निभाना चाहिए।
इसीलिए हमें बचपन से ही यह ज्ञान दिया जाता है कि बड़ो को सम्मान, बच्चो को प्यार और सभी को रिस्पेक्ट देनी चाहिए। यह तब संभव है जब व्यक्ति को अपने आप पर विश्वास और अपने आपकी अहमियत का एहसास होता है। इसके लिए हर व्यक्ति को अपनी भूमिका में बार-बार डुबकी लगानी चाहिए। लेकिन अगर वह केवल आसपास ही देखते रहे और बाहरी रंगो से खेलते रहे तो उसे अपने चारो ओर अंधकार के सिवाय कुछ नहीं मिलेगा। इसीलिए अपनी सभी भूमिकाओ को पूरी निष्ठा, गंभीरता के साथ निभाने के लिए हमें कुछ देर के लिए गहन विश्राम लेना चाहिए।
होलिका जलाने के पीछे का कारण
होली के कथा होली से जुड़ी एक प्रहलाद की कथा बहुत ही प्रचलित है किंबदंती के अनुसार तभी से होली का त्योहार मनाया जाता है। दरअसल प्रहलाद भगवान को समर्पित एक बालक था लेकिन उसके पिता ईश्वर को नहीं मानते थे प्रह्लाद के पिता बेहद ही घमंडी और क्रूर राजा थे। कहानी के अनुसार कहा जाता था है कि प्रहलाद के पिता एक नास्तिक राजा थे और उनका पुत्र हर समय ईश्वर का नाम जपता रहता था।
लेकिन उन्होंने अपने पुत्र को समझाने के सभी प्रयास किए, लेकिन प्रह्लाद को भगवान पर बहुत विश्वास था।पिता के नास्तिक राजा होने के विपरीत पुत्र प्रहलाद दिन रात ईश्वर का नाम जपा करते थे और इस बात से प्रहलाद के पिता को बहुत अघात हुआ और वह अपने पुत्र को इस बात के लिए सबक सिखाना चाहते थे। उन्होंने अपने पुत्र को समझाने के सभी प्रयास किए फिर पश्चात उन्होंने प्रहलाद में कोई परिवर्तन नहीं देखा।
जिसके बाद उन्हें प्रह्लाद पर क्रोध आ गया वह प्रह्लाद को मारने की सोचने लगे उन्होंने इसके लिए अपनी बहन को चुना दरअसल उनकी बहन को यह वरदान प्राप्त था कि वह किसी को गोद में लेकर अग्नि में प्रवेश करेगी तो उसे कुछ नहीं होगा लेकिन उसकी गोद में बैठने वाला भस्म हो जाएगा। राजा की बहन का नाम होलिका था होलिका ने प्रहलाद को जलाने के लिए अपनी गोद में बिठाया लेकिन प्रह्लाद की जगह होलिका खुद ही जल गई। हरि ओम का जाप करने और ईश्वर का ध्यान करने के कारण प्रहलाद की आग से रक्षा हो गई और वह सुरक्षित बाहर आ गए।

पुराने समय से होली का त्यौहार भक्ति की शक्ति का सूचक है जो प्रहलाद की क्षमता को जला देना चाहती तो है लेकिन भक्ति की गहराई से जुड़े होने के कारण सभी बुरी शक्तियो को स्वाहा कर देते हैं और फिर नए रंगों के साथ आनंद का उद्गम होता है और जीवन एक उत्सव बन जाता है। भूतकाल को छोड़कर हम सभी नई दुनिया में प्रवेश करते हैं नया जीवन धारण करते हैं। होली का महत्व ही यही है कि होलिका की आग हमारी बूरी भावनाओ को जला देती है, लेकिन जब रंगो का पिटारा फूटता है तब हमारे जीवन में नए आकर्षण आ जाते हैं।
यानी कि पौराणिक समय से ही जलते हुए होलिका की अग्नि होलिका के शरीर के जलने का प्रतीक माना जाता है। जिसके साथ सभी बुरी शक्तियो और भावनाओ का नाश होता है इसीलिए इस होलिका दहन के अवसर पर चलिए जानते हैं होली के दहन से जुड़ी कुछ खास और अचूक बातो के बारे में। साथ ही जानेंगे कुछ ऐसे उपाय जिससे एक होली का दहन के दिन करने से आपको भरपूर लाभ मिलेंगे।
होली के अलग रंगो का अलग महत्त्व
हमारे मन की भावनाए एक बोझ कि तरह होती हैं जब वही ज्ञान में परिवर्तित होती है तो जीवन में रंग भर देती है और इन सभी भावनाओ का संबंध रंग से होता है। जैसे कि लाल रंग क्रोध से, हरा रंग ईर्ष्या से, पीला रंग प्रसन्न होने से, गुलाबी रंग प्रेम संबंध से, नीला रंग विशालता से, सफेद रंग शांति से, केसरिया रंग त्याग व संतोष से और बैंगनी रंग ज्ञान से जुड़ा होता है।
होलिका दहन पर किए जाने वाले अचूक उपाए
चलिए जानते हैं होलिका दहन के दिन किए जाने वाले कुछ खास और अचूक उपायो के बारे में। आज दुनिया में हर किसी को कोई न कोई समस्या है किसी के पास स्वास्थ्य नहीं है, तो किसी के पास पैसा नहीं है। किसी की शादी नहीं हो रही तो किसी को बुरी नजर लग गई हैै। ऐसे में होलिका दहन के दिन किए जाने वाले कुछ खास उपायो को करने से आपको कई प्रकार के फायदे मिलेंगे।
* जो व्यक्ति समय समय पर बीमार होते रहते हैं उनके लिए होलिका दहन के दिन 11 हरी इलायची और 11 कपूर लेकर अपने सिर पर से तीन बार घुमा लें और ऐसा करके इसे होलिका की अग्नि में डाल दें, ऐसा करने से आपको बीमारियो से मुक्ति मिलेगी।
* अगर आप बेरोजगारी से परेशान है और प्रयास करने के बावजूद नौकरी नहीं मिल रही है कारोबार में दिक्कत आ रही है, तो एक मुट्ठी पीली सरसो लें और अपने सिर पर पांच बार घुमाकर होलिका की अग्नि में डाल दें।
* धन संबंधी समस्याओ को दूर करने के लिए होलिका दहन के दिन चंदन की लकड़ी होलिका की अग्नि में जलाने चाहिए। चंदन की लकड़ी होलिका की अग्नि में डालकर प्रणाम करके माता लक्ष्मी का ध्यान करते हुए धन पाने की कामना करें।
* घर पर होने वाले धन खर्च को कम करने के लिए होली की रात काली हल्दी को सिंदूर में रहकर उसे धूप दिखाएं। उसमें कुछ सिक्के भी रखें और फिर इन सबको एक लाल कपड़े में लपेटकर धन रखने वाले स्थान पर रख दें, काली हल्दी से किए इस टोटके से धन में वृद्धि होगी।
* जिन स्त्री और पुरुषो को विवाह करना है और उनकी विवाह में बाधा आ रही है तो होलिका दहन के दिन बाजार से हवन सामग्री लाएं और उसमें घी मिलाकर अपने दोनो हाथो से होलिका की अग्नि में डालते हुए सुयोग्य जीवनसाथी पाने की कामना करें।
* अगर आप किसी व्यवसाय से जुड़े हुए हैं और आर्थिक उन्नति नहीं हो पा रही है, तो ऐसे में होली के दिन शुभ मुहूर्त में व्यापार वाले जगह पर पीसी हुई हल्दी में केसर और गंगाजल मिलाकर व्यापार स्थल पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाए।
* अगर आप किसी मानसिक तनाव में जी रहे हैं तो इसे दूर करने के लिए होली के रात शुभ मुहूर्त देखकर एक कटोरी में काली हल्दी रखें और उसे माता लक्ष्मी के सामने रख दें। फिर इसे धूप दीप दिखाकर किसी धागे में पिरोकर अपने गले में धारण करें, ऐसा करने से आपको मानसिक परेशानियो से छुटकारा मिलेगा।
* ग्रह दोष को दूर करने के लिए होली के दिन रात में काली हल्दी पीसकर उसमें लाल चंदन मिलाएं। और उसे अपने घर के पूजा के स्थान पर कुछ देर के लिए रख दें। फिर उस हल्दी को चंदन के साथ मिलाकर अपने माथे पर टीका लगाएं इससे आप पर लगी हुई बुरी नजर और ग्रह दोष दूर होगी।
* अगर आप लंबे समय से किसी बीमारी से ग्रस्त हैं तो होलिका दहन के दिन अपने दाहिने हाथ में काले तिल के दाने लें और उसे मुट्ठी बनाकर फिर अपने सिर पर से तीन बार घुमाकर होलिका की अग्नि में डाल दें ऐसा करने से आपको अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होगी।