जैसा कि आप सब लोग जानते ही हैं कि इन दिनो रूस और यूक्रेन में युद्ध छिड़ा हुआ है। रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध का आज सातवा दिन है, लेकिन इस युद्ध की दहशत भोपाल तक पहुंच चुकी है। क्योंकि भोपाल के कई सारे लोग यूक्रेन में फंसे हुए हैं इन लोगों में से ज्यादातर पढ़ाई के लिए जाने वाले विद्यार्थी हैं।
रूस के हमले से यूक्रेन की कई बिल्डिग ध्वस्त हो चुकी है। जगह-जगह लाशे बिखरी पड़ी है और दर्द भरे इस माहौल में सभी सहमे हुए हैं। लोग अपनी जान बचाने के लिए अंडर-ग्राउंड शेल्टर में छिपे हैं तो वहीं, यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने गए हजारो की संख्या में भारतीय छात्र भी वहीं फंसे हैं। सरकार वहां फंसे हुए विद्यार्थियों को सही सलामत वापस अपने देश लेकर आने की पूरी कोशिश में जुटी हुई है।
यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद वहां फंसे छात्रों की वापसी के लिए भारत सरकार ऑपरेशन गंगा चला रही है। और उन्हें काफ़ी प्रयास करके यूक्रेन के पड़ोसी देशो के रास्ते वापस निकाला जा रहा है। वह विद्यार्थी जो यूक्रेन में फंसे हैं उनके परिजन इस कारण काफी ज्यादा चिंतित है तो वही यूक्रेन में पढ़ाई करने के लिए जाने की वजह भी सामने आ रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बताया जा रहा है कि लगभग दस हजार लोग तो अभी भी यूक्रेन में ही फंसे हुए हैं। ऐसे में सवाल यह आता है कि जब भारत में मेडिकल के अच्छे-अच्छे कॉलेज मौजूद हैं, तो इतनी बड़ी संख्या में छात्र वहां क्यों पढ़ाई के लिए जाते हैं ?

यह बात हर कोई जानता है कि दुनिया में टॉप मेडिकल यूनिवर्सिटीज अमेरिका और ब्रिटेन में है। लेकिन फिर भी ज्यादातर स्टूडेंट्स अपनी MBBS की पढ़ाई पूरी करने के लिए यूक्रेन जाना पसंद करते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा इसलिए क्योंकि यूक्रेन के कॉलेजो में MBBS की पढ़ाई पूरी करने के लिए बड़ी ही आसानी से एडमिशन मिल जाता है। NEET क्लियर करने पर ही यूक्रेन के मेडिकल यूनिवर्सिटीज में आसानी से दाखिला हो है फिर चाहे स्टूडेंट ने रैंक कुछ भी हासिल की हो इस बात से कोई प्रभाव नहीं पड़ता।
जानकारी के अनुसार इन दिनो यूक्रेन में मेडिकल सीटें प्राप्त करने के लिए ना तो भारत के जैसे मारामारी है और ना ही अमेरिका और ब्रिटेन की तरह वहां की यूनिवर्सिटी में केवल ब्रिलियंट स्टूडेंट ही एडमिशन ले सकते हैं। क्योंकि यूक्रेन एकमात्र ऐसा देश है जहां हर स्टूडेंट को बड़ी ही आसानी से MBBS करने के लिए एडमिशन मिल जाता है। यही कारण है कि यूक्रेन में सबसे ज्यादा स्टूडेंट अपनी MBBS की पढ़ाई पूरी करने के लिए जाते हैं।
यूक्रेन में पढ़ाई का खर्च
हालांकि यूक्रेन में विद्यार्थियो के जाने का एक सबसे बड़ा कारण यह भी है कि यहां के मेडिकल कॉलेज की फीस भी काफी ज्यादा कम है। अगर यूक्रेन के मेडिकल कॉलेजो की फीस की बात करें तो भारत या अन्य देशो की तुलना में यूक्रेन के मेडिकल कॉलेज MBBS कराने के काफी ज्यादा कम फीस चार्ज करता है। अन्य देशो में सामान्य MBBS की पढ़ाई पूरी करने में 60 लाख का खर्च आता है जबकि यूक्रेन में यह डिग्री 30 लाख रूपए में ही प्राप्त हो जाती है।
यूक्रेन की कीव स्थित बोगोमोलेट्स नेशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी (Bogomolets National Medical University) की बात करें तो यहां पहले साल पढ़ाई का खर्च 6000 अमेरिकी डॉलर आता है। वहीं सालाना लगभग 1800 डॉलर हॉस्टल और इंश्योरेंस का खर्च आता है। यानि भारतीयो को करीब 5.85 लाख रुपये पहले साल देने होते हैं वहीं दूसरे से छठवें साल तक का खर्च सालाना लगभग 4.72 लाख रुपये आता है। ऐसे में करीब 30 लाख रुपये में वह यूक्रेन से MBBS की पढ़ाई पूरी कर लेते हैं।
यूक्रेन जाना है काफी सस्ता
इसके अलावा एक अन्य कारण यह भी है कि भारत से यूक्रेन जाने में महज 6 घंटों का समय लगता है और यहां जाने के लिए फ्लाइट की टिकट के चार्ज भी काफी ज्यादा कम है। अन्य देशों की तुलना में यहां पचास परसेंट कम फीस में ही MBBS की डिग्री पूरी हो जाती है। और यही कारण है कि भारत के स्टूडेंट यूक्रेन में जाकर अपने MBBS की डिग्री पूरे करना चाहते हैं।

केवल अंग्रेजी भाषा का आना है जरूरी
वहां छात्रो को पढ़ाई के लिए अंग्रेजी भाषा का आना ही जरूरी होता है तो बाकी सब कुछ भी आसान ही हो जाता है उन्हें कोई अन्य विदेशी भाषा सीखने की भी जरूरत नहीं पड़ती है। जब ये छात्र विदेश से MBBS की डिग्री लेकर भारत लौटते हैं तो उन्होंने भारत में प्रैक्टिस करने का लाइसेंस लेने के लिए नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन्स फॉरेन मेडिकल ग्रेजुएट” एग्जाम पास करना होता है। हर साल 4000 छात्र ये परीक्षा देते हैं, जिनमें से लगभग 700 छात्र ही पास कर पाते हैं।
विदेश में बसने का मौका
यूक्रेन से मेडिकल की डिग्री लेने वाले छात्रों की वैल्यू यूरोपियन देशों में ज्यादा है यही वजह है कि वो यहां से पढ़ाई करके वह यूरोप चले जाते हैं। साथ ही यूक्रेन से पढ़ाई करने पर यूरोप में आसानी से नागरिकता भी मिल जाती है जिस कारण भारतीय यूक्रेन में पढ़ाई के लिए बड़ी संख्या में जाते हैं।

नीट के आधार पर एडमिशन
यूक्रेन के ज्यादातर मेडिकल कॉलेजो में केवल नीट (नेशनल कम एलिजिबिलिटी टेस्ट) के आधार पर ही एडमिशन मिल जाता है। यानि कि जो छात्र नीट की परीक्षा में पास होते हैं और बेहतर रैंक नहीं आने की वजह से उन्हें भारत में सरकारी कॉलेज नहीं मिल पाया है, उन्हें यूक्रेन में आसानी से एडमिशन मिल जाती है।
डिग्री का महत्व
यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रो की डिग्री की वैल्यू पूरी दुनिया में होती है वहीं यहां पर स्टूडेंट्स को ग्लोबल एक्सपोजर भी मिलता है। साथ ही यूक्रेन की मेडिकल डिग्री को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), यूरोपीय काउंसिल और अन्य वैश्विक संस्थाओ में मान्यता मिलती है। तो ऐसे में एक वजह यह भी बनती है कि यूक्रेन में ज्यादातर भारतीय विद्यार्थी पढ़ाई के लिए जाते हैं।
भारत में मिलते हैं अच्छे मौके
यूक्रेन से मेडिकल की पढ़ाई करके आने वाले छात्रों को यहां भारत काफ़ी अच्छा पैकेज मिलता है। इस कारण भी कि भारत के ज्यादातर मेडिकल स्टूडेंट्स यूक्रेन में पढ़ाई के लिए जाते हैं। हालांकि, यूक्रेन से पढ़ाई करके भारत में प्रैक्टिस शुरू करने के लिए उन्हें टेस्ट जरूर देना पड़ता है।
WHO के अनुसार कम हैं डॉक्टर
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बेहतर स्वास्थ्य सेवाओ के लिए हजार लोगो पर एक डॉक्टर का मानक तय किया वहीं भारत में यह आंकड़ा 1445 लोगो पर केवल एक डॉक्टर का है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार भारत ने साल 2024 तक इस आंकड़े तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है।